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25.11.16

नव भारत के कर्मचारियों का शोषण, दुविधा में परिवार! आखिर यह कैसी नौकरी

नव भारत के शोषित कर्मचारी , बेचारे मोहताज़ हैं बेहाल हैं , बच्चे और परिवार वाले इनके पूछते हैं यह कैसी नौकरी है , जहां महीनों वेतन नहीं मिलता , तनखा के नाम पर नव भारत के संचालक कर्मचारियों के टुकड़े में खेरात बांटते हैं , कर्मचारी कोई तीज त्यौहार , होली , दशहरा , दिवाली, ईद नहीं मना पाता ,बच्चों को कपडे नहीं दिला पाता , स्कूल की फीस  समय पर जमा नहीं करवा पाता, मकान का किराया जमा नहीं कर पाता , हर महीने मकान मालिक की बातें सुनने को मज़बूर है नव भारत का कर्मचारी ,
स्कूल में टीचर की बातें सुनने को मज़बूर है , यह कैसी मुफ्लसी भरी नौकरी , मायूसी भरी यह नव भारत की नौकरी , यह कैसी नौकरी , आखिर इतना लाचार क्यूँ है यहां का  कर्मचारी , अपना और अपने बच्चों का भविष्य देखो इस नौकरी से क्या दोगे अपने परिवार को , नव भारत के संचालकों को कोई असर नहीं पड़ता आपकी मुफ्लसी से , उनका घर परिवार सम्पन है , भाई परेशान और मज़बूरी में तो आपका परिवार और बच्चे हैं , उनका ख्याल करो एक जुट होकर अपने हक़ की मांग करना कोई अपराध नहीं है यह आपका अधिकार है , संस्था को कर्मचारी का वेतन समय पर देना चाहिए , कर्मचारी का प्रोविडेंट फण्ड जमा करना चाहिए , जो नव भारत के संचालक नहीं करते यह अपराध है , कब तक शोषित होते  रहोगे , यह जानलो कर्मचारी हैं तो संस्था है अगर कर्मचारी हट गए तो न संचालक रहेगा न संस्था रहेगी ! सुनके हैरानी होती नव भारत के कर्मचारियों को कभी पूरा वेतन मिला ही नहीं महीनो से बकाया तनखा संस्था नहीं दे रही , बहुत ही दुखद है , कर्मचारी से वफादारी की उम्मीद करते हैं नव भारत के संचालक और  बदले में  देते हैं शोषण और लाचारी  का सबब , नव भारत की यह दुर्दशा और ऐसे हालात स्वयं संचालकों की पारिवारिक लड़ाई की  देन हैं , और यह बदनाम करते हैं कर्मचारियों को .....

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