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3.1.13

मिट्टी के शेर घर में भी ढेर-ब्रज की दुनिया

मित्रों,भारतीय क्रिकेट टीम के बारे में अक्सर यह कहा जाता रहा है कि वह विदेशों में भले ही अच्छा नहीं खेले मगर अपनी जमीन पर तो वह शेर ही होती है। मगर आज यह मिथक भी टूट गया है। भारतीय टीम के लिए इन दिनों अपने देश की पिच पर सीरिज जीतना तो दूर की बात रही एक मैच जीत पाना भी दूर की कौड़ी बन गया है। पहले हमारी टीम के शेरों ने इंग्लैंड को कई दशकों के बाद काफी आसानी से टेस्ट सीरिज जीत जाने दिया और आज पाकिस्तान के खिलाफ तीन एकदिवसीय मैचों की शृंखला में वह दो-शून्य से निर्णायक तरीके से पीछे हो गई है।
           मित्रों,इन दोनों देशों ने हमारे घरेलू मैदान के शेरों को माटी का शेर साबित कर दिया है। इन दिनों न तो हमारी गेंदबाजी ही चल पा रही है और न तो बल्लेबाजी ही,क्षेत्ररक्षण के क्षेत्र में भी हमारी स्थिति दयनीय होती जा रही है। समझ में नहीं आता कि करोड़ों का सालाना पैकेज पानेवाले हमारे खिलाड़ियों को हो क्या गया है?क्यों उनको मैदान में उतरते ही साँप सूंघ जाता है?हालाँकि कप्तान धोनी ने अपना कर्त्तव्य आज भी बखूबी निभाया है लेकिन सिर्फ कप्तान के ही अच्छा खेलने से कोई टीम क्या जीत सकती है?क्यों टीम के बाँकी बल्लेबाज लगातार फ्लॉप हो रहे हैं समझ में नहीं आता?क्या उनका मन अब खेलने में नहीं लग रहा और उनको सिर्फ विज्ञापनों में काम करना ही रास आ रहा है।
             मित्रों,अब टीम में प्रयोग करने का समय भी नहीं रह गया है। अब टीम के चयनकर्त्ताओं को टीम में आमूल-चूल परिवर्तन करने पड़ेंगे। खिलाड़ियों के साथ-साथ टीम के कोच को यथाशीघ्र बदलने की आवश्यकता है और टीम में अच्छे गेंदबाजी,बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण प्रशिक्षकों को भी नियुक्त करने की जरुरत जान पड़ती है तभी टीम में फिर से जान आ सकेगी और भारतीय टीम की गाड़ी एक बार फिर से जीत की पटरी पर सरपट भाग सकेगी।

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