Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

18.10.15

घूसखोरी प्रकरण: सच लिखने पर पत्रकार फसाने में जुटी पुलिस

अमन पठान, कासगंज

पुलिस की घूसखोरी का खुलासा करने वाले पत्रकार अमन पठान को झूठे मामले में फसाने का कासगंज एसपी हिमांशु कुमार ने जो जाल बुना है। उस जाल में वह खुद फसते नजर आ रहे हैं। एसपी अपने अधीनस्थों को बचाने और पत्रकार को फसाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इसमें उनका साथ कासगंज के कुछ मीडियाकर्मी दे रहे हैं।

पत्रकार अमन पठान ने एक युवक छोड़ने के एवज में ली गई दस हजार रूपये की घूस का खुलासा किया था। इसी से नाराज एसपी हिमांशु कुमार ने आज प्रेस नोट जारी किया है। इस प्रेस नोट में घूस लेकर छोड़े गए युवक को छींटाकशी का आरोपी बताया है। जब वह आरोपी था तो उसे घूस लेकर क्यों छोड़ा गया। करीब 18 घंटे तक थाने में क्यों बैठाये रखा। दूसरी बात ये है कि प्रेस नोट में पत्रकार अमन पठान का आपराधिक चरित्र बताया गया है। जबकि अमन पठान के खिलाफ उत्तर प्रदेश के किसी भी थाने में कोई भी मुकद्दमा दर्ज नही है। कासगंज के वरिष्ठ पत्रकार ने द्वेष भावना के चलते तत्कालीन एसपी आरपी पाण्डेय के आदेश पर कासगंज कोतवाली में झूठा साइबर क्राइम का रितेश द्विवेदी और अमन पठान के विरुद्ध मुकद्दमा दर्ज कराया था। मामला झूठा होने के कारण तत्कालीन सीओ क्राइम अशोक कुमार सिंह के आदेश पर क्राइम ब्रांच प्रभारी शीशपाल सिंह ने एफआर लगाकर मुकद्दमा ख़त्म कर दिया गया था। प्रेस नोट में एसपी ने गड़ा मुर्दा उखाड़ कर ये साबित कर दिया कि वह पूरी तरह अपने अधीनस्थों का बचाव कर रहे हैं। गौरतलब ये है कि जिस झूठे मुकद्दमे का एसपी ने हवाला दिया है उसमे अमन पठान पर अकेले आरोपी नही थे उसके साथ रितेश द्विवेदी भी आरोपी थे। प्रेस नोट में एसपी ने श्री द्विवेदी का कोई जिक्र नही किया और मामले को न्यायालय में विचाराधीन बताया है। जबकि अमन पठान और रितेश द्विवेदी न्यायालय आज तक न्यायालय में किसी तारीख पर गए और न न्यायालय से कोई सम्मन नोटिस दिया गया। एसपी ने प्रेस नोट में कहा है कि अमन पठान ने ज्ञान त्रिवेदी को जान से मारने की धमकी दी है तो प्रेस नोट में जान से मारने की धारा का जिक्र क्यों नही किया। कहीं ऐसा न हो एसपी अपने अधीनस्थों को बचाने के चक्कर में खुद न फंस जाएँ।

No comments: