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13.4.15

कैंसर – कारण और निवारण



दोस्तों,  आज की प्रेस मीट शानदार रही हिट रही, सभी पत्रकार भाई आए और बड़े इत्मिनान से सारी बातें सुनी। 

डॉ बडविग को मेरा एक ट्रिब्यूट 

प्रेस नोट - कैंसर – कारण और निवारण 

प्रेस क्लब कोटा दिनांक अप्रेल 13, 2015 

कोटा में 12 अप्रेल, 2015 को प्रेस क्लब में 1 बजे डॉ. वर्मा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 1931 में नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. ओटो वारबर्ग ने सिद्ध किया कि यदि कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति 48 घन्टे के लिए 35 प्रतिशत कम हो जाए तो कैंसर हो जाता है। सामान्य कोशिकाएँ अपनी जरूरतों के लिए ऑक्सीजन उपस्थिति में ही ऊर्जा बनाती है। जबकि कैंसर कोशिकायें ग्लूकोज को फर्मेंट करके ऊर्जा प्राप्त करती हैं। यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व संभव ही नहीं है। डॉ. वारबर्ग ने यह भी बतलाया कि कोशिका में ऑक्सीजन को आकर्षित करने के लिए दो तत्व जरूरी होते हैं पहला सल्फरयुक्त प्रोटीन जो कि पनीर में पाया जाता है और दूसरा एक फैटी एसिड जिसे पहचानने में वे भी नाकामयाब रहे। डॉ. जोहाना ने वारबर्ग के शोध को जारी रखा। 1949 में उन्होंने पेपरक्रोमेटोग्राफी तकनीक विकसित की जिससे वह रहस्यमय फैट पहचाना यह फैट था अल्फा लिनोलेनिक एसिड जो अलसी के तेल में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह ओमेगा-3 फैट है। इस तकनीक द्वारा ही मालूम हुआ कि इस लिनोलेनिक एसिड में सजीव, सक्रिय और ऊर्जावान इलेक्ट्रोन्स की अपार संपदा होती है। ये इलेक्ट्रोन ही कोशिका में ऑक्सीजन को खींचते हैं और इनकी उपस्थिति में कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है। फिर क्या था उन्होने मरीजों को अलसी का तेल तथा पनीर देना शुरू कर दिया। नतीजे चौंका देने वाले थे। कैंसर के इलाज में सफलता की पहली पताका लहराई जा चुकी थी। कैंसर के रोगी ऊर्जावान और स्वस्थ दिख रहे थे, उनकी गांठे छोटी हो गई थी। इस तरह जोहाना ने अलसी के तेल और पनीर के मिश्रण और स्वस्थ आहार विहार को मिला कर कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया। इसमें अलसी के तेल, अपक्व जैविक आहार, मेडीटेशन, कॉफी एनीमा और सोडा बाइकार्ब बाथ को शामिल किया गया है। यह उपचार कैंसर के हर रोगी तक पहुँचना चाहिए और सरकार को इसकी जागरुकता और शोध को प्रोत्साहन देना चाहिए। इस उपचार से 90% प्रामाणिक सफलता मिलती है। उन्हें नोबल प्राइज के लिए 7 बार नोमिनेट किया गया। बुडविग ने यह भी साबित किया कि ट्रांसफैट से भरपूर वनस्पति और रिफाइंड तेल मनुष्य के सबसे बड़े दुष्मन हैं और इन्हें प्रतिबंधित कर ने की पुरजोर वकालत की थी। नियमित अलसी के तेल का सेवन कर के इस रोग से बचा जा सकता है। इस वार्ता में फ्लेक्स अवेयरनेस सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. ओ.पी.वर्मा ने बतलाया कि कैंसर एक कमजोर व असहाय रोग है और बुडविग प्रोटोकोल इसका सस्ता, सरल, सुलभ, सुरक्षित और संपूर्ण समाधान है। डॉ. ओम प्रकाश वर्मा बुडविग कैंसर केयर 7-बी-43, महावीर नगर तृतीय, कोटा राज. http://budwig.in Mob 9460816360

2 comments:

KAMAL KUMAR said...

बड़ी लाभदायक पोस्ट है शुक्रिया

Arun said...

Thanks for sharing Artical Infromation