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28.9.16

HP High Court decision on Sanawar School : Lawrence School is Private or Public ?

HC refers the matter back to CIC, Delhi
Court orders CIC for time-bound decision on Sanawar School

Himachal Pradesh High Court at Shimla has referred the issue of
accountability of Lawrence School, Sanawar under RTI Act back to
Central Information Commission, New Delhi. Over eight years back, CIC
had held in 2008 that by no criteria could the school be outside the
purview of the RTI Act, and had, therefore, declared Lawrence School a
‘Public Authority’ attracting all provisions of the RTI Act.
Accordingly, the school headmaster was directed to provide information
to the appellant.


Dr Rajinder K Singla, a teacher of this school, had on December 28,
2006 sought from CBSE certain information on this school, including
school rules, qualifications and pay scales of teachers, student fee,
list of members of the Board of Governors etc. Five days later, school
terminated the services of the teacher. CBSE advised the teacher to
approach the school headmaster directly for information. School
headmaster denied information, claiming that the said school being a
private institution lies outside the ambit of RTI Act. School also
asked CBSE not to disclose anything to the applicant, claiming that
the school records lie with CBSE in fiduciary capacity. First Appeal
filed by the appellant before Regional Officer of CBSE at Panchkula
could be no avail. Aggrieved teacher Dr Singla finally approached the
Central Information Commission, New Delhi which heard both the parties
on January 8 and decided the issue on January 25, 2008. Holding
Lawrence School to be public authority, CIC had directed the school
authorities to provide information by February 20, 2008 and cite the
specific provision of the RTI Act in case they wish to deny any
information.

There being vacations in the Lawrence School, the headmaster requested
CIC for two weeks’ more time for compliance of its order. Contrarily
however, school preferred a writ petition against the CIC decision in
February, 2008 and the operation of the CIC order was stayed by the HP
High Court. The matter was listed before the Single Bench of Justice
Sanjay Karol and heard many a time, till May 5, 2016 when the Singh
Bench felt that being an important issue, it would be only appropriate
that the matter be heard by Division Bench of HP high Court.

The Division Bench comprising of Chief Justice Mansoor Ahmad Mir and
Justice Tarlok Singh Chauhan has on September 19 remanded the CIC
decision of 2008 back to the Commission, asking it to decide it afresh
in a time-bound manner. The court has directed that the parties would
cause appearance before the Commission on November 1, petitioner would
file reply on or before November 8, the CIC would hear the parties on
or before November 24 and the decision to come up by December 10 this
year. Applicant Dr Singla and the respondent School have been put at
liberty to raise all the grounds available to them to contest their
claims before the Information Commission.

* * * * *

लॉरेंस स्कूल, सनावर : प्राइवेट या पब्लिक संसथान ?
हिमाचल हाई कोर्ट से मामला फिर पहुंचा केंद्रीय सूचना आयोग, दिल्ली.
निर्धारित समय में सवाल-जवाब, सुनवाई व् फैसला करेगा आयोग.

शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से मामला एक बार फिर केंद्रीय सूचना
आयोग, दिल्ली को भेजा गया है. मामला है कि क्या सोलन जिले में स्थित
विशव-विख्यात लॉरेंस स्कूल, सनावर सूचना का अधिकार कानून, 2005 के तहित
जवाबदेह है अथवा नहीं. आज से आठ वर्ष पहले, 2008 में दिए अपने निर्णय में
केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा था कि यह स्कूल किसी भी लिहाजे आरटीआई के
दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता. इसलिए, इसे पब्लिक अथारिटी करार देते
हुए स्कूल हेडमास्टर को निर्देश दिए गये थे कि वह 20 फरबरी, 2008 तक
आवेदक को मांगी गयी सूचना दें.

उलेखनीय है कि 28 दिसम्बर, 2006 को इस स्कूल के ही एक टीचर डॉ राजिंदर के
सिंगला ने सूचना का अधिकार इस्तेमाल करते हुए सीबीएसई से इस स्कूल से
जुडी कुछ जानकारी मांगी थी. स्कूल रूल्स, अधिआप्कों की योग्यताएं व्
वेतन, छात्रों की फीस, स्कूल की मैनेजमेंट समिति के सदस्यों की सूची
इतियादी मांगी गयी सूचना में शामिल थे. जहाँ पांच दिन के भीतर स्कूल ने
आवेदक टीचर को नौकरी से निकल दिया, वहां दूसरी तरफ सीबीएसई से कहा कि
आवेदक मांगी गई सूचना के लिए सीधा स्कूल के हेडमास्टर को आरटीआई के तहित
आवेदन डाले. एक तरफ हेडमास्टर ने यह कहते हुए कोई भी सूचना देने से इंकार
कर दिया की निजी स्कूल होने के नाते, यह आरटीआई के दायरे से बाहर है.
दूसरी तरफ हेडमास्टर ने सीबीएसई को कहा कि वह भी स्कूल से जुडी कोई
जानकारी आवेदक को न दें, क्योंकि स्कूल के दस्तावेज बोर्ड के पास
‘फिदुसिअरी कैपेसिटी’ में पड़े हैं. आवेदक द्वारा बोर्ड के क्षेत्रीय अफसर
व् अपीलेट अथारिटी, पंचकुला को दायर की गई अपील पर भी कुछ नहीं हुआ. अंतत
आवेदक डॉ सिंगला ने केंद्रीय सूचना आयोग, दिल्ली के समक्ष गुहार लगाई. 8
जनबरी 2008 को सुनवाई के पश्चात् 25 जनवरी को आयोग ने अपना निर्णय दिया.
लारेंस स्कूल को आरटीआई कानून के ताहित ‘पब्लिक अथारिटी’ घोषित करते हुए
कहा गया था कि आवेदक को 20 फरबरी तक मांगी गयी सूचना मुहैया करवाई जाये.

एक तरफ स्कूल के हेडमास्टर ने जानकारी देने के लिए आयोग से दो हफ़्तों का
और वक़्त माँगा, वहां दूसरी तरफ आयोग के इस निर्णय के खिलाफ 21 फरबरी को
हिमाचल परदेश की उच्च अदालत में याचिका दायर कर दी. उच्च अदालत द्वारा
आयोग के इस निर्णय पर रोक लगा दी गयी, जिसके बाद कई बार मामले में सुनवाई
के बाद जस्टिस संजय करोल ने 5 मई 2016 को मामले को महत्वपूरण बताते हुए
चीफ जस्टिस को इसे डिवीज़न बेंच द्वारा सुनवाई के लिए भेज दिया.

डिवीज़न बेंच में मुख्य-न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर तथा न्यायाधीश तरलोक
सिंह चौहान ने 19 सितम्बर को सुनवाई के बाद इस मामले को एक बार फिर
केंद्रीय सूचना आयोग, दिल्ली के पास भेज दिया है तथा निर्देश दिए हैं के
वह निर्धारित समय में इसका फैसला करे. तदनुसार, दोनों पक्ष 1 नवम्बर को
आयोग के समक्ष पेश होंगे, 8 नवम्बर तक स्कूल अपना जवाब दायर करेगा, 24
नवम्बर तक आयोग में मामले की फिर सुनवाई होगी और 10 दिसम्बर तक आयोग अपना
निर्णय देगा.

Dr Rajinder K Singla
Teacher-turned-Activist, Chandigarh.
Mobile: +91 9417538456, 9646338456

1 comment:

Dilip said...

where is the judgement by CIC. Is this not a contempt of high court order