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22.8.13

reenakari: आबरू

reenakari: आबरू: आबरू एक के साथ एक मुफ्त है, स्त्री का जन्म सुस्त है , नारी की गाथा गाता , नारी के सम्मान में , ये शब्द मुछों का ...

आबरू
एक के साथ एक मुफ्त है,
स्त्री का जन्म सुस्त है ,
नारी की गाथा गाता ,
नारी के सम्मान में , ये शब्द
मुछों का सवाल ,ये शब्द
जात – पात की मशॅाल , ये शब्द
नारी का साथ  है , ये शब्द
उसका हाल है , ये शब्द
नारी को सम्मान से ,
सामान करता , ये शब्द
ना सात फेरे अग्नि के , ना डौली कि स्वारी ,
फिर भी उसका जीवनसाथी , ये शब्द ,
समाज ने ये खेल खेला
इस शब्द का जाल फेंका ,
आबरू शब्द ये मिला ,
आबरू आबरू का गान
स्त्री का जन्म सुस्त है ,
एक के साथ एक मुफ्त है
स्त्री का जन्म सुस्त है ,

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