Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

28.2.13

ये है पगडंडी की पत्रकारिता

रिपोर्टिंग के लिए निकलतीं छात्राएं 
दलित महिला से पूछताछ करतीं गाँव की रिपोर्टर  
योजनाओं के बारे में जानकारी लेतीं कविता व नीतू  
दलित, महादलित, अल्पसंख्यक व पिछड़े समुदाय की लड़कियां पगडंडी की पत्रकारिता को नया आयाम दे रही हैं। मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड स्थित केजीबीवी की दर्जनों छात्राएं २७ फ़रवरी को पढ़ाई करने के बाद  आसपास के गांवों गोपालपुर नेउरा, छितरी माधोपुर के गरीब-गुरबों का दुःख-दर्द जानने निकलीं। हांथों में डीवी कैमरा, कलम लेकर निकलीं तो देखने वाले देखते ही रह गये. चार समूह में बंट कर चार स्टोरी तैयार करने के लिए लोगों से मिलकर उनकी आर्थिक व सामजिक स्थिति की पड़ताल की। कविता, नीतू, अंजलि, रीमा, सविता, काजल, लक्ष्मी, रानी, प्रियंका, सरिता, अन्नू, शोभा, उषा, सोनी, रूबी, गुड्डी, विभा आदि छात्राओं को खबरों की समझ बनाने के लिए अप्पन समाचार अमृतांज इंदीवर साथ-साथ चल रहे थे। बता दें कि अप्पन समाचार इन लड़कियों को नागरिक पत्रकारिता का प्रशिक्षण दे रहा है. इस फिल्ड रिपोर्टिंग के दौरान इन लड़कियों के माथे पर पसीने जरूर थे, पर शिकन व थकावट थोड़ी-सी भी नहीं दिख रही थी। इन लड़कियों की टीम ने फिल्ड में निकलने से पहले गाँव की समस्यायों पर समूह चर्चा की। फिर स्टोरी के लिए विषय का चयन किया। फिल्ड में जाकर समूह चर्चा में तय बिन्दुओं पर विस्तार से लोगों से बातचीत की। आंकड़े इकट्ठे किये। स्थानीय जनप्रतिनिधियो एवं गाँव के प्रबुद्ध लोगों से उनके संबंधित समस्याओं पर जानकारी इक्ट्ठा की। फिल्ड रिपोर्टिंग से लौटने के बाद टीम की लड़कियों ने कार्डबोर्ड पर समाचार लिखा। इसके बाद सभी समूह की लड़कियों ने अपना-अपना प्रेजेंटेशन दिया।  
फिल्ड से लौट कर टीम के साथ समाचार लिखतीं कविता 
हम त अछूत हैं 
माधोपुर छितरी स्थित डॉम बिरादरी की एक महिला राजकुमारी देवी व वदंता देवी ने बताया कि हमारे यहाँ आजतक कोई भी पत्रकार हमारी स्थिति जानने नहीं आया। लोग हमें अछूत समझते हैं। इस टोले में करीब ५० लोग हैं, पर सभी के सभी अशिक्षित हैं। इनकी रोजी-रोटी बॉस की टोकरियाँ, डगरा, सूप आदि बनाकर चलती है।

No comments: