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8.9.17

मैक्लोडगंज में पत्रकारों को एक्सपर्टस ने दिए कई टिप्स

सैंटर फार सिविल सोसायटी की ओर से मैक्लोडगंज में लगी वर्कशॉप


धर्मशाला: सैंटर फार सिविल सोसायटी की ओर से देश में सरकारों द्वारा बनाए
जा रहे कानूनों में क्या प्रावधान किए जाते हैं और किसी कानून को बनाने
से पहले किन-किन सिद्धांतों पर ध्यान दिया जाता है। उस सम्बंध में
पत्रकारों को समझाया गया। आई पालिसी के नाम पर आयोजित की गई इस वर्कशॉप
में एक्सपर्टस ने अपने विचार रखे और सिद्धांतों के बारे में जानकारी दी।
इस दौरान सोसायटी के फाऊंडर निदेशक डा.पार्थ जे.शाह ने कई विषयों पर
जानकारी दी और बताया कि कैसे सिविल सर्विस व मैनेजमैंट कोर्सां को मिलाकर
कुछ नए बिजनैस नियम तैयार किए गए हैं और इसके इन सिद्धांतों पर कैसे काम
किया जा सकता है। मैक्लोडगंज में तीन दिनों तक चली इस वर्कशॉप में
सोसायटी के एसोसिएट निदेशक डा.अमित चंद्रा, आजादी मी डाट.काम के संपादक
अविनाश चंद्रा व विशेषज्ञ नितेश आनंद, निसा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा
समेत कई वक्ताओं ने अपनी बात रखी और इस दौरान देश में चल रही शिक्षा
प्रणाली पर विचार विमर्श हुआ।

सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर लाखों रुपये खर्च
किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ अलग-अलग राज्यों में बताया गया कि आखिर एक
बच्चे को एजुकेशन देने के लिए सरकारी स्कूलों में कितने रुपये खर्च किए
जा रहे हैं। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार करीब एक बच्चे पर हर महीने
सरकारी स्कूलों में 2800 रुपये खर्च किए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी
शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं किया गया।
निसा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा से निजी स्कूलों में चल रही मोनोपोली को
लेकर कई सवाल किए। शर्मा से पूछा गया कि आखिर हर साल एडमिशन फीस क्यों ली
जाती है। फीस के नाम पर अभिभावकों को क्यों परेशान किया जाता है। इस अपर
कुलभूषण शर्मा ने हर बात का जवाब दिया और बताया कि कहीं न कहीं सरकार की
नीतियां इस बात के लिए दोषी है। सरकार को चाहिए कि नियम बनाए और देश के
प्राईवेट स्कूलों में एक जैसी युनिफार्म लागू कर दी जाए। फीस बढ़ाना
स्कूलों की जरूरत होती है क्योंकि स्कूलों में भी अध्यापकों की सैलरी
बढ़ानी होती है। स्कूलों में कई तरह के टैक्स लगा दिए गए हैं जोकि स्कूल
संचालकों को अभिभावकों से ही वसूल करने हैं। टै्रनिंग सैशन के दौरान
आरटीई पर भी चर्चा हुई और विशेषज्ञ डा.अमित चंद्रा, अविनाश चंद्रा व
कुलभूषण शर्मा ने बताया कि सरकार आरटीई के तहत 25 फीसदी बच्चों को दाखिला
देने की बात कर रही है लेकिन सच्चाई यह है कि 25 फीसदी कहीं भी गरीब
बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। इस राज्य ने
इन नियमों को अपने अनुसार बदल दिया, जिसके कारण गरीबों को इस नियम का लाभ
नहीं दिया गया। गरीबों को ही नहीं बल्कि सभी परिवारों के बच्चों को
एजुकेशन वाऊचर दिया जाए ताकि अभिभावक अपनी पसंद के अनुसार स्कूल की
ज्वाईन कर सकें।
सोमवीर शर्मा, भिवानी
 09354186304

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