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13.8.15

लोकआंदोलन का मुद्दा बने स्वास्थ्य का सवाल

-कुमार कृष्णन-
विकास संवाद की ओर से मध्य प्रदेश के झाबुआ में ' स्वास्थ्य और मीडिया' पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया समागम अनेक मायने में महत्वपूर्ण रहा। समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा में तकसंगत सुरक्षित इलाज और सबके पहुंच लायक और विश्वसनीयता का समावेश होना चाहिए। सरकार का मकसद ऐसी परिस्थितियां बनाने का होना चाहिए जो समग्र गुणवत्ता के रास्ते पर ले जाए। स्वास्थ्य सेवा के नीतिकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि सभी पद्धतियों के बीच संतुलन कैसे बिठाया जाए। कार्यावन्यन के लिए ठोस कदम अनेक प्रकार के हैं,जो नीति के अनुसार चुने और गढ़े जा सकते हैं। स्वास्थ्य के सवाल को लोकआंदोलन का मुद्दा बनाया जाना चाहिए।



अंतिम दिन के सत्र का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष था ' मीडिया छात्रों के नजरिए से स्वास्थ्य। इस सत्र में हिन्दी वाटर इंडिया पोर्टल की स्नेहा बालुनी ने कहा कि स्वास्थ्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। आज जब मीडिया अत्यधिक दवाव में काम कर रहा है, बैसी स्थिति में सोशल मीडिया के द्धारा एक वातावरण निर्माण का काम किया जा सकता है। वहीं अभिषेक तिवारी, सौरभ दूबे, जयप्रकाश वर्मा ने स्वास्थ्य के सवाल अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए प्राईवेट संस्थानों में लूट का आलम है जो आम लोगों के उपयुक्त नहीं होता है, ऐसी स्थिति में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त किया जाना जरूरी है।
खुले सत्र में पत्रकार शिरीष पांडेय ने व्यापम घोटाले के पर्दाफाश की दास्तान सुनायी और उन्होंने इस बात को विस्तार से रेखांकित किया कि किस पर प्रकार छोटी सी सूचना पर लगातार काम कर एक बड़े को घोटाले को सामने लाया।
पत्रकार अभिताभ पांडे ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था के साथ कुछ अच्छा बने इस दिशा में प्रयास होना चाहिए। प्राईवेट अस्पताल की लूट लोगों को खोखला कर रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में देशज ज्ञान का विस्तार होना चाहिए।
विनय द्धिवेदी ने मीडिया और नीतियों के घालमेल का खुलासा करते हुए कहा कि प्रचार खास किस्म के दर्शन से जुड़ा होता है। सरकार नीतियां बनाती है और उन नीतियों को संचालित करने में प्रचार के दर्शन की खास भूमिका होती है। खबर को सिर्फ खबर तक नहीं देखना होगा उसे सर्वजन हिताय और वहुजन हिताय के नजरिए से देखना होगा।
भड़ास डॉट कॉम के यशवंत सिंह ने कहा कि हक के बात के साथ—साथ कानूनी लड़ाई किस प्रकार लड़ी जाए, इस पर गभीरता से विचार किया जाना चाहिए तथा लोगों को इसके लिए शिक्षित किया जाए। ग्वालियर से आए स्वतंत्र पत्रकार जयंत तोमर ने पत्रकारिता के जनपक्ष को रेखांकित करते कहा कि आम लोगो के वुनियादी सवाल से जुड़े मसलों पर संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
रोहित वर्मा ने गुजरात,मध्य प्रदेश और महाराष्ट में सरदार सरोवर परियोजना से उत्पनन स्थिति विस्थापन तथा स्वास्थ्य की समस्या और सरकार की नीतियों की जनविरोधी साजिशों का खुलासा किया।
अमूल्य निधि से कहा कि कानूनी लड़ाई से पूर्व मरीजों को अपने हक के बारे में जानना चा​हिए। उससे भी ज्यादा जरूरी है अपने अभिलेखों को संरक्षित करना। उन्होंने कहा कि मेडिकल रिकार्ड हर मरीज का हक होता है। इलाज के दौरान मरीज दूसरे डॉक्टर से सलाह मश्विरा कर सकते हैं।
जयराम शुक्ला ने कहा कि यह समागम अंधेरी कोठरी में रौशनदान की तरह काम करेगा। उन्होने 1990 से चली आ रही उदारवाद की आंधी में जनमुद्दा गौण होता जा रहा है और हर चीज ​निजी हाथों में जा रहीं है।
इस सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार चिन्मय मिश्र ने किया। उन्होनें स्वास्थ्य से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण पहलूओं को रखा। राकेश कुमार मालवीय ने  तीन रोज के आयोजन का व्योरा पेश करते हुए आगे की लड़ाई जारी रखने का संकल्प का आह्वान किया। कार्यक्रम का समापन नमिता शुक्ला के गीत— 'कदम आगे बढ़ाता जा अपना' से हुआ। इस संकल्प के साथ सब विदा हुए कि यहां जिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई,उसकी निरंतरता कायम रखेंगे और फिर मिलेंगे अगले अवसर पर।
कार्यक्रम में पत्रकार अन्नू आनंद, प्रसून लतांत, सिराज केसर, भाषा सिंह, मनीषा भल्ला, रमेश कुमार,वंदना झा, गुंजन,सरोज मिश्रा के साथ—साथ देश के ​विभिन्न हिस्सों से आए पत्रकारों और समाजकर्मियों ने हिस्सा लिया।


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