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19.4.16

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता यूनिवर्सिटी : यहां छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है....


रायपुर : छत्तीसगढ़ में कुछ वर्षों पहले शुरु हुई कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता यूनिवर्सिटी, अपने घोटाले और दर्ज केसों के चलते शिक्षा को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पूर्व वीसी सच्चिदानंद जोशी से लेकर रीडर शहीद अली और प्रोफेसर नरेंद्र त्रिपाठी तक सभी पर कोई न कोई केस या आरोप लग गया है। फर्जी दाखिला हो या पूरी की पूरी डिग्री ही फर्जी हो, इस यूनिवर्सिटी में कोई घोटाला ऐसा नहीं जो हुआ न हो। ताजा केस की बात करें तो मिली कम्प्लेन के मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एमफिल कर रहे कुछ छात्रों के रिजल्ट से छेड़छाड़ कर उन्हें फेल कर दिया है। दरअसल लिस्ट के रुप में 2 बार रिजल्ट नोटिस बोर्ड पर लगाया गया।


पहली बार में छात्र पास थे, लेकिन दूसरी लिस्ट में कुछ नम्बर कम करके उन्हें फेल कर दिया गया। मार्जिन की बात करें तो 1 या 2 परसेंट से। फेल हुए छात्रों ने जब वजह जाननी चाही तो प्रशासन ने पल्ला झड़ते हुए कहा तकनीकी खराबी थी, नम्बर ठीक से नहीं जुड़े थे। इतना ही नहीं नियमों का हवाला देते हुए छात्रों से री-वेल्यूवेशन का अधिकार भी छीन लिया गया है। फिलहाल न्याय पाने वे छात्र भटक रहे हैं। कभी किसी नेता के पास, तो कभी मीडिया की शरण में जा रहे हैं। वहीं हमेशा की तरह यूनिवर्सिटी प्रशासन मजे में है।

अब बात करते हैं दूसरे एंगल की...जैसा की यूनिवर्सिटी के नाम (बीजेपी के पूर्व नेता) से स्पष्ट हो रहा है कि बीजेपी शासित प्रदेश में इस यूनिवर्सिटी को पार्टी का सपोर्ट भी जमकर मिल रहा है। यही वजह है कि पीड़ितों की सुनवाई किसी स्तर पर नहीं होती। यहां तक कि कुछ नेता तो साफ़ तौर पर बोल देते हैं कि ज्यादा इन्साफ की लड़ाई लड़नी है तो कोर्ट चले जाओ। हाँ कभी-कभी किसी अखबार में जगह मिल जाती है तो खबर से पता चलता है कि घोटालों का स्तर दिन पर दिन कितना बढ़ रहा है। अब सवाल यह कि एक ओर छात्रों पर राजनीति संसद तक पहुँच रही है। वही दूसरी ओर लगातार छात्रों का भविष्य से खिलवाड़ कर रही इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। आखिर क्यों? क्या पत्रकारिता में बड़ी डिग्री कराने वाली एकमात्र यूनिवर्सिटी होने का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है? या फिर यूनिवर्सिटी ने पत्रकारिता खरीद ली क्योंकि हर छात्र को पीएचडी करने का चस्का तो होता ही है। फिर उसके लिए 2-4 खबरें दबानी पड़ जाये तो क्या डिग्री तो मिलेगी।

आशीष चौकसे
पत्रकार



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