Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

4.2.14

भैंसा - ए - निज़ाम ।

भैंसा - ए - निज़ाम ।

http://mktvfilms.blogspot.in/2014/02/blog-post.html

नोट- ये संवाद सिर्फ मनगढ़ंत पंक्तियों के अलावा और कुछ नहीं है, इसका किसी भी खोये या बाद में ढूंढ़े गए मानव-जानवर-चीज़ वस्तु से कोई लेनादेना या सरोकार नहीं है । कृपया इसे किसी को अपने सर लेकर व्यर्थ दुःखी होने की जरूरत नहीं है, फिर चाहे अपनी मर्जी....!
 
स्थल - `रद्दी कल तक` न्यूज़रूम स्टूडियो. दिल्ली (भारत)
 
लाऊड म्यूझिक - `ढें..टें...टें....णें..एं...एं...एं...एं...एं...एं...!`
 
एंकर सुनिधि जलपरी- "हम दर्शकों को बताना चाहते हैं कि, अभी-अभी राजगढ़-यु.पी. से सबसे बड़ा ब्रैकिंग न्यूज़ आ रहा है, इससे पहले कि हम ये न्यूज़ हम आपको बतायें आइए, हमारे साथ हमारे संवाददाता  पतासुतोष ऑनलाईन जूड़ चुके हैं, हम उनसे सीधे बात करते हैं...!  पतासुतोष हमें ये बताईए, वहाँ से क्या ब्रेकिंग न्यूज़  है...!"
 
पतासुतोष - "हाँ जलपरी, आज सुबह जब मैं, नई पॉलिटीकल पार्टी `बिगडैल बाप` के रोड़ शॉ कवरेज़ के लिए, निकल ही रहा था तभी, मेरे  ख़बरी ने मुझे फोन कर के बताया कि, हमारे प्रदेश के एक कद्दावर नेता श्री भैंसा - ए - निज़ाम कि करीब सात भैंसे सुबह-सुबह अपने फाईवस्टार निवासस्थान से गायब हुई हैं । यह सुनते ही  `बिगडैल बाप` पार्टीवाला कार्यक्रम छोड़कर मैं अभी-अभी इस मौका-ए-वारदात पर पहुंचा हूँ । मैं हमारे कैमरामेन को कहूँगा कि वह अपना कैमरा ज़रा इस तरफ...!"
 
"सॉरी, पतासुतोष पर मैं यहाँ आपको रोकना चाहूंगी..!" सुनिधि जलपरी - "अभी-अभी हमारे साथ यु.पी.की अराजकतावादी पार्टी के भूतपूर्व  नेता कमरतोड़पानीसिंह जूड़ चुके हैं । आईए, हम उन्हीं से बात करते हैं..नमस्कार, तोड़पानीसिंह जी, आपका स्वागत है ।"
 
कमरतोड़पानीसिंह -"स्वागत गया भाड़ में..! जलपरी जी, पहले मेरा नाम सही-सही लीजिए ना..! ये क्या बात हुई ? मेरा नाम मि.कमरतोड़पानी है, मेरे नाम से `कमर` कहाँ गायब हो गया ?"
 
सुनिधि जलपरी-"क्षमा कीजिएगा, आज सुबह से ही सब कुछ गायब हो रहा था इसलिए, जी..जी..बोलिए साहब, आप का क्या कहना है?"
 
कमरतोड़पानीसिंह -`देखिए, ऐसा है..! अराजकतावादी पार्टी के हमारे प्रातःस्मरणीय-परम आदरणीय-कद्दावार नेता मान्यवर श्री भैंसा - ए - निज़ाम ने हमें पार्टी से निकलवाने के लिए जो कारनामे किए थे , उसी पाप के कारण आज उन्हें ये दिन देखना पड़ रहा है...!`
 
सुनिधि जलपरी-`ठीक है..ठीक है, पर तोड़पानीसिंह जी, सॉरी अगेईन, मि.कमरतोड़पानीसिंह जी, ये बताएं आप इस घटना को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं...!`
 
कमरतोड़पानीसिंह -"देखिए ऐसा है..! इतनी गंभीर घटना के बारे में, हमें अपना देवर समझने वाली  अखंड सौभाग्यवती श्रीमती ढेंगा बहादुडी टूच्चन भौजी तो कुछ  बोलेगी नहीं, इसलिए हमें ही कहना पड़ेगा कि, प्रातःस्मरणीय-परम आदरणीय कद्दावार नेता श्री भैंसा - ए -निज़ाम साहब की सात भैंसों के एकाएक गायब होने की घटना को,`राष्ट्रीय समस्या-आपदा` घोषित करनी चाहिए, औ....र.....!"
 
"एक मिनिट..!" सुनिधि जलपरी-"सॉरी, तोड़पानी सिंह जी, मैं आप को यहाँ पर रोकना चाहूँगी....! ( टें.. टूं..टें..टूं..टें..टूं...!) लगता है हमारा संपर्क कमरसिंह जी से टूट गया है । पतासुतोष के पास चलते हैं । हाँ, पतासुतोष बताएं आप के पास क्या लेटेस्ट अपडेट्स हैं?"
 
पतासुतोष - "हाँ जलपरी, यु.पी. के बाहोश पुलिस महकमें ने, खोजी कुत्तों के साथ मिलकर सात भैंसों को अभी-अभी ढूँढ निकाला है और इस वक़्त ये सारी भैंसें मेरे साथ खड़ी है औ..अ..र हमें इंटरव्यू देने के लिए उनकी मुखिया भैंस सुश्री कायावती जी को मैंने पटा लिया हैं..!"
 
सुनिधि जलपरी-"जी, पतासुतोष, सुश्री कायावती जी से ज़रा पूछिए कि, कल रात असल में क्या हुआ था, किस गिरोह ने उनका अपहरण कर लिया था?`
 
पतासुतोष - "जी..! हाँ तो, कायावती भौजी, ज़रा ये बताएं कि..ई...ई...ई...ई...!"
 
मुखिया भैंस कायावती जी (नाराज़ होकर)-"भौजी होगी तेरी माँ..! सा...ले..! मेरा बैल, तेरा भाई कब से बन गया..रे..ए..ए..!  मेरे शौहर और हमारी कौम का इतना बड़ा अपमान?"
 
पतासुतोष - "माफ़ करना कायावती बहन जी, हाँ तो कल रात क्या हुआ था?"
 
मुखिया भैंस कायावती जी - "अरे...भाई...! किसी ने....किसी ने भी..ई..ई.., हमारा अपहरण नहीं किया, हम सातों बहन तो अपनी मर्जी से, हमारे मालिक  श्री भैंसा - ए - निज़ाम से नाराज़ होकर, खुद घर छोड़ कर भाग गई थीं...!`
 
पतासुतोष - "आप की नाराज़गी की वजह ?"
 
मुखिया भैंस कायावती जी - "अरे..! हमारे मालिक और उनकी अराजकतावादी गुंडा पार्टी ने हमारे साथ नाइन्साफ और वादाख़िलाफी की है..!"
 
पतासुतोष - "कैसा नाइन्साफ ? कैसी वादाख़िलाफी..!`
 
मुखिया भैंस कायावती जी - "हाँ, देखिए, यहाँ के सबसे बड़े कार्यक्रम `गुंड़ई महोत्सव में, हम सात बहनों का आयटम डान्स पहले से तय किया गया था पर जैसे ही, हमारे मालिक विदेश की सैर पर निकल गए तुरंत ही, अराजकतावादी पार्टी द्वारा वचन भंग कर के हम काली,मोटी भैंसों की जगह, बोलीवुड मुंबई की गोरी-गोरी स्लिम-स्लिम आयटम गर्ल और हीरोइनों को नचाया गया?"
 
(अचानक ब्लैक आउट..! इन्कलाब ज़िंदाबाद के नारे..!)
 
सुनिधि जलपरी-"पतासुतोष,पतासुतोष, क्या आप हमें सुन पा रहे हैं? अ..रे..,या...र, अब ये पतासुतोष कहाँ गायब हो गया?"
 
(गोबर से लिप्त चेहरे के साथ कैमरामैन..! )
 
"जलपरी, मैं  कैमरामैन सुखेश निष्कंदन..! एक और ब्रेकिंग न्यूज़ है, यहाँ से अभी-अभी `बिगडैल बाप` पार्टी का जुलूस निकला और इस में लोकसभा टिकट ब्रांड के पतासे (बतास-फेनी) बांटते हुए देख कर हमारे श्री पतासुतोष ने `बिगडैल बाप` पार्टी जोईन की है..! इतना ही नहीं, जाते-जाते उसने मुझे धक्का दिया और मेरा सारा बदन भी गोबर-गोबर कर दिया..! "
 
जलपरी-" हैं...ई...ई...ई...ई?"
 
========
 
॥ इति श्री,प्रातःस्मरणीय-परम आदरणीय मान्यवर श्री भैंसा-ए -निज़ाम` पुराणे प्रथमोध्याय संपूर्ण ॥
 
मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०३-०२-२०१४.


--

No comments: