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13.6.14

कविता: बिंब

कविता: बिंब: झरनों सा गीत गाता ये मन  सरिता की कलकल मधुगान  सृष्टि है.... अनादि-अनंत  भावनाओं से भरा है ये प्राण  वरदान है कण-...

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