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14.7.15

अमिताभ ठाकुर मामले में रेप की पुष्टि नहीं, लेकिन जान का खतरा बरकरार

जी हां, लखनउ के गोमतीनगर थाने में आईपीएस अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के खिलाफ दर्ज रेप के मामले में रेप की पुष्टि तो नहीं हुई, लेकिन निलम्बन के बाद उनकी जान का खतरा बढ़ गया है। सूत्रों का कहना है कि ठाकुर दंपत्ति को किनारे लगाने के लिए ह रवह हथकंडे अपनाएं जा सकते है जिस तरह मध्य प्रदेश के व्यापम मामले में हो रहा है। राजनीतिक-आपराधिक व बाहुबलि जनप्रतिनिधियों के काले कारनामों का भांडा न फूटे इसके लिए गुंडाराज एंड कंपनी किसी भी सीमा तक जा सकती है। ऐसे में समय रहते सीबीआई जांच और ठाकुर दंपत्ति को सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त नहीं किए गए तो किसी बड़ी अनहोनी से भी इंकार नहीं किया जा सकता 

-सुरेश गांधी- 


फिरहाल, सीनियर आईपीएस अमिताभ ठाकुर एवं उनकी पत्नी एवं एडवोकेट नूतन ठाकुर के उपर फर्जी तरीके से दर्ज मामले में मेडिकल परीक्षण में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन ठाकुर दंपत्ति को पंगु बनाने व धौंस बना रहे, इसके लिए उन्हें निलंबित जरुर कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो ठाकुर दंपत्ति पर हत्या जैसे संगीन वारदात के खतरे के बादल मंडरा रहे है। क्योंकि सत्ताघारी लोगों ने मामले को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। सरकार रहे या जाय, जनता का समर्थन मिले या ना मिले, लेकिन वह अपने बाहुबलि विधायकों, मंत्रियों द्वारा किए जा रहे हर तरह के कुकर्मो, अवैध खनन, बलातकार आदि जैसे काले कारनामों की पर्दा नहीं उठने देना चाहते।



उधर, मेडिकल परीक्षण में रेप की पुष्टि नहीं होने के बाद इसकी विवेचना एक बार फिर पुलिस के गले की हड्डी बन गई है। हालांकि इस बार गेंद सीओ गोमतीनगर के पाले में है। जांच से जुड़े रहे एक पुलिसकर्मी का कहना है कि यहां अफसरों की नीतियां भी अलग-अलग हैं। एक कहता है कि केस की जांच करो तो दूसरा कहता है शांत बैठो। आखिर में फंसते तो हैं थाने वाले। आईपीएस अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी के खिलाफ उसी थाने में केस दर्ज कराया गया, जिस थाने में इसी मामले की प्राथमिक जांच में आरोप गलत पाए गए थे। इसी थाने की पुलिस अदालत को लिखित दे चुकी है कि गाजियाबाद निवासी महिला के आरोप में कोई दम नहीं है। ठाकुर दंपती पर लगे आरोपों के बारे में कोई सबूत नहीं मिले हैं। अब एक बार फिर उसी केस की विवेचना के जाल में गोमतीनगर पुलिस उलझ गई है।


जो भी हो, लेकिन इस नाटकीय घटनाक्रम में उप्र सरकार ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को निलंबित कर संदेश दिया है कि उसके आका या पार्टी या बाहुबलि व उससे संबंधित माफियाओं के खिलाफ आवाज किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जायेगी। हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिता एवं नेता जी का बचाव करते हुए कहा है कि धमकी नहीं सुधर जाने की हिदायत दी गयी है। उनके ना सुधरने पर ही उन्हें निलंबित किया गया है। कार्य लापरवाही एवं अनुशासनहीनता पाई गयी है। यहां जिक्र करना जरुरी है कि यह मामला कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति से ही संबंधित है, जो अमेठी से सपा विधायक हैं। अखिलेश सरकार में वह 2012 में पहले राज्यमंत्री बने। फिर कैबिनेट मंत्री।

उनके ही सहयोगी ओमशंकर द्विवेदी ने दिसंबर 2014 में बेहिसाब संपत्ति की शिकायत लोकायुक्त को की थी। इसके मुताबिक 2002 तक गायत्री प्रसाद अमेठी के ग्राम परसांवा में बीपीएल कार्ड धारक थे। सालाना आय थी 24 हजार रुपए। विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल किया तब संपत्ति 1.81 करोड़ रुपए थी। मंत्री बनने के बाद संपत्ति बढ़कर 1,350 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। एक हफ्ते में ही द्विवेदी हटे तो इसी शिकायत को नूतन ठाकुर ने आगे बढ़ाया।

फिरहाल उत्तर प्रदेश के आईजी अमिताभ ठाकुर और प्रदेश सरकार के बीच विवाद शांत नहीं हो रहा है। ठाकुर दंपत्ति अपने ऊपर लगे आरोपों की सीबीआई जांच की मांग करने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलेंगे। सूत्रों की मानें तो विवाद की जड़ अवैध खनन का है। ठाकुर की पत्नी नूतन व्हिसल ब्लोअर हैं। यूपी सरकार के खिलाफ कई केस लड़ रही हैं। नूतन ने यूपी के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ दो जनवरी को लोकायुक्त को बेहिसाब संपत्ति और अवैध खनन की शिकायत की थी। गायत्री प्रसाद को सपा चीफ मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक और उनकी मां का करीबी माना जाता है।

इसी बात पर मुलायम ठाकुर से नाराज चल रहे हैं। उनका ठाकुर को फोन लगाकर सुधर जाओ, की धमकी का मतलब भी यही था कि ठाकुर दंपत्ति इस मामले से दूर रहे। इस धमकी के जरिए ठाकुर दंपत्ति पर दबाव डालने की कोशिश थी। लेकिन ठाकुर दंपत्ति डरने के बजाएं बिना किसी परवाह के विधिवत मोर्चा खोल दी है। मुलायम की धमकी के खिलाफ तहरीर भी दे दी है। ठाकुर ने गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अनंत कुमार से मुलाकात की। उसके बाद कहा, यदि मुझे केंद्र से मदद नहीं मिली तो मैं हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा। मुझे समझाया नही धमकाया गया है। कोई भी पत्नी अपने पति को किसी महिला से दुष्कर्म में मदद नहीं करेगी। सीबीआई को इन आरोपों की जांच करनी चाहिए। निलंबन की कार्रवाई से जरा भी विचलित न होते हुए अमिताभ ने कहा कि मैं इस कार्रवाई का स्वागत करता हूं। भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी। मैं पहले ही इस तरह के आदेश के लिए तैयार था। उप्र सरकार ने कार्रवाई में स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता, शासन विरोधी दृष्टिकोण हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी, पद से जुड़े दायित्वों के प्रति उदासीनता व नियमों के उल्लंघन को आधार बनाया है।

गौरतलब है कि ईमानदार आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को फोन पर धमकी से संबंधित ऑडियो टेप में ‪‎मुलायम जसराना वाली रामवीर की पार्टी का जिक्र करके कह रहे है कि क्या वो भूल गए? और अंत में कहते अबकी बार उससे ज्यादा हो जाएगा! अब इसे धमकी नही ंतो और क्या कहेंगे। यह वाकया उस वक्त है जब पिछली बार सपा की सरकार थी। उस वक्त अमिताभ ठाकुर फीरोजाबाद जिले में एसपी थे। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। खास बात यह है कि फीरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी यादव बेल्ट होने के चलते मुलायम के कुनबे की यहां तूंती बोलती थी। दबंगई और गुंडागर्दी मकसद बन गयी थी। यहां जिक्र करना जरुरी है कि जसराना और शिकोहाबाद सीट पर मुलायम के समधी रामवीर यादव और हरिओम यादव का कब्जा था, अब भी है। दोनों बाहुबली विधायकों का मुख्य काम जमीनों पर कब्जा सहित अन्य काले कारनामा थे, जिसे लेकर दोनों में वर्चस्व कायम करने के लिए गैंगवार जैसी तनातनी रही। कईयों बार क्षेत्र की जनता ने दोनों के गुर्गों को खुलेआम सड़कों पर फिल्मी स्टाइल में फायरिंग करके लड़ते देखा है!

उस वक्त आईपीएस अमिताभ ठाकुर की वहां नियुक्ति हो गयी। फिर क्या अमिताभ ने दोनों पर नकेल कसना शुरु किया तो अपराध में अप्रत्याशित गिरावट देखी गयी। लेकिन अवैध कामों को बंद होता देख रामवीर यादव आग बुबला हो गया और मुखिया के रिश्तेदार होने के नाते नेता जी से धमकी दिलवाई, फिर जब असर नहीं हुआ तो जसराना के एक थाने में पुलिस कप्तान और ‪‎विधायक की सीधी भिड़ंत और हाथापाई हुयी! उसके बाद क्या हुआ, वह तो वही जानें लेकिन नेता जी को हस्तक्षेप कर अमिताभ ठाकुर को हटाना पड़ा। एक बार फिर अमिताभ ठाकुर सरकार के माफिया गठजोड़ों व काले कारनामों का काला चिठ्ठा जनता  के सामने लाने का मन बना लिया और यही से सरकार के नुमाइंदों और विभाग के आला अफसरों की वह किरकिरी बन बैठे। इससे नेताजी के ही ईशारे पर अधिकतर समय ठाकुर को फील्ड की पोस्टिंग से दूर रखा गया पर ये अपनी पत्नी के साथ निजी स्तर पर समाज और न्याय के लिए संघर्ष करते रहे! उसी कड़ी में उनका कोई कदम फिर से मुलायम के किसी खासमखास के गले की फांस बनने लगा तो खुद मुलायम धमकी देने लगे कि सुधर जाओ!

लेखक सुरेश गांधी यूपी के तेजतर्रार पत्रकार हैं. 

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