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27.7.15

सोसायटी फॉर एज्युकेशन डेमोक्रेसी (म.प्र.)



    डीमेट परीक्षा को आनलाईन करवाने के लिये माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय में विपिन उपाध्याय द्वारा लगाये गये आय.ए. नं. 7640 का सिर्फ मेन पिटीशन नं. 8810ॅच्ध्2015 के अन्तर्गत सुब्बाई करके अन्य पिटीशन ॅच्10859 एवं 10860 के बिन्दुओ को न्यायालय के रिकार्ड पर होने के बावजूद भी अधिवक्ता कार्यालय द्वारा डीमेट परीक्षा से सीधा-सीधा सम्बन्ध होने के बावजूद भी माननीय न्यायालय में पक्ष भी रखकर सीधा-सीधा डीमेट एसोसिएशन को ऑनलाईन परीक्षा करवाने में अप्रत्यक्ष सहयोग किया जा रहा है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच करवाकर अधिवक्ताओं के विरूद्ध कार्यवाही की मांग पिटीशनकर्ता विभोर चोपडा द्वारा की गई।



    विज्ञप्ति में आगे यह भी बतलाया गया कि ॅच्10859ध्2015 के विचाराधीन पिटीशन के आधार के बिन्दु क्रमांक 8 में स्पष्ट मांग की गई है कि डीमेट एसोसिएशन द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 5 जून 2015 तक कामन इंट्रेस टेस्ट करवा कर फिर उत्तीर्ण छात्रो की काउंसिलिंग का पूरा समय दिया जाना चाहिए। लेकिन डीमेट द्वारा पुनः घोटाले करने के उद्देश्य से 12 जुलाई 2015 को लगभग डेढ माह बाद पुनः परीक्षा करवाई जा रही है, जिससे उत्तीर्ण छात्रो को काउंसलिंग का पूरा समय नहीं मिल सके और घोटाला किया जा सके एवं इसी परीक्षा को पुनः माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय में आनलाईन करवाने की मांग की जा रही है। जो कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के लिपिका गुप्ता यूनियन ऑफ इंडिया की ॅच्;ब्द्ध छवण् 433ध्2013 की सीधी-सीधी अवमानना है।
    एवं बिन्दु क्रं. 7 के अनुसार विगत 5 वर्षो में शासकीय कोटे की सीटो पर निजी महाविद्यालयो द्वारा मेनेजमेन्ट कोटे से प्रवेश देने पर माननीय सुप्रीम कोर्ट स्टेट ऑफ एम.पी. एवं अन्य विरूद्ध सुरेश नारायण विजयवर्गीय सिविल अपील नं. 4060 का 2009 के पीपुल्स मेडिकल कालेज के निर्णयानुसार आने वाले अगले वर्षो में पुनः शासकीय कोटे में वापस करना चाहिये।
    उक्त रिकार्ड माननीय अधिवक्ता कार्यालय जबलपुर पहुंचने के बावजूद भी 24/7/2015 का न्यायालय में सुनवाई के दौरान माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया। एवं पीटीशन नं. ॅध्च् 10859ध्2015 में भी उक्त बिन्दु विचाराधीन होने एवं पिटीशन के समस्त दस्तावेज सुनवाई के दौरान मेन पिटीशन के साथ संलग्न होने पर भी अधिवक्ता कार्यालय द्वारा माननीय न्यायालय को अवगत की करवाया। तथा आय.ए. 7640 में संबंधित प्रभावित पक्ष को संयोजित नही कर ए.आय.पी.डी.एम.सी. को सीधा-सीधा अवैधानिक तरीके से सहयोग प्रदान किया है एवं उक्त पी.आय.एल. के दस्तावेजो में माननीय सुप्रीम कोर्ट के दोनो निर्णयो के संलग्न होने के बावजूद भी डीमेट परीक्षा करवाने के निर्णय पर विरोध नहीं करके माननीय सुप्रीम कोर्ट के दोनो आदेश की अवमानना की है।



                                            विभोर चोपडा


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