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4.2.13

 विकास की आरियाँ


तुम अब नहीं हो।  कटे पड़े हो । विकास की आरियाँ चली हैं तुम पर । जब भी विकास की आरियाँ चलती हैं तो पहला प्रहार तुम्हीं पर होता है । समझ नहीं आता कि  तुम बीच में आते ही क्यों हो ? तुम्हें विकास की रथ यात्रा में आड़े नहीं आना चाहिए । क्या तुम नहीं जानते ? देश में विकास की बहार है । विकासवाद अब हमारी सरकारों का प्रथम मापदंड हो गया है और तुम हो कि  राह में बाधा बन खड़े हुए हो । वर्षों से । जब मैं छोटा था । पांच सात साल का । तब तुम भी इतने बड़े नहीं थे । तुम पर इमलियाँ लटकी रहती थी । मैं और मेरे साथ के बच्चे बार बार पत्थर मारकर तुमसे इमलियाँ तोड़ने की कोशिश करते और इमलियाँ थीं कि  टूटने को नहीं आतीं । हमें तब लगता , तुम इतने बड़े क्यों हो । थोडा छोटे होते तो हम इमली तोड़ लेते । कभी किसी कौवे ने घड़े में कंकन डालकर पानी पीया था लेकिनहमें तो पत्थर चाहिए होते थे तुम्हें मारने के लिए । तुमसे इमलियाँ तोड़ने में पत्थरों ने हमारी बहुत मदद की है । देखा ? हमारी ताकत । अब तुम कटे पड़े हो । मूक । बोल भी नहीं सकते । शास्त्र कहते हैं । तुम बोल सकते हो । बोलो । बोल भी रहे होगे तो मैं कोई पेड़ थोड़े ही हूँ जो तुम्हारी बात सुन लूँगा । तुम्हारी जगह अब पत्थर बिछा दिए जायेंगे । वही  पत्थर जिन्होंने तुमसे इमलियाँ तोड़ने में हमारी बहुत मदद की थी । संवेदना होने और न होने में यही फर्क है । तुममे संवेदना थी इसलिए तुम काट दिए गए । पत्थर असंवेदनशील है इसलिए चोट भी करते हैं और आसानी से कटते भी नहीं । वे बिछे रहेंगे । सड़कों के नीचे । उन पर दौड़ेगी सरपट से गाड़ियाँ । सोचो । क्या तुम्हारे रास्ते में होते गाड़ियां दौड़ पाती । नहीं न । तुम तो राह में बाधा बन खड़े थे । अब गलती मत करना । आदमी के रास्ते में मत आना । तुम देते भी क्या थे । ओक्सिजन । अरे , उसके तो अब सिलेंडर हैं हमारे पास ।अब तुम्हारे उस हिस्से पर सरपट दौड़ती गाड़ियां धुंआ छोड़ेंगी ।
क्या तुम खुश हो ? कटकर  भी ? कि  तुम्हे वह धुआँ अब नहीं सहन करना पड़ेगा । उस धुएं के खिलाफ अब तुम्हारी जंग शायद अब समाप्त हो चुकी है ? शायद , लेकिन तुम अमर हो गए हो । हाँ , तुम मेरी स्मृतियों में तो अमर हो ही गए हो । यदि मैं मर गया तो मैं अपने मरने से पहले तुम्हें इन्टरनेट पर टांग दूंगा । गूगल पर टांग दूंगा । कोई तुम्हे गूगल से हटाएगा भी तो internate पर तुम हमेशा के लिए अमर अमिट  हो जाओगे । पेड़ हुए होना क्या कुछ होना नहीं होता । क्या मरा हाथी सवा लाख का नहीं होता ? क्या अब तुम्हारा बाज़ार भाव नहीं है । है । अब तुम कितने ही घरों में पहुँच जाओगे । दुखी मत होना ।
एक बात कहूं । तुम बहुत लम्बे हो गए थे । क्या तुम्हे अहंकार हो गया था । शायद । तुम्हारी इमलियाँ कब लगती और ख़त्म हो जाती यह पता ही नहीं चल पाता  था । या पता नहीं लगती भी थी या नहीं , क्या तुम नहीं जानते कि  जिनसे मनुष्य का स्वार्थ नहीं साधता वे  सब मनुष्य के लिए महत्व हीन हो जाती हैं ? क्या तुमने बूढ़े माँ बाप की हालत नहीं देखी   है ? तो फिर , तुम तो संवेदन शील हो , तुम्हे समझना चाहिए । जब कभी जाम लगता तो तुम्हारी वजह से सड़कें चौड़ी नहीं हो पाती थी । तुम्हारे नीचे वह छोले कुलचे वाला अब नहीं दिखेगा जिसके पास आकर लोग तुम्हारी छाँव में अपने भूख मिटाते थे । वह चला गया है । एक और वहां अब भी खड़ा  है । दाल चावल लिए । वह भी चला जाएगा । विकास की इस यात्रा में जब भी तुम कटते हो तो कितनों को अपने रोजगार की तलाश में  नयी  छतें तलाशनी पड़ती हैं । विकास की यह यात्रा वैसे भी उन अमीरों के लिए है जिनकी सरपट दौड़ती गाड़ियों से अक्सर जाम लगते हैं और फिर सड़के चौड़ी होती हैं । तुम कटते हो उनके लिए जिनके रईसजादे  अक्सर कभी तुम पर अपनी गाड़ियां थोक देते थे पर वे तुम्हें नहीं गिरा पाए । लेकिन देखो , पैसा ही खर्च हो रहा है और उस पैसे की ही बदौलत तुम गिरा दिए गए हो ।
तुम्हे पता भी है । एक दधीची हुए हैं जिन्होंने देवताओं के लिए उनकी विजय के लिए अपनी हड्डियां तक दान कर दी थी । तुमने भी सर्वस्व दान कर दिया है । या , सॉरी , तुमसे छीन  लिया गया है तुमारा सर्वस्व । लेकिन रोना नहीं । संवेदनाओं को नियंत्रण में रखना । तुम ही तो हो जिसकी संवेदनाएं अब भी नियंत्रित हैं । अपना अर्थ नहीं खोती  । तुम स्थितप्रज्ञ हो । सुख दुःख में एक । मुझे तो ऐसा ही लगता है । जबरन ही सही । क्या मैं गलत हूँ ? इंसान अपनी संवेदनाओं से ऊपर उठ खडा हुआ है । या संवेदनाओं को मारकर उठ खडा हुआ है । विकास की इस यात्रा पर । तुम चिंता मत करो । तुम मेरे घर में होगे । सोफे आलमारी दरवाजे आदि के रूप में । मेरी यादों में । तुम अकेले ही नहीं कटे हो । तुम्हारे अपने बहुत से कटे हैं और बहुत सारे नए भी ईजाद कर लिए जायेंगे । तुम यादों में रहोगे । हमारे हृदय की गहराइयों में , अपनी इमलियों के साथ , जिन्हें याद करके अब भी मेरे दांत विकास की इस यात्रा में भी खट्टे हुए जा रहे हैं ।

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