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7.9.19

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को फ्री मेट्रो राइड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

जे.पी.सिंह
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को उच्चतम न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाई है।उच्चतम न्यायालय  ने महिलाओं को दिल्ली मेट्रो में फ्री सवारी के प्रस्ताव पर कहा है  कि एक तरफ लुभावने वादे और दूसरी तरफ नुकसान के दावे यह साथ-साथ नहीं चल सकते हैं।एक तरफ दिल्ली सरकार  मुफ्त सवारियां कराने जा रही है और दूसरी तरफ वह उच्चतम न्यायालय से चाहती है कि केन्द्र सरकार को निर्देश दे कि 50 फीसदी ऑपरेशनल नुकसान की वे भी भरपाई करे।

राजधानी में महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने की दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने गंभीर सवाल खड़े किए,क्योंकि इस तरह मुफ्त यात्रा और रियायत देने पर कहा कि इससे दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को घाटा हो सकता है।उच्चतम न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि दिल्ली सरकार को जनता के पैसे से इस तरह की मुफ्त रेवड़ियां देने से गुरेज करना चाहिए। साथ ही चेतावनी भी दी है कि वह उसे ऐसा करने से रोक सकती है क्योंकि न्यायालय अधिकारविहीन नहीं हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून के महीने में ऐलान किया था कि उनकी सरकार राजधानी में मेट्रो और बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने पर विचार कर रही है और उसकी योजना दो-तीन महीने के भीतर इसे लागू करने की है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि यदि आप लोगों को मुफ्त यात्रा की इजाजत देंगे तो दिल्ली मेट्रो को घाटा हो सकता है। यदि आप ऐसा करेंगे तो हम आपको रोकेंगे। आप यहां पर एक मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें नुकसान हो। आप प्रलोभन मत दीजिए। यह जनता का पैसा है।पीठ ने कहा कि आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? क्या आप इस तरह की घूस देंगे और कहेंगे कि केंद्र सरकार को इसका खर्च वहन करना चाहिए।

मामले की सुनवाई के दौरान पीठ  ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस तरह से अपने धन का उपयोग नहीं करना चाहिए।पीठ ने कहा, 'आपके पास जो है वह जनता का धन और जनता का विश्वास है। क्या आप समझते हैं कि अदालतें अधिकारविहीन हैं। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस प्रस्ताव पर अभी अमल नहीं किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की परियोजना से संबंधित तीन मुद्दों पर विचार किया। इनमें संचालन का घाटा वहन करना, जापान इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी के ऋण के भुगतान में चूक होने पर इसका पुनर्भुगतान और भूमि की कीमत साझा करना शामिल थे। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इन मुद्दों को अभी भी सुलझाना बाकी है।

पीठ ने निर्देश दिया कि मेट्रो के चौथे चरण की 103.94 किलोमीटर लंबी परियोजना के संचालन घाटे की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी क्योंकि परिवहन का यह साधन राष्ट्रीय राजधानी में आवागमन के लिए है। पीठ ने निर्देश दिया कि इस परियोजना के लिए भूमि की कीमत केंद्र और दिल्ली सरकार को फिफ्टी फिफ्टी  के अनुपात में वहन करनी होगी।पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मेट्रो परियोजना के चौथे चरण में किसी प्रकार का विलंब नहीं हो और भूमि की कुल कीमत की 2,247.19 करोड़ रुपये की राशि तत्काल जारी की जाए। पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वे भूमि की कीमत के भुगतान का तरीका तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें।

दरअसल  केजरीवाल सरकार के इस प्रस्ताव पर  दिल्ली  मेट्रो और केंद्र सरकार भी पूरी तरह सहमत नहीं हैं। मेट्रो ने इस पर जुलाई में आप सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें किराया तय करने वाली समिति से मंजूरी सहित अन्य  आवश्‍यक तैयारियों के लिए कम से कम 8 माह का समय मांगा गया। मेट्रो ने बताया कि किराये में छूट के लिए उसे सालाना 1566.64 करोड़ रुपये की ज़रूरत  होगी। हालांकि केजरीवाल सरकार ने कहा कि किराया निर्धारित करने वाली समिति से मंजूरी महज एक 'औपचारिकता' है और ऐसी आशंकाओं को खारिज कर दिया कि उसकी महत्‍वाकांक्षी परियोजना को अमल में लाने में वह बाधक बन सकती है।





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