Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

29.2.16

सच में ये भारतीय मीडिया के लिए ब्लैकआउट करने का वक्त है?

रविश कुमार आपको जेएनयु मुद्दे पर सरकार की करवाई से बहुत पीड़ा पहुंची है..क्योकि आपके अनुसार सरकार लोगो की आवाज दबा रही है ..अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला कर रही है ...आपके अनुसार पाकिस्तान जिंदाबाद ..भारत तेरे टुकड़े होंगे ..भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ..अफजल जिंदाबाद ..आदि नारे देश के लोगो की अभिव्यक्ति है | रविश कुमार .. आपने उस वक्त ब्लैकआउट क्यों नही किया था जब कमलेश तिवारी ने अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक को इस्तेमाल करते हुए कुछ सच मगर कड़वी बाते की थी ? उसे फांसी देने के लिए भारत के बीस शहरों में भारी भीड़ ने जमकर दंगे किये .. यूपी की विधानसभा में उसे फांसी देने की मांग उठी ..उसके सर पर करोड़ो का ईनाम रखा गया .. और आपके ही टीवी चैनेलो पर कितने लोगो ने उसे मौत की सजा देने की वकालत की ... रविश कुमार ..भारत में ईश्वर निंदा कानून नही है .. फिर भी कई मुस्लिम सांसदों और विधायको ने उसे फांसी देने की मांग करते हुए हर टीवी चैनेलो पर चिल्लाते थे ...तब आपके मुंह से एक बार भी ये क्यों नही निकला की कमलेश तिवारी को भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है .. और उसके उपर एनएसए लगाना सरकारी आतंकवाद है ...

दुर्घटना में मृत पुलिस कर्मियों की लाश फर्श पर अपमानित ढंग से रखे जाने पर बिफरे सामाजिक कार्यकर्ता




गाजीपुर के कासिमाबाद थानान्‍तर्गत पुलिस की वैन के ट्रक में टक्‍कर हो जाने पर मृत सिपाही रमेश सिंह व थाने के दरोगा का शव मर्चरी बाक्‍स में न रखकर मर्चरी रूम में फर्श पर ही अपमानित तरीके से छोड दिया गया था। सोमवार को जिला चिकित्‍सालय परिसर में सत्‍याग्रह के दौरान समग्र विकास इंडिया के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ब्रज भूषण दूबे को जब यह जानकारी हुयी तो वे मित्रों सहित मर्चरी हाउस गये और खिडकी से झांककर देखा तो सिपाही रमेश सिंह का शव फर्श पर बिना ढंके रखा हुआ था और मर्चरी हाउस में शव व उसके आस-पास चूहे घूम रहे थे।

बर्खास्त पत्रकारों से एक अपील, एक निवेदन

पूँजीवादी विकास के फलस्वरूप जब अखबार के मालिकों को जिला स्तर पर इश्तिहार के रूप में मुनाफे की भनक लगी तो दनादन सभी अखबारों ने अपने जिला संस्करण निकालने शुरू कर दिये। गुजरे जमाने में संपादन और एक हद तक अनुवाद भी जरूरी हुआ करता था। पर आज के दौर में आप कंप्यूटर पर कितने पन्ने बना लेते हैं, पत्रकारिता का बस यही मानक है। रही बात रिपोर्टरों की तो वे पहले की ही भाँति 300 शब्दों में अपनी स्टोरी को एंगल देने में लगे रहते हैं। अपने यहां छिटपुट सूचनाओं-बयानबाजियों को छापने का चलन अधिक है। शोधपरक और मेहनत के साथ लिखी गयी बड़ी स्टोरीज को तवज्जो नहीं दी जाती। तो यह तो रही भूमिका।

शिक्षा परिसर राजनीति मुक्त नहीं, संस्कार युक्त हों

-संजय द्विवेदी-

  हमारे कुछ शिक्षा परिसर इन दिनों विवादों में हैं। ये विवाद कुछ प्रायोजित भी हैं, तो कुछ वास्तविक भी। विचारधाराएं परिसरों को आक्रांत कर रही हैं और राजनीति भयभीत। जैसी राजनीति हो रही है, उससे लगता है कि ये परिसर देश का प्रतिपक्ष हैं। जबकि यह पूरा सच नहीं है। कुछ मुट्ठी भर लोग भारतीय युवा और उसकी समझ को चुनौती नहीं दे सकते। देश का औसतन युवा देशभक्त और अपने विवेक पर भरोसा करने वाला है। उसे अपने देश की शक्ति और कमजोरियों का पता है। वह भावुक है, पर भावनात्मक आधार पर फैसले नहीं लेता। दुनिया की चमकीली प्रगति से चमत्कृत भी है, पर इसके पीछे छिपे अंधेरों को भी पहचानता है।

28.2.16

बनारस में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर में पत्रकारों की जबर्दस्त भागीदारी

पत्रकारपुरम विकास समिति एवं लायंस क्लब वाराणसी बुद्ध का आयोजन


वाराणसी। चुप्पेपुर (गिलट बाजार) स्थित पत्रकारपुरम कालोनी के ब्लॉक  एक में रविवार को आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर में पत्रकारों ने बढ़ -चढ़कर भागीदारी की। पत्रकारपुरम विकास समिति एवं लायंस क्ला वाराणसी बुद्ध के संयुक्त बैनर  तले शिविर का आयोजन पत्रकारों एवं उनके परिजनों के लिए किया गया था। शिविर में दो सो से अधिक पत्रकारों एवं उनके परिजनों के स्वास्थ्य का चेकअप किया गया। प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. राजीव गुप्ता के नेतृत्व में डॉ. एसआर सिंह, डॉ. एके उपाध्याय एवं आशीष तिवारी ने मधुमेह, ब्लड प्रेशर एवं डॉ दिलशाद ने नेत्र का परीक्षण किया और आवश्यक चिकित्सकीय सलाह दी।

27.2.16

रवीश कुमार (एनडीटीवी), कहीं ये आपकी गुमनामी का अँधेरा तो नहीं!

रवीश कुमार की जेएनयू मुद्दे पर सीमित और आँख मूंदकर करने वाली पत्रकारिता, वास्तव में, वे हिंदी की काबिलियत को अपने एडिटर–मालिकों के राजनैतिक भविष्य पर न्यौछावर कर रहे हैं. रवीश कुमार अपने ‘अँधेरे वाले’ प्राइम टाइम में दूसरों को आईना दिखाने की कोशिश में ये भूल गए कि वे अपने चहरे पर एक कालिख पोतने जा रहे हैं. मेरी प्रतिक्रिया -

आधुनिक विज्ञान के मूल में भारतीय वांग्मय : मुरली मनोहर जोशी



नई दिल्ली : पूर्व मानव संसाधन मंत्री व सांसद प्रो. मुरली मनोहर जोशी ने आज कहा कि आधुनिक भौतिकी से लेकर स्टेम सेल के जीव वैज्ञानिक सिद्धांतों तक आधुनिक विज्ञान की खोजें मूल रूप से भारतीय वांग्मय में सदियों पहले स्थापित की जा चुकी हैं. राजधानी के हरियाणा भवन स्थित सभागार में भारतीय-ज्ञान विज्ञान की वैश्विक परंपरा विषय पर केन्द्रित दो दिवसीय सम्मलेन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप मे बोलते हुए श्री जोशी ने कहा कि ज्ञान-विज्ञान को लेकर भारतीय अवधारणा हमेशा से जोड़ने वाली रही है जबकि वेस्ट चीजों को तोड़कर समझना चाहता है। उन्होने कहा कि “यत्पिंडे तत्ब्रह्मांडे” की अव्धारणा स्टेम सेल जैसी खोजो का दार्शनिक रूप है जबकि स्यादवाद व अनेकांतवाद जैसे दर्शन आधुनिक भौतिकी के आधार के रूप मे देखे जा सकते है.

24.2.16

सेलरी न आने के कारण मैं पांच महीने से मकान का किराया नहीं दे पाया

सेवा में  श्रीमान

श्री न्यूज़ प्रबन्धक
नोएडा A- 49  SEC 63

महोदय  मुझे  यह  कहते  हुवे  बहुत  ही  दुःख  हो  रहा  है  की  मेरी  कई  महीने  की  पगार  नहीं  आयी  है. महोदय  मैं श्री न्यूज़  के साथ  पिछले  दो  वर्षों से  जुड़ा  हुवा  हूं  और  बड़े  खेद  के साथ  ये  कहना  पड़  रहा  है  अभी  तक  एक  साल  का ही  वेतन  आया  है.

हिन्दी दैनिक लोकमत समाचार योग्य संपादकों की कमी के चलते गलतियों पुलंदा बनकर रह गया है

महाराष्ट का नंबर एक हिन्दी दैनिक लोकमत समाचार योग्य संपादकों की कमी के चलते गलतियों पुलंदा बनकर रह गया है. अखबार में रोजाना होने वाली भाषागत गलतियां कमजोर संपादकीय नेतृत्व
की ओर इशारा करती हैं. संभवता अखबार के मालिकान को योग्य संपादकों की कमी खल रही है. शायद इसीलिए अखबार के औरंगाबाद संस्करण में कई सालों से  एक ही संपादक जमे हुए हैं. कुछ ऐसे ही हालातों प्रबंधन अब तक जलगांव, पुणे, कोल्हापुर और मप्र के छिंदवाड़ा संस्करणों में ताला लग चुका है. यही हालात रहे तो औरंगाबाद संस्करण में भी ताला लग जाएगा.

जम्मू दैनिक जागरण में प्रताड़ना चरम पर

दैनिक जागरण के जम्मू यूनिट में इन दिनों प्रताड़ना चरम पर है. पहले आरई और अब एनई ने बात बात पर जलील करते हुए रेड और येलो स्टार की बौछार कर दी है. रिपोर्टर से लेकर डेस्क तक को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है. वर्षों से टीम जागरण अवार्ड से लेकर सांध्य तक में अव्वल रैंक हासिल करने वाली जम्मू यूनिट की टीम को अब नकारा घोषित किया जा रहा है, ऐसा सिर्फ अधिकारी अपनी नौकरी बचाने के लिए कर रहे हैं.

दबंग दुनिया प्रबंधन सवालों के घेरे में

पिछले दिनों मुंबई के एक तेजी से बढ़ते दैनिक समाचार पत्र दबंग दुनिया के 8 पत्रकारों के नौकरी छोड़ने की घटना ने मुंबई के पत्रकारिता जगत के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इनमे सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अब तक के घटनाक्रम को लेकर किसी भी पत्रकार संगठन ने  वैसी प्रतिक्रिया नहीं दी है जैसी दी जानी चाहिए थी। इत्तेफाक से दबंग दुनिया को बाय - बाय कहने वालों में से कई लोगों के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है। न्यूज एडिटर अमित, प्रवीण वर्मा, एकाउंटेंट हितेंद्र झा, चीफ रिपोर्टर ओपी तिवारी, रिपोर्टर ब्रजेश चंद्रा, प्रदीप पाठक, समीर तिवारी और अन्य कई लोगों ने एक साथ दबंग दुनिया को छोड़ दिया।

ताज साहित्य उत्सव के तहत शाहजहां और मुमताज के बड़े पुत्र दाराशिकोह को याद किया गया

आगरा : ताज साहित्य उत्सव के तहत शाहजहां-मुमताज के बड़े पुत्र दाराशिकोह को याद किया गया। उसने रामायणए महाभारतए उपनिषदों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया था। वह शायर भी था। उसका दीवान सिर्रे अकबर के नाम से छपा। सफीनतुल औलियाए सकीनतुल औलियाए मजमउल बहरैन आदि किताबें लिखीं। दाराशिकोह ने हिन्दू.मुस्लिमों में एकता का प्रयास किया। वे सहिष्णुता के प्रतीक थे। इसी कारण हम उन्हें यहां याद कर रहे हैं।

कवि आलोचक शैलेन्द्र चौहान का सम्मान समारोह ‘‘प्रसंग: शैलेन्द्र चौहान’’ विदिशा में आयोजित हुआ


विदिशा। म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन की विदिशा इकाई द्वारा ‘‘धरती’’ के संपादक और जाने-माने कवि, आलोचक, पत्रकार शैलेन्द्र चौहान की षष्ठिपूर्ति के अवसर पर उनका शाल-श्रीफल-पुष्पहार सहित शाल भंजिका की प्रतिमा भेंटकर अभिनंदन किया गया। मुख्य कविता पाठ करते हुए शैलेन्द्र जी ने इस कविता से शुरूआत की- ‘अपनी छोटी दुनिया और/छोटी छोटी बातें/ मुझे प्रिय है बहुत/ करना चाहता हूँ/ छोटा - सा कोई काम। कुछ ऐसा कि / एक छोटा बच्चा/हंस सके/ मारते हये किलकारी/ एक बूढ़ी औरत/ कर सके बातें सहज / किसी दूसरे व्यक्ति से बीते हुये जीवन की / मैं प्यार करना चाहता हूं/ खेतों खलिहानों/ उनके रखवालों की/ एक औरत की /जिसकी आँखों में तिरती नमी/मेरे माथे का फाहा बन सके। मैं प्यार करना चाहता हूं तुम्हें/ताकि तुम / इस छोटी दुनिया के लोगों से / आँख मिलाने के/काबिल बन सको।’

22.2.16

निर्मला जैन और मृणाल पांडेय की किताबों पर वीमेंस डेवलपमेंट सेल द्वारा संगोष्ठी आयोजित



दिल्ली। 'इस आत्मवृत्त की रचना किसी पूर्वयोजना या संकल्प के तहत नहीं हुई। स्थितियों और घटनाओं के पारावार का यह मेरा पाठ है।' वरिष्ठ आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रो निर्मला जैन ने अपनी आत्मकथा 'ज़माने में हम' के संदर्भ में कहा कि चालू अर्थों में निजी जीवन में ताक झाँक करना और किताब को सनसनी से भरना उनका उद्देश्य नहीं था। जीवन के होने में खोया-पाया जैसा कुछ दर्ज हो सका तो वही प्राप्य है।

अरविन्द केजरीवाल ने ‘अहिंसा स्थल’ से श्री एम् के साथ की ‘आशा यात्रा’




नई दिल्ली, १८/०२/२०१६ मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल जी ने मानव एकता मिशन के संस्थापक “श्री एम” जी का भगवान् महावीर के चरणों में भव्य स्वागत किया |ज्ञातव्य है कि श्री एम् कन्याकुमारी से कश्मीर तक शांति और सद्भाव के उद्देश्य से आशा यात्रा कर रहे हैं |इसी क्रम में दिल्ली पहुँचने पर दिल्ली जैन समाज ने अहिंसा स्थल ,महरौली में उनका भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया  | श्री एम् तथा अरविन्द केजरीवाल जी ने भगवान् महावीर के चरणों में जाकर दर्शन किये और विश्व शांति की कामना की |समारोह के आरम्भ में सर्वोदय विश्व भारती प्रतिष्ठान की संस्थापिका अध्यक्षा डॉ इन्दु जैन ने मंगलाचरण किया तथा इस कार्यक्रम के उद्देश्यों से परिचित करवाया |श्री एम् ने अपने उद्बोधन में कहा कि सबसे बड़ा धर्म मानवता का धर्म होता है,हम सभी आज इस यात्रा के क्रम में भगवान् महावीर के सान्निध्य में पधारे हैं|

भारतीय डाक को सच में प्रणाम... देखिए कैसे एक पत्र कहां कहां घूमकर अपने सही ठिकाने पर पहुंचा





प्रो० डॉ अमिताभ ठाकुर, एमपी

प्रो० डॉ अमिताभ ठाकुर, मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट, संसद भवन, नयी दिल्ली को प्रेषित एक रजिस्टर्ड पत्र के अपने पते पर प्राप्त होने पर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर पूरी तरह अचंभित हो गए. यह पत्र सैंथिया, जिला बीरभूम, पश्चिम बंगाल निवासी मानिक कुमार दत्ता द्वारा ऊपर लिखे पते पर भेजा गया था पर यह अंत में अमिताभ के पते पर सुपुर्द किया गया.

21.2.16

क्या हम गलत दवाओं का तो सेवन नहीं कर रहे हैं?

डॉ. चंचलमल चोरडिया

क्या चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवा शतप्रतिशत सही ही होती हैं? प्रायः हम अनुभव करते हैं कि सभी व्यक्तियों को सभी वस्तुएँ अनुकूल नहीं होती। किसी को किसी वस्तु से एलर्जी होती है, जबकि उसी पदार्थ से अन्य व्यक्ति को लाभ होता है। किसी को दूध लाभप्रद होता है, जबकि किसी अन्य को दूध का पाचन भी कठिन होता है। ऐसा क्यों? प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में उपलब्ध अवयवों की मात्रा का अनुपात एवं आवश्यकताएँ अलग-अलग क्यों होती है? कोई भी डॉक्टर कितना भी अधिक अनुभवी क्यों न हों, प्रत्येक रोगी के लिए सही दवा एवं उसकी सही मात्रा का निर्धारण नहीं कर सकता।  कुछ दवाईयाँ उपयोगी हो सकती हैं तो कुछ अनुपयोगी एवं अनावश्यक भी। इसी कारण दवाओं के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। कौनसी दवा किसके लिये लाभप्रद अथवा हानिकारक होती है, यदि इस बात का पता चल जाये तो अनुपयोगी दवाओं के सेवन से सहज ही बचा जा सकता है जो शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिये परमावश्यक है।

राष्ट्र के गुनाहागार कैसे देशभक्त

अजय कुमार, लखनऊ
गत दिनों राहुल गांधी लखनऊ और उसके बाद अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पधारे। वैसे यह कोई नई बात नहीं है,जिस पर चर्चा की जाये।आजकल उन्हें मोदी विरोध के लिये देश भ्रमण का चस्का लगा हुआ है। इसी क्रम में हाल में उन्होंने लखनऊ में दलितों के एक सम्मेलन को तो अमेठी कांग्रेस कार्यालय में पार्टी की ग्राम सभा के अध्यक्षों को संबोधित किया था ।दोनों की कार्यक्रम पार्टी कार्यालय में हुए थे। लखनऊ में उन्हें दलित याद आये तो अमेठी में महात्मा गांधी की याद आ गई। दोनों के बहाने उन्होंने मोदी,भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को घेरा। अमेठी में राहुल ने कहा,‘ महात्मा गांधी मेरे राजनैतिक गुरू हैं, जिन लोगों ने मेरे गुरू को मारा आखिर वे मेरे कैसे हो सकते हैं।’ वह यहीं नहीं रूके उन्हें पता था कि जेएनयू में देशद्रोहियों का समर्थन करने के कारण वह फंसते जा रहे हैं,इसलिये राहुल को  सफाई देनी पड़ी थी, ‘मेरे खून के एक-एक कतरे में देशभक्ति भरी है।’ आश्चर्यजनक रूप से राहुल को अपनी देशभक्ति साबित करने के लिये पंडित जवाहर लाल नेहरू के 15 वर्षो तक जेल में बिताये समय से लेकर दादी इदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी तक की शहादत गिनाना पड़ी। (शायद उनके पास यही एक पूंजी होगी)

20.2.16

आध्यात्मिक रंगों से खेले होली

-ललित गर्ग-

भारत में त्योहारों एवं उत्सवों की एक समृद्ध परम्परा है, इनका सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर आपसी सौहार्द एवं समभावना से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की मूल भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना है। यही कारण है कि हमारे देश में सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों को सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, यह त्योहार जितना धार्मिक है, उतना ही सांस्कृतिक भी है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। होली का त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम, एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भावना को बढ़ाता है।

उमर खालिद को आतंकी के बतौर प्रचारित करने की साजिश में खुफिया एजेंसियां लिप्त

लखनऊ : रिहाई मंच ने जेएनयू प्रकरण में वहां के छात्र उमर खालिद को मीडिया के एक हिस्से द्वारा आतंकवाद से जोड़ने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि खालिद के मुस्लिम होने के चलते उसके नाम पर अफवाहों को फैलाया जा रहा है जिसमें केन्द्र की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां संलिप्त हैं। रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरह से पहले कहा गया कि जेएनयू के छात्र पाकिस्तान समर्थक और देशद्रोही हैं और उसके बाद अब कहा जा रहा है कि नक्सल समर्थक छात्र संगठन डीएसयू के नेताओं ने नारे लगाए यह मोदी और संघ परिवार के खिलाफ उभरते राष्ट्रव्यापी छात्र आंदोलन को भ्रम और अफवाह के जरिए साम्प्रदायिक रंग देकर तोड़ने की कोशिश है। जिस तरह से डीएसयू को इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है वह संघी साजिश और मीडिया के वैचारिक दिवालिएपन का सबूत है।

STOP PRESS BASHING DAY

At an emergency meeting of the Executive Committee of the DUJ and NC members on Friday 19, 2016, it was decided to observe a “STOP PRESS BASHING DAY”  from 4 pm today to 4 pm on Saturday February 20, 2016. The meeting also approved of a memorandum that has been sent to the Press Council of India urging it to take suo-motu cognizance of the completely unprovoked thrashing of journalists in the Patiala House Courts on two consecutive days February 15 and 16, 2016.

19.2.16

बलिया और भृगु आश्रम

-डा. राधेश्याम द्विवेदी -


भृगु आश्रम बलिया वाराणसी से 145 किमी. तथा बलिया शहर से लगभग 2 किमी. दक्षिण में स्थित है। यह पूर्वोत्तर रेलवे  तथा गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, तथा विहार के अन्य शहरों से भी जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 19 तथा राज्य मार्ग 1 से भी यहा है। बाबतपुर वाराणसी के एयर पोर्ट ये यहां की दूरी 160 किमी है। बलिया राजा बलि की राजधानी कही जाती है। हरदोई से 6 6 मील पश्चिम बावन को भी राजा बलि की राजधानी कही जाती है।

कला के सभी रंग दिखे बसन्त-बिहान में

प्रेस विज्ञप्ति


सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ बसन्त-बिहान कला मेला का समापन

लखनऊ : कला महाविद्यालय में चल रहे बसन्त-बिहान कला मेला का समापन कला महाविद्यालय के छात्रों एवं कथक संस्थान के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ। बसन्त-बिहान के समापन अवसर पर महाविद्यालय परिसर में मुख्य अतिथि ताहिरा हसन, मनकामेष्वर मन्दिर की महन्त दिव्यागिरि एवं कुमकुम धर ने पीले रंग के गुब्बारों में बंधे पीले पतंगों को हवा में उड़ाकर इस कला मेला का समापन किया। इस अवसर पर कला महाविद्यालय के विकास गणेष वन्दना एवं प्रियंका सिंह ने अपने एकल एवं सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया।

16.2.16

JNU वालों को कहाँ कहाँ से निकलोगे भाई..

डॉ राकेश पाठक

सोमवार को दिन भर एक कमाल का मेसेज दौड़ता रहा। रतन टाटा की फ़ोटू के साथ।दावा किया गया कि रतन टाटा ने ऐलान किया है कि टाटा की कंपनियों में जे एन यू से निकले छात्रों को नौकरी नहीं दी जायेगी। भाई लोगों ने आँख और दिमाग बंद कर इसे हाथों हाथ देश दुनिया को परोस भी दिया।हद यह है कि रतन टाटा ने अब तक ऐसा कोई ऐलान किया नहीं है और वे ऐसे जीव भी नहीं हैं कि करेंगे।जाहिर है फ़र्ज़ी मेसेज है।( वैसे भी अब वे "महामानव" की रीति नीति से खुश नहीं हैं , कई बार साफ़ कह चुके हैं)

12.2.16

यूपी सरकार को मालामाल कराती मधुशाला बनाम सपाइयों का शराब प्रेमी जनता पर चोट

अजय कुमार,  लखनऊ              

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही यह दावा करते हों कि उन्होंने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र और चुनाव प्रचार के दौरान जनता से जो वायदे किये थे, वह सभी पूरे कर दिये हैं, लेकिन अखिलेश यादव के इस दावे को ‘पीने-पिलाने’ के शौकीन मानने को तैयार नहीं है।  वजह प्रदेश में शाम की दवा की कीमत कम नहीं हुई है, जबकि अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान वायदा किया था कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो ‘शाम की दवा’ (शराब) सस्ती हो जायेगी। ‘दवा’ तो सस्ती नहीं हुई उलटे अखिलेश सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष 2016-2017 के लिये आबकारी से राजस्व वसूली का लक्ष्य पिछले वर्ष के मुकाबले दस प्रतिशत जरूर बढ़ा दिया। यानी वित्तीय वर्ष 2015-2016 में राजस्व वसूली का जो लक्ष्य 17 हजार पॉच सौ करोड़ था, उसे पूरा होते देख आगामी वित्तीय वर्ष के लिये सरकार ने इसे बढ़ाकर 19 हजार 250 करोड़ कर दिया।

मैं इस ख़ुले पत्र के जरिए हाफ़िज सईद, भारत में उसके स्लीपर सेल्स और जेएनयू में हंगामा काट रहे युवक / युवतियों को चुनौती देता हूं

अमित राजपूत

हाल ही में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में हुई घटना को देखते हुए मेरा अनुमान है कि इस राष्ट्रविरोधी घटना के तार निश्चित रूप से हाफ़िज सईद से जुड़े हुए हैं। इससे पहले, जो छात्र इस घटना के सूत्रधार हैं उसके मास्टरमाइण्ड और अगुवा जिन्होने कुछ अति महत्वाकांक्षी और निरा स्वार्थी कथित विद्यार्थियों का जोकि युवा हैं, ब्रेनवॉश किया है उनके सम्पर्क भारत में छिपे स्लीपर सेल्स से हैं जो यहां बैठकर बड़ी आसानी से जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थाओं में पाकिस्तान के समर्थन में अपने प्रोजेक्ट ड्रॉ कर पाते हैं, और इसकी भी कड़ी अमेरिका सहित दुनिया के दूसरे कोनों में कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल संस्थाओं और लोगों से जुड़ी हो सकती है। कुल मिलाकर यह निश्चित है कि पूरा मामला वैश्विक पटल पर कश्मीर को लेकर भारत की छवि ख़राब करने की है जो ये दर्शाए कि पाकिस्तान तो मासूम है, असली ग़ुनहगार तो भारत है, तभी तो वहां के बड़े शैक्षिक संस्थानों से ही भारत विरोधी आवाज़े उठ रही हैं।

दुनिया का ज्ञान देने वाला पाखंडी भक्त

एक संविधान दो विधान

ज़ी हां ये ज़ी न्यूज है...जहां अपनी संघ की सरकार आने के बाद कभी एक संविधान दो विधान पर मुद्दा नहीं छेड़ा गया क्योंकि अपनी सरकार की किरकिरी हो जाएगी...लेकिन उसके बाद बदलाव जरूर आए और ज़ी न्यूज ने एक संविधान दो विधान अपने चैनलों में जारी कर दिया है...क्योंकि उसके लिए माननीय सुभाष चंद्रा जी ने रक्त पिपाशु ''रमेश चंद्रा'' ...नाम का प्राणी ज़ी राजस्थान में तैनात किया है...

"आतंकवाद" और "राष्ट्रवाद" की वास्तविकता

इमामुद्दीन अलीग

वर्तमान परिस्थितियों में वैश्विक स्तर पर जिन दो शब्दों के नाम पर सबसे अधिक खून खराबा, दंगा फसाद और युद्ध बरपा है वो हैं ''आतंकवाद'' और ''राष्ट्रवाद या देशभक्ति'' इंग्लिश में इन शब्दों का अनुवाद "Terrorism" और "Nationalism" होता है। यह दोनों शब्द दुनिया भर  की विभिन्न भाषाओं में आए दिन सुर्खियों में छाए रहते हैं, सरकारों से लेकर विभिन्न संगठनों और आम जनता तक दुनिया में शायद ही कोई बचा होगा जिसने इन दोनों शब्दों का कभी प्रयोग न किया हो, पर आश्चर्य की बात यह है कि ज्यादातर लोगों को इन शब्दों की कोई ठोस 'परिभाषा' पता नहीं है। वास्तव में अब तक इन दोनों शब्दों की ऐसे कोई ठोस 'परिभाषा' निर्धारित ही नहीं की जा सकी है जो वैश्विक स्तर पर सभी को स्वीकार्य हो। यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर इन दोनों शब्दों का सबसे अधिक दुरुपयोग होता रहा है।

किसान, मजदूर और हनुमंथप्पा

-विवेक दत्त मथुरिया-

सियाचिन ग्लेशियर पर अपना  फर्ज अदा करते हुए देश का प्रहरी लांस नायक हनुमंथप्पा प्रकृति की अति से संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। परंपरागत और सोशल मीडिया पर हनुमंथप्पा के समर्पण और जज्बे को पूरा देश नमन कर रहा है। बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि बात देश की आजादी के संघर्ष की हो या आजाद हिन्दुस्तान की सीमाओं की हिफाजत की, गांव की अभाव भरी जिन्दगी से संघर्ष करने वाले किसान-मजदूर का ही बेटा अपने प्राणों न्योछावर करता चला आ रहा है। देश निर्माण से लेकर हिफाजत में सर्वस्व न्योछावर करने वाला किसान- मजदूर आज हनुमंथप्पा की तरह अस्तित्व की जंग व्यवस्था से लड़ रहा है।

11.2.16

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी के सम्मान किन्हें दिए जाएं, सुझाव आमंत्रित

मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के वित्तीय वर्ष 2015-16 के साहित्यिक सम्मानों हेतु अपने सुझाव सादे काग़ज़ पर अंतिम तिथि 10 मार्च, 2016 तक सचिव, मध्यप्रदश उर्दू अकादेमी, भोपाल के नाम भेजने का कष्ट करें।

बीएचयू के भूगोल विभाग में पीएचडी एडमिशन में धांधली



इस वर्ष bhu में भूगोल विभाग में PhD एडमिशन में हुई धांधली को लेकर हमारे सीनियर्स ने भूगोल विभाग के सामने धरना दिया। इस धरने को खत्म करवाने के लिए विभाग और bhu प्रशासन ने ने हर तरीके के रणनीति अपनायी। सबसे पहले तो दोपहर 3 बजे कमरे में बुलाकर आंदोलनकारियों को व्यक्तिगत धमकी दिया गया। पुनः रात बारह बजे लंका पुलिस को बुलाकर धमकी दिलवाकर आंदोलनकारियों को हटाने में सफल रहे। यह धरना  bhu के इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस/फैकल्टी ऑफ़ साइंस  और साथ ही साथ भूगोल विभाग में अबतक के इतिहास का PhD में एडमिशन में धांधली को लेकर पहला धरना था। लेकिन धांधली हर साल होती है, जो इसके चयन की प्रक्रिया को देखकर की आसानी से जाना जा सकता है।

जैंता इक दिन त आलौ उ दिन य दूनी में, दलालों के दिन पूरे होने को है









पुरुषोत्तम असनोड़ां

अल्मोडा जिला का डीडा नैनीसार  6 महिने पहले तक एक नामालूम सा गांव-तोक रातों-रात देश- दुनिया में मसहूर हो गया। अनजान से गांव की जमीन पर माफिया की नजर पडी और सरकार ने युद्ध स्तर पर उसे जिन्दल ग्रुप के हिमांशु इण्टर नेशनल स्कूल के नाम आवंटित कर दिया।

सैया भये कोतवाल तो डर काहे का, की तर्ज पर बिना लीज पट्टे के 22 अक्टूबर 15 को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जन विरोध के बावजूद हिंमांशु इण्टरनेशनल स्कूल का उद्घाटन कर दिया। नैनीसार के ग्रामीणों व उत्तराखण्ड परिवर्तंन पार्टी ने भूमि आवंटन का विरोध करते हुए आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। स्कूल में मुख्य मंत्री के इन्वॉलमेंट ने प्रशासन को इतना पक्षपाती बना दिया कि उसने भूमि के कब्जे में स्कूल को पूरी छूट दे दी । यहां तक कि कानून व्यवस्था की परवाह किये बिना कि वहां जिन्दल ने किस प्रवृति के लोगों को रखा है पूरी छूट दे दी।

सवाल से कैसा डर कलक्टर साहिबा

-अनिल द्विवेदी-
प्रशासन का अहंकारी दुरूपयोग करके यदि कुछ लोग मीडिया पर नकेल कसना चाहते हैं तो उन्हें आपातकाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का हश्र याद रखना चाहिए। जवाबदेह प्रशासन की उम्मीद के बीच एक महिला आइएएस यदि सेल्फी लेने के आरोप में नौजवान को जेल भेज देती है तो इस पर जवाब मांगना गैरवाजिब कब से हो गया..?

9.2.16

निदा फाजली को श्रद्धांजलि : तुम्हारी मौत की सच्ची खबर, जिसने उड़ाई थी, वो झूठा था


निदा फ़ाज़ली साहब के न रहने पर उनकी वो नज़्म याद आती है जिसे उन्होंने अपने पिता के गुजर जाने पर लिखा था...

''तुम्हारी कब्र पर मैं, फ़ातेहा पढ़ने नहीं आया, मुझे मालूम था, तुम मर नहीं सकते.''

इस नज़्म को आज पढ़ते हुए खुद को मोबाइल से रिकार्ड किया. इसी नज़्म की ये दो लाइनें:

तुम्हारी मौत की सच्ची खबर, जिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,
वो तुम कब थे? कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था।

स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के एसी कोच में लूट करने वाले से यात्रियों ने जमकर की पूछताछ, देखें वीडियो


स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के एसी कोच में लूट करने वाले से यात्रियों ने अपने तरीके से हाथ साफ करते हुए जमकर की पूछताछ, बदमाश तोते की तरह सब कुछ बकने उगलने लगा, देखें वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=89ClxzlNr7Y

7.2.16

सम्मान पाकर मैं बहुत अभिभूत हूं : किशन कालजयी

पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह संपन्न, संवेद के संपादक कालजयी को दिया गया सम्मान


भोपाल/ पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान 2016 से इस साल ‘संवेद’ पत्रिका के श्री किशन कालजयी को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न और 11000 की नगद धनराशि प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकठा प्रसाद सिंह ने की जबकि मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की। इस मौके पर डॉ. संजीव गुप्ता की पुस्तक श्रुति बुक्स, गाजियाबाद से प्रकाशित पुस्तक ‘मास कम्युनिकेशन का विमोचन किया। पं. बृजलाल द्विवेदी की स्मृति में यह आठवां सम्मान है। स्वागत भाषण मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक श्री संजय द्विवेदी ने किया।

5.2.16

मुख्यमंत्री को जेल से खुला पत्र : हे हरीश रावत, शायद जिंदल के हितों के सामने आपको मेरा यह सुझाव पसंद न आए

प्रेषक- पीसी तिवारी
अध्यक्ष उत्तराख्ण्ड परिवर्तन पार्टी      
दिनांक- 29 जनवरी 2016
जिला कारागार अल्मोड़ा

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री हरीश रावत जी
उत्तराखण्ड सरकार देहरादून

माननीय,
मुख्यमंत्री जी, एक स्थानीय चैनल ई टीवी पर कल रात व आज सुबह पुनः नानीसार पर आपका विस्तृत पक्ष सुनने का मौका मिला। आपकी इस मामले में चुप्पी टूटने यह साबित हुआ कि उत्तराखण्ड में संघर्शरत जनता की आवाज आपकी पार्टी की सियासी सेहत को नुकसान पहुंचाने लगी है। लेकिन आपका वक्तव्य ध्यान से सुनने और मनन करने के बाद में इस नतीजे पर पहुंचा कि आपके वक्तव्य में सच्चाई का नितांत अभाव था। और एक बार फिर अपनी गरदन बचाने के लिए आप नानीसार के ग्रामीणों की दुहाई देकर पूरे उत्तराखण्ड व देष को गुमराह करने की कोषिष कर रहे हैं।

3.2.16

पत्रकार हर दिन इम्तिहान देता है... हर दिन

-अमित राजपूत-
यूं तो आज के कौशलवादी मानसिकता के दौर में लगभग प्रत्येक क्षेत्र के कॅरियर अथवा कामकाज में ज़ूमिंग अर्थात् दृष्टि-विशेष देखने को मिल रही है। चाहे वो बाल काटने की कला हो, गीत गाने की कला हो, अभिनय हो, कपड़ों को डिज़ाईन करना हो, घर का नक्शा कैसा होगा ये तय करना हो या फ़िर पार्टियों में म्यूज़िक प्लेयर कौन और किस पैमाने पर प्ले करेगा इसका निर्धारण करना हो। अब हर क्षेत्र में विशेषज्ञ की मांग है और इन साब कामों के लिए लोग इन विशेषज्ञों को  भारी से भारी रक़म भी चुकाते हैं। वहीं दूसरी तरफ़ कहीं न कहीं इन सभी कार्यों के बरक्स संप्रेषण, पत्र-व्यवहार या संवाद जैसे गम्भीर और सावधानी पूर्वक किये जाने वाले काम की बात करें, जिसके लिए सरकार ने विशेष विश्वविद्यालय खोले हैं, भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक स्वायत्तशाषी भारतीय संस्थान भी स्थापित किया है जिसे पत्रकारिता के मक्का आदि की संज्ञा भी दे दी गई है और यह अपने आप में पत्रकारिता के लिए एशिया का एक अति महत्वपूर्ण संस्थान भी है।