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30.9.13

उमा दारु जोषित की नाईं। सबहिं नचावत रामु गोसाईं : राम चरित मानस

दारु जोषित = लकड़ी की नारी = कठपुतली ,    

हम सब कठपुतलियां हैं , भगवान् के हाथों मे, 

कठपुतली की कोई इच्छा नहीं, कर्तव्या  नहीं , 

कठपुतली ही तो होना हैं मुझ्कॊ .

फिर कोई दुःख नहीं तकलीफ नहीं 

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क्या रुकावट हैं कठपुतली होने में  !

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