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25.1.13

नहीं चाहते दलित गृहमंत्री..!


गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आंतकवाद को धर्म और जाति से जोड़कर अल्पसंख्यक वोटों के लिए हिंदू आतंकवाद के नाम को जन्म क्या दिया मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने इसे राष्ट्र अपमान से जुड़ा मुद्दा बताते हुए सड़क से संसद तक आर पार की लड़ाई का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने शिंदे के बयान से किनारा जरूर कर लिया है लेकिन विवादित बयान देने में माहिर कांग्रेस के पेटेंट नेता दिग्विजय सिंह ने एक तीर से दो निशाने साधते हुए इस मुद्दे पर आरपार की लड़ाई का एलान कर चुकी भाजपा पर ही दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए पलटवार कर दिया है।
दिग्विजय सिंह कहते हैं कि भाजपा को एक दलित गृहमंत्री बर्दाश्त नहीं हो रहा है इसलिए भाजपा गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का इस्तीफा मांग रही है। दिग्विजय सिंह ने न सिर्फ इस बयान के जरिए अल्पसंख्यक वोटबैंक के लिए कांग्रेस की इस चाल का बचाव किया है बल्कि गृहमंत्री शिंदे की जाति के नाम पर भाजपा पर वार करते हुए दलित वोटबैंक पर भी सेंध लगाने की कोशिश की है।
शिंदे की आलोचना के बाद कांग्रेस भले ही गृहमंत्री के बयान से किनारा करते हुए आतंकवाद की कोई धर्म या जाति न होने की बात कर रही हो लेकिन कांग्रेस का दोहरा चरित्र देखिए दिग्विजय सिंह सरीखे नेता बार बार शिंदे के बयान का समर्थन करते हैं। यानि कांग्रेस ने शिंदे बयान से किनारा भी कर लिया और अपने कुछ नेताओं को इसका समर्थन करने के लिए खुला छोड़ कर इसके बहाने अल्पसंख्यक वोटबैंक को झपटने की भी कोशिश कांग्रेस कर रही है। दिग्विजय सिंह तो दो कदम आगे निकलकर अब दलित वोटबैंक पर भी नजरें गड़ा दी हैं।
इस सब से ये तो जाहिर होता ही है कि राजनीतिक दल और उनके नेता वोटबैंक के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और इसके लिए नैतिक अनैतिक हथकंडे अपनाने से भी परहेज नहीं करते। 2014 के आम चुनाव से पहले जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में गृहमंत्री के श्रीमुख से निकला हिंदू आतंकवाद शब्द भी इसकी एक कड़ी है...जिसे आगे बढ़ाया दिग्विजय सिंह सरीखे नेताओं ने।
बहरहाल हिंदू आतंकवाद के शब्द को जन्म देने वाले गृहमंत्री शिंदे के बयान को कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि आतंकवाद की न तो कोई जाति होती और न ही धर्म...ऐसे में शिंदे के साथ ही उनके बयान का समर्थन करने वाले कांग्रेसी नेताओं मणिशंकर अय्यर, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद जैसे दूसरे तमाम कांग्रेसी नेताओं की सोच पर तरस आता है और इससे भी ज्यादा तरस आता है इस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहलाने वाले कांग्रेस पर..!
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