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14.11.17

..इसलिए बरकरार है ईटीवी की बादशाहत

गांव का एक पत्रकार भी खुद को सरपंच से कम नहीं समझता। ऐसे में यदि कोई पत्रकार किसी नामचीन चैनल का हेड हो तो उसके ठाठ का अंदाजा लगाया जा सकता है। शायद एसी (एयर कंडीशनर) की ठंडी हवा में हेड बना बैठा वो पत्रकार तो सरकार को भी अपने दफ्तर में बुलवा लेगा। ऐसा होता भी रहा है। मगर इसके विपरित एक पत्रकार ऐसा भी है जो सूबे के सबसे बड़े चैनल का हेड होने के बावजूद एसी चेम्बर का मोह त्याग कर तपती गर्मी में पसीना बहाते हुए फील्ड में रिपोर्टिंग करता है।

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत की, जो ईटीवी राजस्थान के स्टेट हेड होते हुए भी एक सामान्य पत्रकार की तरह पत्रकारिता कर मिसाल बन रहे हैं। दर्शकों को हर दिन नई खबर दिखाने की दौड़ में चैनल को नंबर वन बनाए रखने के लिए प्रदेश से बाहर जाकर पुनर्जन्म से जुड़ी कोई एक्सक्लूसिव स्टोरी लानी हो, राजधानी से बाहर किसी जिले में जांबाज सैनिक का कवरेज करना हो या रात 2 बजे तक किसी आपराधिक घटना पर लाइव रिपोर्टिंग करनी हो। शक्तावत हर वक्त सक्रिय रहे हैं। यही वजह है कि कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठा के साथ निर्भिक व निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुए ईटीवी की बादशाहत को बरकरार रखे हुए हैं। इनकी निष्पक्षता का अंदाजा इस एक बात से लगाया जा सकता है कि गैंगस्टर आनंदपाल की मौत के बाद समाज का भारी दबाव, आक्रोश और आलोचनाएं होने के बावजूद इन्होंने बैखोफ होकर सच्चाई का साथ दिया। परिणाम यह निकला कि आलोचकों की सोच सकारात्मक हुई और आलोचना सराहना में तब्दील हो गई।
वरिष्ठ पत्रकार शक्तावत ने इसी साल जनवरी में ईटीवी राजस्थान को बतौर स्टेट हेड जॉइन किया था। तब प्रतिद्वंदी ने ईटीवी को पछाड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। सूबे में सरकार और सरकारी तंत्र से संबंध बनाकर हर छोटे-बड़े समाचार पर नजर रखने वाले लगभग सभी पत्रकार ईटीवी छोड़कर अन्य चैनल में चले गए। न सिर्फ राजधानी बल्कि शहरों-कस्बों से भी सक्रिय संवाददाताओं और समाचार सूचकों को बुलवा लिया गया। बरसों से ईटीवी का गुणगान करने वाले एंकर भी एक-एक करके विदा हो गए। इतना ही नहीं, प्रतिद्वंदी ने दर्शकों को भ्रमित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। ईटीवी में प्रसारित होने वाले शो के नाम पर ही हूबहू शो शुरू कर दिए। ऐसे समय राजधानी में बने मुख्यालय से लेकर गांव-शहरों में ईटीवी की नैया डूबने के कगार पर थी मगर मझदार में मंद-मंद हिचकोले खा रही नाव के लिए शक्तावत वो तिनका बने जिसके सहारे नाव नई गति से आगे निकल गई। कुशल कारीगर की कलाकारी ने एक दिन भी किसी की कमी का अहसास नहीं कराया। सक्रिय संचालन से सरकार और सचिवालय की नजरें ईटीवी पर ही टिकी रही। प्रदेश के दर्शकों ने भी गांव-ढाणी से लेकर शहर की हर छोटी-बड़ी खबर के लिए ईटीवी पर भरोसा जताया। काबिलियत इस कदर बढ़ी कि सरकार ने सार्वजनिक मंच तक से ईटीवी को भरोसेमंद बताते हुए शक्तावत की पीठ थपथपाई।
शक्तावत का मानना है कि पत्रकार के लिए परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है और उसे अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए सतत अभ्यास और प्रयास करते रहना चाहिए। इसी परिश्रम के जरिए वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का मजबूत हिस्सा बन पाएंगे। शक्तावत की काबिलियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने अपने टीवी शो सत्यमेव जयते में इन्हें रियल हीरो कहा। आपको बता दें कि शक्तावत ने एक दशक पहले स्टिंग ऑपरेशन के जरिए धरती पर भगवान कहलाने वाले चिकित्सकों का काला चेहरा सरकार और जनता को दिखाते हुए काली कमाई के लिए कन्याओं का कोख में कत्ल करने के गोरखधंधे का खुलासा किया था। आपको यह भी बता दूं कि मैं व्यक्तिगत तौर पर ना तो इनके बारे में अधिक जानता हूं और ना ही कभी इनसे मुलाकात हुई है। बस लंबे समय से ईटीवी का दर्शक होने के नाते बीते कुछ समय में चैनल पर इनका जो कार्य देखा उससे इनके प्रति सम्मान बढ़ा और मन की बात को शब्दों में उकेर दिया। उम्मीद करता हूं कि शक्तावत जैसे और भी पत्रकार होंगे जो निष्ठापूर्वक निष्पक्षता से अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहे होंगे।
सुमित सारस्वत
Sumit Saraswat
sumit.saraswat09@gmail.com

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