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14.6.16

देखें स्टिंग : खाकी में खलनायक

प्रेस विज्ञप्ति

असल न्यूज़ मासिक पत्रिका ने इस बार "खाकी में खलनायक" नाम से स्पेशल स्टोरी प्रकाशित की है, इसमें असल न्यूज़ ने यूपी पुलिस को लेकर स्टिंग ऑपरेशन किया है, जिसमें सब-इंस्पेक्टर स्तर के कुछ पुलिवाले पैसा लेकर किसी बेगुनाह का एनकाउंटर करने का दावा कर रहे हैं। पुलिसवालों ने विस्तार से बताया है कि वो फर्जी एनकाउंटर कैसे करते हैं और एनकाउंटर से पहले कैसे पैसा वसूल करते हैं। इतना ही नहीं खुफिया कैमरे पर यह किसी बेगुनाह पर आर्म्स एक्ट के तहत केस लगाने की बात कर रहे हैं तथा उसे हत्या के प्रयास में फंसाने और थाने में थर्ड डिग्री टॉर्चर करने के बारे में भी विस्तार से बता रहे हैं। इसके अलावा ये पुलिसवाले ड्रग्स का इंतजाम तक खुद करने का दावा करते हुए किसी बेगुनाह को झूठे ड्रग्स केस में फंसाने की बात कबूल कर रहे हैं।


असल न्यूज की इस पड़ताल ने बिल्कुल साफ कर दिया है कि यूपी पुलिस के कुछ पुलिसवालों के लिए बेकसूर लोगों को झूठे आपराधिक मामलों में फंसाना कितना आसान है। इस पूरी स्टोरी को आप असल न्यूज़ वेबपोर्टल www.asalnews.in पर पढ सकते हैं। इसके अलावा स्टिंग ऑपरेशन को आप निम्न लिंक के माध्यम से हमारे You Tube चैनल पर भी देख सकते हैं...

https://www.youtube.com/watch?v=-USnHr3lrZA
https://www.youtube.com/watch?v=n4HhIp0o4kQ
https://www.youtube.com/watch?v=j_u7m-FA40I
https://www.youtube.com/watch?v=cQYNAj9FdPQ
https://www.youtube.com/watch?v=3mx6gxKWVZQ

अगर आप इस स्टिंग ऑपरेशन को अपने चैनल पर चलाना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें....

भवदीय
अजय शर्मा
संपादक
असल न्यूज पत्रिका
011-27206465, 6563


खाकी में खलनायक!
जब आपकी हमारी हिफाजत करने वाले चंद रुपयों के लिए संगीन गुनाह में लिप्त हो जायें, तो सच सामने लाना जरूरी हो जाता है। जब खाकी कानून की चौखट लांघने लगे तब सच दिखाना जरूरी हो जाता है। इसी सच को असल न्यूज़ ने आपके सामने लाने की कोशिश की है। हमारी पड़ताल में सामने आया कि यूपी के कुछ पुलिसवाले चंद रुपयों के लिए अपनी वर्दी गिरवी रख देते हैं। कानून, फर्ज, कर्तव्य इनके लिए कोई मायने नहीं रखता। हमारी पड़ताल में साफ हो गया कि कुछ पुलिसवाले बिना किसी ठोस सबूत के किसी भी बेगुनाह को संगीन से संगीन अपराध में फंसा सकते हैं। असल न्यूज़ के अंडरकवर रिपोर्टर ने लखनऊ के अलग-अलग थानों में जाकर सच की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आई।

सुनाई थी ये मनघढंत कहानी
सच जानने के लिए हमने एक मनगढंत कहानी का प्लॉट तैयार किया। हमने उन्हें खुद को दिल्ली के करोलबाग का एक ऐसा बिजनेसमैन बताया, जिसका कार एक्ससरिज का काम है। हमने उन्हें एक झूठी कहानी सुनाई कि हमारे यहां जीतू उर्फ जितेंद्र नाम का एक 22 साल का लड़का करीब दो साल से काम करता था, हमने शनिवार को उसे सवा तीन लाख रुपये बैंक में जमा करने के लिए भेजा था क्योंकि वह हमारा विश्वासपात्र हो चुका था। लेकिन उसने लौटने के बाद बताया कि बैंक बंद हो जाने की वजह से पैसे जमा नहीं हो सके। चूंकि वह दुकान पर ही रहता था इसलिए उसे सोमवार को पैसे जमा कराने के लिए कहा, लेकिन जब सोमवार को हम दुकान पर पहुंचे तो लड़का गायब मिला। वह अपने साथ जमा कराए पहचान पत्र भी लेकर जा चुका था, मोबाइल फोन हमने ही उसे दिया था जिसे वह दुकान पर छोड़ गया। हमने बातचीत में पुलिसवालों को कहा कि हमारी जानकारी के मुताबिक वह लड़का उन्हीं के थाना इलाके में रहता है, हमने इन पुलिसवालों से कहा कि लड़के ने हमारे साथ विश्वासघात किया है, लिहाजा हम चाहते हैं कि उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। हम हैरान थे कि पुलिसवालों ने कहा कि वह उस लड़के को ड्रग्स, आर्म्स एक्ट, हत्या के प्रयास जैसे संगीन अपराध में केस लगा देगा। इस स्टिंग ऑपरेशन से साफ हो गया कि लखनऊ में कुछ एस.आई स्तर के पुलिसवाले ऐसे भी हैं जो पैसा लेकर किसी पर झूठा आपराधिक मामला दर्ज कर सकते हैं।

तारीख - 4 मई 2016
वक्त- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट
कृष्णानगर थाना, लखनऊ
दोपहर के वक्त कृष्णा नगर थाने में हमारी मुलाकात सीनियर सब इंस्पेक्टर ओझा से हुई, इस पुलिसवाले को हमने अपनी पूरी कहानी बताई, इस पुलिसवाले ने हमें आरोपी लड़के को तलाशने का सही तरीका बताया, अभी तक हमें नहीं लगा था कि नियम कायदों से अलग कोई गलत काम यहां होता है।
सीनियर सब इंस्पेक्टरः चौकी में वहां, दारोगा जी लोग बैठे हुए हैं..
रिपोर्टरः अच्छा
सीनियर सब इंस्पेक्टरः ठीक है.. चूंकि उस क्षेत्र का मामला है तो उन्हें पता होगा.. जैसे नाम वाम बताओं इस तरह से..
रिपोर्टरः जीतू.. जीतू.. बोलते हैं.. शॉर्ट नाम है.. जितेंद्र नाम है सर उसका..
सीनियर सब इंस्पेक्टरः जितेंद्र नाम है ना
रिपोर्टरः हां जीतू बोलते हैं
सीनियर सब इंस्पेक्टरः हां वो पता कर लेंगे..

सीनियर सब इंस्पेक्टर ओझा ने हमें बताया कि कन्नौसी पुलिस चौकी के इंचार्ज दिनेश सिंह हमारी मदद कर सकते हैं, इसलिए उन्होंने दिनेश सिंह को थाने में ही बुलवा लिया। दिनेश सिंह को हमने पूरा किस्सा बताया। बातचीत में दिनेश सिंह ने बिना लाग-लपेट के सीधे बता दिया कि वह लड़के को किसी भी केस में आराम से फंसा देगा.. दिनेश सिंह ने तो यहां तक कह डाला कि एनकाउंटर पर रोक है वरना सीधे एनकाउंटर ही कर देता।
दिनेश सिंह (दारोगा): हां मैं समझ रहा हूं। मेन व्यक्ति मिल जाए उसके बाद छेड़ते हैं तो लगेगा यू.पी पुलिस तो पूरे इंडिया में प्रसिद्ध है..
दिनेश सिंह (दारोगा): बंद नहीं करते दरवाजा हम लोग.. उसकी @#$%  से नली निकाल लेंगे.. दरअसल दारोगा थोड़ी अपनी @#$% मराये हैं... दरअसल मेन क्या है पहले जब हम लोग शिकार करते हैं शेर का.. तो पहले हम पिंजरे में डालते हैं... बाहर नहीं शेर का शिकार करते हैं... पिंजरे में पहले डालते हैं... पिंजरे में मतलब थाने में डालेंगे...
रिपोर्टरः कुछ कोल्ड ड्रिंक वगैरह पियेंगे...
दिनेश सिंह (दरोगा): सब लेंगे, पैसे लेंगे तो... खर्चा पानी की व्यवस्था करो और जाइये आप.. हम दरोगा हैं... आप रिलेक्स होकर अपना फोन नंबर दीजिए पहले हमें...
रिपोर्टरः मैं आपको चार घंटे में शाम को आपको फोन करता हूं...
दिनेश सिंह (दरोगा): हां शाम को फोन करना... जैसे ही हमको मिलता है... हम आपको...
रिपोर्टरः क्या ऐसा हो सकता है कि...
दिनेश सिंह (दरोगा): क्यों नहीं होगा यार... अरे यार नहीं यार आप दो साल के लिए अंदर कर देंगे... स्मैक लगा देंगे सौ पचास ग्राम... यार क्या नहीं होता है यार यहां... कहे तो एनकाउंटर हम कर दे लेकिन एनकाउंटर मना हो गया है यू.पी में नहीं तो 53-53 दारोगा.. इसलिए एनकाउंटर ऐसे नहीं करते हम लोग... एनकाउंटर करते हैं पहले जा के एटीएम से पैसा निकलवा लेते हैं... उसके जीजा को बुलवा लेते हैं... उनसे सबसे पैसा ले लेते हैं... सास-ससुर से भी पैसा ले लेते हैं... भाइयों से भी पैसे ले लेते हैं... फिर कहते हैं छोड़ देंगे छोड़ देंगे और ले जाकर तुरंत... कोई बड़ी घटना में पेल के उनका एनकाउंटर कर देते हैं...

आगे बातचीत में दिनेश सिंह नाम का ये पुलिसवाला बिना सच जाने लड़के पर ड्रग्स, आर्म्स एक्ट और हत्या के प्रयास जैसे केस लगाने को तैयार हो गया...

दिनेश सिंह (दारोगा): यार जो मैने बताया है पूरी तरीके से पहले हमने, जो की असंभव बातें हम नहीं ज्यादा बताते हैं... स्मैक लगा दिया एक कट्टा लगा देंगे... 6 महीने तक @#$% वाले की कम से कम जमानत नहीं होगी... ये दावा हम कर रहे हैं...
रिपोर्टरः बता रहें है आप चार घंटा...
दिनेश सिंह (दारोगा): हर तरीके से चार घंटा हमें दीजिए... चार घंटे में बिल्कुल एकदम तरीके से उसको... कहां लोकेशन है ये भी बता देंगे... ये जिम्मेदारी हमारी... क्योंकि देखिए वो कन्नौसी का है अगर... वैसे मेरा दिल कह रहा है... है
रिपोर्टरः  है... है
दिनेश सिंह (दारोगा): उसकी शक्ल हमने देखी @#$% की शक्ल... उसकी शक्ल देखी है, अभी भी याद है... ठीक है... दो चार हजार खर्चा करो और जाओ... निकलो...

हम हैरान थे कि दिनेश सिंह खुलकर बोल रहा था... बातचीत में इसने आगे खुलासा किया कि एक बार लड़के को पकड़ने के बाद ऐसी सजा देगा कि किसी की भी रूह कांप जाएगी... मतलब दारोगा दिनेश सिंह एक बेगुनाह को सिर्फ इसलिए झूठे केस में फंसाने और थर्ड डिग्री टॉर्चर देने को तैयार था कि उसे इस काम के लिए पैसे चाहिए थे।

रिपोर्टरः और तो मेरी सर से बात हो गई है... उन्होंने कहा है कि कोई कागजी कार्रवाई नहीं होगी...
दिनेश सिंह (दरोगा): किसी को बोलने से कुछ फायदा नहीं है, जो कुछ लिखते हैं सभी नहीं बोलते हैं, पहले प्यार से बुलाते हैं... कि पहले प्यार से आ जाए... छोटे भाई, छोटे भाई, जीतू, जीतू, जीतू, जितेंद्र जीतू... वहां से भी मिलेगा तो हम मारपीट नहीं करते हैं... क्योंकि हमारा क्रैक है... धीरे से लाए... फिर तुम्हें बुलाए... बाइचांस अगर उसकी याददाश्त चली जाएगी... ये केसे... तब फिर हम सब निकाल के @#$% के पेचकस... प्लास... @#$% नंगा करके @#$% पर वो बाल थे न जो... प्लास से @#$% के बाल नोचते है तो दर्द नहीं महसूस करोगे... प्लास पकड़ के @#$% के बाल जब निकलेंगे... किसको दिखाएंगे @#$% समझ रहे हो न बात को...
रिपोर्टरः सोलिड चीज़ है...
दिनेश सिंह (दरोगा)ः यहां तो सब दिखा दोगे, ये सब मारा, ये... पर @#$% किसको दिखाओगे... लेटरिंग @#$% की छिटक-छिटककर आएगी...

किसी निर्दाश को झूठे आपराधिक मामले में फंसाने के लिए कन्नौसी चौकी इंचार्ज पूरी तरह से तैयार था... लेकिन इसके लिए इसे 3 हज़ार रुपये बतौर रिश्वत चाहिए थे।

तारीख - 5 मई 2016
वक्त- दोपहर 12 बजकर 30 मिनट
जगहः मोहनलाल गंज थाना, लखनऊ
कृष्णानगर थाने की सच्चाई जानने के बाद असल न्यूज़ की टीम मोहनलाल गंज थाने पहुंची... यहां हमारी मुलाकात दरोगा प्रसाद पांडे से हुई... प्रसाद पांडे को हमने वही पहले जैसी मनगढंत कहानी बताई... प्रसाद पांडे ने भरोसा दिलाया कि हमारे फरार नौकर को पकड़ लेगा... हम निश्चिंत रहें... इसके बाद किसी तरह से उस लडके को कानून के दायरे से बाहर निकालकर टॉर्चर किया जायेगा इसका खुलासा प्रसाद पांडे ने खुफिया केमरे पर किया... आगे पढ़िए पुलिस लॉकअप में किस बेरहमी से टॉर्चर का ये पुलिसवाला दावा कर रहा है...
रिपोर्टरः पहले तो आप उसको दीजिये अपना जो आप लोग ट्रीटमेंट करते हैं...
प्रसाद पांडे (दरोगा): जी उतने में थर्ड डिग्री का हो जाएगा...
रिपोर्टरः क्या करते हैं सर थर्ड डिग्री का बताइये...
प्रसाद पांडे (दरोगा): थर्ड डिग्री में जिस तरह हम लोग इस तरह नहीं मारते हैं... कहीं चोट लगे या हड्डी टूटे... ये जो जैसे इंजन वगैरह चलता है उसमें पट्टा नहीं होता...
रिपोर्टरः हूं, हूं...
प्रसाद पांडे (दरोगा): ये पट्टा एक लकड़ी की मुठिया में लगवा दिया जाता है इतना बड़ा
रिपोर्टरः अच्छा...
प्रसाद पांडे (दारोगा): उसी से खंबा पकड़ा के पूरा पीछे से इतना मारा जाता है कि वो जिंदगी भर याद करता है... जब भी लैटरिंग में बैठेगा तभी याद करेगा...
रिपोर्टरः अच्छा...
प्रसाद पांडे (दारोगा): किसी ने मारा है...
रिपोर्टरः पहले ये ट्रीटमेंट होना चाहिए...
इसका कोई अलग से खर्चा हो तो बता दीजिए...
प्रसाद पांडे (दारोगा): अरे ज्यादा नहीं हम बता देंगे शर्मा जी को

प्रसाद पांडे ने बातचीत में कबूल किया कि अगर उसे एक लाख रुपये दिये जायें तो वो किसी निर्दाष पर कोई भी धारा लगा सकता है।

रिपोर्टरः सर रिकवरी हो जाए तो बढिया है, ठीक है न सर... अदरवाइज उसको ना जो है ना...
प्रसाद पांडे (दारोगा): देखो सुना...
रिपोर्टरः किसी न किसी धारा
प्रसाद पांडे (दारोगा): इसको तो हम भेज देते हैं... इनको हम इसमें भेजेंगे कि सबक सीख जाए... ताकि इनको एक सबक मिल जाए...
रिपोर्टरः वैसे सर क्या हो सकता है इसमें कौन सी धारा लगा सकते हो आप...
प्रसाद पांडे (दारोगा): अगर जैसे ये हमें मिल जाएंगे तो देखिए मान लिया स्मैक है या कट्टा लगवा देंगे...
रिपोर्टरः मतलब करीब एक साल
प्रसाद पांडे (दारोगा): हां... हां... हां... स्मैक में जाएगा तब हो पाएगा एक साल.. कट्टा में तो मान लो दो तीन महीने में छूट जाएगा... स्मैक में तो हाईकोर्ट जाना पड़ेगा...
रिपोर्टरः सर मैं ये बोल रहा था कि जैसे अगर हम इसके साथ कुछ और मतलब जैसे आपने स्मैक तो बता दिया... कट्टा बता दिया
प्रसाद पांडे (दारोगा): हूं
रिपोर्टरः और इसके अलावा क्या हो सकता है...
प्रसाद पांडे (दारोगा): जैसे मान लो कि अगर हम दिखा देंगे कि आपको जो है गोली मारने के लिए बुलाए थे... आप लखनऊ में बैठे हो आपकी तरफ से हो जाए...
रिपोर्टरः मतलब हत्या का प्रयास
प्रसाद पांडे (दारोगा): हां... 307...
रिपोर्टरः इसमें उसके लिए...
प्रसाद पांडे (दारोगा): ये तो हाईकोर्ट में अपील होगा... इसमें तीन चार महीने लगेंगे...
रिपोर्टरः 307 के केस के लिए फिर कोई बंदा भी चाहिए होगा ना, जिसको चोट लगी हो...
प्रसाद पांडे (दारोगा): नहीं चोट नहीं फिर हम बताएंगे ना... केसे होगा...
रिपोर्टरः बता दीजिए फिर... इनकी संतुष्टि के लिए बता दीजिए...
प्रसाद पांडे (दारोगा): नहीं चोट नहीं होगी... वो दिखाएंगे हम कि ऐसा है ना सामने मारा और मैं गिर गया... इसलिए मैं बच गया... गोली निकल गई...
रिपोर्टरः मतलब इस पर ये जा सकता है...
प्रसाद पांडे (दारोगा): जा सकता है...
रिपोर्टरः ये आप करवा सकते हो...
प्रसाद पांडे (दारोगा): और क्या
रिपोर्टरः चलो फिर तो कोई बात ही नहीं.क्यों भाई साहब...
रिपोर्टरः हां फिर तो जाएगा तो लंबा ही जाएगा सीधा...
प्रसाद पांडे (दारोगा): और क्या लंबा ही जाएगा...

सारी बातें तय होने के बाद प्रसाद पांडे ने हमसे बतौर एडवांस 10 हज़ार रुपये की मांग की... हालांकि पहली किश्त के तौर पर एक हज़ार रुपये दिये गये और बाकी शाम को पैसे देने की बात कहकर हम वहां से निकल गए... लेकिन इस बातचीत से इतना साफ हो गया कि यहां भी पुलिसवाले पैसों के लिए किसी भी बेगुनाह की ज़िंदगी से खेल सकते हैं।

तारीखः 5 मई 2016
वक्तः दोपहर 12 बजे
जगहः पीजीआई थाना, लखनऊ
इस थाने में हमारी मुलाकात दरोगा गोविंद नारायण पांडे से हुई, ठीक पहले की तरह हमने यहां भी वही मनगढ़ंत कहानी बताई की हमारा नौकर हमारे सवा तीन लाख रुपये लेकर भाग गया है और इसी थाना इलाके का रहने वाला है... गोविंद नारायण पांडे बिना लड़के को पकड़े या उससे पूछताछ किये उसपर ड्रग्स से संबंधित केस लगाने को तैयार हो गये... और कहा कि स्मैक की पुडिया का इंतजाम हमें करना होगा। इस काम के लिए गोविंद नारायण पांडे ने हमसे 2 से 5 हज़ार रुपये इंतजाम करने को कहा...

गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अब ये देखो ऐसा है जब मिल गया
रिपोर्टरः थोड़ा सा... आगे इनको भी अपना बाबू जी को जवाब देना है न...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): हां इनका बाबू जी को भी जवाब मिल जाएगा... दफा 7 में बंद कर देंगे उसको...
रिपोर्टरः दफा 7 में मतलब...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): दारू
रिपोर्टरः डेढ दो साल को लिए अंदर जाए कोई ऐसी धारा लगाइये...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): ऐसी धारा तो कोई नहीं लगेगी जो डेढ दो साल के लिए अंदर जाए... कोशिश करेंगे कि उसके ऊपर एक-आध और मुकदमें होंगे... तो तमंचे वगैरह... तमंचे में बंद कर देंगे
रिपोर्टरः नशे वगैरह वाले में नहीं हो सकता
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): स्मैक के उसमें... स्मैक की व्यवस्था आप लोगों को करनी पड़ेगी, हो जाएगा...
रिपोर्टरः व्यवस्था में क्या करना पड़ेगा बता दो... खुलकर बता दीजिए कोई इशू नहीं है...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अरे कोई ऐसी बात नहीं है...
रिपोर्टरः अरे
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): जो आपकी इच्छा हो...
रिपोर्टरः नहीं, नहीं वो तो हम...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): उस हिसाब से...
रिपोर्टरः फिर भी कुछ तो एक
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): उस हिसाब से तब दीजिएगा...
रिपोर्टरः आप बस काम कीजिए बाकी तो हम कर ही देंगे सारी चीजें...  लेकिन मतलब कितना मानकर चलें कुछ थोड़ा सा आइडिया दे दीजिए...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अब आइडिया आप जो उचित समझे कर दीजिएगा... उस लेविल पर मामला है... फिर आपको सूचना मिल जाएगा हां वो बंद हो गया...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): मतलब अब ये आएंगे नहीं यहां पर...
रिपोर्टरः हां...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): हां मत आना...
रिपोर्टरः ठीक है...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): मत आएं
रिपोर्टरः न ये आएंगे और जो भी होगी बातचीत... वो हमारी आपकी होगी बस मेरा कहना ये है... कि
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): दो पांच की व्यवस्था तो करेंगे...
रिपोर्टरः दो पांच की व्यवस्था तो हो जाएगी...

आज हम एटीएम से पैसे निकालने की बात कहकर थाने से निकल गये... अगले दिन हमारी मुलाकात फिर से इसी पुलिसवाले से हुई... तब दरोगा गोविंद नारायण पांडे ने असल न्यूज़ के खुफिया केमरे पर चौंकाने वाले खुलासे किये।
तारीखः 6 मई 2016
वक्तः दोपहर 12 बजे
जगहः पीजीआई थाना, लखनऊ
6 मई की दोपहर करीब 12 बजे फिर से हमारी मुलाकात दारोगा गोविंद नारायण पांडे से हुई, हमने बताया कि कल एटीएम ब्लॉक होने की वजह से हम पैसों का इंतजाम नहीं कर पाये थे, लेकिन अब हमें दारोगा ने समझाया कि ड्रग्स केस में फंसाने के लिए स्मैक की 200 पुडिया का इंतजाम करना होगा, जो वह खुद करेगा... इस पुलिसवाले ने खुलासा किया कि वो कहां से स्मैक लाएगा और केसे झूठा केस तैयार करेगा...

रिपोर्टरः स्मैक खरीद कर लाना पड़ेगा कह रहे हो आप...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): व्यवस्था तो करनी पड़ेगी...
रिपोर्टरः व्यवस्था केसे होगी...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): वो तो हम ही लोग करेंगे ना...
रिपोर्टरः  स्मैक का कितना खर्चा आएगा...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): ये तो रहेंगे ही...
रिपोर्टरः मैने इसीलिए तो बोला कि
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): मिल जाएगा...
रिपोर्टरः कितने लेने होंगे...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अरे कम से कम 200 पुड़िया लेनी होंगे...
रिपोर्टरः 200 पुड़िया लेनी पड़ेगी स्मैक की...फंसाने के लिए...अच्छा
रिपोर्टरः कितने की होगी 200 पुड़िया...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): सात आठ हजार की आएगी...
रिपोर्टरः सात आठ हजार की आएगी... अच्छा... तो कुल कितना खर्चा है एक बारी ये बता दो उसको... स्मैक में अंदर करने का पूरा... कितना खर्चा लोगे...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): दस-बारह दे दो...
रिपोर्टरः दस-बारह हजार...
रिपोर्टरः अच्छा सर... ये... मतलब जो... आपके अफसर हैं... उनकी जानकारी में रहेगा न...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): हां, हां...

इतना कुछ करने के लिए गोविंद नारायण पांडे नाम के इस दरोगा को खर्चा पानी चाहिये था. खुफिया केमरे पर इसने हमसे खर्चा पानी के तौर पर  5000 रुपये की मांग की।

गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): रखिए... रखिए... इसको रखिए अंदर...
रिपोर्टरः अभी कितना चाहिए आपको... ये बताइये... अभी...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): रखिए... रखिए... रखिए...
रिपोर्टरः कोई आ गया था क्या...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): नहीं रखिए इनको...100...50...500 रुपये लेकर...
रिपोर्टरः 100-50 नहीं हजार रुपये हैं...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अरे हजार-वजार से कुछ...
रिपोर्टरः अरे मैं परसो आपको दे तो रहा हूं...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): जाइये परसों आइये फिर...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अभी मुझे खर्चा-पानी तो नहीं... चाय पीने के लिए मुझे.... गर्वमेंट देती है... काम करता हूं तो... जाओ आप...जाओ...
रिपोर्टरः फिर कितना दे दूं ये भी बता दो आप... फिर मैं जाकर व्यवस्था करता हूं...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): 5 की व्यवस्था करोगा तब ना... कल भी तो व्यवस्था करते-करते आए थे... काम आगे बढता जाता तो... करते करते...
रिपोर्टरः अभी तो चाय पानी के लिए...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): अरे चाय पानी का... चाय पानी के लिए तरस रहा हूं... जाईए चाय पानी तो मुझे बहुत मिलता है... करने के लिए...यहां से समझ गए...
रिपोर्टरः इसका मतलब पैसे नहीं लेंगे...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा):  मैं पैसे का शौकीन नहीं हूं...काम करता हूं तो लेता हूं...
रिपोर्टरः बात सही है तो मैं कहां मना कर रहा हूं पैसे देने के लिए...अरे नहीं देंगे तो नहीं करेंगे काम यही तो है ना...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): जायज काम होगा तो होगा नहीं तो देखा जाएगा...ये है मुझे 100-50 की लालच नहीं रहती है...
रिपोर्टरः अब इसने सारी बात बताई फिर भी आपको प्रॉब्लम है बताइये... मैं बोल तो रहा हूं मना कहां कर रहा हूं आपको देने को...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): ठीक है जाइये आप...
रिपोर्टरः अब तीन चार दिन बाद आउंगा मैं...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): तीन चार दिन बाद
रिपोर्टरः नहीं मैं आउंगा... बात कर लूंगा...
उसके बाद ये आएंगे...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): तीन-चार दिन बाद आइयेगा तब देखा जाएगा...
रिपोर्टरः लेकिन काम तो स्टार्ट हो जाएगा ना...
गोविंद नारायण पांडे (दरोगा): करेंगे जो आओगे तो...

हमारे इस स्टिंग ऑपरेशन से इतना तो साफ हो गया था कि लखनऊ पुलिस में कुछ पुलिसवाले ऐसे भी हैं जो कुछ हज़ार रुपयों के लिए किसी बेगुनाह की जिंदगी से खिलवाड़ कर सकते हैं... हम यह नहीं कह रहे कि सभी पुलिसवाले इस तरह के कृत्य में लिप्त है, लेकिन कुछ पुलिसवाले महकमें की छवि जरूर खराब कर रहे हैं। इस पूरे स्टिंग ऑपरेशन और पुलिसवालों से बातचीत को सुनने और देखने के बाद आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि लखनऊ पुलिस की सच्चाई क्या है।

आप पूरा स्टिंग ऑपरेशन असल न्यूज़ यूट्यूब चैनल और वेब पोर्टल (www.asalnews.in) पर देख सकते हैं।


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