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13.8.15

गेस्टोकेयर में धोखा, नाम बड़े दर्शन खोटे... निजी चिकित्सालय जाने के पूर्व सावधान

-राधावल्लभ शारदा-
भोपाल । जब स्वयं या अपने किसी नजदीकी पर कुछ अनहोनी घटती है तब खबर बनती है। कहावत है-जाके पैर की बिवाई नहीं फटती वह दूसरे का दर्द नहीं जानता। मैं आज भोपाल के एक नामी चिकित्सालय की बात करुँगा। सडक़ पर कब्जा कर नो पार्किंग का बोर्ड लगाये इस चिकित्सालय का नाम है। गेस्टोकेयर पूरा नाम भोपाल इन्सटीट्यूट ऑफ गेस्ट्रोलॉजी प्रा.लि. जहां लीवर सहित पेट की बीमारियों का इलाज किया जाता है। संस्थान ई-3/120 एवं 121 दो प्लाटों पर बना है।



संस्थान की तारीफ जितनी की जाय उतनी कम है। परन्तु कहावत है ‘ऊँचे दाम फीके पकवान’ का अहसास मुझे हुआ। मुझे पेट में दर्द रहा था। मित्रों से चर्चा में डॉ. संजय कुमार का नाम भोपाल में गेस्ट्रो के मामले में नम्बर एक आया। मित्रों ने समय लिया और मुझे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की पत्रकार वार्ता छोडक़र जाना पड़ा। तत्काल अस्पताल पहुँचे। डॉ. संजय कुमार को दिखाने के लिए पूर्व से समय लेना पड़ता है, मित्रों के द्वारा यह कहने पर कि सीनियर जर्नलिस्ट है समय मिला। मैं बड़ा प्रसन्न था कि एक अच्छे चिकित्सक को दिखाने से मेरी समस्या का निदान हो जायेगा।

‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ फिर मैं भी धोखा खा गया। मैं जिस डॉक्टर के चेम्बर में बैठा था, मैंने समझा यही डॉ. संजय कुमार है। मैंने अपनी समस्या उन्हें बताई। तत्काल उनके द्वारा ब्लड टेस्ट, सोनाग्राफी के साथ इन्डोस्कोपी कराने का लिखा, मैंने इन्डोस्कोपी के लिये मना कर दिया कि उसमें बहुत तकलीफ होती है। मैंने उसी दिन दोनों टेस्ट करा लिये, रिपोर्ट रात्रि 9 बजे मिलनी थी। अत: फिर दूसरे दिन आये।

रिपोर्ट लेकर जब हम डॉक्टर संजय कुमार के चेम्बर में गये तो आज नया ही व्यक्ति डॉक्टर के रूप में बैठा था। मैंने अपने रिपोर्ट उन्हें दिखाई। सभी नार्मल होने के बाद कुछ इस लहजे में उन्होंने मुझे इन्डोस्कोपी कराने का कहा कि मैंने डरकर हाँ भरी। तीसरे दिन मैंने इन्डोस्कोपी कराई और उसकी रिपोर्ट दिखाई, उस समय यानि दो दिन डॉक्टर संजय कुमार से हम रूबरू हुये। सारे टेस्ट देखने के बाद डॉक्टर संजय कुमार का कहना था कि आपकी आंते जकड़ रही है। दस दिन की दवा लिख दी और हम लौट के बुद्धू घर को आये दस दिन की दवा लेकर।  पूरी कहानी लिखने के पीछे मेरा आशय ‘नाम बड़े दर्शन छोटे’। मेरी हर नागरिक से अपील है कि चिकित्सालय में जब हम दिखाने जाते है तब डॉक्टर से उसका नाम पूछे अन्यथा मेरी जैसी स्थिति होगी। डॉक्टर संजय कुमार को दिखाने के लिये रुपये चार सौ दिये और पहले दिन देखा डॉक्टर सचिन देव मुंजाल जो कि इन्डोस्कोपी करते है।

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