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31.8.19

बैंकों का विलय कर अर्थव्यवस्था को फिर अस्थिर कर रही है मोदी सरकार!

जेपी सिंह
आने वाले 5 साल में देश को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नेक्स्ट जेनरेशन बैंकों का होना जरूरी है। ऐसा दावा करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सरकारी बैंकों के मेगा कंसॉलिडेशन प्लान की घोषणा की। अब देश में सरकारी बैंकों की संख्या मौजूदा 27 से घटकर 12 रह जाएगी। 6 छोटे सरकारी बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में तथा विजया बैंक, देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में पहले ही विलय हो चुका है। इस तरह, एसबीआई तथा बैंक ऑफ बड़ौदा विलय के बाद 10 सरकारी बैंकों में पहले ही शीर्ष दो बड़े बैंकों में तब्दील हो चुके हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि बैंकों का आकार बढ़ने से कर्ज देने की लागत कम होगी और सरकारी बैंकों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। विलय से आकार बढ़ता है और बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसे होंगे। इसके अलावा जोखिम लेने की क्षमता भी बढ़ेगी, क्योंकि, छोटे बैंकों पर अगर एनपीए का बोझ बढ़ता है तो वह नुकसान में चला जाता है। धीरे-धीरे कामकाज चौपट हो जाता है। लेकिन, आकार और पूंजी ज्यादा होने से यह नहीं होगा। अगर बैंक के कुछ कस्टमर्स डिफॉल्टर भी हो जाते हैं तब भी बैंक के कामकाज पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

वित्त मंत्री चाहे जो कहें पर कड़वी हक़ीक़त यह है कि कई सरकारी बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया है। ऐसे में सरकार के पास विलय करना मजबूरी है। कई बैंकों का एनपीए सात फीसदी के पार जा चुका है। ऐसे में विलय करने से सरकार बैंकों के एनपीए को कम कर सकेगी। बैंकों के विलय से एनपीए की समस्या से निजात मिलेगी। अभी सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन 10 बैंकों से चार बैंकों के पास चला जाएगा। इससे इन 10 सरकारी बैंकों का एनपीए पांच से सात फीसदी तक कम होने की उम्मीद है।

अभी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।  पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय किया जा रहा है । विलय के बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक हो जाएगा, जिसका बिजनेस 17.95 लाख करोड़ रुपये होगा। केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय  किया जा रहा है। इस बैंक का बिजनेस 15.20 लाख करोड़ का होगा। यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक होगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय होगा। विलय  के बाद यह देश का पांचवा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक होगा। इसका कुल कारोबार 14.59 लाख करोड़ का होगा। इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में विलय होगा। यह देश का सातवां सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा, जिसकी पूंजी 8.08 लाख करोड़ रुपये होगी। वित्तमंत्री ने कहा कि बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक का किसी का विलय नहीं किया जाएगा। बैंक ऑफ इंडिया का बिजनेस 9.3 लाख करोड़ और सेंट्रल बैंक का बिजनेस 4.68 लाख करोड़ का होगा। कुल मिलाकर इन बैंकों का कारोबार 55.81 लाख करोड़ रुपये का होगा।

इस बीच बैंक कर्मचारी संघों ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह फैसला उनकी समझ से परे हैं और इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिखाई देता है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने एक बयान में कहा है सरकार के प्रस्ताव (विलय के) बिना सोच-विचार कर लाए गए हैं। इनका कोई तार्किक आधार नहीं है। इसमें ना तो कमजोर बैंक का विलय मजबूत के साथ किया जा रहा है ना ही यह भौतिक तौर पर समन्वय में आसान बैंकों का विलय किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि कोलकाता मुख्यालय वाले युनाइटेड बैंक का विलय दिल्ली मुख्यालय वाले पंजाब नेशनल बैंक के साथ किया जा रहा है। वहीं सिंडिकेट बैंक और केनरा बैंक जैसे एक ही क्षेत्र (दक्षिण भारत) में काम करने वाले बैंकों का विलय किया जा रहा है।

संघों ने कहा कि सरकार की ओर से विलय की घोषणा ऐसे समय की गयी है जब देश के आर्थिक हालात बुरे दौर से गुजर रहे हैं। यहां तक कि इस घोषणा से घंटाभर पहले जारी हुए आंकड़ों में देश की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में पांच प्रतिशत के निम्नस्तर तक पहुंच जाने की जानकारी दी गयी। यह पिछली 25 तिमाहियों में सबसे निचली वृद्धि दर है। बयान में कहा गया है कि इस समय जब स्थिरता वक्त की जरूरत है, सरकार खुद वित्त और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। संघ ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक का विलय करने के बाद 1,000 और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय करने के बाद 500 से अधिक शाखाएं बंद हुईं। बयान में कहा गया है कि एक तरफ सरकार जनधन को लागू करना चाहती है, लेकिन शाखाओं को बंद करने के साथ यह कैसे मुमकिन है।


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