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6.3.16

कन्हैया हम शर्मिन्दा हैं अपने बीच के शकटासुर और पूतना के कृत्यों से

कामरेड कन्हैया को भगवान कृष्ण-कन्हैया भक्त नवेद शिकोह का लाल सलाम

देश के चंद निष्पक्ष न्यूज चैनलो के सजीव प्रसारण के जरिये आपको सुनकर देश-दुनिया के लाखो-करोड़ों लोगो की तरह मैं भी आपकी शख्सियत और भाषण से काफी प्रभावित हुआ। क्योकि मैं भगवान श्री कृष्ण-कन्हैया का भक्त हूँ  इसलिये मुझे जाने क्यों कन्हैया ( आपमे)  मे भगवान कन्हैया का अवतार नजर आने लगा। जिसका कारण दोनो मे कई मायने मे समानता का महसूस होना था।


मसलन दोनो के नाम से लेकर जेल से एक खास रिश्ते की बात हो यो असत्य, अन्याय, अत्याचार और तानाशाही के विरूद्ध जंग लड़ने की समानता हो ।

दोनो कन्हैयाओ के दोनो कंसो मे भी कोई खास फर्क नजर नही आया। वहाँ भी कंस बलशाली और तानाशाह था। आज का कंस भी कुछ वैसा ही है। आज के कन्हैया से घबराया हआ है। आपके विचारो और इरादो को वो अपना अंत मानने लगा है। इसलिये ही इस युग के कंस ने इस युग के कन्हैया के विचारो और इरादो के अंत का जिम्मा भी शकटासुर को दिया तो कभी पूतना को इस काम मे लगाया।

इस बार पूतना और शकटासुर टीवी चैनल का रूप धारण करके आये थे। मौजूदा कंस ने इन देशद्रोहियो को आप को देशद्रोही साबित करने  और  आपके विचारो का अंत करने की सुपारी दी थी।
अफसोस इस बात का है कि काले को सफेद और सफेद को काला साबित करने वाले ये बलशाली राक्षस भारत के लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ " मीडिया " की नकाब लगाये है। कन्हैया भाई मै आपसे शर्मिन्दा इसलिये हूँ क्योकि मै पेशेवर मीडिया कर्मी हूँ। और कई बार हम चाह कर भी शकटासुरो और पूतनाओ की आलोचना भी नही कर सकते। बल्कि  हमारी मजबूरी हमे इनका गुलाम बना लेती है।

अपने ये तमाम ख्यालात जब सोशल मीडिया के जरिये लोगो के बीच साझा किये तो अंध भक्तो की नींदे हराम हो गयी। मेरे इस नजरिये को गलत साबित करने के लिये कुतर्को की झड़ी लग गयी। एक महाजाहिल किस्म के अंध भक्त ( जो खूद को पत्रकार बता रहा था। ) ने तो जेहालत की हद खत्म कर दी। बोला-आपको अपने शब्द वापस लेना पड़ेगे। आपने अपराध किया है। भारतीय संविधान के अनुसार इन्सान की तुलना भगवान से करना बड़ा अपराध है। आपको जेल हो सकती है।

मैंने जवाब दिया - तब तो हर भारतवासी को जेल मे ठूस देना चाहिये है।
जब भी कोई मानवता से जुड़ा काम करता है तो उससे प्रभावित हर कोई कहता है-आप भगवान का रूप हैं।
डाक्टर को भगवान का रूप कहना ज्यादातर भारतीयो की आदत है।
किसी महिला की हिम्मत देखकर हम कहते है- आप दुर्गा का रूप है।
स्वर्गीय इन्दिरा गाँधी को भी दुर्गा का खिताब दिया गया था।
मैने जब ये जवाब  दिया तो अंध भक्त इतनी तेज भागा कि उसने पीटी ऊषा के सारे रिकार्ड तोड़ दिये।

साहब के इस तरह के अंध भक्तो/आशिको को नसीहत देते मेरी गजल के अशार और बात खत्म  :-
वक्त जज्बात की हर बात मुकर जाता है
प्यार हालात की तलवार से मर जाता है।
साथ उसके न मुरव्वत न तकल्लुफ का शऊर,
भूखा बच्चा जो किसी गैर के घर जाता है।

"रौ मे आकर न बढ़ो इश्क मे इतना जैसे,
बाढ का पानी किसी खेत में घुस जाता है" ।

आपका
नवेद शिकोह
Navedshikoh84@gmail.com
08090180256
09369670660

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