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12.7.15

क्या दिल्ली पूर्ण राज्य बनेगी?

देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग तेज़ हो गयी है..दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा कर रहें हैं..दोनों का कहना है कि इस तरह जनमत संग्रह कराने का प्रावधान संविधान में नहीं है जिस कारण जनमत संग्रह एक अवैध और असंवैधानिक तरीका है..



आखिर क्या वजह है कि दिल्ली को बाकि राज्यों की तरह पूर्ण राज्य नहीं बनाया गया? तो सबसे पहले हमें इसके इतिहास पर नज़र डालने की जरुरत है..अगर हम इतिहास को देखें तो पता चलता है कि आजादी के बाद पट्टाभि सितारामैया के नेतृत्व में दिल्ली के प्रशासनिक ढांचे के सवाल को लेकर एक कमिटी का गठन किया गया था...उन्होंने कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का उदहारण देकर ही दिल्ली में कमजोर विधानसभा बनाने की सिफारिश की थी..जैसे अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी है..डीसी का मतलब है डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कोलंबिया लेकिन वहाँ कोलंबिया के नहीं अमेरिका के कानून लागु हैं..कमिटी का मानना था कि राजधानी का अलग अस्तित्व होना चाहिए..इसी आधार पर चौधरी ब्रह्मप्रकाश दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने..1988 में जब राजीव गाँधी ने सरकारिया कमिटी का गठन किया तो इस कमिटी ने भी कहा कि दिल्ली को पूरे अधिकार नहीं मिल सकते..

दिल्ली में जब भी चुनाव हुए तो सभी पार्टियों ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का अधिकार दिलाने का वादा किया, लेकिन सत्ता में आते ही वो इस वादे से मुकर गए..भाजपा जो आज इस जनमत संग्रह पर इतने सवाल उठा रही है उसीने दिल्ली को पूर्ण राज्य का अधिकार देने की मांग उठाई थी..जब 1998 में केंद्र और राज्य में राजग की सरकार थी तो ऐसा लग रहा था कि मानो अब दिल्ली केंद्र की बेड़ियों से आजाद हो जाएगी लेकिन हुआ इसका उल्टा...दिल्ली में केंद्र के अधिकार छोड़ने में व्यावहारिक दिक्कतें बताकर उसने भी अपना पल्ला झाड लिया.. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जनमत संग्रह कराने की बात को लेकर एक बार फिर से केंद्र से भिड गए हैं..जबसे दिल्ली में केजरीवाल की सरकार आई है तभी से केंद्र और राज्य के रिश्तों में खटास बढ़ गयी है..ये कोई मामूली बात नहीं है कि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर करना आखिर कहां तक सही है..

अगर राज्य में जनमत संग्रह हो जाता है और जनता दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के पक्ष में वोट करती है तो फिर केंद्र को यह बात मन मारकर ही सही लेकिन माननी पड़ेगी..और अगर इसका उल्टा हुआ तो केजरीवाल एक बार फिर से तानाशाह घोषित कर दिए जायेंगे..हालाँकि इस बार केजरीवाल शायद ही गलत साबित हों.. हालाँकि ये सब इतना आसान नहीं है कि एक दिन में जनमत संग्रह कराया और दूसरे दिन पूर्ण राज्य घोषित कर दिया..दिल्ली को यह दर्जा संविधान संशोधन से ही मिला है और उसमे बदलाव भी संविधान संशोधन से ही होगा..संसद में बिल पास करवाकर या जनमत संग्रह करवाकर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता..

प्रियंक द्विवेदी
भोपाल
8516851837


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