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5.1.13

तुम किस पंक्ति में हो ?


तुम किस पंक्ति में हो ?

एक आदमी नगर के विद्वान के पास बैठा युग के पतन पर गहरी चिंता कर रहा था।उसने
विद्वान् से कहा- देखो,हमारे परम्परागत मूल्यों का ह्रास हो रहा है।

विद्वान ने कहा- सही बात है।

उस आदमी ने कहा- ज्यादातर लोग उदात्त भावना खोते जा रहे हैं।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-लोग भ्रष्ट और अनैतिक होते जा रहे हैं।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-हमारा कानून गतिहीन या पंगु हो गया है।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-हमारे नेता भी आदर्शों का अनुकरण नहीं कर रहे हैं और सत्ता लोभी
                              हो गए हैं।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा- गुरु और शिक्षक भी लोभी और असंस्कारी हो गए हैं।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-नारी भी पाश्चात्य रंग में रंग के लज्जा के भूषण को छोड़ रही है।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-व्यापारी मुनाफाखोर और मिलावटी सामान बेच रहे हैं।

विद्वान ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-प्रशासनिक अधिकारी कामचोर और रिश्वत लेने वाले हो गए हैं।

उस आदमी ने कहा-सही बात है।

उस आदमी ने कहा-आप मान रहे हैं कि ये सब सही है परन्तु इन बुराइयों से समाज को
                             मुक्त कैसे करे ?क्या आपके पास कोई समाधान ने है।

विद्वान ने कहा- हाँ ,मेरे पास उपयुक्त समाधान है ।

वह व्यक्ति खुश होकर बोला -हमे वह उपाय शीघ्र बताएं ताकि हम समाज को बदल सके?

विद्वान बोला - उपाय बताने  से पहले मैं एक बात तुमसे जानना चाहता हूँ ?

वह व्यक्ति बोला -पूछिये ?

विद्वान बोला -इन सब में आप खुद को किस पंक्ति में पाते हैं?

वह व्यक्ति विद्वान के प्रश्न को सुनकर कुछ देर चुपचाप बैठा रहा और फिर सर झुका कर
चलता बना।    

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