Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

30.8.18

सुनहरी जीत!शुक्रिया मनजीत

जकार्ता में चमका बरेली का सितारा मंजीत सिंह, अपना गोल्ड मेडल बरेली वासियों को किया समर्पित https://hindi.oneindia.com/news/uttar-pradesh/manjit-singh-from-bareilly-win-gold-medal-asian-games-2018-jakarta-470380.html For more updates Download Oneindia App. For Android click http://bit.ly/1indianewsapp . For iOS click http://bit.ly/iosoneindia

जकार्ता एशियाड में चमका बरेली का सितारा...

 जय-हिंद



24.8.18

फेसबुक का दर्द...डॉ. हुदा की क़लम से

"फेसबुक का दर्द"
यूं अगर मेरे नाम की हिंदी तर्जुमानी की जाए तो "चेहरे की किताब" या "चेहरा एक किताब" या "चेहरा ही किताब" की जा सकती है।अपना दर्द सुनाने से पहले मैं ये बात वाज़े कर दूं मुझे "स्त्रीलिंग" समझा जाये...गोया कुछ बदबख़्त मुझे "पुर्लिंग" समझ कर इस्तेमाल करते हैं।
ख़ैर... सबकी अपनी-अपनी सोच!
जैसा कि आप सब जानते हैं मेरे अब्बा का नाम मार्क जुकरबर्ग है और मेरी पैदाइश 2004 में अमेरिका में हुई।हांलकि मेरे वालिद-ए-मोहतरम ने अपने तीन और हरदिल अज़ीज़ दोस्तों के साथ मुझे पैदा किया मगर इस इंटरनेट की आभासी दुनिया में लोग मुझे मार्क जुकरबर्ग की क़ाबिल और होनहार बेटी के नाम से ही जानते हैं।मेरा शुमार अपने
अब्बा की उस होनहार बेटी के तौर पर है जिसने अपने हुनर और क़ाबलियत के दम पर अभी तक 84.524 बिलियन डॉलर की जायदाद पैदा की है।अभी सिर्फ 14 साल की मेरी कमसिन उम्र है और जवानी की देहलीज़ पर मेरा पहला क़दम है,मगर पूरी दुनिया मे मेरे चाहने वालो की तायदाद 2.2 बिलियन है...आपको जानकर हैरत होगी कि अपने रुक्के और love लेटर्स को रोज़ संजोने के लिए मेरे पास 30275 लोगो का पूरी दुनिया मे स्टाफ़ है।
14 साल की बाली उम्र में जहां एक लड़की के ख़्वाब कुछ और होते हैं मैं रोज़ अपने अब्बा की उम्मीदों के पहाड़ तले दबती जा रही हूं...आख़िर मेरा दर्द भी तो दर्द है...करोड़ो दिलो के दर्द को बांटने वाली के दर्द को आज तक आप लोगो ने महसूस ही नही किया...आदम ज़ात इतनी खुदगर्ज़ होगी इसका अंदाज़ा अगर मुझे हो जाता तो शायद मैं पैदा होने से पहले ही मना कर देती! पैदा होते वक़्त मेरे अब्बा ने मुझसे कहा था कि दुनिया भर के बिछड़ो को मिलाना, टूटे दिलो को जोड़ना और इंसानियत के लिए काम करना,मज़हबी नफरतों को मिटाना और इत्तेहाद का परचम बुलंद करना तुम्हारा पहला काम होगा...मगर ये क्या हो गया...???
अब मेरा इस्तेमाल नफ़रतों के लिये किया जाने लगा...इत्तेहाद और इंसानियत तो जैसे मेरी प्रोफाईल से ख़त्म ही कर दी गयी...मज़हबी नइत्तेफाकियाँ और ऊंच-नीच के संघर्ष ने मेरे 14 साल के नाज़ुक जिस्म को झलनी कर दिया...इसकी शिक़ायत लेकर जब मैं अपने अब्बा मार्क जुकरबर्ग के पास गई तो उन्होंने सिर्फ़ इतना बोला..."ये मानव जाति है बेटी,आदम-हव्वा की औलाद हैं,गलतियां इनके ख़ून में शामिल हैं,तुम सिर्फ़ धंदा करो बस...बाक़ी चीज़ों पर ध्यान न लगाओ"...अब आप लोग ही बतायें क्या करती मैँ...
रोज़ करोड़ो नफ़रत भरी पोस्ट,एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़,कमेंट दर कमेंट...और यहां तक कि जनाज़े के साथ भी सेल्फ़ी लेकर मेरे ऊपर पोस्ट की जाने लगी...अए इंसान आख़िर कितना गिरेगा तू...आक थू
विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी मैंने ज़रूर दी थी मगर इस बिना पर की किसी का दिल न दुखने पाए...मग़र मुझे तमाम पोस्ट पर कमेंट पढ़ कर ऐसा लगता है की दुनिया जब से तशकील में आई सारे सहाफी,दार्शनिक,आलिम, मुफ़्ती पंडित सब मेरे दौर में ही पैदा हो गए...आख़िर किन-किन नामों से पुकारोगे मुझे...ग़ालिब भी मैं,अरस्तू भी मैं,मीर भी मैं,सौदा भी मैं,वैश्या भी मैं,दलाल भी मैं,हिटलर भी मैं,शेक्सपियर भी मैं,फिदा हुसैन भी मैं, बोना पार्ट भी मैं,मार्क्स भी मैं,लेलिन भी मैं...ऐसे बेशुमार क़ाबिल तरीन लोग सब इस 14 साल की नाबालिग लड़की पर ही हुनर दिखा रहे हैं...ये तो बेहतर हुया मेरी पैदाइश हिंदुस्तान की आज़ादी की लड़ाई के दौरान नही हुई...वरना तो गांधी,सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह का क्रेडिट भी मैं अपने नाम ले जाती...
अए ख़ुदा की मखलूक आदम ज़ात...मेरे दर्द को भी समझो...क्यों नफ़रतों की खेती कर रहे हो इस 14 साल के मासूम जिस्म पर...अरे कुछ तो रहम करो मेरे ऊपर...शर्म करो तुम इंसान खुद को "धार्मिक" कहते हो...मगर तुम्हारी पोस्ट जब मेरे नाज़ुक जिस्म से होकर गुज़रती हैं तो मुझे एहसास होता है तुमसे अच्छी तो एक वेश्या है जिसका अपना कोई तो ईमान है...तुम तो पल-पल में ईमान और रिश्तों की धज्जियाँ उड़ा देते हो...पारा-पारा कर देते हो रोज़ मुझे तुम...
रही सही कसर मेरे अब्बा ने व्हाट्सऐप को टेकओवर कर पूरी कर दी...जहां स्वम्भू ज्ञान का अताह समन्द्र है...
जैसे कि क़ुदरत की नियति है जो पैदा हुया उसको फ़ानी तो होना ही है...मगर वक़्त से पहले ख़ुदा रा मुझे क्यों रोज़ मारते हो...मेरे दर्द की ये एक एक बहुत छोटी सी बानगी है...मुझे उम्मीद है मेरे रुख़सत होने से पहले जिस मक़सद के लिये मेरे अब्बा ने मुझे पैदा किया वो शायद कामयाब हो जाये और मेरी दर्द भरी दास्तां सुन कर तुम आदम ज़ात कुछ इबरत हासिल कर लो...ख़ुदा हाफ़िज़

20.8.18

खरी-खरी पत्रकारिता पसंद करने वालों की यादों में हमेशा रहेंगे आलोक तोमर

चंबल की माटी के लिक्खड़ पत्रकार आलोक तोमर पर प्रसंगवश... तारीख ध्यान नहीं। साल वो भी पक्का नहीं मगर आठ दस साल पहले शायद। स्थान होटल सैन्ट्रल पार्क, मंजिल दूसरी या तीसरा कमरा नंबर जो भी हो यार। ''विवेक तुम्हारे पोहे और जलेबी अच्छे लगे। कचौड़ी अच्छा बनाता है बहादुरा वाला। और हमारी सिगरेट का क्या हुआ। ले आए न। लौटकर दुबारा जाना न पड़ जाए तुम्हें।''

अटलजी को यह कैसी श्रद्धांजलि?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

पिछले तीन दिनों में तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए। ये तीनों घटनाएं ऐसी हैं, जो अटलजी के स्वभाव के विपरीत हैं। यदि अटलजी आज हमारे बीच होते और स्वस्थ होते तो वे चुप नहीं रहते। बोलते और अपनी शैली में ऐसा बोलते कि संघ और भाजपा की प्रतिष्ठा बच जाती बल्कि बढ़ जाती। पहली घटना। स्वामी अग्निवेश जब अटलजी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने भाजपा कार्यालय गए तो उन्हें कुछ कार्यकर्ताओं ने मारा-पीटा। धक्का-मुक्की की। कुछ बहनों और बेटियों ने उन पर चप्पलें भी तानीं।

हारी बाजी पलट देंगे अटल जी?

पार लगाएंगे शिवराज, रमन और वसुंधरा की नैया?

सबसे पहले अटलजी के चरणों में नमन। कांग्रेस की राह पर चल रही है बीजेपी ? ये इसलिए कहना पड़ रहा है क्यों कि हाल के दिनों में जो फैसले लिए गए वो बिल्कुल इन्ही बातों की ओर इशारा करते हैं । पहले जरा करीब 1 हफ्ते पीछे चलिए, एक निजी चैनल का सर्वे आया था । जिसमें इस बात का दावा किया गया था कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बल्ले बल्ले होने वाली है, पीएम मोदी देश की आवाम की पहली पंसद हैं लेकिन शिवराज, रमन सिंह और वसुंधरा की सरकार जाने वाली है और वहां कांग्रेस की सरकार बन सकती है।

19.8.18

भेड़-बकरी की तरह हमें मत हकालिये साहब...

बात हक़ के मुतालबे की है...

अवाम को भी अब हक़ है सवाल पूछने का...

भेड़-बकरी की तरह हमें मत हकालिये साहब...

17.8.18

शूद्र


मैं पैदा इंसान अवश्य हुआ
पर
शूद्र होना ही मेरी नियति थी
सवर्ण समाज से मेरी व्यथित विसंगति थी
इतिहास दर इतिहास
काल-कलुषित सर्वथा मेरी तिथि थी
एकलव्य,कर्ण, चंद्रगुप्त के विजयध्वजों पे भी
अपमान की कई सदियों बीती थी

"अटल" मरा नही करते...ये अच्छी बात नई है!

ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
ठन गई!मौत से ठन गई....
           
 ("अटल" मरा नही करते)
अटल जी!ये अच्छी बात नई है!
----------------------------------------
यक़ीनन अटल बिहारी बाजपेयी जैसी शख्सियतें मरा नही करतीं बल्कि दुनिया-ए-फानी से रुख़सत होने के बात अवाम के दिलो में,रूह की गहराइयों में बस कर सदा के लिये लिए "अटल-अमर-अजर" हो जाया करती हैं।अटल जी का इस दुनिया से रुख़सत होना हिंदुस्तान की सियासत में वो खला पैदा कर गया है कि जिसकी भरपाई नामुमकिन है।भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी ने सियासत की  बुलंदियों को तो छुआ ही बल्कि एक सच्चे सूफ़ी-दार्शनिक के तौर पर बहनुल अक़्वामी सतह पर अपनी पहचान बनाई।पार्लियामेंट में अटल की तक़रीर यू ट्यूब पर सुन कर बड़ी हो रही इस पीढ़ी को  शायद ये एहसास नही होगा कि उसने सिर्फ़ एक कुशल वक्ता ही नही खोया बल्कि अपनी हाज़िर जवाबी,हँसमुख अंदाज़, बेबाक पन,व्यंग और बढ़ती उम्र के साथ एक बचपन जो सदैव उनके साथ जिया उसको भी खो दिया।
अटल जी को ऐसे ही सर्वमान्य नेता नही कहा जाता...ये उनका बेबाक पन ही था कि पार्लियामेंट में खड़े हो कर पूरे देश के सामने उस दौर से प्रधनमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के लिये बोल दिया कि अगर आज में जिंदा हूँ तो राजीव जी की वजह से ही ज़िंदा हूँ।दरअसल भारत सरकार की और से एक वफद अमेरिका जाना था राजीव जी ने अटल जी का नाम उस वफद में शामिल कर लिया ताकि अमरीका जा का अटल जी अपना इलाज करा लें।लौट कर आने पर अटल जी ने मन्ज़रे आम पर इस बात को स्वीकार कर ये संदेश देने की कोशिश की पक्ष-विपक्ष एक जमुहरियत का हिस्सा है लेकिन मोहब्बत का कोई पक्ष या विपक्ष नही होता।ये पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान के साबिक वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ के साथ उनके रिश्तों की बुनियाद पर ही भारत-पाकिस्तान बस सेवा शुरू हो सकी...उनकी वाक पटुता के क़ायल नवाज़ साहब पाकिस्तान जा कर अपने एक बयान में कह गए कि "अटल जी जैसे वज़ीर-ए-आज़म की पाकिस्तान को भी ज़रूरत है,काश पाकिस्तान उनसे कुछ सीख पाता"...नवाज़ साहब का ये बयान पाकिस्तान के आर्मी चीफ मुशर्रफ साहब को बहुत नागवार गुजरा और इस बयान की प्रतिक्रिया में कारगिल युद्ध दोनों मुल्कों को झेलना पड़ा... द्रणनिश्चय और साहसिक फ़ैसले लेने के अदम्य साहस के नतीजे में  पोखरण-परिक्षण ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया और हम भारतीयों का सार फ़क्र से ऊंचा हो गया।

मुझे ख़ूब याद है कि देहरादून मेडिकल कॉलेज में मेरा फाइनल ईयर का ग्रैंड प्रैक्टिकल वाइवा था और एक्सटर्नल एग्जामनर बन कर एम्स से डॉ. शिर्के और डॉ बलसरे आ रहे थे...जब हमारे प्रोफेसर डॉ सक्सेना साहब ने ये बताया कि ये वोही डॉ हैं जो अटल जी का घुटना-प्रतिरोपण के बाद रिहैबिलिटेशन कर रहे हैं तो हमारे बैच के सभी स्टुडेंट में एक कौतूहल से पैदा हो गया।दोनों डॉ एग्जाम से एक दिन पहले दून वैली होटल में आकर रुके थे।हमारे बैच के हम जैसे कुछ खुराफ़ाती शाम को उनसे मिलने बल्कि सिर्फ उनको देखने पहुँच गये...मैंने सीधा सवाल किया डॉ बलसरे से..."सर अटल जी अब कैसे हैं और आपको कैसा लगता है उनका इलाज करके"...उन्होंने भी सीधा जवाब दिया मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी मे ऐसा व्यक्तित्व नही देखा...अटल जी ने तो एम्स में अपने कमरे को मिनी प्रधानमंत्री कार्यालय बना रखा है जब बार-बार उनसे मैं आग्रह करता हूँ कि सर अब बस करें रिहैबिलिटेशन का टाइम हो गया तो अटल जी कहते हैं..."डॉ साब मेरे खड़े होने होने से ज़्यादा महत्वपूर्ण देश का खड़ा होना होना है"....बार-बार मुझे न टोका करें..."ये अच्छी बात नई है"...
विश्व गुरु का सपना हमारे दिलों-दिमाग़ को देने वाले अटल जी जिस्मानी तौर से हमसे आज रुख़सत ज़रूर हो गए मग़र अटल जी के "अटल-सिंद्धान्त" पर पर चल कर हमें उनका देश को विश्व गुरु बनाने का सपना चरितार्थ करना ही होगा तभी इस "अटल-शख्सियत" को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

जय-हिंद
डॉ.इस.ई.हुदा
नेशनल कन्वेनर,हुदैबिया कमेटी
बरैल्ली
9837357723

16.8.18

आरएसएस का ख़ौफ़ दिखा कर सियासी जमातों ने अभी तक ठगा है मुस्लिम मोअशरे को....मुल्क़ और मिल्लत की फलाह के लिए एक हाथ मे कुरान दूसरे हाथ मे कंप्यूटर ज़रूरी---डॉ. हुदा

बरेली
सुन्नी मुस्लिम समाज ने मनाया अखण्ड भारत दिवस जश्न ए आज़ादी को धूमधाम से मनाने का लिया संकल्प
आज दिनांक 14 अगस्त 2018 को वर्षों से कौमी इत्तेहाद और आपसी भाईचारे के लिए काविशें अंजाम दे रहे देशव्यापी स्तर पर विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. एस.ई.हुदा एवं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश मंत्री डॉ नाज़िया आलम के नेतृत्व में सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं एवं पुरुषों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) द्वारा बरेली के शहीद चौक पर आयोजित अखण्ड भारत कार्यक्रम में भारत माँ के जयकारे एवं वंदेमातरम की आवाज़ बुलंद करते हुए भारत माता की आरती में भाग लिया।
संभवता देश मे पहली बार इतनी भारी तायदाद में सुन्नी मसलक के मानने वालों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ज़ेरे सरपरस्ती हुए इजलास में अज़ीम ओ शान अंदाज़ में शिरकत की।
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश मंत्री डॉ नाज़िया आलम ने बताया कि सुन्नी मुस्लिम मोआशरा अब खुल कर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का मन बना चुका है और आज का इजलास इस बात की दलील है। कुछ सियासी जमातों ने अभी तक मुस्लिम मोअशरे में ख़ौफ़ बना रखा था लेकिन अब सुन्नी मुस्लिम मोअशरे ने भी ताहिया कर लिया है कि मुस्लिम मोअशरे को मुख्य धारा में आने के लिए सबका साथ सबका विकास के नारे को कोई अमली जामा पहना सकता है तो वो भारतीय जनता पार्टी ही कर सकती हैं । इसी के साथ 15 अगस्त को मुस्लिम समाज के युवा नौजवानों द्वारा जश्न ए आजादी को बड़ी शान ओ शौकत के साथ मनाने एवं स्वस्थ वातावरण के लिए अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया गया।
राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता एवम हुदैबिया कमेटी के कौमी सदर डॉ एस .ई.हुदा ने अपनी तक़रीर में सुन्नी मोअशरे को ख़िताब करते हुए कहा देश और मिल्लत का मुस्तक़बिल गयूर नोवजवां साथियों के हाथ मे हैं अगर अपने मुल्क़ को विश्व-गुरु बनाना है तो एक हाथ मे कुरान और दूसरे हाथ मे कंप्यूटर लेना होगा।मज़ीद डॉ हुदा ने कहा कि अभी तक दूसरी सियासी जमातों ने आरएसएस का ख़ौफ दिखा कर सिर्फ़ सुन्नी मुस्लिम वोटो की दलाली की है जिसके नतीजे में आज अवाम की सामाजिक हैसियत सिफर पर पहुँच चुकी है।
डॉ. हुदा ने प्रणव मुखर्जी का उदाहरण देते हुए कहा कि संवाद ही हर मुश्किल का हल है और इस कार्य को आरएसएस और बीजेपी ने बहुत खूबसूरत अंदाज़ में क़ायम करने की कोशिश की है जिसकी बिना पर आज सैकड़ो की तायदाद में सुन्नी मुसलमान ने इस इजलास में शिरकत की है।
डॉ हुदा ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के समाज को जोड़ने की दिशा में की जा रही कविशो कि भी भरपूर प्रशंसा की। डॉ. हुदा ने बताया कि कल 15 अगस्त को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने पर इस दिन को बड़े हर्ष उल्लास के साथ तमाम मुस्लिम नौजवान साथी मदरसों में तिरंगा फहराकर अपने घरों में अपनी कॉलोनी में 11-11पौधे मिलकर लगायेंगे और हमारे देश की आन बान शान तिरंगे को मदरसों में लहराकर आजादी को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा।
 डॉ.एस.ई.हुदा
नेशनल कन्वेनर,हुदैबिया कमेटी
09837357723

14.8.18

वे पन्द्रह दिन - १४ अगस्त, १९४७

प्रशांत पोळ

 कलकत्ता.... गुरुवार. १४ अगस्त

सुबह की ठण्डी हवा भले ही खुशनुमा और प्रसन्न करने वाली हो, परन्तु बेलियाघाट इलाके में ऐसा बिलकुल नहीं है. चारों तरफ फैले कीचड़ के कारण यहां निरंतर एक विशिष्ट प्रकार की बदबू वातावरण में भरी पड़ी है.

गांधीजी प्रातःभ्रमण के लिए बाहर निकले हैं. बिलकुल पड़ोस में ही उन्हें टूटी – फूटी और जली हुई अवस्था में कुछ मकान दिखाई देते हैं. साथ चल रहे कार्यकर्ता उन्हें बताते हैं कि परसों हुए दंगों में मुस्लिम गुण्डों ने इन हिंदुओं के मकान जला दिए हैं. गांधीजी ठिठकते हैं, विषण्ण निगाहों से उन मकानों की तरफ देखते हैं और पुनः चलने लगते हैं. आज सुबह की सैर में शहीद सुहरावर्दी उनके साथ नहीं हैं, क्योंकि उस हैदरी मंज़िल में रात को सोने की उसकी हिम्मत ही नहीं हुई. आज सुबह ११ बजे वह आने वाला है.

13.8.18

बेहतर पत्रकार बनना है तो बड़े पत्रकारों को पढ़ो और सुनो

सर,

उम्मीद करता हूँ, आप अपना कीमती वक्त निकाल कर इस मैसेज को ज़रूर पूरा पढ़ेंगे और मेरा मार्ग-दर्शन भी ज़रूर करेंगे| वैसे तो मैं आपकी खबरों को देख और सुन कर भी बहुत कुछ सीखता रहता हूँ | क्योंकि पत्रकारिता जगत में मेरे पहले गुरु रहे राज कौशिक जी कहते हैं, बेहतर पत्रकार बनना है तो बड़े पत्रकारों को पढ़ो और सुनो| इस लिंक पर क्लिक कर चैनल को एक बार ज़रूर देखिएगा प्लीज़ |

https://www.youtube.com/watch?v=FY5p_-RZVEs

धाकड़ खबर के नाम से यू-ट्यूब पर एक न्यूज़ चैनल चल रहा है, डेढ़ साल पहले इस चैनल की शुरुआत हुई थी, शुरू में यह चैनल लोकल एरिया की समस्याएँ उठाता रहा, पर अब देश और प्रदेश के मुद्दों पर काम कर रहा है | आज इस चैनल के करीब सवा 3 लाख सबस्क्राइबर्स हैं, इस चैनल पर 3 से 4 खबरें रोजाना डाली जाती हैं और 70-80 हज़ार दर्शक रोजाना इन खबरों को देख भी लेते हैं |

10.8.18

पुण्य प्रसून बाजपेयी के बहाने

हाल ही में एबीपी न्यूज़ से पुण्य प्रसून बाजपेयी सहित कई अन्य पत्रकार निकाले गए या निकलने के लिए मजबूर कर दिये गए। वैसे यह कोई नयी बात नहीं है। वो दिन लद गए जब पत्रकार की बाकायदे बिदाई होती थी। अर्सा हो गया अखबार में माला पहने हुए पत्रकार की फोटो सेवानिवृत्त की खबर के साथ देखे हुए। कुछ वर्ष पहले तक मशीन में काम करने वाले अखबारकर्मी की माला पहने हुए फोटो देखे हुए। क्या अखबार में काम करने वाले लोग रिटायर नहीं होते।

डीपीआर ने मिमियाना सिखा दिया

सत्ता से लोहा लेकर मीडिया सच को परोसेगा यह सोचना मात्र भी मूर्खता ही होगी । सोचने... समझने...समझाने... देखने.... दिखाने की जगह मीडिया ने मिमियाना शुरू कर दिया है... राग वो ही बजता है जो सरकार सुनना पसंद करें... राग वो ही बचता है जो TRP दे.. राग वो ही बचता है जो DPR लाने मे मदद करें.. ओर इस P और R से बाहर निकलकर कोई कुछ कहने की जुर्रत करता है तो वो सरकार विरोधी नहीं देश विरोधी हो चलता है.... ऐसे में सत्ता की डपली बजाते हुए उसे सिर पर बैठाने की गलत परंपरा मीडिया के लिए ही घातक हो गई है या यूं कहें कि DPR का दांव गले फांस बन गई है जो कुछ ज्यादा ही दर्द कर रही है और समय के साथ-साथ इसका दर्द और भी तेज होता रहेगा जैसा अभी हो भी रहा है । शायद हलाली लेकर सोए मीडिया पर यह संकट समय से कुछ पहले ही आ गया...

उसने कहा- हमारे रिश्ते सीधे जार्ज बुश से हैं!

मैंने कहा- अदना इंसान हूँ चढ़ा देना सूली पर

पढ़िए बात दिल की है... पर थोड़ी लम्बी है...  बात उस समय की है जब जार्ज बुश अमेरिका के राष्ट्रपति हुआ करते थे नीमच में एक नामचीन स्कूल संचालक पर आरोप लगा की यह मालवा में जबरिया धर्म परिवर्तन का रैकेट ऑपरेट कर रहा है इनका एक सेंटर गुरुद्वारे के समीप गली में था, पुराना समय था पत्रकारिता के लिए औजार सिमित थे मैने एक पॉकेट रिकॉर्डर जेब में रखा और उस सेंटर पर गया वहा मेरा जमकर सत्कार हुआ और मुझे इस बात पर राज़ी किया जाने लगा की में "बपतिस्मा" ले लू फिर उन्होंने मुझे अपनी मिशनरी की पूरी कहानी सुनाई और बताया की नीमच और मालवा में अब तक कितने लोग धर्म बदल चुके है

साम्प्रदायिक सद्भाव की कहानियों का अनूठा संकलन लोकार्पित


जयपुर। धर्म के प्रति निष्ठा होने और साम्प्रदायिक होने में बहुत अंतर है। किसी भी धर्म को मानने वाला अपने धार्मिक विश्वासों पर अडिग रहते हुए जनहित में काम कर सकता है। लेकिन साम्प्रदायिक व्यक्ति या समूहों जो धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं वे जनविरोधी काम करते हैं। सुप्रसिद्ध कथाकार असग़र वजाहत ने अपनी नयी पुस्तक 'हिन्दू पानी - मुस्लिम पानी' के लोकार्पण समारोह में कहा कि राजनीति ने जिस प्रकार से धर्म को इस्तेमाल किया है उससे साम्प्रदायिकता बढी है। दूसरी ओर शिक्षा और जागरूकता के प्रति देश के नेताओं को जो चिन्ता होनी चाहिये थी वो रही नहीं। क्योंकि उन्हें धर्मांधता को फैलाना ही हितकर लगा।

हर साल मिलेगा एक साहित्यकार को महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन साहित्य शिखर सम्मान


गाजियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद एवं बार एसोसिएशन गाजियाबाद के संयुक्त तत्वावधान में महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन के ७७वें जन्मोत्सव पर ‘एक शाम डॉ. कुँअर बेचैन के नाम’ से विराट साहित्यिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस मौके पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद ने महाकवि डॉ कुँअर बेचैन साहित्य शिखर सम्मान की घोषणा करते हुए डॉ बेचैन को 11 हजार रुपये, शाल, स्मृति चिह्न, बांसुरी, सम्मान पत्र, गुलदस्ते आदि भेंट किये।

हरिवंश की जीत से विपक्ष को झटका

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

राज्यसभा के उप-सभापति पद के लिए हरिवंश नारायण सिंह की विजय मेरे लिए व्यक्तिगत प्रसन्नता का विषय तो है ही, क्योंकि पिछले दो-तीन दशक से एक अच्छे पत्रकार की तरह उन्होंने ऊंचा नाम कमाया है। जब चंद्रशेखरजी प्रधानमंत्री थे तो उनके पत्रकार-संपर्क का काम उन्होंने बखूबी निभाया। वे राज्यसभा के सदस्य पहली बार बने और पहली ही बार में उसके उपसभापति बन गए। पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के पहले एक प्रबुद्ध नवयुवक की तरह वे जयप्रकाशजी के आंदोलन में हमारे साथ रहे हैं। उनको हार्दिक बधाई!

सैफ़ुद्दीन सोज़ की किताब के बहाने कश्मीर समस्या की जड़ की खोज

- डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

जून के अंतिम दिनों में सोनिया कांग्रेस के एक बड़े नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ की जम्मू कश्मीर को लेकर लिखी गई एक नई किताब Kashmir- Glimpses of History and the story of struggle  की चर्चा अख़बारों और टैलीविजन में शुरु हो गई थी । चर्चा को हवा देने के लिए सोज़ ने एक बयान जारी कर दिया था कि कश्मीरी भारत से आज़ादी चाहते हैं । इस बयान के बाद किताब की चर्चा और गहराती । तब इस चर्चा में एक नया आयाम जोड़ा गया कि क्या किताब के विमोचन कार्यक्रम में मनमोहन सिंह आएँगे या नहीं ? ज़ाहिर है हल्ला और पड़ता और सोज़ साहब ने अपनी किताब में क्या लिखा है ,इसे जानने की जिज्ञासा बढ़ती । आजकल यह किसी साधारण सी किताब की मार्केटिंग करने का व्यवसायिक तरीक़ा है ।

9.8.18

विपक्ष में कौन होगा पीएम पद का दावेदार?

संजय सक्सेना, लखनऊ 

‘बिन दूल्हे की बारात’ की तरह आम चुनाव के लिये यूपी में भाजपा के खिलाफ गठबंधन की कवायद गुजरते समय के साथ तेज होती जा रही है। गठबंधन के लिये न तो कोई नीति बनी है, न ही इस बात का खुलासा हुआ है कि गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी कह रहे हैं कि जो सबसे बड़ा ज्यादा सीटें जीत कर आयेगा,वह ही पीएम बनेगा। ऐसा कहते समय राहुल की सोच यही कहती होगी कि कांगे्रस राष्ट्रीय पार्टी है। अगर उससे सभी राज्यों से औसतन तीन-तीन सीटें भी मिल गईं तो कांगे्रस का आंकड़ा सहजता से सौ सांसदों तक पहुंच जायेगा, जबकि क्षेत्रीय दल अपने राज्यों में बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करके के बाद भी इस संख्या के आसपास तक नहीं पहुंच पायेंगे, तब राहुल गांधी सबसे बड़ा दल होने के नाते अपनी दावेदारी ठोंक देंगे।

NAJ-DUJ CASTIGATE ATTACKS ON FREEDOM OF THE PRESS

The National alliance of Journalists(NAJ)and the Delhi Union of journalists (DUJ), have called for a halt to the increasing attacks on the media, both physical attacks, attempts to browbeat the media into government tom-tomming and other attempts to muzzle the media during the past few years.

देवरिया, हरदोई संरक्षण गृह रेप मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराएं


वाराणसी। देवरिया, हरदोई संरक्षण गृहों के रेप मामले की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जाँच कराने, चंद्रशेखर रावण को तुरंत रिहा करने, दबंगों से सरकारी जमीनें मुक्त कर भूमिहीनों में बाँटने की मांग पर बुधवार को भाकपा (माले), खेग्रामस, ऐपवा, इंसाफ मंच के संयुक्त तले शास्त्रीघाट कचहरी से जिला मुख्यालय तक मार्च निकाला गया और ज्ञापन सौंपा गया। मार्च के माध्यम से किसानों को कर्जे से मुक्त करने व स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग भी उठाई गई।

एनआरसी : तब भारतीय नागरिक कौन ?

कोलकाता : असम में विदेशी नागरिकों के प्रश्न पर छात्र आंदोलन हुए । छात्र आंदोलन का एक गुट अगप बनकर सत्ता में आ गई। दूसरा गुट अल्फा के नाम पद पाकिस्तानियों के सहयोग से भारत में आतंक का साम्राज्य फैला दिया । एक लंबा भय और आतंक का सृजन पूरे असम में फैला दिया गया । अगप के तात्कालिक गृह मंत्री भृगु फूकन ने अल्फा के साम्राज्य के लिये खुलकर तात्कालिक मुख्यमंत्री प्रफ्फुला कुमार महंत पर आरोप लगाये। अगप की सरकार गई । कांग्रेस की सरकार आ गई । आज वही प्रफ्फुला कुमार महंत भाजपा की सरकार में शामिल है। जिसके कार्यकाल में असम में सैकड़ों हिन्दी भाषी जनता को मौत के घाट सुला दिया गया था। हजारों हिन्दी भाषी व बँगला भाषियों को असम छोड़कर पलायन करना पड़ा था।