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23.8.15

ऐसी राजनीति देश के लिए घातक... सावधान...

Baljeet Kumar

क्या भारत को अब 1974 की राजनीति के सहारे जीना पड़ेगा, कहीं ये पष्चिम देषों की साजिष तो नहीं ? हां आप सही सुन रहे हैं, भारत को और 20 साल पीछे ढ़केलने की साजिष चल रही है और भारत इसकी चपेट में आ चुका है और भारत की मीडिया इसके इस्तेमाल के लायक भी बन रही है, षायद मीडिया इसको न माने और जिम्मेदारी का हवाला देकर लोगों को यकीन दिलाने में कामयाब भी हो जाये, लेकिन ये भी सत्य है। इस राजनीति को विस्तार से बताने से पहले मीडिया से एक छोटा सा सवाल है.... क्या एक आंदोलनकारी जिसका जमीन से कोई लेना देना या हित न हो और 1974 की लड़ाई, जो भारत के संदर्भ में भारतीयों के हित में था, 2011 में उठाना कितना प्रासांगिक था, जबकि भ्रष्टाचार विकास में बाधक बन सकती है, तो हम विकास में भ्रष्टाचार की बात क्यों नही करते हैं किसी खास की बात क्यों करते हैं ? भ्रष्टाचार की बात तो दूर अब हम मौलिक अधिकार की बात को भी भ्रष्टाचार बताने लग गये, जो कभी बहस का मुद्वा था ही नही, बहस का मुद्वा संजीदगी से बनाया गया। स्वास्थ्य, षिक्षा, पानी, और बिजली जरूरत की चीजें हैं, जो सबको चाहिये, दिल्ली में यह समस्या वर्षों से है, सुलझाया जा सकता है, लेकिन इसे ही मुद्वा बनाया गया।



भारत के बुद्विजीवि वर्ग को षायद बताने की जरूरत नही हैं, समझदार है। हमारी मीडिया को क्या हो गया है, जो उसके जाल में फंसता चला गया और दो सालों के भीतर अपने मकसद में कामयाब भी हो गया और अब मीडिया उसके कार्यषैली ही नही सत्ता पर काबिज लोगों पर भी सवाल कर रही है, उस समय अगर धैर्य से काम लिया होता तो ऐसी नौबत नही आती खैर अब बहुत देर हो चुकी है, पष्चिम देषों की ऐसी साजिष दुनिया के करीब दो दर्जन देषों में कामयाब हो चुकी है, उनकी साजिष केवल आर्थिक नीतियों को 10 से 15 साल पीछे करने की है ताकि हम आगे न बढ़ सकें। कई ऐसे उदाहरण है.....जैसे सरकार के खजाने कैसे भरते हैं, सरकार सुरक्षा एजेंसी पर कितना खर्च करती हैं, टैक्स यानि कर से कितना पैसा आता है, उसे आम जनता के बीच विस्तार से बताना ताकि जनता अपने पैसों का हिसाब सरकार से मागें और देष में उग्रता फैले, बात बात पर लड़ाई और आंदोलन हो सके। दूसरा, देष की राजधानी को काॅनफ्लीक्ट जोन में लाना और तीसरा राज्यों में भी इस तरह का माहौल पैदा किया जा सके।
अब इसकी षुरूआत भी बिहार से की जा रही है, दरअसल दिल्ली से सटे सभी राज्यों को काॅनफ्लीक्ट जोन में लाना है। पहले से ही बिहार अन्य राज्यों के मुकाबले 20 से 25 साल पीछे चल रहा है। अरविन्द केजरीवाल के साथ आने से और 10 साल पीछे जाने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है क्योंकि नीतिष कुमार भी अब बिजली और पानी जैसे मुद्वे को प्राथमिकता बनायेगें, जो बिहार के लिए एक बड़ा मज़ाक होगा। कनाडा, डेनमार्क और स्विटर्जरलैंड के कानून की तुलना भारत से की जा रही है, जबकि हमारी संस्कृति उनसे काफी भिन्न है। भारत में इसको थोपने की कोषिष इन जासूसों के जरिये जल रही है।  
आज हर हिन्दुस्तानी के लिए एक बड़ा सवाल है..... जहां दूसरे देष जो हमसे 20 साल पीछे था, वो हमसे काफी आगे निकल चुका है और हम देष के भीतर बिजली और पानी के लिए संघर्श कर रहे हैं, ये हमारी जरूरत है, मुद्वे नही हैं, सब्सिडी देने से क्या इसका हल निकल जायेगा, षायद नहीं फिर भी हम इसपर विचार करने को मजबूर हो गये। उसकी मंषा देष की एनर्जी सेक्टर को धक्का पहुंचाना है ताकि हम आत्मनिर्भर न हो सके। किसी भी देष की आर्थिक की रीढ़ एनर्जी सेक्टर होती है, जिससे देष निरन्तर आगे बढ़ता है। हमारे नेता इसी सेक्टर को निषाना बनाकर निरन्तर आगे बढ़ते चले गये और दो साल के भीतर जहां उसे बैठना था वहीं बैठ गये।
ऐसे लोग संविधान को चुनौती देते हैं, ऐसा सिर्फ ये ही नही कर रहे हैं, ऐसे सैक्ट दुनिया में भी तैयार किये जा रहे है, इनके अपने विषेशज्ञ होते हैं, जो समान रूप से एक जैसे ही काम करते हैं। यानि भारत की राजधानी दिल्ली में पहली प्लान्टेड गवर्नमेंट बनायी जा चुकी है। इससे सावधान रहने की जरूरत है।
सवाल
इनके नेता विदेष दौरे के दौरान क्या करते हैं ?
केजरीवाल ने विदेष से कौन सी पढ़ाई की है ?
आप नेता उग्रता के साये में क्यों जीना पसंद करते हैं ?

................इन सभी सवालों के जवाब मीडिया के पास भी नही है।
जबकि विदेषो में अराजकता फैलाने, साइन्टोलाॅजी, चर्च विरोधी, धर्म विरोधी, सरकार विरोधी और कंपनियों के विरोध में कार्यक्रमों के लिए कई सर्टिफिकेट कोर्ष चलाये जाते हैं ?

Baljeet Kumar
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