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10.8.15

कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर का फर्जीवाड़ा

कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर के वर्तमान स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने अपने और अपने साथियों के अपराध को छुपाने के लिए दिए कुछ ऐसे बयान जिन्होंने प्रेस क्लब की विश्वसनीयता पर ही खड़े किये प्रश्न चिंन्ह |

एस.आर.न्यूज़ टीम | दोस्तों एस.आर.न्यूज़ चार हफ़्तों बाद एक बार फिर अपने निर्भीक और अकाट्य तथ्यों के साथ कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर का खुलासा करने जा रहा है, आज हम फिर हाज़िर हैं कुछ ऐसे स्वयंभू पत्रकारों के फर्ज़ीवाड़े का खुलासा करने के लिए जिन्होंने अपने निज स्वार्थों के लिए एक सम्मानित संस्था ( एनजीओ ) कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर पर फ़र्ज़ी प्रपत्रों और फ़र्ज़ी चुनाव तथा दबंगई के बल पर कर लिया कब्ज़ा |



एस.आर.न्यूज़ द्वारा जून से लगातार प्रेस क्लब में हुए फर्ज़ीवाड़े की पोलखोल कर रख दी है उसी क्रम में एस.आर.न्यूज़ ने उपरोक्त फर्ज़ीवाड़े की शिकायत भी कानपुर के पुलिस और प्रसाशनिक अधिकारीयों के के साथ उत्तर प्रदेश के डीजीपी, मुख्यमंत्री और राजयपाल तक की थी, लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि किसी ने भी आज तक उपरोक्त पत्रकार नेता जो प्रेस का चोला ओढ़ लगातार कानून से खिलवाड़ कर रहे है और प्रेस के सम्मानित पेशे के साथ - साथ कानपुर प्रेस क्लब कि छवि भी धूमिल कर रहे है के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की ?
दोस्तों डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म सोसायटीज एवं चिट्स ने जून में ही प्रेस क्लब के स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित को नोटिस जारी कर सुनवाई की डेट पर जवाब देने के लिए लिख दिया था, जिस पर विगत दो डेटों में सुनवाई में स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने अपना 25 बिन्दुओं पर जवाब प्रस्तुत किया जिसमे उन्होंने अपने बचाव के लिए कुछ ऐसे बयान दिए जिन्होंने कानपुर प्रेस क्लब की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े कर दिए है |
हम आपको बिन्दुवार बताते है कि हमारे शिकायती पत्र के 25 बिन्दुओं पर वर्तमान स्वयंभू महामंत्री ने  अपने जवाब में क्या - क्या कहा है और उस पर हमारे द्वारा उन्हें गलत साबित करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार को क्या - क्या तर्क दिए गए हैं | यहाँ हमारे द्वारा दिया गया पूरा जवाब सार्वजनिक किया जा रहा है |

सेवा में,                                                                  दिनांक: 04.08.2015
श्रीमान् उप निबन्धक
फर्म, सोसाइटीज एवं चिट्स
कानपुर मण्डल कानपुर।

विषय:- मेरे प्रार्थना पत्र दिनांक 15.06.2015 के साथ संलग्न शपथपत्र में अंकित तथ्यों और संलग्न प्रमाणों के सम्बन्ध में दिनांक: 24.04.2015 को आपके समक्ष अवनीष दीक्षित द्वारा प्रस्तुत बिन्दुवार स्पष्टीकरण और संलग्न प्रपत्रों में अंकित तथ्यों का जवाब।

महोदय,
           आपको पंजीकृत डाक से प्रेषित मेरे प्रार्थना पत्र दिनांक 15.06.2015 के साथ संलग्न शपथपत्र में अंकित तथ्यों का आपके समक्ष वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा प्रस्तुत बिन्दुवार स्पष्टीकरण दिनांक: 24.07.2015 और संलग्न प्रपत्रों में अंकित तथ्यों पर हमारा बिन्दुवार जवाब निम्नवत् है।

1. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 नवीन मार्केट कानपुर नगर की पत्रावली संख्या ज्ञ - 35365 रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र संख्या 1086/2005 -2006 दिनाॅकः 13.12.2005 को कानपुर मण्डल के उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज द्वारा पंजीकृत कर पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किया गया था। संस्था की नियमावली के अनुसार प्रबन्धकारिणी समिति में अध्यक्ष एक, उपाध्यक्ष एक, महामंत्री एक, मंत्री एक, कोषाध्यक्ष एक शेष कार्यकारिणी सदस्य पंजीयन के समय प्रबन्धकारिणी समिति में 05 पदाधिकारी व 02 सदस्यों सहित कुल संख्या 07 अंकित हैं। नियमावली में यह भी अंकित है कि प्रबन्धकारिणी समिति की संख्या को आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकेगा। उपरोक्त संस्था के पंजीकरण के लिए आवश्यक अभिलेखों को कानपुर मण्डल के उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के समक्ष प्रस्तुत करते समय संस्था के प्रबन्धकारिणी समिति के समस्त 7 संस्थापक पदाधिकारियों ने अपने - अपने हस्ताक्षर भी किये थे।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 1 का स्पष्टीकरण:- कानपुर प्रेस का गठन एक निर्वाचन के बाद हुआ। उपनिबन्धक कार्यालय से प्राप्त नियमावली के अनुसार ही संस्था अपने दायित्व का निर्वाहन कर रही है। हम नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने किसी भी स्तर पर नियमों का उलंघन नहीं किया है।
महामंत्री के स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:-  वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने अपने उपरोक्त अंकित स्पष्टीकरण का खण्डन अपने ही स्पष्टीकरण के बिन्दु संख्या 5,7,13,15,16 तथ 21 में स्वयं किया है।

2. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 2 पर संलग्न छायाप्रति का भी अवलोकन करने की कृपा करें। इस प्रपत्र में अंकित है कि आज दिनाॅक: 12.12.2010 को संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट साधारण सभा की विशेष बैठक का आयोजन प्रातः काल 11 बजे संस्था के चुनाव अधिकारी श्री भूपेन्द्र तिवारी की अध्यक्षता में की गयी। चुनाव अधिकारी महोदय द्वारा निम्नवत चुनाव कार्यक्रम तय कर दिया गया तथा उपस्थित सदस्यों को इसकी जानकारी दी सभी सदस्यों ने अपनी सहमति दी। इस अभिलेख पर भी पंजीकृत प्रबन्धकारिणी समिति की वर्ष 2009 - 2010 व 2010 - 2011 की सूची संलग्नक छायाप्रति क्रमांक 3 व 4 में अंकित अध्यक्ष सहित किसी भी पदाधिकारी और सदस्य के हस्ताक्षर नहीं हैं तथा चुनाव अधिकारी के भी हस्ताक्षर नहीं है। साधारण सभा का गठन प्रबन्धकारिणी समिति और सदस्यों को मिलाकर होता है। इस प्रपत्र में अंकित है कि साधारण सभा के कुल 17 मे से 13 सदस्य उपस्थित रहे, जब प्रबन्धकारिणी समिति के सात सदस्य उस बैठक मे नहीं थे तो बाकी 13 सदस्य कौन थे और प्रबन्धकारिणी समिति के सात सदस्यों की उपस्थित ही नहीं थे तो कोरम कैसे पूरा था ? उपरोक्त कारण से इस प्रपत्र की विश्वसनीयता संदिग्ध है और यह कूट रचित प्रतीत होता है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 2 का स्पष्टीकरण:- विगत 12 दिसम्बर 2010 को श्री भूपेन्द्र तिवारी की अध्यक्षता में आहूत विशेष बैठक का कोरम पूरा था तथा सभी फैसले न्याय संगत थे।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित का उपरोक्त अंकित स्पष्टीकरण भी निम्न कारणों से असत्य और भ्रामक होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है -
= 2013 में चुनाव कराये जाने व चुनाव अधिकारी की नियुक्ति का अधिकार संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति को ही पंजीकृत नियमावली के अनुसार था, क्योंकि वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति संस्था के नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति की जो सूचियाॅ 2005 से 2013 तक की प्रस्तुत की गयी है, उन पर वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति के समस्त पदाधिकारियों/ सदस्यों ने अपने - अपने हस्ताक्षर कर 2013 तक उनकी वैधता को स्वयं प्रमाणित किया है। वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा पंजीकृत नियमावली के बिन्दु 5 में सदस्यता की समाप्ति शीर्षक के अनुसार 2005 से 2013 तक की संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने या पारित कराने का कोई प्रमाण नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत प्रपत्रों के साथ प्रस्तुत नहीं किया गया है। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि संस्था के सम्बन्ध में समस्त निर्णय लेने के अधिकार संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति के अलावा किसी को प्राप्त नहीं थे।
= 2013 में चुनाव कराये जाने और चुनाव समिति, चुनाव अधिकारी व चुनाव समिति के सदस्यों के मनोनयन का निर्णय लेने के लिये वैध संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति के हस्ताक्षर चुनाव कार्यक्रम के निर्धारण की कार्यवाही के प्रपत्र पर न होने से यह स्वतः स्पष्ट है कि इस प्रपत्र में अंकित कार्यवाही का कोई निर्णय वैध नहीं है। इस प्रपत्र पर चुनाव अधिकारी के हस्ताक्षर न होने और वर्तमान महामंत्री और उनके सहयोगियों के ही हस्ताक्षर, प्रपत्र के कूटरचित होने और नवीनीकरण के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को बल प्रदान करते हैं।
= चुनाव कार्यक्रम के निर्धारण की कार्यवाही हेतु दिनांक: 12.12.2010 को चुनाव अधिकारी श्री भूपेन्द्र तिवारी की अध्यक्षता में बुलाई गयी साधारण सभा की बैठक में कोरम क्या वास्तव में पूरा था। वर्तमान महामंत्री ने स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने से पूर्व नियमावली के बिन्दु 7 शीर्षक साधारण सभा का अवलोकन शायद नहीं किया, जिसमें स्पष्ट अंकित है कि संस्था के सभी सदस्यों को मिलाकर साधारण सभा का गठन होगा। चुनाव कार्यक्रम के निर्धारण के लिए आयोजित साधारण सभा की बैठक में जब तत्कालीन प्रबन्धकारिणी समिति के 7 पदाधिकारियों और सदस्यों की अनुपस्थिति में 17-7= 10, तो 2/3 कैसे हुए, और 13 सदस्य कैसे उपस्थित थे। स्पष्टीकरण में उपरोक्त के सम्बन्ध में कुछ भी अंकित नहीं है। उपरोक्त कारण से प्रपत्र के कूटरचित होने और नवीनीकरण के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को बल मिलता है।

3. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 5 पर संलग्न छायाप्रति का भी अवलोकन करने की कृपा करें। जिसमें स्क्रीनिंग कमेटी का कार्यवृत अंकित है, इस अभिलेख पर भी स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन एवं सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं हैं। प्रबन्धकारिणी समिति की वर्ष 2011-2012 व 2012-2013 की सूची पूर्व में संलग्नक क्रमांक 6 व 7 में अंकित प्रबन्धकारिणी संमिति के किसी भी पदाधिकारी और सदस्य के हस्ताक्षर भी नहीं है। इस अभिलेख में यह भी अंकित नहीं है कि स्क्रीनिंग कमेटी का गठन और इसके चेयरमैन एवं सदस्यों का मनोनयन कब किसके द्वारा किस तिथि को किया गया था ? उपरोक्त प्रपत्र पर किसी भी पदाधिकारी और सदस्य के हस्ताक्षर न होने तथा स्क्रीनिंग कमेटी के गठन की तिथि अंकित न होने से यह भी संदेह होता है कि यह अभिलेख भी कूट रचित है और धोखाधड़ी के इरादे से बनाया गया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 3 का स्पष्टीकरण:- स्क्रीनिंग कमेटी का कार्यवृत्त सत्य व तथ्य परक है। सारे विवरण व हस्ताक्षर स्पष्ट रुप से अंकित हैं। यह अभिलेख न तो कूटरचित है और न ही धोखाधड़ी के लिये बनाया गया है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:-  वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित का उपरोक्त अंकित स्पष्टीकरण भी निम्न कारणों से असत्य और भ्रामक होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है -
= 2013 में पंजीकृत नियमावली के बिन्दु संख्या 9 में प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों का अधिकार व कर्तव्य शीर्षक में अंकित अध्यक्ष के अधिकार के अनुसार उप समितियों के गठन का अधिकार तत्कालीन अध्यक्ष के पास था। नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति की जो सूचियाॅ 2005 से 2013 तक की प्रस्तुत की गयी है उन पर वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति के समस्त पदाधिकारियों/सदस्यों ने अपने - अपने हस्ताक्षर कर 2013 तक उनकी वैधता को स्वयं स्वीकार व प्रमाणित किया है। वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा पंजीकृत नियमावली के बिन्दु 5 में सदस्यता की समाप्ति शीर्षक के अनुसार 2012 के अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेई के विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने या पारित कराने का कोई प्रमाण नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत प्रपत्रों के साथ प्रस्तुत नहीं किया गया है। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि स्क्रीनिंग कमेटी नामक उप समिति के गठन और उसके चेयरमैन तथा सदस्यों के मनोनयन का निर्णय लेने का अधिकार केवल तत्कालीन अध्यक्ष के अलावा किसी को भी प्राप्त नहीं था।
= स्क्रीनिंग कमेटी नामक उपसमिति के गठन की कार्यवाही 2012 के तत्कालीन अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेई द्वारा किये जाने का कोई भी प्रपत्र नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत प्रपत्रों के साथ प्रस्तुत नहीं किया गया है। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि सक्षम अधिकारी द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी का न तो गठन किया था और कमेटी के चेयरमैन और सदस्यों का मनोनयन भी नहीं किया था। महामंत्री ने अपने स्पष्टीकरण के बिन्दु 7 में यह अंकित कर कि जनपद के सभी पत्रकारों ने विधान को ठेंगा दिखाते हुए सभी नियमों के प्रतिकूल पदों पर बने रहने व चुनाव न कराने की धाॅधली से आजिज आकर ही स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने उपरोक्त सत्य को स्वयं स्वीकार भी किया है। वर्तमान महामंत्री ने अपने उपरोक्त कथन को प्रमाणित करने के लिए जनपद के पत्रकारों द्वारा भी स्क्रीनिंग कमेटी के गठन की कार्यवाही का कोई भी प्रपत्र नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत न करने के कारण स्क्रीनिंग कमेटी का गठन, महामंत्री की कल्पना मात्र ही प्रतीत होता है।
= उपरोक्त बिन्दु में अंकित तथ्यों से यह स्पष्ट हो चुका है कि सक्षम अधिकारी और तत्कालीन अध्यक्ष अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी का गठन नहीं किया गया है और जनपद के पत्रकारों द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी के गठन का कोई प्रमाण अब तक वर्तमान महामंत्री द्वारा प्रस्तुत नहीं करने के कारण यह भी स्पष्ट हो चुका है कि स्क्रीनिंग कमेटी का गठन महामंत्री की कल्पना मात्र ही है। यह प्रश्न फिर भी बना हुआ है कि स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी ने दिनांक 19.10.2012 को प्रेस क्लब में कार्यवृत्त जारी करने हेतु क्या वास्तव में कोई बैठक की थी ? और स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई कार्यवृत्त भी क्या वास्तव मे ही जारी किया था ? कार्यवृत्त पर श्री अंशुमान तिवारी के ही हस्ताक्षर न होने और वर्तमान कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और सदस्यों के ही हस्ताक्षर होने से इस प्रपत्र को नवीनीकरण के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को बल मिलता हैं।
= उपरोक्त बिन्दु में अंकित तथ्यों से यह स्पष्ट हो चुका है कि स्क्रीनिंग कमेटी का गठन वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित की मात्र कल्पना ही है। यह प्रश्न तो अब भी बना हुआ है कि स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी ने दिनांक 19.10.2012 को प्रेस क्लब में कार्यवृत्त में स्मृति पत्र के बिन्दु 4 में अंकित उद्देश्यों को किस आधार पर अतिकृमित कर ? किसके आदेश ? और किस अधिकार से केवल 3 वर्ष पूर्व पंजीकृत दैनिक समाचार पत्रों के वेतन भोगी पत्रकारों को ही सदस्यता प्रदान करने का निर्णय लिया ? उपरोक्त के सम्बन्ध वर्तमान महामंत्री के बिन्दु दो में अंकित स्पष्टीकरण में कुछ भी नहीं है। कार्यवृत्त पर श्री अंशुमान तिवारी के ही हस्ताक्षर न होने और वर्तमान कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और सदस्यों के ही हस्ताक्षर होने से इस प्रपत्र को भी नवीनीकरण के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को बल मिलता है।

4. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 8 पर संलग्न छायाप्रति का भी अवलोकन करने की कृपा करें। अनाधिकृत और विधिविरुद्ध तरीके से संस्था के पंजीकृत स्मृति पत्र में अंकित उद्देश्यों को निहित स्वार्थवश अतिक्रमित कर चुनाव में स्वंय व अपने सहयोगियों का निर्वाचन सुनिश्चित कराने के लिये क्रमांक 5 पर संलग्न स्क्रीनिंग कमेटी के कार्यवृत्त के बिन्दु 2 में यह अंकित किया गया है, कि उन दैनिक अखबारों को सदस्यता अभियान में शामिल किया जायेगा जिनका रजिस्टेªशन कम से कम तीन वर्ष पुराना है। बिन्दु 3 में पुनः यह अंकित है कि सदस्यता के लिये प्रत्येक साथी को अपनी सैलरी स्लिप, कार्यालय से प्राप्त होने वाले चेक अथवा कम से कम तीन माह के बैंक स्टेटमेंट की फोटोकापी अनिवार्य रुप से प्रस्तुत करनी होगी व नकद वेतन पाने वालों को विगत तीन माह के बाउचर की फोटोकापी देनी होगी। स्मृति पत्र के बिन्दु द का भी अवलोकन करने की कृपा करें, जिसमें स्पष्ट रुप से अंकित है कि संस्था अपने क्षेत्र के अंतर्गत पत्रकारिता व्यवसाय से सम्बद्ध समस्त छोटे बड़े पत्रकारों कर्मियों की दैवीय आपदाओं के समय पर सम्भव मदद करने का प्रयास करेगी तथा उनकी समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण हेतु हर संभव प्रयास करेगी। उनका प्रतिनिधित्व करना तथा उनके हितार्थ उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करना उनका ध्यानाकर्षण कराकर समाधान की दिशा मे प्रयास करना। यह प्रपत्र भी स्मृति पत्र के बिन्दु द में अंकित उद्देश्य के विपरीत होने और उसे अतिक्रमित कर जारी करने तथा निहित स्वार्थवश इस प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा स्वयं और अपने साथियों को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराने के उद्देश्य से केवल आपने अपने वफादार साथियों को सदस्यता दिलाकर अपने अपने पक्ष में वोटिंग कराकर जिताने के उद्देश्य से छलपूर्वक बनाया गया प्रतीत होता है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 4 का स्पष्टीकरण:- क्रमांक 8 में समविष्ट स्मृति पत्र के किसी भी तथ्य को अतिकृमित नहीं किया गया है। वर्तमान कार्यकारिणी पत्रकारों के हर दुःख सुख में सदैव सहभागी है। संस्था के महामंत्री व अन्य पदाधिकारी कानून व समाज का हमेशा ध्यान और सम्मान रखते हैं। कभी भी कोई फरेब, हिंसा व कूट रचना जैसा अमानवीय कृत्य कारित नहीं किया है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:-  वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने स्पष्टीकरण के बिन्दु संख्या 4 में अंकित कथन में स्मृति पत्र के बिन्दु संख्या 4 में अंकित उद्देश्यों को उनकी काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त दिनांक: 19.10.2012 में अतिकृमित करने के कारणों का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण अंकित नहीं किया है। वर्तमान महामंत्री का बिन्दु संख्या 4 में अंकित कथन भ्रामक होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।

5. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि दिनाॅक: 18.02.2013 को संस्था के कार्यकारिणी सदस्य पुरुषोत्तम द्विवेदी पुत्र स्व0 कैलाशनाथ द्विवेदी निवासी 27-2 बिरहाना रोड कानपुर नगर द्वारा थाना कोतवाली कानपुर नगर मे एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सूचना दी गयी कि संस्था का मूल पंजीयन प्रमाण पत्र जिसकी संख्या - 1086 सन् 2005-2006 तथा पंजीकृत प्रधान कार्यालय - 6 नवीन मार्केट कानपुर नगर में है, कार्यालय के रख रखाव मे कहीं खो गया है। उपरोक्त प्रार्थना पत्र की उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि में पुरुषोत्तम द्विवेदी द्वारा पंजीकरण के समय प्रस्तुत किये गये स्मृति पत्र पूर्व में संलग्नक क्रमांक 8 में किये गये हस्ताक्षरों से भिन्न है। प्रार्थना पत्र में थाने से जी.डी. नं0 भी अंकित नहीं किया गया है, पूर्व में संलग्नक क्रमांक 1 पर संलग्न नियमावली के पैरा संख्या 9 में अंकित महामंत्री के अधिकार एंव कर्तव्यों का अवलोकन करें जिसमें यह स्पष्ट अकिंत है कि प्रशासनिक व अदालती कार्यवाही का संचालन महामंत्री द्वारा किया जायेगा किन्तु यह प्रार्थना पत्र कार्यकारिणी सदस्य पुरुषोत्तम द्विवेदी द्वारा किया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि प्रार्थना पत्र कूट रचित है और धोखाधड़ी के इरादे से बनाया गया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 5 का स्पष्टीकरण:- विगत निर्वाचित कार्यकारिणी को धता बताते हुए एक दशक से अधिक समय तक स्वंम को पदेन बनाये रखा। इस अवधि में किसी भी प्रपत्र का गुम होना और दोबारा बनाया जाना एक सामान्य बात है। जहां तक महामंत्री का कार्य कार्यकारिणी सदस्य के लिये जाने का प्रश्न है, तो इस अनियमितता का सीधा दोष तत्कालीन कार्यकारिणी पर लगता है। कृृपया दूसरों की अनियमितताओं के लिये वर्तमान कार्यकारिणी को लाछिंत न किया जाये।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:-  वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने स्पष्टीकरण के बिन्दु संख्या 5 में अंकित कथन में, पूर्व प्रबन्धकारिणी सदस्य श्री पुरुषोत्तम द्विवेदी के स्मृति पत्र में और थानाध्यक्ष, थाना कोतवाली कानपुर नगर के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र दिनांक: 18.02.2013 पर किये गये हस्ताक्षरों में भिन्नता जो स्पष्ट दिखाई दे रही है, जिसका कोई कारण अंकित न कर केवल भ्रमित करने का ही प्रयास किया है। उक्त प्रार्थना पत्र का उपयोग नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत प्रपत्रों के साथ संलग्न कर, क्लब का पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने के कारण वर्तमान महामंत्री ने किया था और अपने शपथ पत्र की धारा 4 में सशपथ कथन किया था कि संस्था का मूल प्रमाण पत्र कहीं फाइलों में गुम है जो काफी तलाशने पर भी नहीं मिल रहा है, जो वास्तव में कहीं खो गया है। उक्त आशय का नोटरी शपथ पत्र दिया जा रहा है। उपरोक्त कारण से ही हस्ताक्षरों मे भिन्नता की वजह का स्पष्टीकरण वर्तमान महामंत्री को ही देना था। पूर्व प्रबन्धकारिणी समिति को आरोपित कर वर्तमान महामंत्री ने कूटरचित प्रपत्र बनाने के आरोप से बचने का प्रयास किया है। नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में संलग्नक क्रमांक 1 पर स्पष्ट अंकित, संस्था का मूल पंजीयन प्रमाणपत्र खो जाने सम्बन्धी एन.सी.आर की छायाप्रति को भी वर्तमान महामंत्री ने अपने इस स्पष्टीकरण के साथ संलग्न नहीं किया है। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित का बिन्दु संख्या 5 में अंकित कथन श्री पुरुषोत्तम द्विवेदी द्वारा थानाध्यक्ष, थाना कोतवाली कानपुर नगर के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र स्वंय प्रस्तुत किये जाने का कोई शपथ पत्र संलग्न न किये जाने तथा हमारे आरोप का युक्ति युक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत न करने के तथा भ्रामक होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य न होने के साथ ही, इस प्रपत्र को भी धोखाधड़ी के इरादे सेे बनाये जाने के हमारे सन्देह को ही बल प्रदान करता है।

6. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 10 पर संलग्न छायाप्रति का भी अवलोकन करने की कृपा करें। इस प्रपत्र में अंकित है कि सदस्यता फार्म की स्क्रीनिंग रिपोर्ट - दिनाॅक: 15 मार्च 2013 को यह कार्य सम्पन्न कर लिया गया। यह भी अंकित है कि प्रेस कार्यालय से जारी फार्म में 886 फार्म ही प्राप्त हुए थे। इसमें 566 फाॅर्म ही स्वीकृत किये गये है जब कि 320 फाॅर्म निरस्त कर दिये गये। आश्चर्यजनक रुप से इस रिपोर्ट पर भी प्रबन्धकारिणी समिति की वर्ष 2011 - 12 व - 2012 - 2013 की सूची में अंकित अध्यक्ष सहित किसी भी पदाधिकारी और सदस्य के हस्ताक्षर नहीं है और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन या सदस्यों के हस्ताक्षर भी नहीं है। उपरोक्त से भी यह प्रतीत होता है कि यह प्रपत्र भी कूट रचित है और धोखाधड़ी कर चुनाव में स्वयं व अपने सहयोगियों को निर्वाचित करवाने के इरादे से उन्हीं आवेदकों को सदस्यता दी गयी जो इस प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों की इच्छानुसार मतदान करें। चुनाव में स्वतन्त्र रुप से मतदान करने वाले आवेदक जो चुनाव का परिणाम बदल सकते थे। उन 320 आवेदक के फाॅर्म निरस्त कर दिये गये। इस रिपोर्ट में कुछ समाचार पत्र के पत्रकारों की संख्या आश्चर्यजनक रुप से अत्याधिक है। आज से 55, अमर उजाला से 60, हिन्दुस्तान से 61, जागरण से 94, जन सन्देश से 30 दर्शाये गये है, संदेह है कि यह सभी लोग क्रमांक 5 पर संलग्न अभिलेख के अनुसार सदस्यता के लिए अपनी सैलरी स्लिप, कार्यालय से प्राप्त होने वाले चेक अथवा 3 माह की सैलरी का बैंक स्टेटमेन्ट शायद ही प्रस्तुत कर सके होंगें। उपरोक्त से यह संदेह होता है कि इस कूट रचित प्रपत्र पर अनाधिकृत रुप से हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों की इच्छानुसार मनचाही वोटिंग कराने के इरादे से सदस्य बनाया गया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 6 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब के निर्वाचन से पूर्व बनी स्क्रीनिंग कमेटी में सर्वसम्मति के आधार पर सभी गुटों के वरिष्ठजनों का समायोजन किया गया था। इसी समिति की देख रेख में सदस्यता फार्मो की स्क्रीनिंग व मतदान की प्रक्रिया सम्पादित की गयी। पत्रकारों द्वारा तिरस्कृत लोग जिस तरह पक्षपात पूर्व मतदान का ढ़ोल पीट रहे है। यह अनियमितता नामांकन नाम, वापसी, मतदान व मतगणना के दौरान क्यों के मौन होकर सहन करते रहे।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:-  वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के प्रस्तुत स्पष्टीकरण के बिन्दु 6 में अंकित उपरोक्त लिखित कथन भी निम्न कारणों से असत्य और भ्रामक होने के कारण स्वीकार करने योग्य नहीं है -
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की स्वहस्ताक्षरित रिर्पोट के अनुसार जिन 566 फार्मों को स्वीकृत किया था, उन फार्मो के साथ संलग्न वेतन प्रमाण पत्रों की छायाप्रतियों को संलग्न न कर सदस्यता कार्यवृत्त के अनुसार दिये जाने को वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने प्रमाणित नहीं किया है। जिन 566 फार्मों को स्वीकृत किया था और जिन 320 फार्मों को निरस्त किया उनकी स्वीकृति और निरस्तीकरण की अनुमति क्या पंजीकृत नियमावली में अनुसार तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री से प्राप्त की थी। उपरोक्त सम्बन्ध में भी अपने स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने कुछ भी अंकित नहीं किया है। सदस्यता फार्म की स्क्रीनिंग रिर्पोट यदि वास्तव ही चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी और सदस्यों ने बनाई है, रिर्पोट पर उनके ही हस्ताक्षर न होने के तथा वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियों के ही हस्ताक्षर होने के कारण नवीनीकरण लिये धोखाधड़ी के इरादे से इस प्रपत्र को हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को ही बल मिलता है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियों ने स्वहस्ताक्षरित काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी का कार्यवृत्त और रिपोर्ट उन दैनिक समाचार पत्रों जिनका सर्कुलेशन कम है और जो पत्रकार मानदेय पर काम करते हैं, उनको तथा साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक समाचार पत्र, पत्रिकाओं और समाचार पोर्टलों के पत्रकारों को क्लब की सदस्यता प्राप्त करने से रोकने के लिये सृजित किया था, क्योंकि जनपद में इनके पत्रकारों की संख्या आपके समक्ष प्रस्तुत सदस्यता सूची में अंकित 617 से बहुत अधिक है। अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियों को डर था कि यदि उपरोक्त सभी पत्र, पत्रिकाओं और पोर्टलों के पत्रकारों को क्लब की सदस्यता प्रदान की गयी तो वे वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित व उनके सहयोगियों को निर्वाचन के माध्यम से निर्वाचित पदाधिकारियों और सदस्यों के रुप में कानपुर प्रेस क्लब पर कब्जा करने की उनकी योजना को विफल कर सकते हैं। उपरोक्त कारण से स्वतः स्पष्ट है कि स्वहस्ताक्षरित काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी का कार्यवृत्त और रिपोर्ट, इन प्रपत्रों पर हस्ताक्षरकर्ताओं ने ही प्रेस क्लब पर अवैध रुप से कब्जा करने के इरादे से बनाई थी।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी ने अपने ही कार्यवृत्त में अंकित निर्णय कि 3 वर्ष पुराने दैनिक समाचार पत्रों के वेतन भोगी पत्रकारों को ही सदस्यता दिये जाने के अपने ही निर्णय को अतिकृमित कर एजेंसियों के 3, और टी0वी0 चैनलों के 51 पत्रकारों के सदस्यता फार्मों को स्वीकार कर अपनी रिपोर्ट में सदस्यता किस अधिकार ? किसके आदेश ? किस कारण ? से प्रदान की थी। स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में वर्तमान महामंत्री ने उपरोक्त सम्बन्ध में कुछ भी अंकित नहीं किया है। एजेंसियों के 3, और टी0वी0 चैनलों के 51 पत्रकारों ने भी क्या अपने - अपने एजेंसियों और टी0वी0 चैनलों से प्राप्त वेतन प्रमाणपत्र अपने - अपने फार्माे के साथ संलग्न कर वास्तव में प्रस्तुत किये थे ? स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में वर्तमान महामंत्री ने उपरोक्त सम्बन्ध में कुछ भी अंकित नहीं किया है। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने स्वयं भी अपने टी0वी0 चैनल से प्राप्त वेतन प्रमाण पत्र स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी के समक्ष प्रस्तुत किये थे अथवा नहीं, अपने इस स्पष्टीकरण में वर्तमान महामंत्री ने उपरोक्त सम्बन्ध में कुछ भी अंकित नहीं किया है। वर्तमान महामंत्री ने अपने टी0वी0 चैनल से प्राप्त वेतन प्रमाण पत्रों की छायाप्रतियां भी संलग्न नहीं की है। चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी और सदस्यों के हस्ताक्षर न होने के तथा वर्तमान महामंत्री और उनके सहयोगियों के ही हस्ताक्षर होने के कारण, प्रपत्र नवीनीकरण कराने के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को ही बल मिलता है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की दिनांक 15.03.2013 को प्रस्तुत सदस्यता फार्म की स्क्रीनिंग रिर्पोट के अनुसार जब 566 फार्म स्वीकृत किये गये थे तो सदस्यता सूची में 617 सदस्य कहां से आ गये, सदस्यता सूची पर भी चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी और सदस्यों तथा तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री के हस्ताक्षर भी नहीं हैं। उपरोक्त के सम्बन्ध में बिन्दु 6 में अंकित स्पष्टीकरण में कुछ भी न होने और चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी और सदस्यों के हस्ताक्षर न होने के तथा वर्तमान महामंत्री और उनके सहयोगियों के ही हस्ताक्षर होने के कारण, प्रपत्र नवीनीकरण कराने के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को ही बल मिलता है।
= वर्तमान महामंत्री के स्पष्टीकरण के बिन्दु संख्या 6 में अंकित कथन कि पत्रकारों द्वारा तिरस्कृत लोग जिस तरह पक्षपात पूर्व मतदान का ढ़ोल पीट रहे है। यह अनियमितता नामांकन नाम, वापसी, मतदान व मतगणना के दौरान क्यों के मौन होकर सहन करते रहे। उपरोक्त कारण यह भी हो सकता है कि वर्तमान महामंत्री की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की स्वहस्ताक्षरित रिपोर्ट की जानकारी शायद किसी को भी नहीं थी क्योंकि स्क्रीनिंग कमेटी की रिर्पोट को सार्वजनिक करने का कोई प्रमाण वर्तमान महामंत्री द्वारा अब तक प्रस्तुत नहीं किया है। उपरोक्त सम्बन्ध में बिन्दु 6 में कुछ भी अंकित न होने और चेयरमैन श्री अंशुमान तिवारी और सदस्यों के हस्ताक्षर न होने तथा वर्तमान महामंत्री और उनके सहयोगियों के ही हस्ताक्षर होने के कारण, प्रपत्र नवीनीकरण कराने के लिये धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ही बनाये जाने के हमारे सन्देह को ही बल मिलता है।
= वर्तमान महामंत्री की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट में अंकित राष्ट्रीय सहारा के 72, आज से 55, अमर उजाला से 60, हिन्दुस्तान से 61, दैनिक जागरण के 94 वेतनभोगी पत्रकारों की उनके - उनके समाचार पत्रों के प्रमुखों को सदस्यता सूची छायाप्रति संलग्न कर पंजीकृत डाक से पत्र दिनाकं: 26.06.2015 को भेजकर सूची मे अकिंत पत्रकार उनके वेतन भोगी पत्रकार है अथवा नहीं की जांच कराकर सत्यता से मुझे भी अवगत कराने का अनुरोध किया था, किन्तु सम्बन्धित समाचार पत्रों ने आज तक सूची में अंकित पत्रकारों के संस्थानों ने उनके वेतनभोगी होने की पुष्टि नहीं की है। पत्रों की छायाप्रतियां आपके अवलोकनार्थ संलग्न हैं। उपरोक्त कारण से भी सदस्यता सूची में प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के नाम पर मनचाहे व्यक्तियों को सदस्यता प्रदान करने के संदेह को बल मिलता है।  

7. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 11 पर संलग्न छायाप्रति का अवलोकन करने की कृपा करें। इस प्रपत्र में अंकित है, चुनाव अधिकारी की नियुक्ति - आज दिनाॅक: 26.10.2013 को संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट साधारण महासभा की विशेष बैठक का आयोजन प्रातः काल 11 बजे संस्था के अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी की अध्यक्षता में पूर्व प्रसारित एजेण्डा के अनुसार संपन्न की गयी। बैठक में साधारण सभा के कुल 17 में से 12 सदस्य उपस्थित रहें। कोरम पूर्ण रहा। साधारण सभा का गठन प्रबन्धकारिणी समिति और सदस्यों को मिलाकर होता है। इस प्रपत्र में अंकित है कि साधारण सभा के कुल 17 मे से 12 सदस्य उपस्थित रहे, जब प्रबन्धकारिणी समिति के सात सदस्य उस बैठक मे नहीं थे तो बाकी 12 सदस्य कौन थे और प्रबन्धकारिणी समिति के सात सदस्यों की उपस्थित ही नहीं थे तो कोरम कैसे पूरा था ? अध्यक्ष महोदय की अनुमति से एजेन्डा के अनुसार बैठक का संचालन करते हुए कार्यवाही प्रारम्भ करने के निर्देश दिये गये। कोरम पूर्ण रहा। बैठक में निम्न प्रस्तावों पर विचार किया गया। प्रस्ताव संख्या - 1:- पिछली कार्यवाही की पुष्टि पर विचार - पिछली कार्यवाही को सदन में पढ़ कर सुनाया गया जिसकी सर्वसम्मति से पुष्टि की गयी, जब प्रबन्धकारिणी समिति के सात सदस्यों उपस्थित ही नहीं थे तो सर्वसम्मति कैसे हुई ? कृपया पूर्व में क्रमांक 7 पर संलग्न प्रबन्धकारिणी समिति की वर्ष 2012 - 2013 की छायाप्रति का पुनः अवलोकन करने की कृपा करें जिसके साथ साधारण सभा की कोई सूची संलग्न नहीं है। स्पष्ट है कि तब तक साधारण सभा का गठन ही नहीं हुआ था तो बैठक किसकी हुई ? और नियुक्ति किसने की ? जब अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी अध्यक्षता की में बैठक संपन्न की गयी तो इस प्रपत्र पर उनके ही हस्ताक्षर तक क्यों नहीं है ? चुनाव अधिकारी ने अपनी नियुक्ति से 3 वर्ष पहले ही चुनाव कार्यक्रम का निर्धारण कैसे कर दिया था ? उपरोक्त सभी संदिग्द्ध तथ्यों एवं कारणों से ही इस प्रपत्र की भी विश्वसनीयता संदिग्ध है, प्रपत्र कूट रचित होने के साथ ही यह भी प्रतीत होता है कि यह प्रपत्र भी इस पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों ने निहित स्वार्थवश अपने - अपने निजी लाभ के लिये कपटपूर्वक बनाया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 7 का स्पष्टीकरण:- जनपद के सभी पत्रकारों ने विधान को ठेंगा दिखाते हुए सभी नियमों के प्रतिकूल पदों पर बने रहने व चुनाव न कराने की धाॅधली से आजिज आकर ही स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया था। इस समिति द्वारा सर्वसम्मति से बनाई गयी देखरेख समिति ने सम्मानित चुनाव अधिकारी के साथ कठोर श्रम व तालमेल बिठाकर जैसे - तैसे पत्रकारों की दुनिया में नगर की धरती पर कानून का राज कायम कराया। इस कार्यवाही से संस्था को जागीर समझने वालों को आघात पहुॅचा। इसी से जन्मी बौखलाहट के परिणाम स्वरुप चुनाव अधिकारी द्वारा नियुक्ति से तीन वर्ष पूर्व ही चुनाव कार्यक्रम घोषित करने जैसे बचकाने आरोप नगर के वरिष्ठ कलमकारों पर लगाये जा रहे हैं।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 7 में अंकित कि चुनाव अधिकारी द्वारा अपनी नियुक्ति से तीन वर्ष पूर्व चुनाव कार्यक्रम का निर्धारण कैसे कर दिया था, का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत न कर पाने के कारण भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से असत्य और भ्रमाक होने के कारण स्वीकार करने योग्य नहीं है -
= चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की कार्यवाही के लिए अधिकृत तत्कालीन अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी अध्यक्षता में ही साधारण सभा की बैठक में कोरम पूरा होने के कारण की गयी थी, इसको प्रमाणित करने के स्थान पर वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने अपने स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में भ्रामक कथन कि जनपद के सभी पत्रकारों ने विधान को ठेंगा दिखाते हुए सभी नियमों के प्रतिकूल पदों पर बने रहने व चुनाव न कराने की धाॅधली से आजिज आकर ही स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के गठन का पुराना राग फिर अलाप कर यह स्पष्ट नहीं किया कि, प्रपत्र पर तत्कालीन अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी और तत्कालीन प्रबन्धकारिणी समिति के हस्ताक्षर क्यों नहीं है। उपरोक्त कारण से यह स्वतः स्पष्ट है कि चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की कार्यवाही वैधानिक रुप से संपादित नहीं की गयी है। चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की कार्यवाही के प्रपत्र पर वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियों के ही हस्ताक्षर होने से यह स्वतः स्पष्ट है, कि हस्ताक्षरकर्ताओं ने ही इस प्रपत्र को छलपूर्वक नवीनीकरण कराने के इरादे से जानबूझ कर कूटरचित तरीके से सृजित किया है।
= चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की कार्यवाही में साधारण सभा की बैठक में कोरम पूरा था, इसको प्रमाणित करने के स्थान पर वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने अपने स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में तथ्यहीन कथन कि इस कार्यवाही से संस्था को जागीर समझने वालों को आघात पहुॅचा। इसी से जन्मी बौखलाहट के परिणाम स्वरुप चुनाव अधिकारी द्वारा नियुक्ति से तीन वर्ष पूर्व ही चुनाव कार्यक्रम घोषित करने जैसे बचकाने आरोप नगर के वरिष्ठ कलमकारों पर लगाये जा रहे हैं, अंकित कर पुनः भ्रमित करने का प्रयास किया है। उपरोक्त से भी हमारे इस संदेह को बल मिलता है कि इस प्रपत्र को भी इस पर हस्ताक्षर करने वालों ने ही कूट रचित तरीके से नवीनीकरण कराने के लिए सृजित किया है।
= चुनाव अधिकारी की नियुक्ति जब दिनांक 26.10.2013 को की गयी थी तो उन्होने अपनी नियुक्ति से तीन वर्ष पूर्व ही चुनाव कार्यक्रम का निर्धारण दिनांक: 12.12.2010 को कैसे कर दिया था। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण में इसका कोई युक्ति युक्त कारण अंकित न होने से इस प्रपत्र को नवीनीकरण के लिये जानबूझकर धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा बनाये जाने के हमारे संदेह को बल मिलता है।
= चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की कार्यवाही दिनांक: 26.10.2013 को हुई साधारण सभा की बैठक में 17 में से जब तत्कालीन प्रबन्धकरिणीं समिति के 7 पदाधिकारी और सदस्य अनुपस्थित थे, तो 17-7 = 10, तो 2/3 कैसे हुए और 12 सदस्य कैसे उपस्थित थे और कोरम कैसे पूरा था, उपरोक्त का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने से पूर्व, वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नियमावली के बिन्दु 7 शीर्षक साधारण सभा का गठन शायद अवलोकित नहीं किया, जिसमें स्पष्ट अंकित है कि संस्था के सभी सदस्यों को मिलाकर साधारण सभा का गठन होगा, इसलिए ही अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने युक्ति युक्त स्पष्टीकरण अंकित करने के स्थान पर भ्रमित करने का प्रयास किया है। उपरोक्त कारण से इस प्रपत्र को नवीनीकरण के लिये जानबूझकर धोखाधड़ी के इरादे से हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा बनाये जाने के हमारे संदेह को बल मिलता है।
= देखरेख समिति का गठन भी शायद वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित की कल्पना में ही हुआ था, इसलिए ही इसका गठन कब हुआ था और इसके गठन की कार्यवाही किसकी अध्यक्षता में, किस तिथि को सम्पादित की गयी थी, तथा इसके पदाधिकारी और सदस्य कौन - कौन थे, देखरेख समिति के गठन का उद्देश्य क्या था, इसका कोई उल्लेख भी स्पष्टीकरण के बिन्दु संख्या 7 में अंकित नहीं है। उपरोक्त से भी स्वतः स्पष्ट है कि देखरेख कमेटी भी मात्र वर्तमान महामंत्री की कल्पना मात्र ही है, जिसका उल्लेख मात्र भ्रमित करने के लिये किया गया है।
= स्वंय को वरिष्ठ पत्रकार के रुप में प्रचारित प्रसारित करने वाले वर्तमान स्वंयभू महामंत्री अवनीश दीक्षित को शायद यह ज्ञात नहीं है, कि भारतीय संविधान और न्यायिक व्यवस्था (महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार और महामहिम राज्यपालों को छोड़कर) किसी भी व्यक्ति के पद, जाति और व्यवसाय के आधार पर उन पर लगाये गये आरोेपों की जांच कराने और प्रमाणों के आधार पर वैधानिक कार्यवाही करने में कोई भेदभाव नहीं करती है। उपरोक्त कारण से ही भारत के बड़े - बड़े नामों: लालू यादव, कनिमोझी, कलमाणी जैसे तमाम व्यक्तियों को न केवल जेल जाना पड़ा बल्कि माननीय न्यायालयों द्वारा उन्हे दण्डित भी किया गया। नगर के वरिष्ठ कलमकारों का उल्लेख करते हुए स्वंयभू महामंत्री को अपने क्लब के ही पूर्व महामंत्री के जेल जाने की घटना भी शायद याद नहीं है।

8. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त सदस्यों की संलग्न सूची की प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 12 से 18 पर संलग्न छायाप्रतियों का अवलोकन करने की कृपा करें। इन सूचियों पर न तो उस समय के अध्यक्ष और महामंत्री के हस्ताक्षर हैं और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन और सदस्यों के भी हस्ताक्षर नहीं हैं। जबकि स्क्रीनिंग कमेटी गठन की वैधता भी अभी तक पुष्ट नहीं है। इस सूची पर भी मात्र वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति के ही पदाधिकारी और सदस्यों के हस्ताक्षर हैं जिन्होने बाद मे हुए निर्वाचन में इसी सूची से होने वाली वोटिंग से स्वंय को निर्वाचित घोषित किया।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 8 का स्पष्टीकरण:- स्क्रीनिंग कमेटी की वैधता पर प्रश्न लगाना अत्यन्त हताश मानसिकता का परिचायक है। क्योंकि नई कार्यकारिणी का लम्बा वैधानिक सेवाकाल व्यतीत होने के बाद स्क्रीनिंग कमेटी के अस्तित्व को चुनौती देना शायद यह जाहिर करता है कि आरोप लगाने वाले शायद देर से सोकर जागे हैं।
= महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति संस्था के नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति की जो सूचियाॅ 2005 से 2013 की गयी है उन पर वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति के समस्त पदाधिकारियों/सदस्यों ने अपने - अपने हस्ताक्षर कर 2013 तक उनकी वैधता को स्वयं प्रमाणित किया है। पंजीकृत नियमावली के बिन्दु 9 में प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियांे का अधिकार व कर्तव्य शीर्षक में अंकित अध्यक्ष के अधिकारों के अनुसार उपसमितियों का गठन और उनके पदाधिकारियों को मनोनीत करने का अधिकार तत्कालीन अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी के अलावा किसी को भी प्राप्त नही था।  वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित उपरोक्त सत्य अच्छी तरह जानते है इसलिए ही उन्होंने बिन्दु 8 में उनकी काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की वैधता के प्रश्न का जवाब शायद नहीं दिया है। बिन्दु संख्या 7 में उन्होने स्वयं यह लिख कर कि जनपद के सभी पत्रकारों ने विधान को ठेंगा दिखाते हुए सभी नियमों के प्रतिकूल पदों पर बने रहने व चुनाव न कराने की धाॅधली से आजिज आकर ही स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था, अंकित कर काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के गठन की वैधानिकता को प्रमाणित करने से बचने का ही प्रयास किया है। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि स्क्रीनिंग कमेटी का गठन वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित की कल्पना मात्र में ही है, वास्तव में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कभी हुआ ही नहीं था। देर से सोकर जागने का प्रश्न उठाने से पूर्व शायद उन्होने हमारे शपथ पत्र के साथ संलग्न प्रमाणों का सही ढ़ंग अवलोकन स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने सेे पूर्व नहीं किया, यदि उन्होने अवलोकन किया होता तो उन्हे यह ज्ञात हो जाता कि आपके कार्यालय से प्रमाणों की सत्य प्रतिलिपियां ही हमें 30.05.2015 को प्राप्त हुई थी, जिनके अध्ययन और वैधानिकता के परीक्षण के बाद 15.06.2015 को हमने तथ्यों सहित शिकायत की थी। वर्तमान महामंत्री के इसी बिन्दु में यह कथन कि नई कार्यकारिणी का लम्बा वैधानिक सेवाकाल व्यतीत होने के बाद चुनौती देना, अंकित करने से पूर्व स्वंय को वरिष्ठ पत्रकार के रुप में प्रचारित प्रसारित करने वाले वर्तमान स्वंयभू महामंत्री अवनीश दीक्षित को शायद बहुचर्चित व्यापम घोटाला होने की लम्बी अवधि व्यतीत हो जाने के बाद माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच कराये जाने के लिये हाल में ही पारित आदेश तक की जानकारी भी नहीं है।

9. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि पूर्व में क्रमांक 12 से 18 संलग्न सदस्यता सूची में अंकित सदस्यों को पूर्व में संलग्न क्रमांक 8 पंजीकृत स्मृति पत्र के बिन्दु द को अतिकृमित कर अनाधिकृत और विधिविरुद्ध तरीके से सदस्यता दी गयी है। कृपया बिन्दु द का भी अवलोकन करने की कृपा करें, जिसमें स्पष्ट रुप से अंकित है कि संस्था अपने क्षेत्र के अंतर्गत पत्रकारिता व्यवसाय से सम्बद्ध समस्त छोटे बड़े पत्रकारों कर्मियों की दैवीय आपदाओं के समय पर सम्भव मदद करने का प्रयास करेगी तथा उनकी समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण हेतु हर संभव प्रयास करेगी। सत्य यह है कि समस्त छोटे - बड़े पत्रकारों कर्मियों की दैवीय आपदाओं के समय पर सम्भव मदद करने का प्रयास करेगी तथा उनकी समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण हेतु हर संभव प्रयास करने के स्थान पर कपटपूर्वक रचे गये पूर्व में कृमांक 5 पर संलग्न अभिलेख जिसपर भी इन्हीं व्यक्तियों के हस्ताक्षर है, उसमें मे अंकित बिन्दु 2 व तीन में अंकित तथ्यों का उपयोग कर उन पत्रकारों को सदस्यता नहीं दी जिनसे उनको डर था कि वे उनकी इच्छा अनुसार मतदान नहीं करेंगे। इस सदस्ता सूची पर भी मात्र उन्हीं व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं जिन्होने पूर्व के भी समस्त प्रपत्रों पर अपने अपने हस्ताक्षर किये हैं। इस पर प्रपत्र पर भी प्रबन्धकारिणी समिति के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य तथा स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन और सदस्यों के हस्ताक्षर न होने से भी यही संदेह होता है कि इस प्रपत्र को भी निहित स्वार्थवश पर इस पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा स्वयं और अपने साथियों को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराने के उद्देश्य से केवल आपने अपने वफादार साथियों को सदस्यता दिलाकर अपने अपने पक्ष में वोटिंग कराकर जिताने के उद्देश्य से छलपूर्वक बनाया गया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 9 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब का निर्वाचन जिस मतदाता सूची के आधार पर कराया गया था उसका निर्माण सम्मानित अखबारों व चैनलों द्वारा उपलब्द्ध करायी गयी लिस्ट के आधार पर ही किया गया था। ऐसी दशा में संस्थान के प्रमुखों ने जितने नाम भेजे थे, वे ही समाहित किये जा सके थे। इसके अलावा चुनाव से पूर्व आज तक किसी भी संस्थान ने प्रेषित सूची के नाम काटे जाने की शिकायत भी दर्ज नहीं करायी, इसके बावजूद भी यदि किन्हीं तथाकथित वरिष्ठजनों के नाम नहीं जुड़ सके तो उसका कारण उनके अपने अधिकारियों से घटिया रिश्ते हैं। यह कथन असत्य है कि अपना व पराया देखकर नाम घटाये व जोड़े गये है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 9 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 9 में अंकित तथ्यों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के स्थान पर मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित यह अच्छी तरह जानते है कि संस्था की नियमावली में स्पष्ट अंकित है कि सदस्यता निर्धारित शुल्क प्राप्त करके संस्था के अध्यक्ष और महामंत्री द्वारा प्रदान की जायेगी, उपरोक्त नियम के अनुसार सदस्यता प्रदान किये जाने का अधिकार तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री को ही था। स्मृति पत्र के बिन्दु द में अंकित पत्रकारिता व्यवसाय से सम्बद्ध समस्त छोटे बड़े पत्रकारों, कर्मियों सदस्यता प्रदान करने के स्थान पर केवल तीन वर्ष पूर्व पंजीकृत दैनिक समाचार पत्रों के वेतन भोगी पत्रकारों को ही सदस्यता दिये जाने का निर्णय सही नहीं था, इसलिए ही उन्होंने कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के स्थान पर मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित यह भी अच्छी तरह जानते है कि नियमावली के अनुसार स्मृति पत्र के बिन्दु द में अंकित उद्देश्य को मात्र साधारण सभा की बैठक में सर्वसम्मति अथवा बहुमत से ही संशोधित किया जा सकता है। स्मृति पत्र के बिन्दु द में अंकित उद्देश्य को संशोधित करने के लिए की गयी किसी भी कार्यवाही की प्र्रतिलिपि वर्तमान महामंत्री ने संलग्न नहीं की है और नवीनीकरण के समय आपके समक्ष भी प्रस्तुत नहीं की गयी है। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण के इसी बिन्दु में लिखित कथन में भी संशोधन की कार्यवाही के सम्बन्ध में कुछ भी अंकित नहीं है। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि सदस्यता सूची को भी निहित स्वार्थवश पर इस पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा स्वयं और अपने साथियों को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराने के उद्देश्य से केवल अपने - अपने वफादार साथियों को सदस्यता दिलाकर अपने अपने पक्ष में वोटिंग कराकर जिताने के उद्देश्य से छलपूर्वक बनाया गया है।
= निर्वाचन जिस मतदाता सूची के आधार पर कराया गया था उसका निर्माण सम्मानित अखबारों व चैनलों द्वारा उपलब्द्ध करायी गयी लिस्ट के आधार पर ही किया गया था। अखबारों व चैनलों से प्राप्त लिस्टों को सत्यापित कराये जाने के सम्बन्ध में भी स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में वर्तमान महामंत्री ने कुछ भीे अंकित किया है और सत्यापन कराये जाने सम्बन्धी कोई प्रमाण भी संलग्न नहीं किये गये है। उपरोक्त से भी यह स्पष्ट होता है कि सदस्यता मनमाने तरीके से सदस्यता सूची पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों की इच्छानुसार मतदान करने वाले व्यक्तियों को ही प्रदान की गयी है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने स्पष्टीकरण के साथ मतदाता सूची में अंकित 617 सदस्यों की तीन माह के वेतन प्रमाण पत्रों की छायाप्रतियाॅ भी संलग्न नहीं की है। उपरोक्त से भी यह स्पष्ट होता है कि सदस्यता मनमाने तरीके से सदस्यता सूची पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों की इच्छानुसार मतदान करने वाले व्यक्तियों को ही प्रदान की गयी है।

10. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि कृमंाक 12 से 18 तक संलग्न सदस्यता सूची पूर्व मे कृमांक 1 पर संलग्न नियमावली के बिन्दु 4 के अनुरुप न होने के कारण वैध नहीं है। कृपया क्रमांक 1 पर संलग्न नियमावली के बिन्दु 4 का पुनः अवलोकन करने की कृपा करें जिसमे यह स्पष्ट अंकित है कि प्रत्येक वह व्यक्ति जो कानपुर महानगर के अर्तगत पत्रकारिता से सम्बधित कार्य एवं व्यवसाय कर रहा है इस संस्था कानपुर पे्रस क्लब का सदस्य हो सकेगा। सभी प्रकार के सदस्यों को सदस्यता निर्धारित शुल्क प्राप्त करके संस्था के अध्यक्ष व महामंत्री द्वारा प्रदान की जायेगी। उपरोक्त नियम को अतिकृमित कर कृमांक 5 पर संलग्न प्रपत्र कपट पूर्वक और विधि विरुद्ध तरीके से बनाकर निहित स्वार्थवश उन्हीं व्यक्तियों को सदस्यता दी गयी जो सदस्यता सूचीपर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों की इच्छानुसार मतदान कर सकें। सदस्यता सूची पर तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री मे से किसी के भी हस्ताक्षर नहीं हैं इसलिये कृमंाक 12 से 18 तक संलग्न सदस्यता सूची में अकिंत व्यक्तियों द्वारा संस्था के निर्वाचन मे किया गया मतदान भी अवैध हैै। इस सदस्यता सूची का सत्यापन भी संबन्धित समाचार पत्रों और चैनलों से कराया जाने के साथ ही यह सत्यापन कराया जाना भी अतयन्त आवश्य है कि सूची में अंकित व्यक्ति वास्तव में उस समाचार पत्र और चैनल के वास्तव में पत्रकार है और उनके पेरोल पर हैं अथवा नहीं ? यह जांच कराया जाना भी अत्यन्त आवश्यक है कि सूची में अंकित सदस्यों ने अपने - अपने आवेदन पत्रों के साथ अपनी - अपनी सैलरी स्लिप, कार्यालय से प्राप्त होने वाले चेक अथवा 3 माह की सैलरी का बैंक स्टेटमेन्ट प्रस्तुत किये हैं अथवा नहीं।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 10 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब सदस्यता क्रमांक 1 पर संलग्न नियमावली के अनुकूल है। नगर में एक भी ऐसा पत्रकार नहीं है जिसे मताधिकार से वंचित किया गया हो। जिस समय चुनाव हुए थे, उस समय तो इस शिकायतकर्ता का पत्रकारिता जगत में जन्म तक नहीं हुआ था। जिनके कार्यकाल में अनियमितताओं की भरमार रही, झूठे आरोपों की यह बौछार वर्तमान में कानपुर प्रेस क्लब की लोकप्रियता से ईष्र्या रखने वालों के घटिया दिमागों की उपज है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने स्पष्टीकरण के बिन्दु 10 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 10 में अंकित तथ्यों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के स्थान पर मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण के इसी बिन्दु में लिखित उनका यह कथन कि नगर में एक भी ऐसा पत्रकार नहीं है जिसे मताधिकार से वंचित किया गया हो, किन्तु 617 सदस्यों की सूची में साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्र पत्रिकाओं के पत्रकारों की संख्या कितनी है, वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में अंकित नहीं है। काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त के द्वारा महामंत्री व उनके सहयोगियों ने साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्र पत्रिकाओं के पत्रकारों कों सदस्यता प्राप्त करने से, इस डर से वंचित कर दिया था कि साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्र पत्रिकाओं के पत्रकार शायद उनकी इच्छानुसार मतदान न करें। स्पष्ट है कि मतदाता सूची अंकित सदस्यों को इस पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों के पक्ष में मतदान करने का आश्वासन देने के बाद ही प्रदान की गयी थी।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इस स्पष्टीकरण में यह भी अंकित नहीं है कि यदि प्रेस क्लब की सदस्यता, नियमावली के क्रमांक 4 पर अंकित नियम कि सदस्यता निर्धारित शुल्क प्राप्त करके संस्था के अध्यक्ष और महामंत्री द्वारा प्रदान की जायेगी, के अनुकूल प्रदान की गयी थी, तो सदस्यता सूची पर तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री के हस्ताक्षरों के स्थान पर चुनाव जीतने वाले व्यक्तियों के ही हस्ताक्षर होने से भी यह स्पष्ट होता है कि सदस्यता मानमाने तरीके से सदस्यता सूची पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों की इच्छानुसार मतदान करने वाले व्यक्तियों को ही प्रदान की गयी है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण में यह भी अंकित नहीं है कि उन्होंने सूची मे अंकित सदस्यों के वेतन भोगी पत्रकार होने का सत्यापन उनके समाचार पत्रों और टी.वी. चैनलों से करवाया था अथवा नहीं। उपरोक्त से भी स्पष्ट होता है कि स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में अंकित तथ्य मात्र भ्रमित करने के लिए अंकित किये गये है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण के इसी बिन्दु में उनका यह कथन कि जिस समय चुनाव हुए थे, उस समय तो इस शिकायतकर्ता का पत्रकारिता जगत में जन्म तक नहीं हुआ था। उनकी मेरे बारे में उक्त राय उनके स्वंय को पत्रकारिता जगत की जानकारी होने पर ही सवाल खड़े करती है। स्पष्ट है कि उपरोक्त तथ्य वर्तमान महामंत्री द्वारा जानकारी के आभाव में अंकित किया गया है। मैने 2009 में भ्रष्टाचार दर्पण नामक साप्ताहिक समाचार पत्र से पत्रकारिता प्रारम्भ की थी और फिर नेक्स्ट टी.वी. लोकल न्यूज चैनल में 2 वर्ष बतौर सीनियर टेक्निकल एडीटर के पद पर कार्यरत रहा, उसके साथ ही कई समाचार पोर्टलों जैसे - आप की खबर, रेनबो न्यूज, सी.एन.आई न्यूज आदि मंे लेखन के साथ ही, लखनऊ से प्रकाशित अवध की आवाज हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के कानपुर मण्डल के ब्यूरो प्रमुख के पद पर कार्य किया, तदोपरान्त टी0वी024 नेशनल न्यूज चैनल में 14 माह बतौर कानपुर सहायक संवाददाता रहने के बाद, 2011 से वर्तमान में भी एस.आर.न्यूज ग्रुप के मुख्य प्रबन्ध सम्पादक के पद पर कार्यरत हूॅ। ये ग्रुप अपना दैनिक, साप्ताहिक, मासिक समाचार पत्र/पत्रिका और www.srnews.org नामक वेब न्यूज पोर्टल का संचालन कर रहा है, जबकि प्रेस क्लब का प्रश्नगत चुनाव तो दिसम्बर 2013 को ही सम्पन्न हुआ था।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित का इसी बिन्दु में लिखित यह कथन कि जिनके कार्यकाल में अनियमितताओं की भरमार रही, झूठे आरोपों की यह बौछार वर्तमान में कानपुर प्रेस क्लब की लोकप्रियता से ईष्र्या रखने वालों के घटिया दिमागों की उपज है, के सम्बन्ध में अपने कथन को स्पष्ट करने और प्रमाणित करने का भार स्वयं उन पर ही है, क्योंकि उपरोक्त कथन के सम्बन्ध में उन्होने कोई साक्ष्य संलग्न नहीं किये हैं।

11. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 19 व 20 पर संलग्न छायाप्रति का भी अवलोकन करने की कृपा करें। इस प्रपत्र में अंकित है कि प्रेस क्लब चुनाव दिनाॅक: 30.12.2013 - वरिष्ठ पत्रकार सरस बाजपेयी कानपुर प्रेस क्लब के नये अध्यक्ष चुने गये। रविवार को हुए चुनाव में उन्होंने सौरभ शुक्ला को 42 वोटों से शिकस्त दी। महामंत्री पद पर अवनीश दीक्षित ने गजेन्द्र सिंह को हरा कर कब्जा किया। हैदर नकवी, धर्मेन्द्र मिश्रा, उपाध्यक्ष, ओम बाबू मिश्रा कोषाध्यक्ष, और नीरज अवस्थी व सुनील साहू मंत्री चुने गये। कार्यकारिणी में 11 सदस्यों का चुनाव हुआ। इस प्रपत्र पर भी न तो चुनाव अधिकारी के हस्ताक्षर है और न ही पूर्व प्रबन्धकारिणी समिति के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य के हस्ताक्षर है। प्रथम दृष्टया यह अभिलेख भी कूट रचित है और धोखाधड़ी के इरादे से बनाया गया प्रतीत होता है क्योंकि इस पर भी मात्र उन्हीं व्यक्तियों के हस्ताक्षर है। जिन्हें इस प्रपत्र में पदाधिकारियों/सदस्यों के पदों पर निर्वाचित दर्शाया गया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 11 का स्पष्टीकरण:- विगत 30 दिसम्बर 2013 को हुए चुनाव के परिणाम सर्वविदित है यदि कहीं कोई वेईमानी थी तो माननीय उप निबन्धक महोदय व नव निर्मित कार्यकारिणी को विधिक कार्यावाही के दायरे में लिया जाना चाहिये था। आरोप लगाने वाले लोग अन्याय को अबतक क्यो सहन करते रहे।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 11 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 11 में अंकित तथ्यों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के स्थान पर यहां भी मात्र भ्रमित करने और आपको भी विधिक कार्यवाही के दायरे में लिये जाने की ओर मेरा ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इसी बिन्दु में लिखित स्पष्टीकरण मंे मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 11 में अंकित तथ्य कि चुनाव परिणाम 30.12.2013 पर चुनाव अधिकारी, चुनाव समिति के सदस्यों तथा तत्कालीन प्रबन्धकारिणी समिति के किसी भी पदाधिकारी और सदस्यों के हस्ताक्षरों के स्थान पर निवार्चित दर्शाये गये व्यक्तियों के ही हस्ताक्षर होने का कोई कारण अंकित नहीं है, जबकि इस स्पष्टीकरण के साथ क्रमांक 3 पर संलग्न चुनाव के कार्यवृत्त के अनुसार 2013 के चुनाव में बतौर चुनाव अधिकारी श्री भूपेन्द्र तिवारी एवं चुनाव समिति में तिवारी के अलावा डा0 बी0एन0सिंह एवं वरिष्ठ पत्रकार डा0 हरनारायण मिश्र शामिल थे। मतदान प्रक्रिया को पूर्ण कराने में पूर्व अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेयी, महामंत्री कृष्ण कुमार त्रिपाठी सहित अन्य कार्यकारिणी सदस्यों की भी प्रमुख सक्रियता रही थी और पूर्व कार्यकारिणी सदस्य पुरुषोत्तम द्विवेदी ने मंत्री पद हेतु चुनाव भी लड़ा था। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि चुनाव परिणाम बाद में नवीनीकरण के लिए इस पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा कूट रचित तरीके से धोखाधड़ी के इरादे से जानबूझ कर बनाया गया था। महामंत्री ने हमारे आरोपों का खण्डन न कर परोक्ष रुप से हमारे आरोप को स्वीकार कर लिया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इसी बिन्दु में लिखित स्पष्टीकरण में अंकित है कि आरोप लगाने वाले लोग अन्याय को अब तक क्यों सहन करते रहे। उपरोक्त के सम्बन्ध में अपना पूर्व में अंकित जवाब पुनः अंकित कर रहा हूं, कि जब आपके कार्यालय प्राप्त प्रपत्रों के माध्यम से जब हमें बेईमानी जानकारी मिली तब मैने शिकायत की है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इसी बिन्दु में लिखित स्पष्टीकरण मंे अंकित है कि माननीय उप निबन्धक महोदय व नवनिर्मित कार्यकारिणी को विधिक कार्यवाही के दायरे में लिया जाना चाहिये था। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने शायद मेरी शिकायत पर संज्ञान लेकर आप द्वारा मेरे शपथ पत्र में लिखित तथ्यों पर बिन्दुवार आख्या प्रस्तुत करने के आपके निर्देष के अनुपालन में सही स्पष्टीकरण प्रस्तुत न कर पाने से हताश होकर आपको भी विधिक कार्यवाही के दायरे में घसीटने का प्रयास किया है।

12. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त अभिलेख की प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 1 पर संलग्न नियमावली की छायाप्रति का भी अवलोकन करने की कृपा करें। इस अभिलेख के क्रमांक 1बी के बिन्दु संख्या 8 - प्रबन्धकारिणी समिति:- 1. गठन - में अंकित है कि प्रबन्धकारिणी समिति का गठन साधारण सभा के बहुमत से होगा प्रबन्ध समिति का संगठन निम्नवत रहेगा:- जिनमें अध्यक्ष एक, उपाध्यक्ष एक, महामंत्री एक, कोषाध्यक्ष एक शेष कार्यकारणी सदस्य पंजीयन के समय प्रबन्धकारिणी समिति में 05 पदाधिकारी व 02 सदस्यों सहित कुल संख्या 07 अंकित हैं। नियमावली में यह भी अंकित है कि प्रबन्धकारिणी समिति की संख्या को आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकेगा। यह संस्था के पंजीकरण के समय प्रस्तुत की गयी नियमावली ही है जिस पर नवनिर्वाचित पदाधिकारियों/सदस्यों ने अपने अपने हस्ताक्षर कर नवीनीकरण के लिए उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय में जमा कराया था। इस नियमावली में कोई भी संशोधन नहीं किया गया है न ही पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों की संख्या ही बढ़ायी गयी है, तब एक उपाध्यक्ष के स्थान पर 2 उपाध्यक्ष, तथा एक मंत्री के स्थान पर 2 मंत्री एवं दो कार्यकारिणी सदस्यों के स्थान पर 11 कार्याकारिणी सदस्यों का निर्वाचन? 7 के स्थान पर 17 पदों पर किस प्रकार चुनाव कराया गया और वैध भी स्वयं उन्हीं ही पदाधिकारियों/सदस्यों द्वारा अपने ही हस्ताक्षरों से घोषित किया गया जो इन पदों पर निर्वाचित दर्शाये गये। स्पष्ट है कि निर्वाचन प्रक्रिया वैधानिक नहीं थी इसलिए निर्वाचित पदाधिकारियों/ सदस्यों का निर्वाचन भी वैध नहीं है। उपरोक्त सब से यह भी स्पष्ट है कि मात्र कुछ व्यक्तियों ने संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर और उसके पंजीकृत कार्यालय 6 नवीन मार्केट कानपुर नगर पर कब्जा करने के लिए कूट रचित अभिलेख सृजित किये उन्हें अपने ही हस्ताक्षरों से सत्यापित किया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह कर फिल्मी स्टाइल में चुनाव का सुनियोजित नाटक रचा और अपने द्वारा बनाये गये वोटरों से अपनी इच्छानुसार वोटिंग कराकर स्वयं को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराया। निर्वाचन के परिणाम को समाचार पत्रों में भी प्रकाशित कराया तथा प्रकाशित समाचारों को उप निबन्धक फर्म, चिट्स एवं सोसाइटीज के समक्ष संस्था के नवीनीकरण के लिए प्रमाण के रुप में प्रस्तुत कर उन्हें भी गुमराह कर संस्था का नवीनीकरण भी करा लिया। उपरोक्त से यह भी स्पष्ट है कि क्रमांक 6 पर संलग्न अभिलेख में अंकित तथ्य न केवल असत्य और भ्रामक हैं बल्कि अभिलेख भी हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कपटपूर्वक स्वयं के हित मे बनाया गया है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 12 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब कार्यकारिणी द्वारा नवीनीकरण के लिये उपनिबन्धक कार्यालय में जमा किये गये। सम्पूर्ण प्रपत्र विधिक दृष्टि से सत्य पर आधरित हैं। अरोप लगाने वालों को यह मालूम होना चाहिये कि नियमावली से समाहित प्रबन्धकारिणी समिति शीर्षक के अंर्तगत प्रबन्धकारिणी समिति की संख्या को घटाने या बढ़ाने का प्रावधान है। अतः क्रमांक 6 पर संलग्न अभिलेख सत्य पर आधारित है। सम्पूर्ण विवरण जनहित में प्रस्तुत किया गया है किसी को फायदा पंहुचाने के लिये नहीं।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 12 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 12 में अंकित तथ्यों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के पूर्व नियमावली के प्रष्ठ 3 के बिन्दु संख्या 10 पर संस्था के नियमों एंव विनियमों के संशोधन की प्रक्रिया तथा प्रष्ठ् संख्या 1 के बिन्दु 7 पर साधारण सभा शीर्षक का अवलोकन नहीं किया अथवा हमारे तथ्यों का सही स्पष्टीकरण उनके पास न होने के कारण जानबूझ कर यहां भी मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 12 में अंकित यह तथ्य कि नियमावली में संशोधन किये बिना 7 के स्थान पर 17 पदों पर चुनाव कराया गया। वर्तमान महामंत्री के लिखित स्पष्टीकरण के इसी बिन्दु में पदाधिकारियों व सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने के सम्बन्ध में की गयी संशोधन की कार्यावाही पर कुछ भी अंकित नहीं किया है। नियमानुसार साधारण सभा की बैठक में की गयी संशोधन की कार्यवाही की कोई प्रतिलिपि भी संलग्न नहीं की है। स्पष्ट है कि चुनाव से पूर्व कार्यकारिणी के पदाधिरियों व सदस्यों व सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने के लिए नियमावली में संशोधन की कोई कार्यवाही नहीं की गयी थी।
= नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के पैरा 3 में उन्होंने स्वयं अंकित किया है, कि प्रबन्धकारिणी समिति में जो भी परिवर्तन किये गये है वे सभी निर्धारित चुनाव प्रक्रिया द्वारा बैलट पेपर से हुए मतदान से साधारण सभा की बैठक में आम सहमति से हुए है। प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिरियों व सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने के लिए एजेण्डा प्रसारित कर साधारण सभा के सदस्यता सूची में अंकित 617 सदस्यों की बैठक बुलाकर प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिरियों व सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने की कार्यवाही की कोई प्रतिलिपि नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी है। स्पष्ट है कि वर्तमान महामंत्री ने स्वयं और अपने सहयोगियों को मनचाहे पदांे पर निर्वाचन अपने 617 सदस्यों को भी धोखे में रखकर स्वयं द्वारा बढ़ाये गये पदों पर कराया।
= प्रार्थना पत्र में भी नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के पैरा 3 में यह लिखकर कि प्रबन्धकारिणी समिति में परिवर्तन बैलट पेपर से हुए मतदान से साधारण सभा की बैठक में आम सहमति से हुए है, जबकि प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने के लिए बैलट पेपर के माध्यम से कोई मतदान नहीं कराया गया था और साधारण सभा की जब कोई बैठक ही नहीं बुलायी गयी थी तो आम सहमति कब और कैसे बन गयी थी। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने उपरोक्त असत्य तथ्य अपने प्रार्थना पत्र में लिखकर आपको भी गुमराह कर अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत प्रेस क्लब चुनाव दिनाॅक: 30.12.2013 के आधार पर बढ़ाये गये पदों व सदस्यो की नयी प्रबन्धकारिणी समिति की स्वहस्ताक्षरित सूची में स्वयं व अपने सहयोगियों के नाम अंकित कर पंजीकृत भी करवा लिया। प्रेस क्लब चुनाव दिनाॅक: 30.12.2013 के प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने वालों का उपरोक्त कार्य नियमावली के उलंघन के साथ ही संस्था के सदस्यों और आपके साथ निहित स्वार्थवष धोखाधड़ी करने के कारण विधि के उलंघन की परिधि में आता है। अपने व अपने सहयोगियांे के उपरोक्त अपराध के लिए वैधानिक कार्यवाही के डर से ही वर्तमान महामंत्री ने स्पष्टीकरण के इस बिन्दु में आपको भी घसीटने का प्रयास किया है।
= मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 12 में अंकित तथ्यों का, वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने इसी बिन्दु में लिखित स्पष्टीकरण मंे भ्रामक तथ्यों के अलावा कुछ भी अंकित नहीं किया है। तत्कालीन प्रबन्धकारिणी समिति की सूची जिसे महामंत्री व उनके सहयोगियों ने स्वयं अपने - अपने हस्ताक्षरों से सत्यापित कर नवीनीकरण के समय प्रस्तुत किया था। प्रबन्धकारिणी में अंकित उन्हीं पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा नियमावली मंे संशोधन की कार्यवाही करने के लिए साधारण सभा की बैठक बुलाकर नियमावली मंे संशोधन की कार्यवाही संपादित किये जाने के पूर्व ही बढ़े हुए पदों पर धोखाधड़ी से चुनाव कराकर प्रेस क्लब पर कब्जा करने के लिय कूटरचित अभिलेखों को सृजित करने के आरोपों का कोई स्पष्टीकरण न अंकित कर, उन्होने हमारे शपथ के बिन्दु 12 में लिखित तथ्यों को स्वीकार कर लिया है।

13. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त अभिलेख की प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 21 पर संलग्न प्रमाणित प्रतिलिपि की छायाप्रति का अवलोकन करें जिसमे अवनीश दीक्षित वर्तमान महामंत्री कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर 6 नवीन मार्केट कानपुर की ओर से उप निबन्धक फर्म, चिट्स एवं सोसाइटीज के कार्यालय में पत्रावली के 35369 के नवीनीकरण की अनुमति के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र एवं क्रमांक 22 पर संलग्न शपथ पत्र तथा समाचार पत्रों की कटिंग की प्रमाणित प्रतिलिपियों की क्रमांक 23, 24, 25, पर संलग्न छायाप्रतियों का भी अवलोकन करने की कृपा करें। इन अभिलेखों में से प्रार्थना पत्र में गुमराह करने वाले तथ्य अंकित किये गये। प्रार्थना पत्र के पैरा 1 में लिखित तथ्य कि संस्था का नवीनीकरण अपरिहार्य कारणों, परिस्थितियों और दैवीय आपदाओं के कारण समय से नहीं कराया जा सका नवीनीकरण में जानबूझ कर किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं की गयी है नितान्त असत्य और भ्रामक है। सत्य यह प्रतीत होता है कि संस्था के पंजीकरण के बाद से ही कार्यालय पर अवैध रुप से कब्जा जमाये व्यक्तियों द्वारा पत्रकारों और संस्था के हित के नाम पर जनता से वसूले जा रहे धन की बंन्दरबाॅंट करने और संस्थापक एवं पंजीकृत प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों को दरकिनार करने से आहत संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति ने पंजीकरण के बाद से न तो कोई कार्य किया और न ही प्रबन्धकारिणी समिति के किसी भी पदाधिकारी/सदस्य ने किसी भी प्रपत्रों या अभिलेखों पर कोई हस्ताक्षर किये और न ही संस्था का नवीनीकरण कराया।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 13 का स्पष्टीकरण:- वर्तमान महामंत्री द्वारा उपनिबन्धक कार्यालय में प्रेषित पत्रावली में नवीनीकरण की इजाजत विलम्ब से मांगे जाने का कारण सारा शहर जानता है कि पूर्व पदाधिकारियों ने संस्था के उन्नयन के लिये एक भी ऐसा कार्य नहीं किया था। जिसे उनकी उपलब्धि माना जाए। यह तथ्य सर्वविदित है कि संस्था ही नहीं प्रेस क्लब का भवन, फर्नीचर व दीवारें तक तथाकथित संस्थापकों की गैरजिम्मेदाराना गतिविधियों से आहत थीं। शायद इसी का जवाब पत्रकारों ने बैलट के माध्यम से दिया जिसकी हताशा की परिणिति ऐसे अनेक आरोप व आरोपपत्र हैं।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 13 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 13 में अंकित तथ्यों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के स्थान पर जानबूझ कर यहां भी मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इसी बिन्दु में अंकित आरोप कि सारा शहर जानता है कि पूर्व पदाधिकारियों ने संस्था के उन्नयन के लिये एक भी ऐसा कार्य नहीं किया था। जिसे उनकी उपलब्धि माना जाए। यह तथ्य सर्वविदित है कि संस्था ही नहीं प्रेस क्लब का भवन, फर्नीचर व दीवारें तक तथाकथित संस्थापकों की गैरजिम्मेदाराना गतिविधियों से आहत थीं। उपरोक्त आरोप को प्रमाणित करने वाले कोई साक्ष्य संलग्न नहीं किये हैं, आहतों द्वारा कोई शिकायत किसी सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किये जाने का भी कोई प्रमाण संलग्न नहीं किया गया है। स्पष्ट है कि हमारे शपथ पत्र में अंकित तथ्यों के सही स्पष्टीकरण न प्रस्तुत कर पाने से आहत और हताश वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा अपने व अपने सहयोगियों पर लगे अपराध के आरोपों के जवाब में उपरोक्त आधारहीन, प्रमाणहीन आरोप पूर्व पदाधिकारियों पर लगाये जा रहे हैं। शपथ में अंकित हमारे कथन का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण न प्रस्तुत कर उन्होंने हमारे आरोपों को स्वयं स्वीकार कर लिया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने इस बिन्दु में लिखित स्पष्टीकरण मंे भ्रामक तथ्यों के अलावा कुछ भी अंकित नहीं किया है। हमारे शपथपत्र के बिन्दु 13 में लिखित तथ्यों/आरोपों का कोई स्पष्टीकरण न अंकित कर, आरोपों और तथ्यों को स्वयं स्वीकार कर लिया है, कि सत्य यह प्रतीत होता है कि संस्था के पंजीकरण के बाद से ही कार्यालय पर अवैध रुप से कब्जा जमाये व्यक्तियों द्वारा पत्रकारों और संस्था के हित के नाम पर जनता से वसूले जा रहे धन की बंन्दरबाॅंट करने और संस्थापक एवं पंजीकृत प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों को दरकिनार करने से आहत संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति ने पंजीकरण के बाद से न तो कोई कार्य किया और न ही प्रबन्धकारिणी समिति के किसी भी पदाधिकारी/सदस्य ने किसी भी प्रपत्रों या अभिलेखों पर न कोई हस्ताक्षर किये और न ही संस्था का नवीनीकरण कराया। उपरोक्त का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत न कर वर्तमान महामंत्री ने हमारे संदेह को ही बल प्रदान किया है।

14. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उक्त प्रार्थना पत्र के पैरा 2 में लिखित तथ्य कि संस्था का मूल प्रमाण पत्र फाइलों में कहीं गुम हो गया है भी नितान्त असत्य, भ्रामक और मनगढ़न्त है जो षणयंत्रपूर्वक संस्था का नवीनीकरण संस्थापक सदस्यों को दरकिनार कर कराये जाने के लिये गढ़ा गया है। अपने उपरोक्त षणयंत्र को बल देने के लिये मूल प्रमाण पत्र गुम होने का थानाध्यक्ष, थाना कोतवाली को संबोधित एक प्रार्थना पत्र प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य के फर्जी हस्ताक्षर से दिनांक 12.02.2013 को प्रस्तुत किया गया था उपरोक्त सम्बन्ध मे पूर्व में बिन्दु संख्या 5 में विस्तृत रुप से लिखा जा चुका है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 14 का स्पष्टीकरण:- पूर्व पदाधिकारियों के इशारे पर आरोपी द्वारा लगाया जा रहा यह आरोप माननीय उपनिबंधक को भ्रमित करने के इरादे से गढ़ा गया है। मूल प्रमाण के गुम होने होने को लेकर थाना कोतवाली में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र सच व सच्चे हस्ताक्षरों पर आधारित है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 14 में अंकित तथ्यों का सही स्पष्टीकरण वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के पास न होने के कारण पुरुषोत्तम द्विवेदी के हस्ताक्षरों में दिखायी देने वाली स्पष्ट भिन्नता को जानबूझ कर अनदेखी कर यहां भी मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 14 में अंकित तथ्य कि पूर्व पदाधिकारियों के इशारे पर आरोपी द्वारा लगाया जा रहा यह आरोप माननीय उपनिबंधक को भ्रमित करने के इरादे से गढ़ा गया है, उपरोक्त आरोप को प्रमाणित करने का भार स्वयं वर्तमान महामंत्री पर है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 14 में अंकित तथ्य कि मूल प्रमाण के गुम होने होने को लेकर थाना कोतवाली में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र सच व सच्चे हस्ताक्षरों पर आधारित है। उपरोक्त के सम्बन्ध में उन्होने दोनों हस्ताक्षर पुरुषोत्तम द्विवेदी के ही होने का कोई प्रमाण अथवा पुरुषोत्तम द्विवेदी का कोई शपथ पत्र कि दोनांे हस्ताक्षर उनके ही है, नहीं दिया गया, जिससे उनके लिखित तथ्य की स्पष्टीकरण की सत्यता स्वयं संदिग्ध है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने पत्रावली संख्या के-35369 के नवीनीकरण की अनुमति के लिये आपके समक्ष नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के संलग्नक क्रमांक 1 पर अंकित संस्था का मूल पंजीयन प्रमाणपत्र खो जाने सम्बन्धी एन.सी.आर की छायाप्रति भी संलग्न नहीं की है और थाना कोतवाली में दर्ज एन.सी.आर का जी0डी0 नं0 व समय भी अंकित नहीं किया है जिससे भी उनके लिखित स्पष्टीकरण की सत्यता स्वतः संदिग्ध है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 14 में अंकित तथ्यों का, इसी स्पष्टीकरण के बिन्दु में भ्रामक तथ्यों के अलावा कुछ भी अंकित नहीं किया है। हमारे शपथपत्र के बिन्दु 14 में लिखित तथ्यों/आरोपों का कोई स्पष्टीकरण न अंकित करने के कारण ऐसा प्रतीत होता है, कि हमारे शपथपत्र के बिन्दु 14 में लिखित तथ्यों/आरोपों का उनके पास कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण और प्रमाण नहीं हैं।

15. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उक्त प्रार्थना पत्र के पैरा 3 में लिखित तथ्य कि संस्था की प्रबन्धकारिणी समिति में जो भी परिवर्तन किये गये हैं वे सभी निर्धारित चुनाव प्रक्रिया द्वारा बैलट पेपर से हुए मतदान से साधारण सभा की बैठक में आम सहमति से हुए हैं। संस्था मे किसी प्रकार का कोई प्रबंधकीय विवाद नहीं है, यदि पाया जाये तो आप हमारा नवीनीकरण प्रमाण पत्र निरस्त कर दें हमे कोई आपत्ति न होगी। उपरोक्त कथन भी नितान्त असत्य, भ्रामक और मनगढ़न्त है जो षणयंत्रपूर्वक संस्था का नवीनीकरण संस्थापक सदस्यों को दरकिनार कर कराये जाने के लिये गढ़ा गया है। सत्य यह है कि अपने उपरोक्त कथन को बल प्रदान करने के लिये वर्तमान महामंत्री और उनके सहयोगियों ने कई फर्जी अभिलेख बनाये और उन्हें अपने एवं अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रमाणित कर उपनिबन्धक महोदय के कार्यालय में प्रस्तुत भी किया जबकि उन्हें ऐसा करने का कोई वैधानिक अधिकार इसलिये प्राप्त नहीं था क्यांेकि वर्ष 2011 - 2012 व 2012 - 2013 तक साधारण सभा का तो गठन ही नहीं किया गया था और वर्तमान प्रबंधकारिणी समिति को तब तक कोई वैधानिक अधिकार भी प्रस्ताव पारित करने अथवा परित प्रस्तावों को अपने हस्ताक्षरों से लागू कराने का नहीं था। शेष सारे सत्यों के विषय में पूर्व के बिन्दुओं में विस्तार से अंकित किया जा चुका है। उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपि की क्रमांक 6 व 7 पर संलग्न छायाप्रतियां अवलोकनार्थ संलग्न हैं जिनके साथ साधारण सभा की वर्ष 2011 - 2012 व 2012 - 2013 तक की कोई भी सूची इसलिए ही प्रदान नहीं की गयी है क्योंकी तब तक साधारण सभा का गठन ही नहीं किया गया था और साधारण सभा की कोई भी सूची उप निबन्धक कार्यालय में प्रबन्धकारिणी समिति की सूची के साथ जमा नहीं करायी गयी थी।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 15 का स्पष्टीकरण :- नवीनीकरण के पैरा 3 में लिखित तथ्य न तो भ्रामक हैं और न ही मनगढ़ंत है। महामंत्री व नयी कार्यकारिणी द्वारा प्रस्तुत अभिलेख न तो कूटरचित है और न ही किसी को धोखा देने के लिये प्रस्तुत किये गये है। इसके ठीक विपरीत वर्तमान कार्यकारिणी में पुरानी टीम की काली करतूतो को छिपाते हुए पत्रकारों की गरिमा की ही रक्षा ही की गयी है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 15 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 15 में अंकित तथ्यों का स्पष्टीकरण उनके पास न होने के कारण जानबूझ कर यहां भी मात्र भ्रमित करने का प्रयास किया है, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= वर्तमान महामंत्री ने मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 15 में अंकित तथ्य कि संस्था मे किसी प्रकार का कोई प्रबन्धकीय विवाद नहीं है, यदि पाया जाये तो आप हमारा नवीनीकरण प्रमाण पत्र निरस्त कर दें हमें कोई आपत्ति न होगी। उपरोक्त कथन भी नितान्त असत्य भ्रामक व मनगढ़ंत है जो षड़यंत्रपूर्वक संस्था का नवीनीकरण संस्थापक सदस्यों को दरकिनार कर कराये जाने के लिये गढ़ा गया है। वर्तमान महामंत्री ने संस्थापक प्रबन्धकारिणी से अपने विवाद को अपने इसी स्पष्टीकरण के इन बिन्दुओं में स्वयं स्वीकार किया है।
- बिन्दु 5 - विगत निर्वाचित कार्यकारिणी ने नियमों को धता बताते हुए एक दशक से अधिक समय तक पदेन बनाये रखा।
- बिन्दु 7 - जनपद के सभी पत्रकारों ने विधान को ठेंगा दिखते हुए सभी नियमों के प्रतिकूल पदों पर बने रहने व चुनाव न कराने की धांधली से आजिज आकर ही स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था।
- बिन्दु 13 - सारा शहर जानता है कि पूर्व पदाधिकारियों ने संस्था के उन्नयन के लिये एक भी ऐसा कार्य नहीं किया था। जिसे उनकी उपलब्धि माना जाये। यह तथ्य सर्वविदित है कि संस्था ही नहीं प्रेस क्लब का भवन, फर्नीचर व दीवारें तक तथाकथित संस्थापकों की गैरजिम्मेदाराना गतिविधियों से आहत थीं।
- बिन्दु 15 - इसके ठीक विपरीत वर्तमान कार्यकारिणी मे पुरानी टीम की काली करतूतों को छिपाते हुए पत्रकारों की गरिमा की रक्षा ही की है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण मंे अंकित उनके उपरोक्त बिन्दुओं के कथनों से ही स्पष्ट प्रमाणित है कि पूर्व प्रबन्धकारिणी समिति से उनके एक नहीं अनेकों गंभीर विवाद थे। उन्होने नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र की धारा 6 में सशपथ असत्य कथन किया था, कि संस्था मे किसी प्रकार का कोई प्रबन्धकीय विवाद नहीं है। आपके समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र की धारा 6 में सशपथ कथन कि यदि पाया जाये तो आप हमारा नवीनीकरण प्रमाण पत्र निरस्त कर दें हमें कोई आपत्ति न होगी। नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के शपथपत्र के आधार पर उनका नवीनीकरण प्रमाण पत्र तत्काल निरस्त किया जाने का आदेश पारित करना न्याय संगत व अति आवश्यक इसलिये है, क्योंकि उन्होने अपने इसी स्पष्टीकरण के बिन्दु 11 में यह लिखकर कि यदि कहीं कोई बेईमानी थी तो माननीय उपनिबन्धक महोदय व नवनिर्मित कार्यकारिणी को विधिक कार्यावाही के दायरे में लिया जाना चाहिये था। उपरोक्त के माध्यम से प्रकरण मे आपको भी संवैधानिक कार्यवाही के दायरे मे घसीटने का प्रयास किया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 15 में अंकित तथ्य कि वर्ष 2005 से 2013 तक साधारण सभा का तो गठन ही नहीं किया गया था। वर्तमान महामंत्री ने उपरोक्त तथ्य का कोई खण्डन इस बिन्दु में अंकित नहीं किया है और साधारण सभा के गठन का कोई प्रमाण भी उन्होनें नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत प्रपत्रों के साथ भी संलग्न नहीं किया है। नियमावली के आवश्यक अभिलेख में अंकित सदस्यता रजिस्टर भी प्रमाण स्वरुप आपके समक्ष प्रस्तुत नही किया गया है। उपरोक्त से यह स्पष्ट है कि साधारण सभा का कोई अस्तित्व नहीं था। साधारण सभा के बहुमत से पारित प्रस्तावों के प्रपत्र चुनाव के बाद नवीनीकरण के लिये इन पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों ने कपटपूर्वक धोखाधड़ी के इरादेे से कूट रचित ढं़ग से सृजित कर आपके समक्ष नवीनीकरण प्रमाणपत्र जारी कराने के लिये प्रस्तुत किये थे।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 15 में अंकित तथ्य कि वर्ष 2005 से 2013 तक की प्रबन्धकारिणी समिति जिनकी सूचियों को चुनाव के बाद अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रमाणित कर नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत प्रपत्रों के साथ प्रस्तुत किया था, पर तत्कालीन पदाधिकारियों और सदस्यों के हस्ताक्षर न होने तथा अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षर से आपके समक्ष प्रस्तुत करने का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण इस बिन्दु में अंकित नहीं किया है, जिससे भी स्पष्ट है कि नवीनीकरण कराने के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों ने कपटपूर्वक धोखाधड़ी के इरादेे से कूट रचित ढं़ग से सृजित किये थे।

16. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उपरोक्त सारी विसंगतियों के बाद भी उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज कानपुर मण्डल कानपुर ने नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत समस्त अभिलेखों पर मात्र वर्तमान प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के ही हस्ताक्षर होने पर कोई भी सवाल नहीं उठाया ? उन्होने वर्ष 2005 से 2013 तक निर्विरोध रुप से कार्यरत रही संस्थापक प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के 2013 तक के अभिलेखों पर भी हस्ताक्षर न होने पर भी कोई सवाल नहीं उठाया ? उन्होने नियमावली मे बिना संसोधन के प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों की संख्या मे विस्तार किये जाने पर भी कोई सवाल नहीं उठाया ? उन्होने 8 वर्षों से निर्विरोध रुप से कार्यरत किसी भी पदाधिकारी और सदस्य के चुनाव न लड़ने पर भी कोई सवाल नहीं उठाया ? उन्होने नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत समस्त अभिलेखों में वर्ष 2005 से 2013 तक निर्विरोध रुप से कार्यरत रही संस्थापक प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा चुनाव कराये जाने का कोई भी प्रस्ताव पारित न होने के बाद भी चुनाव कराये जाने पर कोई सवाल क्यों नहीं उठाया ? उन्होने 5 वर्ष से पहले वर्ष 2005 से 2013 तक निर्विरोध रुप से कार्यरत रही संस्थापक प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के विरुद्ध कोेई अविश्वास प्रस्ताव न पारित होने और न ही उनके द्वारा सामूहिक रुप से कोई त्यागपत्र न देने के बाद भी प्रबंधकारिणी समिति के लिये निर्धारित कार्यकाल 2015 से पूर्व चुनाव कराये जाने पर भी कोई सवाल क्यों नहीं उठाया ? आप धृतराष्ट्र क्यों हो गये ? किस स्वार्थ व दबाव में आपने संस्था का नवीनीकरण प्रमाण पत्र जारी कर दिया ?
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 16 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब का नवीनीकरण प्रमाणपत्र नियमानुसार जारी किया गया है। उसे अनुचित ठहराने वाले 2005 से 2013 तक आर्थिक घपलेबाजी, निष्क्रियता व कुर्सी पर अनुचित ढ़ंग से पदासीन रहने के दोषी है। अपने लम्बे एंव अवैध कार्यकाल की अनगिनत गतिविधियों हेतु शर्मशार होने की जगह छिपकर षड़यंत्ररत है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 16 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 16 में अंकित प्रश्नों का सही जवाब न दे पाने से हताश होकर अपनी खीझ मिटाने के लिये 2005 से 2013 तक के पदाधिकारियों पर जो आरोप लगाये हैं उनके कोई प्रमाण भी संलग्न नहीं किये हैं। उन्होने यह भी कहीं अंकित नहीं किया है कि 2005 से 2013 तक आर्थिक घपलेबाजी, निष्क्रियता व कुर्सी पर अनुचित ढ़ंग से पदासीन रहने के दोषी पदाधिकारियों की शिकायतें किन - किन अधिकारियों के समक्ष कब - कब प्रस्तुत की थी, और यदि नहीं की थी तो क्यों नहीं की थी। तत्कालीन पदाधिकारियों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव कब - कब कितने बार प्रस्तुत किया गया और कभी अविश्वास प्रस्ताव पारित भी किया गया अथवा नही, अंकित न करने के कारणों से ही उनका इस बिन्दु में अंकित स्पष्टीकरण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।

17. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उपरोक्त तथ्यों और संलग्न प्रमाणों से यह स्पष्ट है कि संस्था के वर्तमान महामंत्री ने अपने व अपने सहयोगियों को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराने के लिए कूट रचित प्रपत्र व अभिलेख बनाये और उन्हें अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से सत्यापित कर झूठे शपथपत्र के साथ संलग्न कर संस्था का  कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 नवीन मार्केट कानपुर नगर का नवीनीकरण उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज कानपुर मण्डल कानपुर को गुमराह कर कराया जो विधि सम्मत् न होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 17 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब के महामंत्री ने न तो कूटरचित अभिलेख बनाये और न ही झॅूठा शपथपत्र दिया तथा नवीनीकरण कराने हेतु किसी को भी गुमराह किया।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित का बिन्दु 17 में अंकित स्पष्टीकरण मात्र जवाब देने के लिये अंकित किया गया है, जिसके असत्य होने के बारे में तथ्यपरक ढ़ंग से उपरोक्त बिन्दुओं में विस्तार से लिखा जा चुका है, जिनके कारण इस बिन्दु में अंकित स्पष्टीकरण भी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।

18. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उपरोक्त तथ्यों और संलग्न प्रमाणों से यह भी स्पष्ट प्रमाणित है कि महामंत्री अवनीश दीक्षित ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर षड़यंत्रपूर्वक रचित सदस्यता सूची से मतदान कराकर संस्था की पंजीकृत नियमावली को अतिकृमित कर स्वयं व अपने सहयोगियों को मनचाहे पदों पर विधि विरुद्ध तरीके से निर्वाचित कराया और पंजीकृत स्मृति पत्र को भी अतिक्रमित कर कानपुर नगर के साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक तथा समाचार पोर्टलों के पत्रकारों को फर्जी पत्रकार कहकर अपमानित और प्रताणित कर मनचाही खबरें प्रकाशित कराने तथा न प्रकाशित कराने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया। इतना ही नहीं उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानपुर नगर को भी गुमराह कर यह आदेश जारी कराने का प्रयास किया कि जिन पत्रकारों के पास उनकी सदस्यता का परिचय पत्र नहीं है उन पत्रकारों को फर्जी माना जाये। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय ने सत्यता की जानकारी होने के बाद उनके द्वारा चाहा गया उपरोक्त आदेश जारी नहींें किया।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 18 का स्पष्टीकरण:- महामंत्री प्रेस क्लब पर सदस्यता सूची में फेरबदल कराने, विधिविरुद्ध निर्वाचन कराने, किसी भी कोटि के पत्रकारों को फर्जी बताने जैसे सारे आरोपी मनगढ़ंत है। रही पुलिस अधीक्षक द्वारा असली व नकली पत्रकारों को पहचान करने की बात, तो नगर प्रशासन व पुलिस को हर क्षण समाज के किसी भी वर्ग की असलियत की छानबीन करने का सर्वविदित अधिकार प्राप्त है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने बिन्दु 18 में भी हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 18 में अंकित स्पष्टीकरण मात्र औपचारिक है। जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
= इस बिन्दु में अंकित स्पष्टीकरण में कहीं भी वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने यह अंकित नहीं किया है कि उन्होनें साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक तथा समाचार पोर्टलों के पत्रकारों को प्रेस क्लब की सदस्यता चुनाव से पूर्व प्रदान कराने के लिये क्या प्रयास किये थे, जिससे स्वतः स्पष्ट है कि उनका स्पष्टीकरण असत्य है। साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक तथा समाचार पोर्टलों के उन पत्रकारों को जिन पर उन्हे संदेह था कि वे उनकी इच्छानुसार मतदान नहीं करेंगें उन्हे फर्जी कहकर प्रेस क्लब की सदस्यता प्रदान करने से रोकने के लिये ही अपनी काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त का सृजन किया था। उपरोक्त से भी यह स्पष्ट प्रमाणित है कि सदस्यता उनके अनुसार मतदान करने वालों को ही प्रदान की गयी थी।
= हमारे शपथपत्र में अंकित तथ्यों के इस बिन्दु में अंकित स्पष्टीकरण में कहीं भी वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने यह अंकित नहीं किया है, कि स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त दिनांक: 19.10.2012 के बिन्दु दो- निर्णय लिया गया कि उन दैनिक अखबारों को सदस्यता अभियान में शामिल किया जायेगा जिनका रजिस्ट्रेशन कम से कम 3 वर्ष पुराना है। बिन्दु तीन- सदस्यता के लिये प्रत्येक साथी को अपनी सैलरी स्लिप, कार्यालय से प्राप्त होने वाले चेकों की फोटोकापी अनिवार्य रुप से प्रस्तुत करनी होगी। नकद वेतन पाने वालों को विगत 3 माह के बाउचर्स की फोटोकापी देनी होगी। उपरोक्त निर्णय को नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत सदस्यता सूची पर हस्ताक्षर करने वाले वर्तमान पदाधिकारियों व सदस्यों ने अतिकृमित कर तीन वर्ष पुराने दैनिक समाचार पत्रों के स्थान पर एजेंसियों के 6 व टी0वी चैनलों के 51 पत्रकारों कोे किस अधिकार से सदस्यता प्रदान की, जबकि नियमावली के अनुसार सदस्यता केवल तत्कालीन अध्यक्ष और महांमत्री द्वारा ही दी जा सकती थी। स्पष्ट है कि सदस्यता सूची नियमावली को अतिकृमित कर बनाये जाने और तत्कालीन अध्यक्ष व महामंत्री के हस्ताक्षर न होने के कारण वैध नहीं थी। उपरोक्त से भी यह स्पष्ट प्रमाणित है कि सदस्यता उनके अनुसार मतदान करने वालों को ही प्रदान की गयी थी।
= हमारे शपथपत्र में अंकित तथ्य कि षड़यंत्रपूर्वक रचित मतदाता सूूची से मतदान कराकर स्ंवय अपने सहयोगियों को मनचाहे तरीकों से मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराये जाने का आरोप, इससे भी सत्य प्रमाणित होता है कि काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार जब 566 फार्म ही स्वीकृत किये गये, थे तो मतदाता सूची में अंकित 617 सदस्यों को सदस्यता कैसे दी गयी और उनके द्वारा किये गये मतदान से निर्वाचित पदाधिकारियों/सदस्यों को किस कारण और अधिकार से वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा आपके कार्यालय से पंजीकृत कराया, इसका भी कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण इस बिन्दु में नहीं अंकित किया गया है। उपरोक्त से स्वतः स्पष्ट है कि षड़यंत्रपूर्वक रचित मतदाता सूूची से मतदान कराकर स्ंवय अपने सहयोगियों को मनचाहे तरीकों से मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराये जाने का हमारा आरोप सत्य है।

19. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि अवनीश दीक्षित व उनके सहयोगी कानपुर नगर में अपने अपने समाचार पत्रों के हित और उन समाचार पत्रों में अपना महत्व बनाये रखने के लिए साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक तथा समाचार पोर्टलों के पत्रकारों को  फर्जी पत्रकार कहकर लगातार प्रताणित और अपमानित कर उनके कार्यों में विधि विरुद्ध ढं़ग से बाधा डाल रहेें है। इतना ही नहीं समाचार संकलन कें लिए थानों या उनके द्वारा संरक्षित स्थानों पर पहुॅंचने वाले पत्रकारों पर उनके सहयोगियों द्वारा फर्जी पत्रकार कहकर न केवल हमले किये जा रहे बल्कि उनकें विरुद्ध अपराधिक मुकदमें भी थानो में दबाव बनाकर कायम कराये जा रहे हैं। अवनीश दीक्षित और उनकें सहयोगियों के उपरोक्त कृत्यों से नगर के साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक तथा समाचार पोर्टलों के पत्रकारों को अपने दायित्वों के निर्वाहन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सभी आहत है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 19 का स्पष्टीकरण:- महामंत्री व उनके सहयोगी न तो किसी पत्रकार के काम में बाधा डाल रहे है, न हमले कर व करा रहे हैं और नहीं किसी पर कोई झूठा मुकदमा ही अब तक लिखवाया है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- स्पष्टीकरण मात्र आरोपों से बचने के लिये अंकित किया गया है जो असत्य है। कानपुर प्रेस क्लब, श्याम नगर के पदाधिकारियों पर कायम कराये गये एक मुकदमें की छायाप्रति प्रमाण स्वरुप संलग्न है। वर्तमान महामंत्री द्वारा कायम कराये गये इस मुकदमें में नामजद आरोपियों पर लगाये गये आरोप झूठे होने के कारण ही पुलिस ने अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की है। उपरोक्त से हमारा आरोप स्वतः ही सत्य प्रमाणित है।

20. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्रमांक 5 पर संलग्न काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के स्वहस्ताक्षरित कार्यवत्त के बिन्दु 1 और 2 मंे स्पष्ट अंकित है कि दैनिक समाचार पत्रों को सदस्यता अभियान में शामिल किया जायेगा उक्त कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर करने वालों में स्वयं अवनीश दीक्षित - ई0टी0वी व नीरज अवस्थी - सहारा समय के भी हस्ताक्षर है जो इलेक्ट्रानिक चैनलों से है। कार्यवृत्त के बिन्दु 1 व 2 के अनुसार उपरोक्त पत्रकार  कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर की सदस्यता के अधिकारी नहीं है। उपरोक्त सबके बाद भी न केवल सदस्यता आवेदन पत्र स्वीकार किया गया बल्कि उनका नामांकन पत्र भी स्वीकार किया गया और उन्हें मनचाहें पदों पर निर्वाचित भी घोषित किया गया। यह सब शायद इस लिए सम्भव हो सका क्योंकि फिल्मी स्टाइल में विधिविरुध और षड़यंत्रपूर्वक निर्वाचन और चयन की सारी प्रक्रिया की पटकथा और व्यवस्था स्वयं इन्हीं व्यक्तियों द्वारा सहयोगियों के साथ रची जा रहीं थी।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 20 का स्पष्टीकरण:- आरोप लगाने वाले नकारात्मक सोच रखने वाले प्रगतिविरोधी तत्व है। कभी केवल प्रिंट मीडिया था फिर इलेक्ट्रानिक जुड़ा और अब पोर्टल युग चल रहा है। ऐसे मे मीडिया परिवार के विस्तार की पूरी संभावनायें बनती है। जिसे इस वास्तविकता से परहेज है। उसे लोकतंत्र का सजग प्रहरी नहीं माना जा सकता है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के उपरोक्त कथन में हमारे शपथ पत्र के बिन्दु संख्या 20 में अंकित आरोपों का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत न करने तथा हमारे आरोपों को असत्य प्रमाणित करने वाले प्रमाण संलग्न करने के स्थान पर भ्रमित करने वाले तथ्य अंकित किये गये हैं। जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने इसमें भी उठाये गये हमारे सबसे बड़े सवाल, कि क्रमांक 5 पर संलग्न काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त के बिन्दु 1 व 2 मंे स्पष्ट अंकित है कि दैनिक समाचार पत्रों को सदस्यता अभियान में शामिल किया जायेगा। उक्त कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर करने वालों में स्वयं अवनीश दीक्षित - ई0टी0वी व नीरज अवस्थी - सहारा समय के भी हस्ताक्षर है जो इलेक्ट्रानिक चैनल से है। उनके ही स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त के बिन्दु 1 व 2 के अनुसार उपरोक्त पत्रकार कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर की सदस्यता के भी अधिकारी नहीं है। उपरोक्त सब के बाद भी न केवल सदस्यता आवेदन पत्र स्वीकार किया गया बल्कि उनका नामांकन पत्र भी स्वीकार किया गया और उन्हें मनचाहे पदों पर निर्वाचित भी घोषित किया गया। उपरोक्त का वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण  इस बिन्दु में अंकित नहीं किया है। काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त को अतिकृमित कर उन्हे प्रदान की गयी सदस्यता और महामंत्री के पद पर उनका निर्वाचन वैध होने का भी कोई कारण अंकित नहीं किया है। उपरोक्त आरोपों को असत्य प्रमाणित करने वाले कोई प्रमाण भी वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा संलग्न न किये जाने के कारण हमारा उपरोक्त आरोप स्वतः सत्य प्रमाणित है, कि यह सब शायद इसलिए सम्भव हो सका क्योंकि फिल्मी स्टाइल में विधिविरुध और षड़यंत्रपूर्वक निर्वाचन और चयन की सारी प्रक्रिया की पटकथा और व्यवस्था स्वयं इन्हीं व्यक्तियों द्वारा सहयोगियों के साथ रची गयी थी। हमारे शपथ पत्र के बिन्दु संख्या 20 में अंकित आरोपों का कोई खण्डन वर्तमान महामंत्री द्वारा न किये जाने तथा स्वंय अपने चैनल ई0टी0वी0 से वेतन पाने के प्रमाण संलग्न न किये जाने से यह भी स्पष्ट है कि आरोप उन्हे स्वयं भी स्वीकार हैं।
= वर्तमान महामंत्री का इसी बिन्दु में लिखित यह कथन कि कभी केवल प्रिंट मीडिया था फिर इलेक्ट्रानिक जुड़ा और अब पोर्टल युग चल रहा है। ऐसे मे मीडिया परिवार के विस्तार की पूरी सम्भावनायें बनती है। जिसे इस वास्तविकता से परहेज है। उसे लोकतंत्र का सजग प्रहरी नहीं माना जा सकता है। काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त 19.10.2012 के माध्यम से साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक और समाचार पोर्टलों तथा सोशल मीडिया और वेतन न पाने वाले पत्रकारों को कानपुर प्रेस क्लब की सदस्यता से वंचित कर अपने कथनानुसार उन्होने ही यह स्पष्ट स्वीकार किया है कि वर्तमान महामंत्री स्वयं ही लोकतंत्र के सजग प्रहरी नहीं है।

21. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि इस फिल्मी पटकथा के लेखन और निर्देशन पर तो यही कहावत सही बैठती है कि शातिर से शातिर अपराधी भी कहीं न कहीं कोई गलती कर पर कोई न कोई सुराग अवश्य छोड़ जाता है को सत्य प्रमाणित करते हुए कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 नवीन मार्केट कानपुर नगर को पत्रावली संख्या ज्ञ-35365 रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र संख्या 1086/2005-2006 दिनाॅकः 13.12.2005 के जारी होने के बाद से इसके नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत समस्त अभिलेखों पर केवल वर्तमान महामंत्री ने अपने व अपने सहयोगियों को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराने के लिए कूट रचित प्रपत्र व अभिलेख बनवाने के बाद उन्हें अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से सत्यापित कराकर झूठे शपथपत्र के साथ संलग्न कर नवीनीकरण के लिये उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज कानपुर मण्डल कानपुर के समक्ष प्रस्तुत किये।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 21 का स्पष्टीकरण:- अपराधी का मन संदेह का अड्डा होता है, चोर को हर झाड़ी में पुलिस का भय रहता है। स्वामी विवेकानन्द जी के यह शब्द पूर्व तथाकथित पदाधिकारियों व शिकायतकर्ताओ पर बिल्कुल फिट बैठते है। दो साल के लिये चुने गये थे। चंद षड़यंत्रकारी तत्व वर्षों तक कुर्सी पर कब्जा जमाये संस्था व पत्रकारों का शोषण करते रहे। नयी कमेटी के पदासीन होने के बाद जब पोल खुलने व इज्जत धुलने का भय सताने लगा तो अबोध व अज्ञानी लोगों को आगे करके नयी कार्यकारिणी पर असम्मानजनक टिप्पणियाॅ करने लगे।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के उपरोक्त स्पष्टीकरण के बिन्दु 21 में हमारे शपथ पत्र के बिन्दु संख्या 21 में अंकित आरोपों का युक्ति युक्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत न करने तथा हमारे आरोपों को असत्य प्रमाणित करने वाले प्रमाण संलग्न करने के स्थान पर भ्रमित करने वाले तथ्य अंकित किये गये हैं, जो निम्न कारणों से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने इसमें भी हमारे शपथपत्र के बिन्दु 21 मे अंकित तथ्यों का खण्डन करने अथवा स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के स्थान पर, इसी स्पष्टीकरण के बिन्दु संख्या 15 में अंकित अपने इस कथन, कि इसके ठीक विपरीत वर्तमान कार्यकारिणी में पुरानी टीम की काली करतूतो को छिपाते हुए पत्रकारों की गरिमा की ही रक्षा ही की गयी है, के विपरीत कथन किया गया है। उपरोक्त से प्रतीत होता है कि हमारे शपथपत्र के बिन्दु 21 मे अंकित तथ्यों का खण्डन करने अथवा स्पष्टीकरण न प्रस्तुत कर पाने से हताश वर्तमान महामंत्री ने पूर्व कार्यकारिणी को ही आरोपित कर दिया। पूर्व कार्यकारिणी पर लगाये गये आरोपों को प्रमाणित करने का भार स्वंय उन पर ही है। हमारे आरोपों का खण्डन न कर आरोपों को उन्होने स्वयं स्वीकार कर लिया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने हमारे शपथपत्र के बिन्दु 21 मे अंकित तथ्य कि इस फिल्मी पटकथा के लेखन और निर्देशन पर तो यही कहावत सही बैठती है कि शातिर से शातिर अपराधी भी कहीं न कहीं कोई गलती कर कोई न कोई सुराग अवश्य छोड़ जाता है। उपरोक्त को सत्य प्रमाणित करते हुए कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 नवीन मार्केट कानपुर नगर की पत्रावली संख्या K-35365 रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र संख्या 1086/2005-2006 दिनाॅकः 13.12.2005 के जारी होने के बाद से ही कार्यालय पर अवैध रुप से कब्जा जमाये व्यक्तियों द्वारा पत्रकारों और संस्था के हित के नाम पर जनता से वसूले जा रहे धन की बंन्दरबाॅंट करने और संस्थापक एवं पंजीकृत प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों को दर किनार करने से आहत संस्थापक प्रबन्धकारिणी समिति ने पंजीकरण के बाद से कोई कार्य नही किया, किसी भी प्रपत्रों या अभिलेखों पर कोई हस्ताक्षर भी नही किये, और संस्था का नवीनीकरण भी नही कराया। संस्था पर कब्जा किये बैठे वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित व उनके सहयोगियों ने नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत समस्त अभिलेखों पर अपने व अपने सहयोगियों को मनचाहे पदों पर निर्वाचित कराने के लिए कूट रचित प्रपत्र व अभिलेख बनवाने के बाद उन पर अपने व अपने सहयोगियों के ही हस्ताक्षर कराकर झूठे शपथपत्र के साथ संलग्न कर नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत किये थे। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने हमारे उपरोक्त आरोपों का कोई खण्डन नहीं किया है और न ही आरोपों को असत्य प्रमाणित करने वाले कोई साक्ष्य ही संलग्न किये हैं। उपरोक्त कारण से यह स्वतः स्पष्ट है कि हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 21 में अंकित आरोप सत्य है और उन्हे स्वीकार्य हैं।

22. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि उपरोक्त परिस्थितियों में यह न्यायोचित है कि सूचना संकलन के लिए पुलिस के किसी भी कार्यालय में आये पत्रकार को प्रेस क्लब के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य के कहने पर फर्जी न माना जाये। पत्रकार द्वारा अपना परिचय पत्र दिखाने के बाद भी सम्बन्धित अधिकारी को कोई सन्देह हो तो उक्त अधिकारी, उसके सम्पादक से फोन पर वार्ता कर सत्यता की जानकरी कर लें। थानों में उपस्थित पुलिस अधिकारी के समक्ष यदि प्रेस क्लब के पदाधिकारी या सदस्य वहा आये किसी भी पत्रकार पर फर्जीे होने का आरोप लगाकर हमला करते है तो थाने पर उपस्थित पुलिस अधिकारी व कर्मचारी उस पत्रकार को पूरी सुरक्षा प्रदान करना सुनिश्चित करें। प्रेस क्लब के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य अथवा उनके द्वारा प्रेरित किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी पत्रकार को फर्जी कहकर  थाने में कोई मुकदमा पंजीकृत कराने का यदि प्रयास किया जाता है तो उसे कम से कम पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी के संज्ञान में लाकर सम्बन्धित अधिकारी की अनुमति के बाद ही दर्ज किया जाये।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 22 का स्पष्टीकरण:- शहर में बढ़ते फर्जी पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिये वर्षों पुरानी व्यवस्था प्रचलित है कि प्रेस क्लब अथवा सम्बद्ध आरोपी के बैनर हेड से मौके पर मात्र स्पष्टीकरण मांगा जाता है। यही प्रणाली अब भी कारगर है। अपवाद स्वरुप किसी प्रकरण में कुछ अतिरेक हो गया हो तो उसे लेकर इस प्रतिष्ठि संस्था पर आरोप लगाना शिकायतकर्ता के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का परिचायक है। जहंा फर्जी पत्रकार पर मुकदमा लिखाने का प्रश्न है तो यह कार्य बिना किसी पुलिस अधिकारी की जानकारी के बगैर असम्भव है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 22 मे लिखित कथन को आंशिक रुप मे घुमा फिराकर ही सही स्वीकार तो किया, फिर भी मेरा कथन निम्नवत है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इसी बिन्दु में अंकित स्पष्टीकरण में कथन कि शहर में बढ़ते फर्जी पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिये वर्षों पुरानी व्यवस्था प्रचलित है कि प्रेस क्लब अथवा सम्बद्ध आरोपी के बैनर हेड से मौके पर मात्र स्पष्टीकरण मांगा जाता है। उपरोक्त कथन के प्रमाण में महामंत्री ने यह नहीं अंकित किया है कि प्रेस क्लब की पंजीकृत नियमावली तथा स्मृति पत्र की किस धारा, या किसके आदेश से प्रेस क्लब के पदाधिकारी और सदस्य, पत्रकारों से स्पष्टीकरण माॅगते है, उन्हें थानेदार की तरह चैकिंग करने का अधिकार किसने दिया। उपरोक्त का कोई प्रमाण संलग्न न कर उन्होने हमारे ही आरोपों को ही बल प्रदान किया और स्वीकार भी किया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इसी स्पष्टीकरण के बिन्दु 22 में अंकित कथन कि शहर में बढ़ती फर्जी पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिये वर्षों पुरानी व्यवस्था व प्रचलित प्रणाली किसके आदेश से, कब लागू की गयी थी, यह अंकित नहीं किया है। व्यवस्था लागू करने के लिए प्रेस क्लब को अधिकृत किये जाने का कोई प्रमाण भी संलग्न नहीं किया है। थानेदार की तरह प्रेस लिखे वाहनों की चैकिंग अवैध रुप से करने की वर्षों पुरानी व्यवस्था को तो उन्होंने स्वयं ही स्वीकार कर लिया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा प्रेस क्लब के सदस्यों को जो परिचय पत्र जारी किये जाते है उनमें कहीं भी अंकित नहीं होता है कि वे किस समाचार पत्र, पत्रिका अथवा चैनल के पत्रकार है केवल प्रेस क्लब का सदस्य होने से ही कोई भी व्यक्ति स्वयं को पत्रकार कहकर किसी भी पत्रकार की चैकिंग कर उससे स्पष्टीकरण कैसे माॅग सकता है और उसके द्वारा वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के अनुसार ही किसी प्रकरण में कुछ अतिरेक हो जाता है, तो उसका जिम्मेदार यदि प्रेस क्लब नहीं है तो और कौन है ? उपरोक्त के सम्बन्ध में कुछ भी अंकित न कर यह स्वीकार किया है कि हमारे आरोप सत्य है।
= उपरोक्त कारणों से ही शपथपत्र के इस बिन्दु में लिखित तथ्य अंकित कर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की जानकारी और पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान किये जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिनाॅक: 15.06.2015 के साथ संलग्न शपथ पत्र की प्रतिलिपियों को आवश्यक आदेश पारित करने के लिए प्रेषित किये गये थे।

23. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि कूटरचित प्रपत्रों द्वारा कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 नवीन मार्केट कानपुर नगर पर षड़यंत्रपूर्वक कब्जा किये अवनीश दीक्षित व उनके सहयोगियों के उपरोक्त अपराधिक कृत्यों की पूरी जाॅच करायी जाये और जाॅच पूरी होने अथवा अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियांे द्वारा अपने वैध निर्वाचन प्रक्रिया के द्वारा उन्हें उनके पदों पर वैध रुप से निर्वाचित किये जाने के प्रमाण प्रस्तुत करने तक कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर के पदाधिकारियों के रुप में उनकी गतिविधियों पर रोक लगायी जाये तथा उपरोक्त संस्था के कार्यालय में उनका प्रवेश प्रतिबन्धित किये जाने का आदेश पारित किया जाना समर्पित पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने के लिए और न्याय हित में अत्यन्त आवश्यक है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 23 का स्पष्टीकरण:- वर्तमान महामंत्री पर कभी किसी प्रकार का अपराधिक आरोप नहीं रहा है। यदि ऐसा होता तो षड़यंत्रकारी तत्व अबतक पाताल में छेद कर के सबूत निकाल लाये होते। जहाॅ तक जीवन वृत की जाॅच कराये जाने व पद पर रहते हुए जाॅच प्रक्रिया को प्रभावित करने का सवाल है तो ऐसे आरोप लगाने वाले हर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है आरोप लगाने वाले व परदे के पीछे साजिशे रचने वाले पूरी जिन्दगी जिस घर मे पलकर बड़े हुए उसमे ताला बन्दी कराने तथा कन्ट्रोलर बिठाये जाने जैसी ओछी सोच रखते है। उनके इस आरोप से समग्र पत्रकार समाज छुब्ध है।
महामंत्री का स्पष्टीकरण स्वीकार न किये जाने का कारण:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के उपरोक्त कथन को स्पष्ट करने और उसकी व्याख्या करने का भार स्वयं उन पर ही है। उनके इस बिन्दु के लिखित कथन के सम्बन्ध में मेरा पक्ष निम्नवत् है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने 2005 से 2013 तक की प्रबन्धकारिणी समिति की सूचियों और आय - व्यय की सूचियों में जिन्हें वर्तमान महामंत्री और उनके सहयोगियों ने अपने - अपने हस्ताक्षरों से प्रमाणित कर नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष प्रस्तुत किया था, उन पर संस्थापक पदाधिकारियों और सदस्यों के हस्ताक्षरों के स्थान पर, अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत करने का कोई युक्ति युक्त स्पष्टीकरण अथवा तर्कसंगत और विधिसम्मत् कारण भी उन्होने अंकित नहीं किया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत 2005 से 2013 तक की आय - व्यय की सूचियों में अंकित विगत आठ वर्ष के आय - व्यय की जानकारी का स्त्रोत भी स्पष्ट नहीं किया है, क्योंकि वर्तमान कार्यकारिणी तो दिसम्बर 2013 के चुनाव के बाद अस्तित्व में आयी थी।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत 2005 से 2013 तक की आय व्यय की सूचियों में अंकित विवरण की पुष्टि के लिए नियमावली में अंकित आवष्यक अभिलेख संस्था की कैषबुक को भी प्रस्तुत नहीं किया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत 2005 से 2012 तक की आय व्यय की सूचियों में वार्षिक आय व्यय 7000 से 8000 रु0 के मध्य ही दर्शाया है जो लगभग 600 से 700 रु0 मासिक से अधिक नहीं होता हैैै। इतने कम रुपयो में संस्था का खर्च कैसे चलाया गया यह भी अत्यन्त संदिग्द्ध है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत 2005 से 2013 तक की आय व्यय की सूचियों में बिजली का मीटर लगवाये जाने का कोई व्यय और बिजली का मासिक बिल अदा किये का कोई विवरण भी अंकित नही किया है। जिससे स्वतः स्पष्ट है कि संस्था के कार्यालय में या तो बिजली का मीटर नही लगा है अथवा विगत 8 वर्षों में बिजली का कोई बिल नहीं दिया गया है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नवीनीकरण के बाद से भी बिजली का मीटर लगवाये जाने का कोई व्यय और बिजली का मासिक बिल अदा किये का कोई विवरण भी अंकित नही किया है। कार्यालय यदि किराये का है, तो किराये की रसीदें और यदि संस्था के स्वामित्व में है, तो कार्यालय का हाउस टैक्स, वाटर टैक्स और सीवर टैक्स जमा करने के उनके इसी स्पष्टीकरण के साथ क्रमांक 2 पर संलग्न सूचना के बिदु 4 में अंकित सूचना कि सोसा0पंजी0अधि0 1860 की धारा 4 के अभिलेख वर्षवार प्रबन्धसमिति की सूचियाॅ, वित्तीय अभिकथन प्रेषित किये जाने का प्रविधान है। उपरोक्त के अनुसार विगत 2 वर्षों का कोई विवरण यदि आपको प्रेषित नही किया गया है, तो भी यह स्वतः सपष्ट है कि वर्तमान महामंत्री सोसा0पंजी0अधि0 1860 की धारा 4 की अवहेलना वित्तीय अनियमितताओं को छुपाने के लिये कर रहे है।
= मेरे शपथ पत्र के बिन्दु 23 में अंकित कथन कि कूटरचित प्रपत्रों द्वारा कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 नवीन मार्केट कानपुर नगर पर षड़यंत्रपूर्वक कब्जा किये वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित व उनके सहयोगियों के उपरोक्त अपराधिक कृत्यों की पूरी जाॅच करायी जाये और जाॅच पूरी होने अथवा अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियांे द्वारा वैध निर्वाचन प्रक्रिया के द्वारा उन्हें उनके पदों पर निर्वाचित किये जाने के प्रमाण प्रस्तुत करने तक कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर के पदाधिकारियों के रुप में उनकी गतिविधियों पर रोक लगायी जाये तथा उपरोक्त संस्था के कार्यालय में उनका प्रवेश प्रतिबन्धित किये जाने का आदेश पारित किया जाना समर्पित पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने और न्याय हित में अत्यन्त आवश्यक है। मेरा कथन प्रमाणों और तथ्यों पर आधारित हैं। वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगी अपने - अपने निर्वाचन की वैधता को अब तक प्रमाणित नही कर पाये है। पूर्व प्रबन्धकारिणी समिति के लापता होने और वर्तमान कार्यकारिणी के असंवैधानिक होेने के कारण प्रेस क्लब के कार्यालय पर नियंत्रण का वैधानिक निर्णय स्वयं आपको लेना है।
= वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित ने नवीनीकरण के लिए सदस्यता सूची को वैध प्रमाणित करने के लिए अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षर कराकर आपके समक्ष प्रस्तुत की थी। यदि वास्तव में ही सूची चुनाव से पहले बनायी गयी थी, तो उसको प्रमाणित करने के लिए नियमावली में आवश्यक अभिलेख शीर्षक पर अंकित सदस्यता रजिस्टर जिसमे तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री ने सदस्यता को अपने - अपने हस्ताक्षरों से प्रमाणित किया हो, को भी आपके समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। उपरोक्त कारण से सदस्यता सूची के भी कूटरचित होने के हमारे संदेह को ही बल मिलता है।

24. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि शपथकर्ता को यह नहीं मालूम कि यह शिकायत कर वह अपने लिए कितनी मुसीबतों को दावत देने जा रहा है क्योंकि दिनाॅक : 07.06.2014 को उपरोक्त लोगों के फिल्मी षड्यंत्र की अपने एस.आर.न्यूज पोर्टल पर पोल खोलने के बाद से शपथकर्ता को विभिन्न माध्यमों से तमाम प्रकार की धमकियां उसे व उसके परिवार को बर्बाद करने के लिए दी जा रही थी। दिनाॅक: 14.06.2015 को एस.आर.न्यूज पोर्टल पर पोलखोल भाग - 2 के बाद से फिर से विभिन्न माध्यमों से धमकियों का सिलसिला जारी है। शपथकार्ता को नहीं मालूम कि इस शिकायत के बाद शपथकार्ता अपना बयान देने के लिए जीवित रहेगा अथवा नहीं फिर भी साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, समाचार पोर्टल और सोशल मीडिया के सच्चाई को उजागर करने के लिए समर्पित पत्रकारों के हित में शपथकार्ता सशपथ अपना लिखित बयान साक्ष्यों सहित इस आशा में प्रेषित कर रहा है कि कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर पर अवैध रुप से फिल्मी स्टाल में कराये गये निर्वाचन के माध्यम से काबिज लोगों को उनके अपराधिक कृत्य की ऐसी सजा मिलेगी कि दूसरा कोई पत्रकारिता की आड़ में ऐसा अपराध करने का दुस्साहस शायद फिर नहीं करेगा।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 24 का स्पष्टीकरण:- शिकायतकर्ता शपथकर्ता व घटिया सजिश के सूत्राधार चंद हताश लोग प्रेस क्लब के निर्वाचित व सम्मानित पदाधिकारियों को फिल्मी अपराधी व दुस्साहसी बताकर अपनी खीज मिटा रहे है। रही सच्ची पत्रकारिता व सच के लिये लड़ने की बात तो बीता समय इस बात का गवाह है कि वे सच के लिये कब और कहॅा और कितना जूझे है ?
महामंत्री के स्पष्टीकरण के सम्बन्ध में हमारा जवाब:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इस बिन्दु में अंकित उपरोक्त स्पष्टीकरण के आशय और उद्देश्य तथा आरोपों को प्रमाणित करने का भार स्वंय उनका है। हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 24 मंे अंकित मेरा बयान तथ्यों, प्रमाणों और प्रत्यक्ष एंव परोक्ष रुप से मुझे दी गयी धमकियों पर आधारित है। शपथ पत्र में मेरे बयान की जंाच कर वैधानिक कार्यवाही हेतु मैने अपने प्रार्थना पत्र दिनांक: 15.06.2015 के साथ संलग्न शपथपत्र व प्रमाण संलग्न कर वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी प्रेषित किये थे, जिनकी जंाच सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा की जा रही है।

25. शपथपत्र में हमारा लिखित कथन:- यह कि यदि शपथकर्ता के साथ शपथकर्ता का बयान दर्ज करने से पूर्व यदि शपथकर्ता या शपथकर्ता के परिजानों के साथ कोई अनहोनी हो जाये और शपथकार्ता अपना बयान दर्ज कराने में असमर्थ हो या इस दुनिया में ही ना हो तो नीरज अवस्थी व अवनीश दीक्षित तथा उनके प्रेस क्लब के सहयोगियों को शपथकर्ता के साथ हुई किसी भी प्रकार की अनहोनी का जिम्मेदार मानते हुए, इस शपथपत्र में लिखित कथन को ही शपथकर्ता का अंतिम बयान माना जाये और संलग्न प्रमाणों के आलोक में कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। उपरोक्त आशा में ही शपथकर्ता सशपथ बयान प्रेषित कर रहा है।
वर्तमान महामंत्री द्वारा बिन्दु 25 का स्पष्टीकरण:- प्रेस क्लब के महामंत्री व मंत्री सहित सम्पूर्ण कार्यकारिणी को शिकायतकर्ता व उनके शातिर दिमाग लोगो से जानमाल का खतरा है, लिहाजा उपनिबंधक व जिला प्रशासन से हमे सुरक्षा प्रदान करें।
महामंत्री के स्पष्टीकरण के सम्बन्ध में हमारा जवाब:- वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के इस बिन्दु में अंकित उपरोक्त कथन अपने बचाव व पेशबन्दी के लिये अंकित किया गया है जिस पर निर्णय स्वयं आपको लेना है। हमारे शपथ पत्र के बिन्दु 25 मंे भी अंकित मेरा बयान तथ्यों, प्रमाणों और प्रत्यक्ष एंव परोक्ष रुप से मुझे दी गयी धमकियों पर आधारित है। इस बिन्दु में मेरे बयान की जंाच कर वैधानिक कार्यवाही हेतु मैने अपने प्रार्थना पत्र दिनांक: 15.06.2015 के साथ संलग्न शपथपत्र व प्रमाण संलग्न कर वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी प्रेषित किये थे, जिनकी जांच सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा की जा रही है।

संलग्नकों के सम्बन्ध में -
= वर्तमान महामंत्री के स्पष्टीकरण के साथ संलग्नक क्रमांक 1 मेरे ही शपथपत्र की छायाप्रति है, जिसे संलग्न करने का उद्देश्य व कारण स्पष्ट नहीं है।
- वर्तमान महामंत्री के स्पष्टीकरण के साथ संलग्नक क्रमांक 2 पर संलग्न आपके कार्यालय से आपके ही हस्ताक्षर से जारी पत्र जो किसी सुनील कुमार के नाम पर मेरे प्रशासनिक कार्यालय के पते पर प्रेषित की गयी सूचना वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित को किस माध्यम से ? कैसे ? और कहाॅ से प्राप्त हुआ ? तथा सूचना आप द्वारा प्रेषित भी की गयी है अथवा नहीं ? उपरोक्त प्रश्नो के जब तक उत्तर न मिल जाये तब तक मैं उसके सम्बन्ध में कोई भी जवाब न देने के लिये बाध्य न होने के बाद भी निम्न जवाब देना चाहता हूं।
- संलग्नक क्रमांक 2 को वर्तमान महामंत्री ने किस उद्देश्य से संलग्न किया है और प्रश्नगत प्रकरण से इसका क्या सम्बन्ध है, यह स्पष्ट नहीं है।
- संलग्नक क्रमांक 2 के बिन्दु 5 जिसे अण्डर लाइन किया गया है के सम्बन्ध में मेरा कथन है कि किसी भी सरकारी कार्यालय अथवा एन0जी0ओ0 ( क्योंकि एन0जी0ओ0 भी सरकारी व जनता के धन से संचालित होते हैं ) में की गयी किसी भी अनियमितता, भ्रष्टाचार अथवा अपराध की प्रमाणों के आधार पर शिकायत भारत का कोई भी नागरिक एक व्हिसिल ब्लोअर की तरह कर सकता है, भारतीय संविधान में व्हिसिल ब्लोअर की शिकायत पर संलग्न प्रमाणों के आलोक में यदि सम्बन्धित अधिकारी न्यायोचित निर्णय नहीं करता है तो व्हिसिल ब्लोअर, सेन्ट्रल विजिलेन्स कमीशन भारत सरकार अथवा माननीय उच्च न्यायालय में अपनी शिकायत प्रमाणों सहित प्रस्तुत कर न्यायोचित आदेश परित किये जाने का अनुरोध कर सकता है। इस प्रकरण में तो संस्था के नियमों के साथ ही जाली प्रपत्र भी धोखाधड़ी के इरादे से बनाये जाने के कारण विधि का भी उलंघन हुआ है। उपरोक्त कारण से व्हिसिल ब्लोअर का शिकायत करने का अधिकार बिन्दु संख्या 5 में अंकित सूचना से बाधित नहीं होता है।
- संलग्नक क्रमांक 2 के बिन्दु 7 जिसे अण्डर लाइन किया गया है के सम्बन्ध में मेरा कथन है कि जब संस्था के नवीनीकरण होने या न होने से संस्था की वैधता/अवैधता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तो वर्तमान महामंत्री ने नवीनीकरण के लिए आपके समक्ष अपने व अपने सहयोगियों के हस्ताक्षरों से प्रस्तुत 2005 से 2013 तक की प्रबन्धकारिणी समिति की सूचियों में अंकित पदाधिकारियों व सदस्यों के विरुद्ध नियमावली के क्रमांक 5 पर सदस्यता की समाप्ति शीर्षक के बिन्दु 3 के अनुसार अपने स्पष्टीकरण में अंकित संस्था के प्रति तमाम हानिकारक कार्य करने के तमाम आरोपों के लिये उपरोक्त शीर्षक के ही बिन्दु 5 में अंकित नियम के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लाकर पारित कराने से पूर्व नियमावली के प्रष्ठ 2 के क्रमांक 7 पर कार्यकाल शीर्षक मंे अंकित कि प्रबन्धकारिणी समिति का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा को अतिकृमित कर 2015 से पूर्व 2013 में करायी गयी चुनावी प्रक्रिया और स्वहस्ताक्षरित चुनाव परिणाम कैसे वैध हो सकते हैं।

= वर्तमान महामंत्री के स्पष्टीकरण के साथ संलग्नक क्रमांक 3 जो उनके कथनानुसार कानपुर प्रेस क्लब चुनाव का कार्यवृत्त है के सम्बन्ध में मेरा कथन निम्नवत् है।
- वर्तमान स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त के पैरा 1 में अंकित का कथन कि वर्ष 2002 में ( कानपुर प्रेस क्लब ) की चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हुई थी। जिसमें नामांकन 14 जुलाई 2002 को हुए थे, इन चुनावों का 2005 में पंजीकृत संस्था और उसके नवीनीकरण के प्रश्नगत प्रकरण से सम्बन्ध को स्पष्ट करने का भार वर्तमान महामंत्री पर ही है।
- वर्तमान स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित स्वहस्ताक्षरित कार्यवृत्त में वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के नाम केवल अपनी अवैधानिक चुनाव प्रक्रिया और स्वनिर्मित चुनाव परिणामों को बल प्रदान कर भ्रमित करने के लिये अंकित किये गये है। कार्यवृत्त में अंकित किसी भी व्यक्ति अथवा अधिकारी के हस्ताक्षर इस पर न होने से इसकी सत्यता स्वयं संदिग्ध है।
- कार्यवृत्त के पैरा 1, 2 व 3 मे लिखित कथन को प्रमाणित करने वाले कोई भी साक्ष्य वर्तमान महामंत्री ने कार्यवृत्त के साथ संलग्न नहीं किये हैं इसलिये उनमें अंकित तथ्यों को प्रमाणित करने का भार स्वयं उन पर ही है।
- कार्यवृत्त के पैरा 2 में वर्तमान महामंत्री का अकिंत कथन कि वर्ष 2013 के चुनाव में बतौर चुनाव अधिकारी वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक जागरण के सम्पादकीय प्रभारी रहे श्री भूपेन्द्र तिवारी थे एवं चुनाव समिति में श्री तिवारी के अलावा वरिष्ठ पत्रकार डा. बी.एन. सिंह एवं वरिष्ठ पत्रकार डा. हरि नारायण मिश्र शामिल थे। इसलिये असत्य प्रतीत होता है क्योंकि किसी भी चुनाव समिति के गठन की कार्यवाही का उल्लेख महामंत्री के स्पष्टीकरण के किसी भी बिन्दु में अंकित नहीं है। चुनाव समिति के गठन की कार्यवाही का कोई भी प्रपत्र नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। चुनाव समिति द्वारा चुनाव कराने के लिये जारी किसी कार्यवृत्त का कोई भी प्रपत्र नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। कार्यवृत्त का उल्लेख महामंत्री के स्पष्टीकरण के किसी भी बिन्दु में अंकित नहीं है। नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत चुनाव  परिणाम के प्रपत्रों पर भी श्री भूपेन्द्र तिवारी व डा. बी.एन.सिंह एवं डा. हरि नारायण मिश्र के हस्ताक्षर भी नहीं हैं। कार्यवृत्त में अंकित उपरोक्त कथनों की सत्यता को प्रमाणित करने वाले कोई साक्ष्य संलग्न न होेने से उक्त कथन असत्य प्रतीत होने के साथ ही यह भी प्रमाणित करते है कि स्वहस्ताक्ष्रित चुनाव परिणाम स्वयं व अपने सहयोगियों को निर्वाचित दर्शानें के लिये धोखधड़ी के इरादे से इस पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही सृजित किये गये थे।
- कार्यवृत्त के पैरा 4 में वर्तमान महामंत्री का अकिंत कथन कि वर्ष 2013 के चुनाव में मतदान एवं मतगणना के दौरान अपर जिलाधिकारी अविनाश सिंह, तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट इन्द्रपाल उत्तम, अपर नगर मजिस्ट्रेट योगेन्द्र कुमार, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल चैधरी सहित तत्कालीन क्षेत्राधिकारी कोतवाली रोहित मिश्र, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा पवित्र मोहन त्रिपाठी, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी कलक्टर गंज राघवेन्द्र सिंह यादव समेत सभी अधिकारी मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने तक मौजूद रहे थे। उनके उपरोक्त कथन को प्रमाणित करने वाले कोई भी साक्ष्य कार्यवृत्त के साथ संलग्न नहीं हैं, इसलिये अपने उपरोक्त कथन को प्रमाणित करने का भार स्वयं उन पर है। महामंत्री का कथन कि वर्ष 2013 के चुनाव में मतदान एवं मतगणना के दौरान उपरोक्त अधिकारी उपस्थित रहे थे, उनके इसी पैरा में लिखित अपने कथन में स्वयं स्वीकार किया है कि सभी अधिकारी मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने तक मौजूद रहे थे, स्पष्ट कि मतगणना उपरोक्त अधिकारियों के समक्ष और उनके पर्यवेक्षण में नहीं हुई थी। नवीनीकरण के समय आपके समक्ष प्रस्तुत चुनाव के परिणाम सम्बन्धी प्रपत्रों पर भी उपरोक्त अधिकारीयों के हस्ताक्षर न होनेे से यह भी स्पष्ट है कि महामंत्री का इस बिन्दु मे लिखित कथन निर्वाचन प्रक्रिया और परिणाम के बल देने के लिये जान बूझकर असत्य अंकित किया गया है।
ऽ कार्यवृत्त के पैरा 3 में वर्तमान महामंत्री का अकिंत कथन कि कार्यकारिणी सदस्य रहे पुरुषोत्तम द्विवेदी ने 2013 में मंत्री पद हेतु तथा पैरा 4 में मतदान प्रक्रिया निष्ठाभाव से पूर्ण कराने में पूर्व अध्यक्ष (कानपुर प्रेस क्लब) अनूप बाजपेई व महामंत्री (कानपुर प्रेस क्लब) कृष्ण कुमार त्रिपाठी सहित अन्य कार्यकारिणी के लोगों की प्रमुख सक्रियता रही थी। नवीनीकरण के समय आपके समक्ष वर्तमान महामंत्री व उनके सहयोगियों के अपने - अपने हस्ताक्षरों से प्रस्तुत सभी प्रपत्रों पर उपरोक्त सभी 2005 से 2013 तक के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी के लोगों के हस्ताक्षर न होने से भी यह स्वतः सपष्ट है कि सभी प्रपत्र चुनाव के काफी समय बाद मनमाने तरीके से धोखधड़ी के इरादे से बनाये गये थे। पूर्व पदाधिकारियों के समक्ष उक्त प्रपत्र धोखाधड़ी का प्रयास असफल हो जाने के डर से हस्ताक्षरों के लिये न तो प्रस्तुत किये गये थे ना ही उनके संज्ञान में लाये गये थे। स्वतः स्पष्ट है कि नवीनीकरण के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत समस्त प्रपत्र जानबूझ कर धोखाधड़ी के इरादे से बनाये गये थे। इसलिये ही उन प्रपत्रों पर 2005 से 2013 तक के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं हैं।
- कार्यवृत्त के पैरा 3 में वर्तमान महामंत्री का अकिंत कथन कि संस्था के नवीनीकरण के दौरान ही वर्तमान कमेटी के पदाधिकारियों को एक मुख्य तथ्य संज्ञान में आया कि पूर्व कमेटी द्वारा वर्ष 2005 में संस्था का नव पंजीकरण कराया जबकि प्रेस क्लब संस्था सन् 1963 से ही पंजीकृत थी। महामंत्री का उपरोक्त कथन यदि सत्य है तो समान नाम से पंजीकृत संस्था कानपुर प्रेस क्लब श्याम नगर के निरस्तीकरण की तरह ही 2005 में पंजीकृत संस्था कानपुर प्रेस क्लब के नवीनीकरण के साथ ही पंजीयन प्रमाण पत्र को भी समान कारणों के आधार पर आप द्वारा निरस्त किया जाना अति आवश्यक है, ताकि वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा अपने स्पष्टीकरण के बिन्दु 11 में बेईमानी के लिये आपको भी विधिक कार्यवाही के दायरे में लिये जाने के लिये पुनः न लिखना पड़े।

प्रकरण के निस्तारण हेतु विचारणीय बिन्दु -
1. 2015 से पूर्व 2013 में चुनाव कराये जाने और चुनाव समिति, चुनाव अधिकारी व चुनाव समिति के सदस्यों, स्क्रीनिंग कमेटी, स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन व सदस्यों, की नियुक्ति किये जाने तथा नियमावली में अंकित नियमों विनियमों में संशोधन एवं उपसमितियों के गठन के अधिकारों के साथ ही क्लब की सदस्यता प्रदान करने का अधिकार आपके कार्यालय में 2005 में पंजीकृत करायी गयी संस्था की नियमावली के अनुसार किसे, प्राप्त था। तत्कालीन प्रबन्धकरिणीं समिति को ? या वर्तमान प्रबन्धकरिणीं समिति को ?
2. नवीनीकरण के समय 2005 से 2013 तक की प्रबन्धकारिणी समिति की सूची वर्तमान पदाधिकारियों ने अपने - अपने हस्ताक्षरों से सत्यापित कर आपके समक्ष प्रस्तुत की थी, उन में अंकित तत्कालीन पदाधिकारियों और सदस्यों के विरुद्ध संस्था के ही वैध सदस्यों के द्वारा 2013 के निर्वाचन से पूर्व क्या कोई अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था ? और यदि अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था तो क्या पारित भी हुआ था ?
3. संस्था के 2005 से 2013 तक वैध प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों ने पंजीकृत नियमावली के प्रष्ठ 2 के बिन्दु 7 पर शीर्षक में अंकित प्रबन्धकारिणी समिति का कार्यकाल से प्रबन्धकारिणी समिति का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। उपरोक्त के अनुसार पांच वर्ष 2015 से पूर्व 2013 मे चुनाव कराये जाने का क्या कोई निर्णय तत्कालीन प्रबन्धकारिणी ने लिया था ? अथवा नहीं लिया था ?
4. वर्तमान स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी, चुनाव समिति व देख रेख समिति नामक उपसमितियों का गठन क्या तत्कालीन अध्यक्ष श्री अनूप बाजपेई द्वारा ही किया गया था या नहीं ? यदि किया गया था तो उपसमितियों के पदाधिकारियों व सदस्यों का मनोनयन भी क्या उनके ही द्वारा किया गया था अथवा नहीं ?
5. सदस्यता सूची में अंकित व्यक्तियों को पंजीकृत नियमावली के प्रष्ठ 1 बिन्दु 4 पर संस्था की सदस्यता व सदस्यों के वर्ग शीर्षक मंे अंकित नियम कि प्रत्येक वह व्यक्ति जो कानपुर महानगर के अन्र्तगत पत्रकारिता से सम्बन्धित कार्य एवं व्यवसाय कर रहा है इस संस्था कानपुर प्रेस क्लब का सदस्य हो सकेगा। सभी प्रकार के सदस्यों को सदस्यता निर्धारित शुल्क प्राप्त करके संस्था के अध्यक्ष और महामंत्री द्वारा प्रदान की जायेगी। स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की स्वहस्ताक्षरित सदस्यता फार्म की स्क्रीनिंग रिर्पोट में 320 फार्म निरस्त कर दिये जाने का निर्णय क्या तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री ने ही लिया था ? स्वयंभू महामंत्री की काल्पनिक स्क्रीनिंग कमेटी की स्वहस्ताक्षरित सदस्यता फार्म की स्क्रीनिंग रिर्पोट में 566 फार्म स्वीकृत किये जाने का निर्णय भी क्या तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री ने ही लिया था?
वर्तमान स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण एवं संलग्नकों का बिन्दुवार जवाब एवं विचारणीय बिन्दु, प्रकरण के निस्तारण के लिये आपके अवलोकनार्थ इस अनुरोध के साथ प्रस्तुत हैं कि कृपया स्वयं अवलोकन कर प्रकरण का विधिसम्मत निस्तारण करने का कष्ट करें।

जिस पर डिप्टी रजिस्ट्रार महोदय ने 11 अगस्त दोपहर 2 बजे सुनवाई के बाद फैसला सुनाने का आश्वासन दिया है उपरोक्त सवाल और उनके जवाबों से तो यही प्रतीत होता है कि प्रेस क्लब वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित जी सत्ता के मद में चूर हैं | हमारे सभी खुलासे सत्यता पर आधारित होते हैं

नोट| एस.आर.न्यूज़ पर रविवार दिनाकं 07.06.2015, 14.06.2015, 15.06.2015 और 28.06.2015 को हुए खुलासे कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर का फर्जीवाड़ा पोलखोल भाग - 1, 2, 3 और 4 से सम्बंधित कोई भी आपत्ति हमें अभी तक प्राप्त नहीं हुई है|  धन्यवाद

इस खुलासे से सम्बंधित कोई भी आपत्ति अगर किसी को हो तो वह प्रमाणों सहित मंगलवार शाम 7 बजे तक हमारी ईमेल एडिटर@एसआरन्यूज़.ऑर्ग पर भेज दे हम उसे भी सत्य के हित में प्रसारित करेंगे |

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Balwant Singh
National General Secretary
Media Reporters Association
Managing Editor
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Mo. :  9670611234, 8808211234
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