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30.4.19

एक मई मजदूर दिवस यानि मजदूरों के सम्मान की सवा सौ साल पुरानी परम्परा

संजय सक्सेना, लखनऊ
एक मई-मजदूर दिवस पर विशेष... किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर/कारीगर) पर निर्भर होती है। एक मकान को खड़ा करने और सहारा देने के लिये जिस तरह मजबूत “नीव” की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ठीक वैसे ही किसी समाज,देश,उद्योग,संस्था,व्यवसाय को खड़ा करने के लिये कामगारों (कर्मचारियों) की विशेष भूमिका होती है। मजदूरों की विशेष भूमिका को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष एक मई को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूरों के बारे में चार लाईनों में समझना हो तो हम कह सकते हैं-      

मेहनत उसकी लाठी है,मजबूत उसकी काठी है,
हर बाधा वो कर देता है दूर, दुनिया उसे कहती है मजदूर।

बर्खास्त सैनिक तेज बहादुर यादव के बहाने मोदी के राष्ट्रवाद के नारे को भोथरा करेगी सपा

अजय कुमार, लखनऊ
वाराणसी। समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से अपना प्रत्याशी बदल दिया है। अब सपा पूर्व में घोषित अपनी प्रत्याशी शालनी यादव की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर को वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में उतार रही है। बीएसएफ कांस्टेबल रहे तेजबहादुर को साल 2017 में सैनिकों को परोसे जाने वाले भोजन के बारे में शिकायत करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था, उन्होंने पहले ही कहा था कि वह वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे।

उप्र लोक सेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कब कंप्लीट होगी

आदरणीय महोदय,

भारतीय जनता पार्टी ने उ0प्र0 विधान सभा चुनाव, 2012 के दौरान उ0प्र0 लोक सेवा आयोग की भर्तियों की जांच कराकर प्रतियोगियों को न्याय दिलाने के मुद््दे को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी चुनावी सभाओं में इस मुद््दे को उठाया था। श्री योगी आदित्यनाथ ने पांच साल की आयोग की भर्तियों की सी0बी0आई0 जांच के आदेश दिये जिसके बाद सी0बी0आई0 ने आयोग की अपर निजी सचिव (उ0प्र0 सचिवालय) परीक्षा-2010 में भ्रष्टाचार/अनियमिततायें बरतने की दिसम्बर, 2017 में लिखित पुष्टि की और काफी विलम्ब से जारी जांच के नोटीफिकेशन के उपरान्त सी0बी0आई0 मुख्यालय, नई दिल्ली में पी0ई0 दर्ज की है, लेकिन अभी तक अंतिम कार्यवाही नहीं हुई है।

मजदूरों का शोषण मानवता का उपहास

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस, 01 मई 2019 पर विशेष आलेख : हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मई महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को मई दिवस भी कहकर बुलाया जाता है। अमेरिका में 1886 में जब मजदूर संगठनों द्वारा एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे करने के लिए हड़ताल की जा रही थी। इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात शख्स ने शिकागो की हेय मार्केट में बम फोड़ दिया, इसी दौरान पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दीं, जिसमें 7 मजदूरों की मौत हो गयी। इस घटना के कुछ समय बाद ही अमेरिका ने मजदूरों के एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे निश्चित कर दी थी। तभी से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत शिकागो में ही 1886 से की गयी थी। मौजूदा समय में भारत सहित विश्व के अधिकतर देशों में मजदूरों के 8 घंटे काम करने का संबंधित कानून बना हुआ है। अगर भारत की बात की जाए तो भारत में मजदूर दिवस के मनाने की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 से हुई।

लोकतंत्र में चुनाव उत्सव है जंग नहीं

यूं तो चुनाव मूलतौर से मानसिक स्तर पर एक द्वंद है। द्वंद इसलिए कि जब हम चुनाव करते हैं किन्हीं दो या दो से अधिक के बीच में यह समय निःसंदेह बड़ा ही कष्टकर होता है, पहले तो हम स्वयं से ही लड़ते हैं, अपने से अपनी प्रकृति के अनुसार। दूसरा अब लोकतंत्र में जनसेवा की भावना दफन हो चुकी है। हकीकत में हम केवल सेवा भाव का वचन, स्वप्न ही दिखाते हैं लेकिन, वस्तुतः होते नहीं है। वास्तव में सेवा की आड़ में अपना धंधा और मोटा पैसा बनाने के लिए ही राजनीति में आते हैं, तभी तो करोड़पति जन प्रतिनिधियों की संख्या में बेहताशा वृद्धि हुई है, फिर मुफ्त के पैसे का आनंद ही अलग है, अनूठा है, निराला है, आकर्षण है।

मज़दूर दिवस पर विशेष : न घर है न ठिकाना, बस चलते जाना है....

किसी भी देश के विकास में मज़दूरों की सबसे बड़ी भूमिका है. ये मज़दूर ही हैं, जिनके ख़ून-पसीने से विकास की प्रतीक गगनचुंबी इमारतों की तामीर होती है. ये मज़दूर ही हैं, जो खेतों में काम करने से लेकर किसी आलीशान इमारत को चमकाने का काम करते हैं. इस सबके बावजूद सरकार और प्रशासन से लेकर समाज तक इनके बारे में नहीं सोचता. बजट में भी सबसे ज़्यादा इन्हीं की अनदेखी की जाती है. सियासी दल भी चुनाव के वक़्त तो बड़े-बड़े वादे कर लेते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही सब भूल जाते हैं. रोज़गार की कमी की वजह से लोगों को अपने पुश्तैनी गांव-क़स्बे छोड़कर दूर-दराज के इलाक़ों में जाना पड़ता है. अपने परिजनों से दूर ये मज़दूर बेहद दयनीय हालत में जीने को मजबूर हैं.

28.4.19

शार्प रिपोर्टर ने शुरू किया अपना आनलाईन वर्जन

एक दशक के सार्थक और जनसरोकारी पत्रकारिता के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्वी पट्टी का मीडिया समूह "शार्प रिपोर्टर" बदलते तकनीक और समाचार माध्यमों के दौर में अपना आनलाईन वर्जन शुरू किया है। इसके लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स यूट्यूब पर @SHARP REPORTER ने एक दैनिक अपडेशन न्यूज़ चैनल (लिंक) https://youtu.be/ziWPjOMOmj8 शुरू किया है और एक वेबसाइट www.sharpreporter.in की भी नये कंटेंट और कलेवर में शुरूआत हुई है।

पांचवे चरण की 14 सीटों का पोस्टमार्टम : अवध की जमीं से बुंदेलों की धरती तक संघर्ष गाथा

 अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का पांचवां चरण राज्य की राजनीति का एक महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। इस चरण में सियासत का रंग लखनऊ और उसके आसपास के जिलों में सुर्ख होते दिखेगा। पाचवां चरण आते-आते राज्य को लू के थपेड़ों ने अपने आगोश में समेट लिया है। दिन में सड़के विरान होने लगी हैं। सूरज के ढलने के बाद यह विरानगी टूटती है। 06 मई को पांचवें चरण का मतदान होना है और इसी दिन से पवित्र रमजान के महीने की भी शुरूआत हो जाएगी। हो सकता है गरमी और रमजान के चलते मतदान का प्रतिशत थोड़ा कम रहे, इसी को ध्यान में रखते हुए मतदान कार्य से जुड़े और मतदान को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं और जागरूक नागरिकों ने भी अपनी मुहिम तेज कर दी है ताकि अधिक से अधिक लोग मतदान करने के लिए पोलिंग बूथ पर पहुंचे।

अब संभव है हृदय रोगों का बिना सर्जरी इलाज

भारत में हृदय रोगियों की संख्या में हाल ही के कुछ वर्षों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भारतीय चिकित्सकों के लिये यह एक गंभीर मुद्दा इसलिये भी है क्योंकि एंजाइना और अन्य हृदय रोगों के उपचार के लिये भारत में उपयोग की जाने वाली शल्य चिकित्सा काफी महंगी हैं तथा रोगी के शत प्रतिशत स्वस्थ होने की कोई गारंटी भी नहीं देती। सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक एस.एस.सीबिया का कहना है कि बहरहाल दुनिया भर के हृदय रोगियों के लिये पिछले कुछ समय से विकसित की गई ईसीपी (एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन) और एसीटी (आर्टरी कीलेशन थैरेपी) नामक गैर शल्य चिकित्सा पद्धति एक वरदान साबित हो रही है।

27.4.19

प्रियंका के वाराणसी से न लड़ने से बुआ-बबुआ को सबसे ज्यादा खुशी

अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का जोश हाई है। वाराणसी में जिस तरह से विपक्ष और खासकर अपने आप को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाली कांगे्रस ने हथियार डाले उससे बीजेपी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है। कांगे्रस को इसका बढ़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है तो उधर, प्रियंका का वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ना मायावती और अखिलेश गठबंधन के लिए राहत भरी खबर रही। प्रियंका अगर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ती तो भले वह वाराणसी से चुनाव हार जाती, लेकिन पूर्वांचल की अन्य कई लोकसभा सीटों के कांगे्रस प्रत्याशियों को इसका जबर्दस्त फायदा मिलता,जिससे पूर्वांचल लोकसभा चुनाव प्रभारी होने के नाते प्रियंका का कद काफी बढ़ जाता। पूर्वांचल में प्रियंका के प्रभार वाली करीब चार दर्जन लोकसभा सीटें हैं, जिसमें एक आजमगढ़ की लोकसभा सीट को छोड़कर 2014 में भाजपा का सभी सीटों पर कब्जा रहा था। आजमगढ़ से सपा नेता मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे। इस बार आजमगढ़ से अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे है।

बहनजी को सीबीआई के जरिए फिर घेरने की तैयारी

सात सरकारी चीनी मिलों के बिक्री घोटाले में 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर, मायावती सरकार को दौरान बेचीं गयी 21 चीनी मिलों का मामला, सरकारी खजाने को 1179 करोड़ रुपए का नुकसान

सीबीआई (केंद्रीय जाँच ब्यूरो) ने उत्तर प्रदेश के 7 सरकारी चीनी मिलों के विनिवेश में वर्ष 2010-11 में कथित अनियमितताओं को लेकर एफआईआर दर्ज की है। इस कथित अनियमितता से सरकारी खजाने को 1179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को खरीदने के दौरान दस्तावेजों में हेराफेरी करने के आरोप में सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। बसपा सरकार के दौरान हुए कथित चीनी मिल बिक्री घोटाले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन शाखा ने आईपीसी 420, 468, 471, 477एऔर कंपनी एक्ट में एफआईआर दर्ज की है। नई दिल्ली के राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, गाजियाबाद के धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर के सौरभ मुकुंद, नसीम अहमद, मो जावेद और वाजिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

25.4.19

यूपी चौथा चरण : भाजपा के सामने साख की चुनौती, देखें किस सीट पर किस जाति के कितने वोटर

अजय कुमार, लखनऊ

यूपी में चौथे चरण में 29 अपै्रल को 13 सीटों पर चुनावी जंग होनी है। 2014 में भाजपा को 13 में से 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी। यहां से डिम्पल यादव चुनाव जीती थीं।  भाजपा के सामने अपनी 12 सीटें बरकरार रखने की चुनौती है तो सपा-बसपा गठबंधन के सामने जातीय समीकरणों के बूते पुरानी जमीन भाजपा से छीनने का लक्ष्य है। कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर उन सीटों पर खास निगाह लगाए है जो उसने 2009 में जीती थीं। चौथे चरण में जिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उसमें बीजेपी सभी 13 सीटो पर तो सपा-बसपा क्रमशः 07 और 06 सीटों पर तथा कांगे्रस 13 सीटों पर मैदान में है। कांगे्रस ने डिम्पल के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारा है। इस चरण में डिम्पल यादव,राम शंकर कठेरिया,सत्यदेव पचैरी,श्री प्रकाश जायसवाल,देवेन्द्र सिंह भोले,आदि दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

बाबा भोलेनाथ की नगरी दो दिनों तक रहेगी मोदीमय

अजय कुमार, वाराणसी से
देश की सबसे अधिक चर्चित लोकसभा सीटों में से एक वाराणासी संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। यहां सांतवें और अंतिम चरण में मतदान होना है। यहां से 26 अ्रपै्रल को नामांकन के लिए भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक दिन पूर्व 25 अ्रपै्रल को वाराणसी पधार रहे हैं। पीएम मोदी 25 अप्रैल को रोड शो और 26 अप्रैल को नामांकन करेंगे। दो दिनों तक यहां सियासत उफान पर होगी। यह कहना गलत नहीं होगा की बाबा भोलेनाथ की नगरी वाराणसी इन दो दिनों में मोदीमय नजर आएगी।

पत्रकारों की किल्लत हो गई है क्या जो 'चौकीदार' का इंटरव्यू 'खिलाड़ी' ले रहा!

नींद टूटी तो हमेशा की तरह अपनी आदत के मुताबिक न्यूज़ चैनलों का दीदार शुरू कर दिया। अरे ई का!! जहां देखो पीएम से अछईया (अक्षय) वाला इंटरव्यू चल रहा था। ज़ी न्यूज़, आज तक, एबीपी न्यूज़, डीडी न्यूज़, रिपब्लिक भारत और फलाना ढिकाना सारे चैनलों पर इनका ही इंटरव्यू चल रहा था, वह भी नॉनस्टॉप! बोले तो बिना ब्रेक के!

हेमंत करकरे उत्पीड़न और प्रताड़ना का अपराधी था!

विष्णु गुप्त
हेमंत करकरे को लेकर कोई एक नहीं बल्कि अनेकानेक प्रश्न खडे थे, पर अधिकतर लोग इस प्रश्न पर बात ही नहीं करना चाहते थे? हेमंत करकरे को लेकर उठे प्रश्नों पर आखिर लोग बात क्यों नहीं करना चाहते थे? पहला कारण यह था कि कांग्रेस हर हाल में हिन्दू -भगवा आतंकवाद को प्रत्यारोपित करना चाहती थी, इसके लिए कांग्रेस हर वह हथकंडा अपनाने के लिए तैयार बैठी थी जो हथकंडा अपना सकती थी, हथकंडे के तौर पर कांग्रेस के पास तीस्ता सीतलवाड, हर्ष मंदर, जान दयाल और शबनम हाशमी जैसे तमाम चेहरे थे जो भारत को एक खलनायक के तौर पर प्रस्तुत करते थे और हिन्दुओं को आतंकवादी, खतरनाक तथा अमानवीय मानुष साबित करने के लिए तुले रहते थे, इसी सोच से प्रस्तावित दंगा रोधी विधेयक सामने आया था, जिसमें प्रावधान यह था कि कहीं भी दंगा होगा तो बेगुनाह साबित करने की जिम्मेदारी हिन्दुओं को ही होगी, मुस्लिम पर आरोप होने पर भी उसे बेगुनाही के सबूत नहीं जुटाने होंगे, वह प्रस्तावित विधेयक सोनिया गांधाी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने लायी थी जिसके सदस्य तीस्ता सीतलवाल सहित अन्य तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग शामिल थे।

किसी ईसाई ने नमाज़ पढ़ रहे लोगों को मारा तो ये दुनिया में कहीं भी क्रिश्चियन मार के बदला लेंगे!


Tabish Siddiqui : ISIS ने कहा है कि न्यूज़ीलैंड में मारे गए लोगों का बदला उन्होंने श्रीलंका में लिया है.. मतलब न्यूज़ीलैण्ड में किसी ईसाई ने मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे लोगों को मारा था तो ये दुनिया मे कहीं भी क्रिस्चियन मार के वो उसका बदला ले लेंगे. अब सवाल ये नहीं है कि ये सही है या ग़लत.. सवाल ये है कि आपको ये पसंद आया कि नहीँ?

24.4.19

राज ठाकरे ने तो बीजेपी आईटी सेल की बैंड बजा दी!

मोदी-शाह की नाक में दम कर दिया है राज ठाकरे ने। इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू हैं राज ठाकरे. उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ रहा है लेकिन राज ठाकरे पूरे महाराष्ट्र में ताबड़ तोड़ रैलियां कर रहे हैं. अपने हर भाषण में वो सिर्फ मोदी और अमित शाह पर तीखे हमले करते हैं.

दैनिक भास्कर प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ जमकर खबरें छाप रहा है


ये कैसी पत्रकारिता...! बात नाम लेकर ही शुरू कर रहे हैं। पत्रकारिता का विद्यार्थी हूं तो फिर हो रही पत्रकारिता पर भी ध्यान देना तो बनता ही है। इसलिए सीधा नाम लिख रहा हूं, देश के सबसे बड़े अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक भास्कर का। इसके भोपाल संस्करण का। साफ कर दें कि यह नाम को बदनाम करने की कोशिश नहीं है। यह प्रयास है समझने का कि आखिर हो क्या रहा है। अखबार का 24 अप्रैल का अंक देखा। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को नीचा दिखाने वाली पांच-पांच खबरों को सआशय इसमें प्रमुखता से स्थान दिया गया है।

क्या वाकई फंस गए हैं देश के मुख्य न्यायाधीश?

जस्टिस रंजन गोगोई पर गम्भीर आरोप, यौन उत्पीड़न मामले में जस्टिस बोबडे और दो अन्य जज करेंगे जाँच

जे.पी.सिंह

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीडन के आरोपों को जिस तरह शनिवार को एक विशेष पीठ बनाकर स्वयं को क्लीन चिट देने का प्रयास किया उसकी विधिक और न्यायिक क्षेत्रों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई और उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वयं बनाई गयी प्रक्रिया के तहत जाँच की मांग बहुत बड़े पैमाने पर उठी।अंततः मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय  के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे को नियुक्त किया गया । न्यायमूर्ति बोबडे ने वह मुख्य न्यायाधीश के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं।न्यायमूर्ति बोबडे ने उच्चतम न्यायालय  के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एनवी रमन और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है। न्यायमूर्ति रमन वरिष्ठता में न्यायमूर्ति बोबडे के बाद हैं और न्यायमूर्ति बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला न्यायाधीश हैं।

गुजरात दंगों की गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो की कहानी इस लोकतंत्र का सिर शर्म से झुकाती रहेगी!

गुजरात दंगों में गैंगरेप पीड़िता को 50 लाख का मुआवजा और आवास देने के सुप्रीम निर्देश

जे.पी.सिंह

"आप खुद को भाग्यशाली समझिए कि हम अपने आदेश में सरकार के खिलाफ कुछ नहीं कह रहे हैं।" यह कहते हुये उच्चतम न्यायालय ने 2002 गुजरात दंगा मामले में गैंगरेप सर्वाइवल बिलकिस बानो को 50 लाख रुपए का हर्जाना देने का निर्देश गुजरात सरकार को दिया है। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को ये भी निर्देश दिया है कि उन्हें नियमों के मुताबिक नौकरी और रहने की सुविधा दी जाए। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने 29 मार्च को बिलकिस बानो मामले में गलत जांच करने वाले 6 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने को कहा था। अपने फैसले में कोर्ट ने ये कहा था कि उन्हें सेवा में नहीं रखा जा सकता।

जयपुर की सेंट्रल जेल में ये क्या चल रहा है!

जयपुर केंद्रीय कारागारः कैद तनहाई और बर्बर पिटाई की दास्तान, रिहाई मंच व अवमेला के संयुक्त प्रनिधिमंडल की दौरा रिपोर्ट.... रिहाई मंच और अवमेला के तीन सदस्यीय संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर केंद्रीय कारागार, जयपुर में जयपुर ब्लास्ट समेत आतंकवाद के नाम पर कैद विचाराधीन कैदियों की 30 अप्रैल 2019 को जेल के अंदर बर्बर पिटाई की घटना के तथ्यों को जानने लिए तीन दिवसीय (6, 7, 8 अप्रैल) दौरा किया। प्रतिधिमंडल जयपुर स्थित मानवाधिकार/सामाजिक संगठनों, जेल अधीक्षक सेंट्रल कारागार जयपुर और पीड़ित विचाराधीन कैदियों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में मसीहुद्दीन संजरी, मो0 आसिम और शादाब अहमद शामिल थे।

22.4.19

संचार में धैर्य और समन्वय से कार्य करना जरूरी: नरेश कुमार


भोपाल : क्राइसिस मैनेजमेंट के समय प्रबंधन, प्लानिंग, रिसर्च ,कारपोरेट संचार, प्रबंधन टीम पर भरोसा और समन्वय के साथ कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी भी संस्थान की संचार प्रबंधन की टीम की योग्यता और क्षमता, संस्थान को संकट से उबार लेती है। जनसंपर्क विभाग की काबलियत उस समय बहुत मदद करती है, जबकि संकट से निपटने के लिए समय बहुत ही कम होता है। जनसंपर्क अधिकारी को सदैव सतर्क रहना चाहिए।

सहारा का संकट : जब कार्यकर्ता और जमाकर्ता ही नहीं बचेगा तो क्या कर लोगे

सहारा श्री सुब्रत रॉय की कुम्भकर्णी नींद। संस्था के मैनेंजमेंट ने संस्था और कार्यकर्ता को इस गम्भीर स्थिति में पहुंचा दिया है कि जो कार्यकर्ता हमेशा से संस्था और सहाराश्री भक्त थे, वो भी नेगेटिव बाते करने को मजबूर हो गए हैं. ये अपने व संस्था के भविष्य को लेकर सोचने लगे हैं. अब तो यूं कहें कि गूंगे भी बोलने लगे हैं, तो गलत नहीं होगा. पर अब भी कुछ अंध-भक्त ऊपरी दिखावे से बाज नहीं आते हैं और जो आवाज़ उठाता है उन लोगों को दबाने की कोशिश करते हैं. क्योंकि वो जानते हैं कि इससे उन लोगों का उल्लू सीधा हो रहा है.

गायब कर दिया 'धूलकोट चौराहा' नाम



इतिहास के पन्नों में दर्ज 'आहड़ सभ्यता' के अवशेष उदयपुर के आयड़ क्षेत्र में महासतियां के पास है, जो 'मिट्टी' में दबे होकर संरक्षित है। इन मिट्टी के टीलों को 'धूलकोट' के नाम से जाना जाता है। 80 के दशक में जब धूलकोट के पीछे आबादी बसी और आवासीय कॉलोनियां बनी तो यहां चार रास्ते निकले, जिनमें से एक ठोकर, दूसरा आयड़, तीसरा पहाड़ा और चौथा बोहरा गणेश मंदिर। इससे इस चौराहा का नाम 'धूलकोट चौराहा'  रखा गया और तभी से यह 'धूलकोट चौराहा' के रूप में ही जाना जाता रहा है।

कई संघियों की सेलेक्टिव शर्म जागी है!

विजेंदर मसिजीवी
कई संघियों की सेलेक्टिव शर्म जागी है, उन्हें संविधानवाद याद आया है और वे आईपीएस करकरे पर प्रज्ञा की बकवास को इस मायने में जस्टिफाई करना चाहते हैं कि उसके साथ हिरासत में अच्छा व्यवहार नहीं हुआ।  वे आतंकी प्रज्ञा सिंह की पुलिस हिरासत में हुई यातना का विरोध करना चाहते हैं। हम इस वाली बात का स्वागत करते हैं।

हेमंत करकरे पर प्रज्ञा का बयान और प्रधानमंत्री द्वारा किया गया उनका बचाव

जब 26/11 हुआ था, तब बहुत कुछ समझ नहीं आ रहा था। सिवाय इसके कि ताज होटल में कोई इजरायली बैठक चल रही थी, नरीमन हाउस भी इजरायली मामला है जहां आतंकी छुपे थे, गड़करी उस वक़्त इजरायल में थे और कर्नल श्रीकांत पुरोहित, प्रज्ञा ठाकुर, दयानंद पांडेय आदि इजरायल में हिन्दुओं की प्रवासी सरकार बनाने में लगे हुए थे जिसकी मुंबई एटीएस ने अपने चार्जशीट में बात की थी और जिसे हेमंत करकरे ने बनाया था।

श्रीलंका के आतंकी विस्फोटों से जुड़े सवाल

-ललित गर्ग-
श्रीलंका अपनी शांति और मनोरतमा के लिये नई इबारत लिख ही रहा था कि वहां हुए सिलसिलेवार शक्तिशाली बम विस्फोटों एवं धमाकों केे खौफनाक एवं त्रासद दृश्यों नेे सम्पूर्ण मानवता को लहुलूहान कर दिया, आहत कर दिया और दहला दिया। कैसी उन्मादी आंधी पसरी कि 200 से अधिक लोगों का जीवन ही समाप्त कर दिया। हजारों गंभीर रूप से घायल हो गए तथा करोड़ों रुपये की सम्पत्ति नष्ट हो गई। इस प्रकार यह विस्फोटों की शृंखला, अमानवीय कृत्य अनेक सवाल पैदा कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कुछ उन्मादी लोगों के उन्माद में न जिन्दगी सुरक्षित है और न ही जीवन-मूल्यों की विरासत। आखिर कब रूकेगा हिंसा, आतंक एवं त्रासदी का यह खूनी खेल। इस तरह के हिंसा, भय, आतंक, अन्याय एवं अमानवीयता के घृणित कर्मों ने यह भी साबित कर दिया कि आदमी के मन में पाप का भय रहा ही नहीं।

21.4.19

बरेली व आंवला में 5-10% ज़्यादा मुस्लिम वोट बीजेपी को न पड़ा तो सियासत छोड़ दूंगा : डॉ.हुदा

अज़ीज़ाने गिरामी-ए-मिल्लत एहले सुन्नत वल जमात अस्सलामोलेकुम...2010,2012 याद है या भूल गए.? जिस दौरान शर पसन्द ताकतों ने शहर की फ़िज़ा में ज़हर घोलने का काम किया,कौमी यकजहती को पामाल किया और बरेली जैसा अमन का पैरोकार शहर कर्फ्यू की ज़द में आगया था...याद होगा आपको रमज़ान का मुबारक महीना था! सूबे में समाजवादी सरकार की हुक़ूमत थी,मरकज़ी हुक़ूमत कांग्रेस की थी।

याद है न?

बरेली के भी एक सियासी रहनुमा सूबे में मुस्लिम वोटों पर जीत कर हुक़ूमत में आला वज़ीर बने बैठे थे...सद अफसोस!!!

सुनो मुसलमानों!जोगी नवादा,पनबढिया,रबड़ी टोला, सुभाषनगर...याद है न या ये भी याद दिलायूँ?

जिस वक्त अखिलेश हुक़ूमत ने रबड़ी टोला के इमरान को पुलिस की गोली से शहीद किया,सुभाष नगर बब्बन पुर्वा का इमरान शहीद हुया,जोगी नवादा का जाफरी भाई शहीद हुया तब सर पर कफ़न बांध कर रमज़ाम में जान हतेली पर लेकर जनाज़ों को कंधा कौन दे रहा था?

शहीदों की तदफ़ीन के लिये कफ़न और पटलो का इंतेज़ाम कर्फ्यू में हाथ जोड़-जोड़ कर लोगो से दुकान खुलवाकर कौन कर रहा था? जब मुसलमानों के घरों में चूल्हे नही जल रहे थे तब जान हतेली पर रख कर कर्फ्यू में राहत सामग्री लेकर पूरी बरेली के मोहल्लों मोहल्लों में कौन बाटता घूम रहा था? शराफ़त मियाँ हुज़ूर की खानकाह पर कर्फ्यू के दौरान फसी हामला बहनों को जान की बाज़ी लगाकर उनके घर तक कौन पहुँचा रहा था? जली हुई दुकानों के मुआवज़े और शहीद हुए लड़को के हक़ के लिये हुक़ूमत से अकेला कौन लड़ कर उनके हक़ का मुतालबा कर रहा था? कौन मस्जिदों में नमाज़ क़याम करा रहा था क्योंकि कर्फ्यू की वजह से लोग घरों से नही निकल पा रहे थे?

बरेली की कम से 50 से ज़्यदा मस्जिदों में सेहरी और अफ्तार का इंतेज़ाम कौन करा रहा था? मस्जिदों के इमाम साहब किन हालातो में रोज़े रख रहे थे उनको हौसला देने के लिये पुलिस-प्रशासन के सहयोग से रुट मार्च कौन निकलवा रहा था? बन्द रोज़गार और दुकानें कौन खुलवा रहा था? आश्रित परिवारों के लिये बरेली से लेकर लखनऊ तक मुआवज़े और सरकारी नोकरी के लिए हुक़ूमत से अकेले कौन लड़ रहा था?

सूबे में समाजवादी सरकार थी और जोगी नवादा में पुलिस के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अकेले जान पर खेल कर PAC किसने हटवाई थी? अहमद उल्लाह भाई, इफ्तेकार कुरैशी भाई अगर वाक़ई पंजतन के ग़ुलाम हो तो गवाही देना...ज़रा अल्लाह को हाज़िर नाज़िर जान कर बताओ बरेली के मुसलमानों! इस ख़ादिम ने क्या कोई कसर छोड़ी? जान की बाज़ी लगा दी आपके लिये तब कहाँ थे आपके कांग्रेसी और सामाजवादी नेता?

अरे मुझे गालियां देने से पहले निगाहों का लिहाज़ तो कर लेते...या सब लिहाज़,मोहब्बत,हया भूल गए? मेरे भाई तौसीफ भैया के लिये सऊदी हुक़ूमत से किसने पैरवी की थी? मदरसों को आतंक का अड्डा कहने वाले वसीम रिज़वी पर पूरे सूबे में उसके ख़िलाफ़ सबसे पहले किसने मोर्चा खोल कर FIR कराई थी?

चंद फेसबुक पर मुख़ालफ़त करने वालो सुन लो! जिंतनी आपकी तादाद है उससे लाख गुना ज़्यदा मेरे चाहने वाले और उनकी अज़ीम दुआएं मेरे साथ हैं...लगा लेना जितना ज़ोर लगाना हो!अगर बरेली और आंवला में 2014 के मुकाबले 5-10% ज़्यदा मुस्लिम वोट इस बार बीजेपी को नहीं पड़ा तो सियासत छोड़ दूंगा...

मुझे उम्मीद है मेरे हज़ारों,लाखो चाहने वाले मुझे मेरे मुखलीफो के सामने रुसवा नही होने देंगे...इन्शा अल्लाह!

आप सिर्फ मुझे देखिये बस और ये सोचिए कि बरेली और आंवला दोनों जगह से बीजेपी से आपका ख़ादिम डॉ हुदा लड़ रहा है"...

अरे मेरी कुर्बानियों का कुछ तो लेहाज़ करो मेरे अज़ीज़ों...
"व तो इज़्ज़ो मन्तशाओ व तो ज़िल्लो मन्तशा"...

जय-हिंद


























20.4.19

प्रियंका गांधी के एक बयान ने बीजेपी वालों के दोनों हाथों में लड्डू थमा दिया है


अजय कुमार, लखनऊ

वाराणसी कांग्रेस के लिए बनी दोधारी तलवार...  सियासत की डगर बड़ी पथरीली और उबड़-खाबड़ होती है। यहां कदम-कदम पर ठोकर का डर रहता है। हर कदम बहुत संभल कर रखना पड़ता है। जरा सी भी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।संभवता इस बात का अहसास कांग्रेस का तरूप का इंका समझी जाने वाली प्रियंका वाड्रा को भी हो गया होगा। अभी प्रियंका को यूपी की राजनीति में कदम रखे दो-ढाई महीना ही हुआ होगा,लेकिन उनकी चमक फीकी पड़ने लगी है। वह भी भाई राहुल गांधी की तरह ही अपना पक्ष जनता के सामने मजबूती से नहीं रख पा रही हैं। शायद इसी लिए प्रियंका जनसभा करने की बजाए रोड शो को अधिक तरजीह दे रही हैं,लेकिन इस हकीकत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि कोई भी नेता बिना बोले जनता से संवाद स्थापित नहीं कर सकता है, लेकिन मजबूरी यह है कि प्रियंका जैसे ही बोलती हैं भाजपा नेता उनकी बात पकड़ लेते हैं।

साध्वी प्रज्ञा मुस्लिम होती तो आतंकी होती!

जियाउर्रहमान
आप सोचिये कि यदि किसी मुस्लिम को जिसपर आतंकी घटना में शामिल होने का केस चल रहा हो उसे  कांग्रेस या अन्य  कोई दल लोकसभा का प्रत्याशी बना दे तो देश में कथित राष्ट्रवादियों और मीडिया की क्या प्रतिक्रिया होती ?  देशभर में भाजपाइयों ने हंगामा खड़ा कर दिया होता और तूफ़ान ला दिया होता | लेकिन राष्ट्रवाद का राग अलापने वाली भाजपा ने अचानक चुनाव में आतंकवाद की आरोपी मालेगांव ब्लास्ट की आतंकी साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से चुनाव में उतारा है, राष्ट्रवादी मौन हैं ? | पीएम मोदी ने भी एक इंटरव्यू में साध्वी से हमदर्दी जताकर अपनी मौन स्वीकृति दे दी है | आतंकी साध्वी प्रज्ञा को भाजपा ने ऐसे समय में टिकट दिया है जब देश में दो चरण का मतदान हो चुका है | तो क्या यह माना जाये कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए आतंक के आरोपी के जरिये ध्रुवीकरण करना चाहती है ?

18.4.19

डिप्टी कलेक्टर दिवाकर की ये कविता हो रही लोकप्रिय

बिहार प्रशासनिक सेवा के सीनियर डिप्टी कलेक्टर रविन्द्र कुमार दिवाकर द्वारा रचित यह कविता बिहार में लोकप्रिय हो रही है-

तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे---                  

17.4.19

कांग्रेस से आचार्य प्रमोद कृष्णन के आने पर लखनऊ में पूनम सिन्हा के लिए जीत की राह हुई बेहद मुश्किल

संजय सक्सेना, लखनऊ
भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके कांगे्रस के टिकट पर पटना साहिब से और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा के गठबंधन प्रत्याशी के रूप में लखनऊ से चुनाव लड़ने की खबर लगभग पक्की हो गई है, लेकिन पूनम सिन्हा के लिए जीत के हालात वैसे नहीं बन पाए हैं जैसे उनके पति और गुजरे जमाने के नायक और खलनायक शत्रुघ्न सिन्हा सोचते थे। बॉलीवुड में शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना साहिब में अपना टिकट पक्का होने के बाद लखनऊ में अपनी पत्नी पूनम सिन्हा के लिए सियासी गोटियां बेहद खूबसूरती से बिछाई थी, अगर उनकी गोटी पिटती नहीं तो सिन्हा परिवार में एक नहीं, दो-दो सांसद हो जातें।

16.4.19

विवादित बयानबाजी आजम का पुराना शगल, एक बार सपा से निकाले जा चुके हैं

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की सियासत और समाजवादी पार्टी में आजम खान का रूतबा किसी से छिपा नहीं है। वह कभी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खास हुआ करते थे तो अब अखिलेश यादव की ‘नाक के बाल’ बने हुए हैं। अखिलेश ने गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर आजम खान को रामपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है।उनके मुकाबले में भाजपा ने गुजरे जमाने की फिल्मी अदाकारा जयाप्रदा को मैदान में उतारा है। आज भले ही जयाप्रदा रामपुर में कमल खिलाने की कोशिश कर रही हों, लेकिन अतीत को भुलाया नहीं जा सकता है। जयाप्रदा यहां से साइकिल पर सवार होकर संसद तक का सफर पूरा कर चुकी हैं।

यायावर हैं आवारा हैं बंजारे हैं : पंकज सुबीर ने एक यात्री और पर्यटक के तौर पर यह किताब लिखी है



पारुल सिंह
"यायावर हैं आवारा हैं बंजारे हैं", ये किताब हाथ में लेते ही मुझे बहुत भा गई। सुंदर कवर, हल्का वज़न और गोल्डन स्याही से लिखा हुआ लेखक और किताब का नाम। क़िताब के पन्नों और स्याही की लिखावट की ख़ुशबू पाठक पर क्या प्रभाव छोड़ती है, यह हर पुस्तक प्रेमी समझ सकता है। किताब को पढ़ना उस पर लिखे हुए को ही पढ़ना नहीं होता पाठक के लिए। किताब को हाथों में थामना, खोलना उसकी ख़ुशबू में खो जाना एक पूरी प्रक्रिया होती है पढ़ने की। और उस पर किताब इतनी रोचक हो तो कहने ही क्या।

खजुराहो और कामसूत्र वाले इस देश की 'काम कुंठा'


सतीश सिंह

आज भी भारत में सेक्स को वर्जना की तरह देखा जाता है। जबकि हमारे देश में खजुराहो से लेकर वात्सायन के कामसूत्र जैसी कृतियों में सेक्स के हर पहलू पर रोशनी डाली गई है। स्वस्थ व सुखी जीवन के लिए संयमित सेक्स को उपयोगी बताया गया है। सेक्स का स्थान जीवन में पहला तो नहीं कह सकते हैं। पर इसका स्थान गेहूं के बाद पर गुलाब के साथ जरुर है। सेक्स शरीर की एक जरुरत है और साथ ही इंसान के जीवन चक्र को जारी रखने वाला जरिया भी। आम जीवन में सेक्स को लेकर बहुत सारी भ्रांतियाँ हैं। जानकारी के अभाव में, परिस्थितियों के कारण या फिर मनोविकार के कारण इंसान बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य करके सामाजिक बहिष्कार का पात्र बन जाता है। बलात्कार आज भारत में सबसे ज्वलंत मुद्दा है। बावजूद इसके इस समस्या के तह में जाने का कभी प्रयास नहीं किया गया है।

'इंडिया टुडे' वाले वाकई आपके बेडरुम में घुसकर 'रात में क्या किया, कैसे किया' की बातें करते हैं?

रवीश कुमार

सेक्स सर्वे आए दिन होने लगा है। तमाम पत्रिकाएं सर्वे कर रही हैं। सेक्स सर्वेयर न जाने किस घर में जाकर किससे ऐसी गहरी बातचीत कर आता है। कब जाता है यह भी एक सवाल है। क्या तब जाता है जब घर में सिर्फ पत्नी हो या तब जाता है जब मियां बीबी दोनों हों। क्या आप ऐसे किसी को घर में आने देंगे जो कहे कि हम फलां पत्रिका की तरफ से सेक्स सर्वे करने आए हैं या फिर वो यह कह कर ड्राइंग रूम में आ जाता होगा कि हम हेल्थ सर्वे करने आए हैं।

15.4.19

विपक्षी पार्टी को जगह न देकर हिन्दुस्तान अखबार लोकतंत्र की कर रहा हत्या

शशी शेखर जी आपकी जय हो, जय हो, जय हो।

चुनाव के मौसम में पटना संस्करण के हिंदुस्तान अखबार को देखकर दुख भी हो रहा है और घृणा भी। एक अखबार इस प्रकार कैसे कर सकता है। कैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरी तरह से चैपट कर सकता है, जिनसे अभिव्यक्ति की आजादी दी। लिखने का अधिकार दिया, उसी का गला घोंटने में लगा हुआ है। इसके संपादक शशी शेखर हैं। एक अविवेकपूर्ण निर्णय ने इस अखबार की विश्वसनीयता को पूरी से चैपट कर दिया है, जिसे दोबारा हासिल करने में कितने साल लग जाएंगे पता नहीं। 10 अप्रैल से हिंदुस्तान अखबार को देख रहा हूं।

समाज को अंधकार से निकालने में पत्रकारों की भूमिका अविस्मरणीय : मधुरेश प्रियदर्शी


समाज के नवनिर्माण में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पत्रकारिता के बदौलत हम समाज को नई दिशा दे सकते हैं। उक्त बातें पत्रकार प्रेस परिषद के प्रदेश अध्यक्ष मधुरेश प्रियदर्शी ने रविवार को मोतिहारी के बैंक रोड स्थित केसरिया गेस्ट हाउस में आयोजित परिषद् की जिला बैठक को मुख्य वक्ता के रुप में संबोधित करते हुए कही। इससे पहले आगत अतिथियों ने बैठक का विधिवत उद्घाटन संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित करके किया।

एहले सुन्नत वल जमात के तालीमी इदारों के लिये डॉ. हुदा का ख़त...

 एहले सुन्नत वल जमात के नाम पत्र...


डॉ.एस.ई.हुदा ने उत्तर-प्रदेश के सभी सुन्नी मसलक मदरसों को जारी किया भावुक पत्र...गठबंधन के लिये बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है...

14.4.19

सतुआन के वैज्ञानिक महत्व : जय सतुआन, जय भोजपुरी!



आज सउंसे पूर्वांचल में सतुआनी के पर्व मनावल जा रलह बा. आजू के दिन भोजपुरिया लोग खाली सतुआ आ आम के टिकोरा के चटनी खाला. साथे-साथ कच्चा पियाज, हरिहर मरिचा आ आचार भी रहेला. एह त्योहार के मनावे के पीछे के वैज्ञानिक कारण भी बा. इ खाली एगो परंपरे भर नइखे. असल में जब गर्मी बढ़ जाला, आ लू चले लागेला तऽ इंसान के शरीर से पानी लगातार पसीना बन के निकलले लागेला, तऽ इंसान के थकान होखे लागे ला.

आत्म अनुभूति के लिए ध्यान अनिवार्य है अन्यथा व्यक्ति के हृदय में ईश रस नहीं बहता

दर्पण आश्रम का तीसरा उपनिषद् श्रंखला राम नवमी के मौके पर हुआ सम्पन्न




बैंगलुरु। शनिवार शाम राम नवमी के अवसर पर बेलंदूर स्थित आदर्श पाम रिट्रीट गेटेड कम्यूनिटी में दर्पण फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं अखिल भारतीय समाज सेवी संस्था यूनिवर्सल फ़ोरम फ़ॉर ह्यूमन डिग्निटी की कर्नाटक इकाई द्वारा आईटी क्षेत्र बहुल श्रोताओं के लिए उपनिषद् श्रंखला की तीसरी कड़ी का आयोजन किया गया जिसका विषय था- “आध्यात्मिकता कैसे व्यक्तिगत सम्बंध और उद्यमिता में मूल्यवत्ता प्रकट करती है?”.

विश्व मानचित्र पर जैव विविधता वाला हॉट स्पॉट है भारत : प्रो. डॉ. साईराम भट्ट

बायोडायवर्सिटी एडवांस क्षेत्रीय वर्कशॉप के आयोजन का समापन भोपाल :  जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी में बायोडायवर्सिटी लॉ एवं एक्सेस और बेनिफिट शेयरिंग विषय पर दो दिवसीय एडवांस क्षेत्रीय स्तर की वर्कशॉप में दूसरे दिन प्रो.(डॉ) एम के रमेश NLSIU, बैंगलोर, NLSIU के ही  रिसर्च स्कॉलर मधुबाति साध्य और रोहित कामथ और अन्य वक्ता विभिन्न सत्रों में  उपस्थित रहे|

9.4.19

2013 दंगों का खौफ माया-अखिलेश पर हावी, पश्चिमी यूपी से दूरी सपा-बसपा की मजबूरी



                                                              अजय कुमार,लखनऊ
  उत्तर प्रदेश में मतदान की बयार पश्चिम से पूरब की ओर चलेगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रथम और कुछ सीटों पर दूसरे चरण में क्रमशः 11 और 18 अप्रैल को मतदान होना है। 2014 के आम चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव का श्री गणेश भी इस क्षेत्र से हुआ था। तब पहले दो चरणों के मतदान के दौरान बीजेपी के पक्ष में ऐसी हवा जिसके बल प बीजेपी ने पूरे प्रदेश में अपनी धाक-धमक कायम कर ली थी।बात इस इलाके के सियासी मिजाज की कि जाए कभी यह कांगे्रस का गढ़ हुआ करता था। कांगे्रस के दिग्गज जाट नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह यहीं से आते थे। चैधरी चरण सिंह ने 1967 में जब कांगे्रस से अलग होकर भारतीय लोकदल(आज राष्ट्रीय लोकदल हो गया है)का गठन किया तो यहां के जाट ही नहीं अन्य तमाम वोटरों ने भी कांगे्रस से दूरी बना ली। पश्चिमी यूपी की नब्ज पर राष्ट्रीय लोकदल की अच्छी खासी पकड़ थी। रालोद जब कमजोर हुआ तो बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी ने यहां अपनी जड़े जमा लीं।

लोकतंत्र में विचारों से बंजर होती सियासी ज़मीन

प्रभुनाथ शुक्ला
राजनीति का यह दौर वैचारिक और सैद्धांतिक रुप से संक्रमण का है। राजनीति हर पल एक नयी भाषा और परिभाषा गढती दिखती है। वैचारिकता की जमींन सै़द्धांतिक रुप से बंजर हो चली है। विचारों का कोई चरित्र है न चेहरा। सियासत में चहुंओर सिर्फ सत्ता के लिए संघर्ष है। जुमले गढ़ती राजनीति वैचारिता को पालती पोषती नहीं दिखती। राजनीतिक दलों में विचाराधारा सिद्धांत नहीं बन पा रही। राजनीति की बदलती परिभाषा में यह कहना मुश्किल है कि विचारों का सि़द्धांत होता है या फिर अपनी सुविधा के अनुसार विचार और सिद्धांत बनाए बिगाड़े जाते हैं। सत्ता हो या प्रतिपक्ष उसके तथ्य और कथ्य में स्थाईत्व नहीं दिखता है। राजनीति का मकसद सिर्फ सत्ता का संघर्ष हो चला है। तकनीकी रुप से राजनीति परिमार्जित तो हुई है, लेकिन भाषायी और वैचारिकता तौर पर परिष्कृत नहीं हो पायी। जबकि हमारा लोकतंत्र बेहद सुदृढ़ हुआ है। उसने बदलाव को आत्मसात किया है, स्वाधीनता के बाद के मिथकों को तोड़ा है। वह तकनीकी के साथ सोच के धरातल पर संवृद्ध हुआ है। लेकिन अगर कुछ बदला नहीं है तो वह है सत्ता के लिए अधिनायकों का संघर्ष। सत्ता की नीति यह साबित करती है कि सिंहासन हासिल करने के लिए साम, दाम, दंड, भय और भेद कामय है और हमेंशा रहेगा। इस संघर्ष में संगे संबंधी, बंधु-बांधव, अपने पराये कोई मायने नहीं रखते। रामायण काल में मां कैकयी, महाभारत में दु्रतक्रीडा, मुगल काल में अपनों का कत्ते आम जैसे अनगिनत उदाहरण हैं। इतिहास का पूरा कालखंड इसकी सम्यक गवाही देता है यानी राजनीति में सब कुछ जायज है।

Storm in tea-cup in J&K / India over Article 370

Dear Editor

Sub:- Status of India nothing more than (i)- Care taker of J&K (ii)- Election Commission for united-J&K

In view of the statement by BJP President Amit Shat that (Article 370 of the Constitution will be abolished in 2020 when BJP will have requisite majority in both the houses of Parliament) the leaders from J&K have threatened that it will be end of accession of J&K to India (as mentioned also at https://economictimes.indiatimes.com/news/elections/lok-sabha/india/end-to-accession-with-india-if-special-status-is-removed-mehbooba-mufti/articleshow/68714487.cms  and https://www.indiatoday.in/elections/lok-sabha-2019/story/kashmir-will-turn-into-palestine-if-article-370-is-abolished-says-mehbooba-mufti-1493939-2019-04-04  etc)  and media in rest of India is making lot of noise about this so-called renewed threat to the territorial integrity of India.

न्यू इंडिया का यह रूप अच्छा नहीं है!

 प्रवेश कुमार
मौजूदा समय में हमारा देश नया भारत का रूप धारण कर चुका है. नया भारत मानना भी क्यों नहीं चाहिए क्योंकि हमारा देश तरक्की के रास्ते पर है. लेकिन इस नए भारत में क्या क्या नया हो रहा है, इसका कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास  समय ही नहीं होता कि वह अपने दिन के 5 मिनट अपने देश के लिए सोच सके. इस समय हमारा देश भुखमरी, बेरोजगारी, किसानों द्वारा आत्महत्या, बलात्कार, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, आतंकवादी हमला इन सभी कार्यों में अव्वल दर्जे पर है. तो क्या यह नया भारत है? इन सभी अव्वल दर्जे के कार्य को नए भारत के नए लोगों को जानना बहुत जरूरी है क्योंकि क्या पता  नए भारत के लोग किस भ्रम में जी रहे हैं.

क्या बीजेपी जीती तो राजनाथ सिंह की जगह अमित शाह होंगे देश के नए गृहमंत्री?

शंभु चौधरी
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार सुनिश्चित थी । मोदी के नेतृत्व को भाजपा ने यह सोचकर स्वीकार कर लिया कि इससे  भाजपा की जीत और आसान हो जायेगी क्योंकि मोदी मनैजमेंट का मास्टर आदमी है जो इस बात से भलींभांति परिचित है कि कैसे सत्ता हासिल की जाए।  परन्तु भाजपा इस बात को भूल गई थी कि जिस प्रकार मोदी गुजरात में अपने ही संगठन के तमाम बड़े नेताओं को जिसमें केशुभाई पटेल सहित कई बड़े भाजपा के पुराने व समर्पित कार्यकर्ताओं को दर किनार कर दिया गया आज केन्द्र में भी इस परंपरा की शुरूआत हो चुकी है।

एनडीटीवी के स्ट्रिंगर के खिलाफ छत्तसीगढ़ के सीएम समेत कई लोगों को पत्र भेजा


भाजपा का संकल्प पत्र देश को साम्प्रदायिक आधार पर बाँटने का दस्तावेज

आज केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने अपना चुनावी घोषणापत्र संकल्प पत्र नाम से जारी किया| इस संकल्प पत्र में देश की 20% जनसंख्या को ठेंगा (नज़रंदाज़) दिखाया गया है| इससे स्पष्ट है कि भाजपा अपने पूर्वज विनायक दामोदर सावरकर की द्विराष्ट्र का सिधांत (टू नेशन थ्योरी) पर पूरी तरह से अडिग हैं व उसको लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है| अभी भाजपा की नीति देश के अल्पसंख्यक समुदाय को योजनाबद्ध ढंग से कुचलने की है|

पश्चिमी यूपी में ताजा की जा हैं मुजफ्फरनगर दंगों की यादें

अजय कुमार,लखनऊ

मुसलमान से मुस्लिम लीग तक सब पर सियासत : पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर प्रथम चरण में मतदान होना है। भाजपा नेता तो यहां काफी समय से परिक्रमा कर रहे थे,लेकिन सपा-बसपा-रालोद गठबंधन न मतदान से चार दिन पूर्व सहारनपुर के देवबंद में रैली करके अपनी ताकत का इजहार किया। रैली की सफल रही या नहीं यह विवाद का विषय हो सकता है,लेकिन इस रैली में एक बार फिर बसपा सुप्रीमों मायावती अपने गठबंधन सहयोगी अखिलेश यादव से बीस नजर आईं। हालांकि अपने विवादित भाषण के चलते मायावती भाजपा नेताओं के साथ-साथ चुनाव आयोग की नजरों में भी चढ़ गई हैं,जिस प्रकार मायावती ने धर्म के आधार पर वोट मांगा है,उससे नाराज चुनाव आयोग माया के खिलाफ कोई सख्त कदम भी उठा सकता है।

संस्कृत में लिखे हमारे ग्रंथों में विज्ञान की बहुत सारी जानकारियां समाहित हैं - प्रो.आमेटा

स्थानीय बद्री विहार सीकर में विगत तीन दिनों से चल रहे ज्ञान गंगा पुस्तक मेले के प्रथम सत्र में आज राजस्थानी एवं बाल साहित्य विमर्श पर वार्ता हुई। जिसमें पू.अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं साहित्यकार चैनसिंह राजपुरोहित एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्रदीप शेखावत ने भाग लिया। वार्ता का संचालन पूर्वा भट्ट ने किया।

जनता सुप्रीम कोर्ट से जानना चाहती है कि राफेल पर क्या निर्णय ले रही है


शंभु चौधरी

लोकतंत्र बनाम सुप्रीम कोर्ट : पिछले दिनों हुई दो घटनाओं का जिक्र करते हुए उपरोक्त शीर्षक का चयन किया हूँ । सवाल सीधा माननीय सुप्रीम कोर्ट से है।  1. बंद लिफाफे को पढ़कर और वादी की बात न सुनते हुए निर्णय देने की प्रक्रिया और जब निर्णय में विवाद शुरू हुआ तो पुनः सुनवाई की गई, वादी पक्ष की बात भी सुनी गई पर निर्णय देने में लगभग एक माह की चुप्पी किसी रहस्य से कम नहीं है। 2. ईवीएम की पारदर्षीता पर 21 विपक्षी दलों के द्वारा दाखिल याचिका पर निर्णय में शक की जगह छोड़ देना।

यूपी : थमा प्रथम चरण का प्रचार, मोदी-योगी, अखिलेश-माया और प्रियंका सबने झोंकी ताकत

                                             अजय कुमार,लखनऊ
     उत्तर प्रदे्रश में प्रथम चरण के लिए प्रचार शाम पांच बजे समाप्त हो गया हैं। यहां 11 अप्रैल को मतदान होना है। प्रथम चरण में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर,गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ और कैराना लोकसभा सीट पर मुकाबला  है। जिन आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होना है,वहां 2014 में भाजपा ने विपक्ष का सफाया करते हुए सभी सीटें जीती थीं। परंतु कैराना उप-चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद यहां के हालात काफी बदले हुए हैं। बसपा-सपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं तो कांगे्रस भी अबकी बार यहां मुकाबले में नजर आ रही है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बिजनौर में कांगे्रस प्रत्याशी नसीमुददीन और सहारनपुर में इमरान मसूद के पक्ष में रोड शो करने आईं प्रियंका वाड्रा के समर्थकों की बिजनौर में भाजपाइयों से भिडंत हो गई। पुलिस ने काफी मुश्किल से हालात संभाले।

पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से शिष्टाचार भेंट


अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने चुनाव में क्षत्रिय उम्मीदारों का किया समर्थन


नई दिल्ली: पृथ्वी राज मार्ग पर स्थित पूर्व उपप्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के आवास पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा राजेंद्र सिंह की उनसे शिष्टाचार भेंट हुई। राजा राजेंद्र सिंह का कहना है कि जितना कार्य, परिश्रम और त्याग आडवाणी जी ने किया है उतना किसी ने नहीं किया। इसलिए क्षत्रिय आडवाणी जी का एहसान मंद है।

लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्रों में पर्यावरण बना मुद्दा

पर्यावरण के सवाल पर देश भर में कार्यरत संगठनों की बड़ी जीत, सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान जारी रखेगा संघर्ष, मतदाताओं को पर्यावरण के हित में मतदान करने की अपील

लोकसभा चुनाव 2019 के सन्दर्भ में दोनों ही राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों ने अपने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं. जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी ने इसे संकल्प पत्र का नाम दिया है, वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने “हम निभायेंगे” के नारे पर मुख्य रूप से केन्द्रित किया है.

8.4.19

वैचारिक असहिष्णुता शब्द विगत 5 वर्षों में आया : शांन्तुन गुप्ता



शेखावाटी क्षेत्र के प्रथम पुस्तक समागम 'ज्ञान गंगा पुस्तक मेले' के दूसरे दिन आज दिनांक 7/4/2019 को सीकर के बद्री विहार में लेखन कार्यशाला का आयोजन हुआ। मूल रूप से आलेख एवं समाचार लेखन पर आधारित इस कार्यशाला में वार्ताकार के रूप में राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री इंदु शेखर तत्पुरुष रहे।

पं. बुद्धिसेन शर्मा को अकबर इलाहाबादी सम्मान


सऊदी अरब और नेपाल की महिला रचनाकार को भी एवार्ड, गुफ्तगू कार्यकारिणी की बैठक में वार्षिक सम्मान की घोषणा
प्रयागराज। साहित्यिक संस्था ‘गुफ़्तगू’ की ओर से प्रत्येक वर्ष दिए जाने
वाले सम्मान की घोषणा रविवार की शाम प्रीतम नगर स्थित मनमोहन सिंह तन्हा
के आवास पर हुई बैठक में की गई है। इस बार अबकर इलाहाबादी सम्मान पं.
बुद्धिसेन शर्मा को दिया जाएगा। सुभद्रा कुमारी चैहान सम्मान इफ़्फ़त ज़हरा
रिज़वी (सऊदी अरब), पूजा बहार (नेपाल), सुमय्या राणा ग़ज़ल (लखनऊ), नमिता
राकेश (फरीदाबाद), अंजु सिंह गेसू (मेरठ), वीना श्रीवास्तव(रांची), नजमा
नाहिद अंसारी (रांची), उर्वशी अग्रवाल उर्वी (नई दिल्ली), स्वधा रवींद्र
उत्कर्षिता (लखनऊ), सुमन ढींगरा दुग्गल(प्रयागराज) और शिबली सना
(प्रयागराज) को दिया जाएगा।