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24.1.13

सरकार बनी तो देख लेंगे..!


भाजपा अध्यक्ष पद पर गडकरी की दोबारा ताजपोशी करने के लिए भाजपा ने पार्टी के संविधान में तक संशोधन कर डाला लेकिन गडकरी के सितारे कुछ ज्यादा ही गर्दिश में थे जिसके चलते आखिरी वक्त में गडकरी की कुर्सी खिसक गई और राजनाथ सिंह बन गए भाजपा अध्यक्ष। कुर्सी जाने के अगले ही दिन नागपुर में गडकरी का नया रंग भी देखने को मिला। गडकरी न सिर्फ खुद के निर्दोष होने के दावा करते हैं बल्कि पूर्ति ग्रुप की सहयोगी कंपनियों पर आयकर सर्वे को साजिश करार देते हैं। गडकरी यहां रूक जाते तो ठीक था लेकिन गडकरी ने तो आयकर विभाग के अधिकारियों को खुली धमकी दे डाली और कहने लगे कि अगर भाजपा सत्ता में आ गई तो उन्हें बचाने सोनिया गांधी या पी चिदंबरम नहीं आने वाले। गडकरी ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए ये तक कह डाला कि कांग्रेस में एक मालकिन हैं और बाकी सब नौकर। अध्यक्ष न बनने पर गडकरी का दर्द समझा जा सकता है लेकिन ये दर्द 24 घंटों में ही बौखलाहट के रूप में निकल कर सामने आएगा इसकी उम्मीद नहीं थी। जाहिर है भाजपा अध्यक्ष पद की कुर्सी को लेकर गडकरी का दर्द इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि गडकरी की कुर्सी उस वक्त पर खिसकी जब शायद गडकरी ये मान कर निश्चिंत हो गए होंगे की उनकी राह अब आसान है लेकिन ऐन वक्त पर पूर्ति ग्रुप से जुड़ी कंपनियों पर आयकर विभाग के सर्वे ने सारा खेल बिगाड़ दिया ऐसे में गडकरी को गुस्सा तो आना ही था..! अब ये अलग बात है कि गडकरी की ये बौखलाहट नागपुर में अपने समर्थकों के सामने बाहर आई। नागपुर में गडकरी भले ही अब अध्यक्ष पद की मर्यादा में न बंधे होने की बात कहते हुए विरोधियों को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं लेकिन भाजपा अध्यक्ष रहते हुए...मर्यादा में बंधे रहते हुए भी गडकरी ने शायद ही कभी इस मर्यादा को निभाया हो क्योंकि ये गडकरी ही हैं जिन्होंने स्वामी विवेकानंद की तुलना अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहम से कर दी थी। ये गडकरी ही थे जिन्होंने भदोही की औराई विधानसभा सीट में चुनाव प्रचार के दौरान रैली को संबोधित करते हुए विरोधी पार्टियों के नेताओं के लिए कहा था कि...इधर गधे-उधर गधे, सब तरफ गधे ही गधे, अच्छे घोड़ों को नहीं घास और गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश ये गडकरी ही थे जिन्होंने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को कांग्रेस के दामाद कहकर बवाल मचा दिया था। इसके अलावा भी कई बार गडकरी अपनी जबान नहीं संभाल पाए थे। अब तो गडकरी अध्यक्ष रहे नहीं...गडकरी के हिसाब से वे अब पद की मर्यादा में भी नहीं बंधे हैं ऐसे में देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में गडकरी अपनी जुबान संभाल पाते हैं या फिर उनकी फिसलन भरी जुबान समय समय पर सियासी भूचाल पैदा करती रहेगी। बहरहाल गडकरी की इस बयान से इतना जरूर साबित हो गया है कि सत्ता में रहने पर नेता अधिकारियों पर किस कदर रौब जमाते होंगे और नेताओं का आज्ञाकारी न बनने पर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की क्या हालत होती होगी क्योंकि जब विपक्ष में रहकर गडकरी जैसे नेता आयकर विभाग के अधिकारियों को खुलेआम धमका सकते हैं तो गलती से सत्ता में आने पर वे क्या गुल नहीं खिलाएंगे।  

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