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26.3.13


कांग्रेस में पद बांट बांट कर हरवंश सिंह अपने ही समर्थकों में समन्वय बनाने और प्रसन्न करने का प्रयत्न कर रहें हैं
भाजपा के जन  अभियान में विधायकों और जिले के शीर्ष नेताओं के बदले आम कार्यकर्त्ताओं को लोगों के आक्रोश का समाना करना पड़ा। आम आदमी में विधायकों की बेरुखी, अधिकारियों द्वारा बातें ना सुनी जाने और भारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जम कर आक्रेाश दिखा। इसके बाद भी भाजपा कांग्रेस की गुटबंदी और भीतरघात को लेकर आशान्वित है कि वो एक बार फिर तीन सीट जीत लेगी। विदेशी युवती से हुये सामूहिक बलात्कार के विरोध में कांग्रेस ने एक दिवसीय धरना देकर ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस नेताओं ने अपने भाषण में कई घटनाओं का उल्लेख करते हुये प्रदेश की बदतर कानून व्यवस्था को लेकर शिवराज सरकार को आरोपों के कठघरे में खड़ा किया। जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी घोषित होने के पहले से कांग्रेसियों के बीच 1.16 का किस्सा चर्चित था। कांग्रेस के 16 नेताओं ने हरवंश सिंह को साफ साफ यह कहा था कि यदि कार्यकारिणी में मो. असलम को पद दिया गया तो वे अपने अपने पदों से स्तीफा दे देंगें। अब हाल ही में जिन पांच नेताओं को जिला कांग्रेस मे पदाधिकारी बनाया गया है उनमें मो. असलम भी शामिल है जिन्हें महामंत्री बनाया गया है। अब देखना यह है कि 1.16 का किस्सा कितना जोर पकड़ता है?
भाजपा के महा जन संपर्क अभियान में लोंगों का दिखा आक्रोश-भाजपा का महा जन संपर्क अभियान समाप्त हो गया हैं। समूचे प्रदेश में चलाये गये इस अभियान का जिले में भी शुभारंभ और समापन समारोह पूर्व किया गया जिसमें भाजपा के बड़े नेता शामिल हुये। बाकी समूचे अभियान की कमान मंड़ल स्तर के कार्यकर्त्ताओं ने ही संभाली थी। जाहं तक विधायकों का सवाल है तो तो विस सत्र चलने के कारण उनका अधिकांश समय उसमें ही बीत गया। औपचारिक रूप से जिले के भाजपा विधायकों नीता पटेरिया,शशि ठाकुर एवं कमल मर्सकोले ने भी आपने अपने विस क्षेत्रों में इस अभियान में भाग लिया। जिला भाजपा एवं मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर एवं वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन ने भी इस अभियान में भाग लिया। लेकिन मुख्य रूप से लोगों के घर घर जाकर अभियान चलाने का काम जिन स्थानीय भाजपा नेताओं ने किया उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा। लोगों ने विधायकों की बेरुखी, भ्रष्टाचार और स्थानीय समस्याओं को लेकर भाजपाइयों को जम कर खरी खोटी सुनायी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम पर तीसरी पारी खेलने को बेंताब भाजपा के नेताओं की आंखे इस भारी जन असंतोष को देखकर खुली की खुली रह गयीं। हाल ही में हुयी ओला वृष्टि से पीड़ित किसानों ने नुकसानी के आकलन में हुयी लापरवाही को लेकर भी भाजपा नेताओं की जम कर परेड ली। भाजपा कार्यकर्त्ताओ की भी यह शिकायत भी रही कि जब वे प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बातें अनसुनी किये जाने की शिकायत विधायकों और जिले के बड़े नेताओं से करते हैं तो वे भी टका सा जवाब दे देते हैं कि क्या करें हमारी बातों को अधिकारी सुन रहें हैं। ऐसे में आम आदमी अपनी समस्याओं को लेकर भाजपा नेताओं से हताश हो चुका है और अपने दरवाजे पर आये भाजपा नेताओं पर लोगों ने अपना आक्रोश जम कर निकाला। इन हालातों पर काबू पाये बिना जिले में भाजपा अपने बूते पर मिशन 2013 में फतह नहीं पा सकती हैं लेकिन शीर्षस्थ भाजपा नेताओं का मानना  है कि हमेशा की तरह कांग्रेस नेताओं की गुटबंदी और भीतरघात केवलारी छोड़कर अन्य क्षेत्रों में उनके लिये मददगार साबित होगा और एक बार फिर भाजपा जिले में चार में से तीन विस क्षेत्रों में अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हो जायेगी। 
धरने की रस्म निभायी कांग्रेस ने-विदेशी युवती से हुये सामूहिक बलात्कार के विरोध में कांग्रेस ने एक दिवसीय धरना देकर ज्ञापन सौंपा। प्रदेश कांग्रेस के निर्देश पर यह धरना नगर पालिका के सामने दिया गया। इसमें जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष नदेश मरावी एवं नगर इंकाध्यक्ष इमरान पटेल सहित कई इंका नेताओं ने भाग लिया। कांग्रेस नेताओं ने अपने भाषण में कई घटनाओं का उल्लेख करते हुये प्रदेश की बदतर कानून व्यवस्था को लेकर शिवराज सरकार को आरोपों के कठघरे में खड़ा किया। लकिन इस धनरे में भी कांग्रेस नेताओं के वही गिने चुने चेहरे दिखायी दिये जो हमेशा देखे जाते हैं। चुनावी साल में भी इस संख्या में भले ही बढ़ोतरी ना हुयी हो लेकिन पांच बार से लगातार चुनाव हारने वाले सिवनी विस क्षेत्र से संभावित प्रत्याशियों की संख्या अवश्य बढ़ती जा रही हैं। अब तो बाकायदा भाषण के संबोधनों में संभावित प्रबल दावेदारों के रूप में नेताओं को संबोधित किया जाने लगा हैं।राजनैतिक विश्लेषकों की यदि बात माने तो यही कहा जा सकता हैं कि पांच बार चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेसियों ने कोई सबक नहीं सीखा हैं।
पद देकर समर्थकों में समन्वय बिठा रहे हरवंश -जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी घोषित होने के पहले से कांग्रेसियों के बीच 1.16 का किस्सा चर्चित था। बताया जाता है कि कांग्रेस के 16 नेताओं ने हरवंश सिंह को साफ साफ यह कहा था कि यदि कार्यकारिणी में मो. असलम को पद दिया गया तो वे अपने अपने पदों से स्तीफा दे देंगें। इन 16 नेताओं में कुछ नेता ऐसे भी थे जिनका केवलारी विस क्षेत्र में खासा प्रभाव था। इसी कारण कई दिनों तक तो कार्यकारिणी की ही घोषणा नहीं हुयी। फिर जब कार्यकारिणी को घोषणा हुयी तो उसमें मो. असलम को कार्य सदस्य तो बनाया गया लेकिन पद नहीं दिया गया। अपनी सुनियोजित रणनीति के तहत विरोध करने वाले 16 नेताओं और उनके शुभचिंतकों को कुछ इस तरह पद दिये गये कि धीरे धीरे उनमें ही फुट फैल होने लगी। बीच बीच में समन्वय बनाने के नाम पर हरवंश सिंह ने जिला इंका में नाम लुड़वाने का सिलसिला जो चालू किया तो वो अभी तक जारी हैं। वक्त की नजाकत को भांपने के लिये हरवंश सिंह ने मो. असलम को पहले जिला इंका की ध्वज वाहिनी समिति का अध्यक्ष बनाया। इसका कोई विरोध तो नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस के 16 नेताओं में बना एका तोड़ना जरूरी मान कर कुछ ऐसी सियासी चाले चलीं गयीं कि आज से नेता चार गुटों में बंटे दिखायी दे रहें हैं। अब हाल ही में जिन पांच नेताओं को जिला कांग्रेस मे पदाधिकारी बनाया गया है उनमें मो. असलम भी शामिल है जिन्हें महामंत्री बनाया गया है। अब देखना यह है कि 1.16 का किस्सा कितना जोर पकड़ता है?इसी बीच सिवनी विस क्षेत्र से किसी मुस्लिम को प्रत्याशी बनाने की बात भी तेजी से उभर कर आयी हैं। प्रदेश इंका के महामंत्री साजिद अली ने भी अपने प्रवास के दौरान इसका समर्थन कर मामले को और गंभीर बना दिया है। वैसे यह कोई नयी बात नहीं हैं। पिछले कुछ चुनावों से विस और सिवनी नपा अध्यक्ष के लिये जो कांग्रेस के दिग्गज नेता मुस्लिम प्रत्याशी की बात करते हैं वे ही उन्हें टिकिट दिलाने में गंभीर नहीं रहते हैं। लेकिन टिकिट की दौड़ के बाद जब उन्हें टिकिट नहीं मिलती हैं तो अल्प संख्यकों में उभरने वाला असंतोष कांग्रेस प्रत्याशी को निपटाने में कारगर भूमिका निभाता है और कांई ना कोई ऐसा मुस्लिम निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर जाता है जिसे भाजपा भी जीतने की रणनीति के तहत परदे के पीछे से सहयोग करने में पीछे नहीं रहती हैं। पिछले परिणामों को यदि देखा जाये तो मुस्लिम और आदिवासी वोटों का विभाजन ही इस क्षेत्र से भाजपा की जीत में मददगार रहा हैं जिसे असंतुष्ट कांग्रेसियों का भी सहयोग मिल जाता हैं। ऐसा ही कुछ आने वाले समय में भी हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। आगे चाहे जो भी हो लेकिल विस चुनाव के पहले जिले के इकलौते इंका विधायक ठा. हरवंश सिंह कांग्रेस में पद बांट बांट कर अपने ही समर्थकों में समन्वय बिठाने में लगे हुये हैं ताकि उनके विस क्षेत्र केवलारी का चुनावी समीकरण ना बिगड़े और वे एक बार फिर चुनाव जीत सकें।“मुसाफिर”
सा. दर्पण झूठ ना बोले
26 मार्च 2013 से साभार

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