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23.3.16

विश्व कठपुतली दिवस पर रैली और नाटक का आयोजन

प्रेस विज्ञप्ति




प्रति वर्ष 21 मार्च पूरे विश्व में 'विश्व कठपुतली दिवस' के रूप में मनाया जाता है. कठपुतली की कला हमारे देश में प्रायः लुप्तप्राय हो चली है जरूरत है इसे पुनः संजोने औए संवारने की. 
इस दिशा में सार्थक पहल करते हुए आज वाराणसी के एक संस्कृति  समूह सृजन कला मंच द्वारा एक सकल्प रैली का आयोजन किया गया. रैली कचहरी स्थित अम्बेडकर पार्क प्रारंभ होकर  जिला मुख्यालय  पहुचीं. सभी कलाकार अपने हाथो में कठपुतली लिए हुए तथा नारे लगते हुए चल रहे थे. जिला मुख्यालय पर रैली सभा में तब्दील हो गयी तत्पश्चात एक कठपुतली नाटक लल्लू की भूल का मंचन किया गया. 


नाटक की कहानी : इस नाटक में भयानक संक्रामक बीमारी एड्स के ऊपर प्रहार करते हुए सदेश देने की कोशिश की गयी कि कैसे एक आदमी गाँव से शहर की ओर पलायन करता है अपने परिवार का पेट पालने के लिए जिससे वहां की चकाचौध जिंदगी ने उसे अँधा कर दिया और अपने दोस्तों के चक्कर में आकर सीधे हवाई जहाज का सफ़र करना चाहता है, इसके बाद कोठे पर जाता है कोठे जाने के बाद धीरे – धीरे बीमार होने लगता है फिर वापस अपने गाँव पहुचता है  और उसकी पत्नी दवा – दारू, ओझा बाबा के पास भी ले गई फिर भी उसमें कोई सुधार नहीं हुआ, इसके बाद डाक्टर के पास ले गए वहां पर डाक्टर के चेकअप से पता चला कि लल्लू को एड्स हो गया है, उसकी पत्नी को डाक्टर साहब कहते है कि आप अपने पत्नी का भी चेकअप कराये एड्स का नाम सुनते ही सब भौचक्के रह गये डाक्टर ने बताया कि उचित खान पान एवं नियमित दवा के सेवन से आदमी लम्बा एवं खुशहाल जीवन जी सकता है 

इस अवसर पर सृजन कला मंच के निदेशक मिथिलेश दुबे ने कहा कि विश्व कठपुतली दिवस की शुरुआत 21 मार्च 2003 में फ़्रांस में की गई थी. विश्व कठपुतली दिवस भारत सहित विश्व के अन्य देशो में भी धूम धाम से मनाया जाता है इस कला को जीवित रखने का प्रयास हम सभी लोगो को करना चाहिए हमारा उद्देश्य इस अति प्राचीन लोक कला को जन – जन तक पहुचाना तथा आने वाली पीढ़ी को इससे अवगत करना है कठपुतली कला सिर्फ मनोरंजन का ही साधन नहीं है लोगो को जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम भी है. आज इस कला को आम लोगो एवं सरकार द्वारा संरक्षण की भी जरुरत है जिससे इस प्राचीन कला को बचाया जा सके. इस अवसर पर लोकविद्या से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक चिंतक दिलीप दिली ने कहा कि लोक कला, लोक कलाकार, लोक विद्या और लोक ज्ञान को समुचित सम्मान, संरक्षण और प्रोत्साहन दिए जाने से ही देश और समाज का भला होगा.  

कठपुतली नाटक में निर्देशक मिथिलेश दुबे सहित हरीश पाल, भोला सिंह राठौर, सनी विश्वकर्मा, शशि कान्त, आजाद, जीतेन्द्र गुप्ता, सुजीत कुमार, अनिल गुप्ता, आदि कलाकारों ने प्रस्तुति दी. इस दौरान रवि शेखर, विनय सिंह, आरवी सिंह , एकता सिंह, दीपक मौर्य, राजेश श्रीवास्तव, प्रदीप सिंह, दिलीप दिली, हरीश आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन संजय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सामाजिक कार्यकर्त्ता बल्लभाचार्य पाण्डेय ने किया


                                                                  मिथिलेश दुबे       

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