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14.6.16

सहारा के मीडियाकर्मियों का तालकटोरा व जंतर-मंतर पर प्रदर्शन





वेतन बकाया की अदायगी के लिए सुब्रात राय सहारा के साथ-साथ पीएमओ, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय को ज्ञापन

नई दिल्ली। पिछले लगभग दो वर्षों से वेतन की अदायगी में सहारा इडिया परिवार प्रबंधन के टालमटोल रवैये से परेशान सहारा मीडिया के सैकड़ों कर्मचारियों को शुक्रवार को सुबह तालकटोरा स्टेडियम पर कंपनी के चेयरमैन सुब्रात राय सहाया से मिलकर वेतन की शीघ्र अदायगी की अपील करने पहुंचे मगर भारी पुलिस बल के बंदोबस्त के कारण उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। मौके पर मौजूद सीनियर पुलिस अधिकारियों ने उन्हें स्टेडियम के गेट से काफी पहले ही रोक दिया आैर उन्हें वापस भेजने लगे। प्रबंधन आैर पुलिस के रवैये से आक्रोशित सहारा मीडिया के कर्मचारी वहीं अपना बैनर आैर तख्तियां लहराने लगे तो पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर बस द्वारा उन्हें जंतर-मंतर भिजवा दिया।


इस कार्यवाही से आक्रोशित सहारा मीडिया के कर्मचारियों ने जंतर-मंतर पर जमकर नारेबाजी की। वे काफी देर तक वहीं सहाराश्री की तरफ से मुलाकात के लिए बुलाए जाने का इंतजार करते रहे। मगर उन्हें चंद मिनटों की मुलाकात का मौका नहीं दिया। आखिरकार कर्मचारियों ने फैसला किया कि एक ज्ञापन सहारा प्रमुख को दिया जाए जबकि पीएमओ, गृह आैर वित्त मंत्रालय को भी ज्ञापन सौंपा जाए। प्रदर्शन में आगे-आगे रहने वाले कुछ मुलाजमीन ने खुद गृह, वित्त व पीएमओ जाकर ज्ञापन सौंपा जबकि सुब्रात राय सहारा को पुलिस अधिकारियों के द्वारा ज्ञापन भेजा गया। क्योंकि स्टेडियम तक जाने देने की हर अपील को पुलिस ने ठुकरा दिया।

इस दौरान जंतर-मंतर इन कर्मचारियों की नेतृत्व कर रहीं गीता रावत (उपसंपादक, राष्ट्रीय सहारा) ने कुछ मीडिया एजेंसियों व चैनलों के रिपोर्टरों से बात करते हुए बताया कि सहारा मीडिया के कर्मचारियों का कम्पनी पर लगभग 12 महीने का वेतन बाकी है मगर प्रबंधन हर महीने सिर्फ झूठे वादे के अलावा हमें कुछ नहीं देता है। कभी-कभी किसी-किसी महीने आधा-अधूरा वेतन देकर फिर अगले वेतन के लिए झूठे वादे देकर हमें बेवकूफ बनाता रहा है। हम कर्मचारी कंपनी के हित को हमेशा आगे रखा आैर ऐसी स्थिति में भी अपने कार्यालय के काम को पूरी मुस्तैदी से किया। अब जबकि हमारे बच्चों के नाम स्कूल से काटे जाने लगे हैं आैर पूरा घर भूखमरी के कगार पर पहुंच गया है। ऐसे हालात में, हमारी सहने की क्षमता समाप्त हो गई है। हमें उम्मीद थी कि हमारे प्रमुख सुब्रात राय सहारा जेल से रिहाई के बाद हमारी दिक्कतों को संज्ञान लेंगे आैर इसे प्राथमिकता देते हुए हमारा वेतन आैर बकाया की अदायगी के लिए ठोस पहल करेंगे। मगर जेल से बाहर आने के लगभग एक महीने बाद भी उनके द्वारा हम मीडिया कर्मचारियों को किसी भी रूप से कोई संदेश नहीं मिला है। अब हमें पूरा यकीन हो गया है कि उन्हें हमारी या हमारे परिवार की कोई चिंता नहीं है। इसलिए हम सभी मीडिया कर्मचारियों ने एकमत होकर दो जून से प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का काम ठप कर दिया है।

मीडिया कर्मचारियों के इस कदम के बाद तीन जून को राष्ट्रीय सहारा (हिन्दी व उर्दू) के नोएडा एडिशन के साथ-साथ अन्य सभी यूनिटों के संस्करण प्रकाशित नहीं हो पाया है। कर्मचारियों ने सहारा के तमाम न्यूज चैनलों में भी कोई बुलेटिन नहीं चलने दिया है। सहारा कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनके वेतन की अदायगी पूरे बकाया के साथ उन्हें नहीं दे दिया जाता है तब तक काम काज ठप रखेंगे। इस दौरान तमाम कर्मचारी पहले की तरह नियमित रूप से अपने ड्यूटी टाइम पर आते-जाते रहेंगे। इस प्रदर्शन में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अधिकतर कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

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