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7.6.19

राजनाथ सिंह कभी यशवंत सिन्हा नहीं बनना चाहेंगे!

Navneet Mishra : राजनाथ सिंह कभी यशवंत सिन्हा नहीं बनना चाहेंगे। मंझे हुए खिलाड़ी है। दर्द भी सीने में दबाकर मुस्कुराने वाले नेता हैं। वह कभी महत्वाकांक्षा का शिकार होकर ख़ुद बेटे की राह का काँटा नहीं बनने वाले, जैसे जयंत के लिए उनके पापा बन गए।
उम्र के उस पड़ाव पर राजनाथ के लिए मंत्रालय और कमेटी सब मोह-माया है। यही क्या कम है कि तमाम अटकलों के बीच रक्षा जैसा बड़ा मंत्रालय मिल गया। वह दूर की सोचते हैं। जानते हैं कि ज़रा सी नाराज़गी दिखाएंगे तो पंकज सिंह के उज्ज्वल भविष्य पर असर पड़ेगा। मोदी के चेहरे पर वोट पड़ रहा है और शाह की अथक मेहनत से पहली बार संगठन इतना मज़बूत है तो वही होगा जो वे चाहेंगे। इस नाते आप भूल जाइए कि राजनाथ भूलकर भी कोई नाराज़गी दिखाने वाले हैं। वैसे भी काडर के आदमी हैं तो संगठन की इज़्ज़त भी बरक़रार रखनी है।

ख़ैर गडकरी, निर्मला, रविशंकर प्रसाद और पीयूष गोयल से भी कम कैबिनेट कमेटियों में जगह पाने पर क़द घटने के मचे शोर के बीच राजनीतिक और संसदीय मामलों सहित चार और कमेटी में अब नाम जोड़ दिया गया है। अब राजनाथ सिंह कुल आठ में दो की जगह छह कमेटी में रहेंगे। पहले राजनाथ को दो कमेटी तक सीमित कर संदेश दिया गया कि आगे वे मार्गदर्शक ही बनेंगे, और फिर दो में नाम जोड़कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई।

नवनीत मिश्रा की एफबी वॉल से.

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