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5.2.14

गुजरात गरीबी रेखा मामले में गलती किसकी?-ब्रज की दुनिया

ब्रजकिशोर सिंह,हाजीपुर। पिछले कई दिनों से मीडिया में गुजरात सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा गरीबी रेखा के बारे में दिए गए निर्देश काफी चर्चा में हैं। इस बात को मद्देनजर रखते हुए गुजरात सरकार द्वारा इस संबंध में जो स्पष्टीकरण दिया गया है उसके अनुसार गरीबी रेखा का निर्धारण वह नहीं करती बल्कि भारत सरकार का योजना आयोग करता है। योजना आयोग ने वर्ष 2004 में इस संबंध में गुजरात सरकार को पत्र लिखा था और उसके बाद उसने कोई पत्र नहीं लिखा। गुजरात सरकार ने गरीबी रेखा के संबंधित जो भी दिशा-निर्देश 2004 के बाद से जारी किए हैं वे सभी उसी पत्र के आधार पर जारी किए गए हैं।
भारत सरकार के योजना आयोग ने गुजरात के बारे में वर्ष 2004 में इन मानदंडों के आधार पर अनुमान लगाया था कि उस समय गुजरात में 21 लाख परिवार गरीब थे। हालांकि गुजरात सरकार ने 11 लाख अतिरिक्त परिवारों को भी गरीबी रेखा के नीचे माना है। इन 11 लाख परिवारों में वे परिवार भी शामिल हैं जो गुजरात में अन्य राज्यों से आए हैं। इस तरह गुजरात में 32 लाख परिवारों को सब्सिडी वाले अनाज दिए जा रहे हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी गुजरात की जन वितरण प्रणाली की छत्तीसगढ़ के साथ ही प्रशंसा भी की है। सरकार ने यह स्पष्ट भी किया है कि 324 और 501 रुपये प्रति माह आयवाला यह मापदंड सिर्फ उन्हीं परिवारों के लिए है जिनका नाम अच्छी सम्पत्ति के कारण इस सूची में नहीं है। गुजरात सरकार ने भारत सरकार से बीपीएल संबंधी मापदंडों को बदलने की और राज्य सरकार को इससे संबंधित पत्र लिखने की गुजारिश भी की है जिससे वर्ष 2004 वाला पुराना मापदंड स्वतः निरस्त हो जाए। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

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