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10.2.13

क्या अफजल के साथ नाइंसाफी हुई..?

संसद पर हमले के दोषी अफजल की फांसी पर मुझे नहीं लगता  कि आतंकियों और अफजल के परिजनों को छोड़कर किसी और को अफजल से सहानुभूति होनी चाहिए...लेकिन जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला फांसी से नाराज़ हैं।
बीबीसी के मुताबिक उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इससे घाटी की नौजवान पीढ़ी में नाइंसाफी और अलगाव का एहसास बढ़ेगा। उमर अबदुल्ला ये भी कहते हैं कि भले ही आप इसे पसंद करें या न करें अफ़ज़ल को फांसी दिए जाने से कश्मीरियों का यह एहसास और पुख्ता होगा कि यहां उनके लिए इंसाफ नहीं है और मुझे यह बात सुरक्षा के मोर्चे पर पड़ने वाले तात्कालिक प्रभाव की वजह से ज्यादा परेशान कर रही है।
उमर अबदुल्ला के बयान से तो ये लगता है कि जैसे वे पाक अधिकृत कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर बात कर रहे हैं..! जैसे उमर अबदुल्ला ये चाहते हैं कि आतंकियों का मनोबल बढ़े और वे फिर से कभी देश की संसद पर तो कभी मुंबई जैसे हमलों को अंजाम देते रहें और सैंकड़ों निर्दोष लोगों रोज मरते रहें..!
उमर दलील देते हैं कि फांसी से घाटी की नौजवान पीढ़ी में नाइंसाफी और अलगाव का एहसास बढ़ेगा...उमर के इस बयान से तो ये जाहिर हो रहा है कि अफजल के साथ नाइंसाफी हुई है..!
देश की संसद पर सुनियोजित तरीके से किए गए हमले में दस लोग मारे जाते हैं। आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते तो जाने कितने लोगों की जान जाती...लेकिन उमर साहब आप कह रहे हो कि अफजल की फांसी से घाटी के नौजवानों में नाइंसाफी और अलगाव का एहसास बढ़ेगा। यानि कि आप पहले से ही ये मान कर बैठे हो कि घाटी के सभी युवा अफजल जैसी सोच रखते हैं और उनके मंसूबे देश के लिए खतरनाक हैं..!
उमर साहब संसद हमले में दस लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा...उनके परिजनों के दर्द का तो एहसास आपको है नहीं लेकिन काल्पनिक परिस्थितियों की पहले से भविष्यवाणी करते हुए आप अफजल की फांसी को गलत ठहरा देते हैं..! जिनकी इस हमले में मौत हुई वो भी तो किसी का पिता, बेटा या भाई रहा होगा लेकिन उनकी परवाह आपको नहीं है..! आतंकी हमलों में आए दिन मारे जाने वाले निर्दोष लोगों के पीछे रोते बिलखते उनके परिजन आपको नहीं दिखाई देते...लेकिन आपको चिंता है आतंक के आकाओं की..!
आप तो एक निर्वाचित सरकार के मुखिया हो और आपके कंधे पर जम्मू कश्मीर को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है। आपके कंधे पर वहां के नौजवानों को सही राह पर ले जाने की जिम्मेदारी है। आपके कंधे पर आतंकवाद को खत्म करने की भी जिम्मेदारी है लेकिन अफजल की फांसी पर आपकी प्रतिक्रिया से तो नहीं लगता का आप इन जिम्मेदारियों को सही से निभा पा रहे हैं..! आपको शायद अंदर ही अंदर अब ये डर खाए जा रहा है कि अफजल की फांसी आगामी चुनाव में आपकी सत्ता की राह में रोड़ा न बन जाए..! जाहिर है आपने अपनी जिम्मेदारियां सही से निभाई होती तो आप ऐसा सोचते ही नहीं..!
माना ये काम मुश्किल है लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुए आपको ऐसा बयान तो कहीं से भी शोभा नहीं देता..!
आपको तो इस अफजल की फांसी के जरिए आतंकवादियों को ये संदेश देने की कोशिश करनी चाहिए थी कि आतंक का अंजाम सिर्फ और सिर्फ मौत ही है। आपको तो घाटी के नौजवानों को ये संदेश देने की कोशिश करनी चाहिए कि देश के दुश्मनों का साथ देने वालों के लिए किसी तरह की कोई सहानुभूति नहीं है और इसका अंजाम भी सिर्फ और सिर्फ मौत है लेकिन आप तो आतंकी अफजल की फांसी पर अपने राजनीतिक गुणा - भाग में व्यस्त हैं..! आपका ये गुणा – भाग आपको एक बार फिर से सत्ता तक भले ही पहुंचा दे लेकिन जाने अनजाने आप न सिर्फ आतंकियों को मनोबल बढ़ा रहे हो बल्कि अपने लिए ही गड्ढ़ा भी खोद रहे हो...जिसमें एक दिन आप खुद को गिरने से भी नहीं बचा पाओगे..! दुर्भाग्य ये है कि राज्य के दोनों प्रमुख दल जम्मू कश्मीर नेश्नल कांफ्रेंस(जेकेएन) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) ऐसी ही सोच रखते हैं..!

deepaktiwari555@gmail.com

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