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14.10.17

पत्रकारिता में चाटुकारिता की योग्यता का महत्व

ये लेख मेरा उन सभी पत्रकारों को समर्पित है जिनकी रोजी-रोटी/ नौकरी केवल चाटूकारिता के दम पर ही चल रही है या यूं कहे तो अगर ये चाटूकारिता ना करे तो ये एक दिन भी नौकरी नहीं कर सकते।  आजकल पत्रकारिता के दौर में कुछ पत्रकारों का स्तर इतना गिर गया है कि अगर इनका बस चले तो ये अपने सीनियर के पैरों के तलवे भी चाटना शुरु कर दे और ये पत्रकार वे पत्रकार है जो अपने आप को कहते हैं कि मैं मीडिया में पिछले 25 या 30 साल से हूं.... मैं फ्लां फ्लां चैनल में काम कर चूका हूं और इस बात को वो इतना जोर देकर कहते है कि मानो सिर्फ उन्होनें मीडिया में टाइम पास किया है काम कुछ नहीं किया.... बोलेंगे ऐसे कि मैं फ्लां-फ्लां मंत्री को जानता हूं...मैने पीएम को कवर किया है...वो मंत्री मेरे घर आते है...लेकिन अगर चैनल के मालिक बोले कि उन मंत्रियों को बुलाओं तो इनकी नानी मर जाती है, और तो और इनका सिलेक्शन भी सिर्फ बड़ी-बड़ी बातों पर ही होता है और तो और जो इनको मालिक से मिलवाते है वो तो इनके भी बाप होते है...


ऐसे लोग जिस भी संस्था में होते है वहां ये इतनी गन्द फैलाते है/ ऐसा खेल-खेलते है कि जो काम करने वाला आदमी होगा उसको कभी काम ही नहीं करने देंगे.....वे ऐसे लोगों को पद पर आसीन करेंगे जिनको मीडिया का 'M' भी नहीं आता... क्योंकि इस तरह लोगों को काम से मतलब नहीं केवल ये अपना आदमी है या वो उसका आदमी है.....सिर्फ इनकी सोच यहां तक ही सीमित रहती है.....ऐसा हो सकता हैं कि ये शायद इनके खूंन में ही हो....कई बार तो आपको ऐसा भी देखने को मिलेगा जिसको हेड़ बनाया है उससे ज्यादा तो काम तो वहां काम करने वाले इंटर्न पर भी आता होगा बस उस इंटर्न की गलती ये हो सकती है कि वो चाटूकारिता नहीं कर पा रहा है....शायद उसको ये अपने परिवार से सिखने को न मिला हो।

ऐसे चाटुकारिता करने वाले लोग चाहे किसी भी पद पर बैठे हो लेकिन वो कभी भी किसी से नजर मिला कर बात नहीं कर सकते क्योंकि उनके स्वाभिमान को उनकी चाटुकारिता मार चुका है। मेरा सभी पत्रकार बन्धुओं से निवेदन है कि वो जीवन में आगे बढ़ने के लिए इस हद तक ना गिरें कि लोगों की नजरों में आपका अस्तित्व ही खत्म हो जाए। क्योकि आप सभी जानते है कि हिन्दुस्तान पर राज करने के लिए चाहे अकबर ने कितने ही किलों को क्यों न जीता हो लेकिन लोग नमन महाराणा प्रताप को ही करते है।

रात को सोने से पहले जरुर सोचे कि आप किस ओर जा रहे है......खासकर ऊंचे पद पर बैठे लोग जो अपने असतित्व को बनाए रखने के लिए कोई भी रास्ता अपना रहे हैं अगर आप ऐसा कर रहे है तो एक दिन आप जरुर पछताओंगे। राजनीति छोड़कर काम पर ध्यान दे और अपने आप को ऐसा पेश करे कि लोग आपको दिल से याद करे ना कि इसलिए की आप केवल ऊंचे पद पर बैठे हो....अगर आपका आदर केवल ऊंचे पद की वजह से है तो आपको बहुत सोचने की आवश्यकता है।

खासकर मैं युवा पत्रकारों से जरुर निवेदन करुंगा कि वो केवल नौकरी पाने के लिए इस हद तक ना गिरे की आपको स्वंय अपने आप से ही नफरत होने लगे....कभी भी अपने स्वाभिमान को गिरने ना दे चाहे तरक्की कुछ दिनों बाद ही क्यों ना मिले......अपकी कलम आपकी पहचान बने ना कि चाटुकार पत्रकार।।

जरा सोचिये राजनीति और चाटुकारिता खत्म करने पर हमारे काम और उसकी गुणवत्ता में गुणात्मक परिवर्तन आयेंगे....जिससे कर्मण्य पत्रकार को अवश्यंम भावी आत्मिक संतुष्टी देने वाले परिणाम मिलेंगे जबकि चाटुकारों को हार के रूप में ऐसा सबक मिलेगा जो गीता के कर्म फल सिध्दांत को साबित कर देगा... ये लेख सिर्फ उन लोगों को ही बुरा लगेगा जो पूरी तहर चाटुकारिता में ही लिप्त हैं।

Pratap Singh
reporterpratapsingh@gmail.com

1 comment:

Dhananjay said...

बहुत बढ़िया विश्लेषण