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7.4.16

शिवपुर दियर कांड : प्रेस वार्ता कर जारी की जांच रिपोर्ट, बलिया के सदर विधायक नारद राय और पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल


बलिया 7 अप्रेल 2016। थाना कोतवाली अंर्तगत षिवपुर दियर (पांडे डेरा) में दिनांक 27 मार्च 2016 की रात हुई अग्निकांड व लाइसेंसी असलहा, अवैध असलहे से पूरी आदिवासी व दलित बस्ती को घेर कर हुए जानलेवा हमले, फायरिंग प्रकरण पर आज दिनांक 5 अपे्रल 2016 को पीडब्लूडी के डाक बंगले में रिहाई मंच के प्रवक्ता षाहनवाज आलम, इंडियन पीपुल्स सर्विसेज (आईपीएस) के अध्यक्ष अरविन्द गोंडवाना, भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता लक्ष्मण यादव व रिहाई मंच के डाॅ अहमद कमाल ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता की। गौरतलब है कि संयुक्त जांच दल ने दिनांक 2 अप्रैल 2016 को घटना स्थल का दौरा किया था।


घटना की जांच रिपोर्ट जारी करते हुए वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सदर विधायक नारद राय के प्रभाव के कारण पुलिस हमलावरों को बचाने में लगी हुई है। इसीलिए दोषियों के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा 307 नहीं लगाई गई जबकि पुलिस को घटना स्थल से लाइसेंसी रायफल से फायर हुए गोली के खोखे भी बरामद हुए हैं। पीडि़तों द्वारा क्षेत्रिय सीओ को फोन करके यह बताने पर कि सरकारी रायफल से फायर करने वाला हमलावर दीनानाथ तिवारी अभी भी खुलेआम घूम रहा है और जान से मारने की धमकी दे रहा है, इस पर सीओ का यह बयान कि वह घूम रहा है तो घूमने दो, गैर जिम्मेदाराना है जो अपराधियों के हौसले को बढ़ाने का काम कर रहा है। इसी प्रकार 27 अक्टूबर 2014 को भी इन्हीं हमलावरों ने उसी गांव के आदिवासी छठ्ठू गोंड़ पर हमला किया था जिसकी प्राथमिकी थाना कोतवाली बलिया में एससी/एसटी ऐक्ट के अंर्तगत दर्ज है लेकिन पुलिस द्वारा किसी भी हमलावर पर सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण इन हमलावरों का मनोबल बढ़ता गया जिसकी परिणति 27 मार्च की अग्निकांड के रूप में सामने आया।

वक्ताओं ने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी सदर विधायक नारद राय का घटना स्थल का दौरा न किया जाना पूरी घटना में उनकी अपनी जसातीय पक्षधरता को बेनकाब करता है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सदर अस्पताल में पहुंचे कई पीडि़तों का समूचित इलाज नहीं किया गया और न ही उनका मेडिकल मुआयना ही किया गया जो मुख्य चिकित्साधिकारी पीके सिंह की सदर विधायक नारद राय के प्रभाव में जिला अस्पताल को संचालित करने का प्रमाण है। पीडि़त आदिवासी गोंड़, खरवार व दलित पासी, पासवान समाज के लोगों को अभी तक किसी भी प्रकार की अंतरिम सहायता न उपलब्ध कराना प्रदेष की सपा सरकार की तथाकथित समाजवाद की पोल खोलता है। वक्ताओं ने आगे कहा कि इस मसले पर सदर विधायक और पुलिस की भूमिका की जांच की मांग के समर्थन में जल्दी ही जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। इसी के साथ ही जांच दल के सदस्यों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग से तत्काल घटना स्थल का दौरा कर पीडि़तों को न्याय दिलाने के साथ-साथ उनके जान-माल की सुरक्षा की गारंटी की मांग की।

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