tag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post2515321060161706033..comments2024-03-17T14:51:29.906+05:30Comments on भड़ास blog: आई पी एल - मनोरंजन या साजिश?यशवंत सिंह yashwant singhhttp://www.blogger.com/profile/08380746966346687770noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-7556055317097110012008-04-28T22:32:00.000+05:302008-04-28T22:32:00.000+05:30Bhaiyaa sab paise ka khel hai.. Cricket jaisa kuch...Bhaiyaa sab paise ka khel hai.. Cricket jaisa kuch bacha nahi hai. <BR/>Kehne ko to team ke naam main kolkata aur chennai jaise waors use kiye hain, par aap hi bataaiye ki kya ye teams kissi state ko represent kar rahi hi?<BR/>Bhai hum to wo knight raiders ko support kar rahe hain, kyonki unke gaane main shahrukh ne accha dance kiya hai...<BR/><BR/>IPL jaise tournament cricket ke naam pe ek gira Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-58839820406284177512008-04-28T19:30:00.000+05:302008-04-28T19:30:00.000+05:30वरुण भाई,देखिये ये तो देखने का नजरिया है, वैसी भी ...वरुण भाई,<BR/>देखिये ये तो देखने का नजरिया है, वैसी भी व्यावसायिकता ने सब जगह कब्जा कर रखा है, और खेल को मनोरंजक बनाकर और लोकप्रिय बनाये जाएं तो ये ग़लत नही है, और मुझे तो बड़ा आनंद आ रहा है।<BR/>सोचो भाई अगर पत्रकारिता में व्यावसायिकता ना आया होता तो कहाँ से लाते ये आप-धापी जो आज है, सो इसे तो आने दो, और भाई अगर क्रिकेट मनोरंजन का बाप होता तो इसकी जरूरत ही नही आन पड़ती, ये तो समय का चक्र है की Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-49739206000480002042008-04-28T18:38:00.000+05:302008-04-28T18:38:00.000+05:30वही तो मैं कहना चाहता हूँ रजनीश भाई . अगर खेल को ह...वही तो मैं कहना चाहता हूँ रजनीश भाई . अगर खेल को ही सबकुछ मिलना है तो कल तक जो सहवाग और द्रविड़ के चौकों पर ताली बजाते नहीं थक रहे थे वे आज इनके चौकों पर खामोश क्यों हो जाते हैं अगर ये खिलाड़ी उनके क्षेत्र की टीम से नहीं खेल रहे होते हैं. और हमारे संस्कार सड़े-गले नहीं हैं, उन्हें सड़ा गला बनाकर पड़ोसा जा रहा है ताकि कुछ निहित स्वार्थों की सिद्धि हो सके . साकारात्मक बात तो ये होती कि क्रिकेट को VARUN ROYhttps://www.blogger.com/profile/08450662927772669201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-85151296533408229112008-04-28T18:01:00.000+05:302008-04-28T18:01:00.000+05:30वरुण भाई ,मुझे इसमें साजिश नही लगती, अगर हमारा मनो...वरुण भाई ,<BR/>मुझे इसमें साजिश नही लगती, अगर हमारा मनोरंजन हो रहा है तो जरूरी नही की मुकाबला दो देशों के बीच ही हो, और फूटबाल की तरह इस तरह की प्रति स्पर्धा से खेल का मनोरंजन के साथ साथ वैश्वीकरण होना तय है, अगर आपको शिकायत है की फलां को सपोर्ट नही मिलता और फलां को ताली नही मिलती तो भाई ये खेल है और यहाँ सिर्फ़ खेल को सबकुछ मिलता है और मिल रहा है, <BR/>लोगों को खेल और मनोरंजन, खिलाड़ी को पैसा, Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-57577767231606846182008-04-28T13:30:00.000+05:302008-04-28T13:30:00.000+05:30ये खेल नही,खेल का मजाक है,कुछ पैसों वालों के दिमाग...ये खेल नही,खेल का मजाक है,कुछ पैसों वालों के दिमाग की खुराफात है,क्या कर सकते हैं,जब पब्लिक ही पागल हो रही है तो कौन रोक सकता है?rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-554677024451782802008-04-28T09:14:00.000+05:302008-04-28T09:14:00.000+05:30वरुण भाई,आपका कहना मुझे तो एकदम ही सत्य लगता है ये...वरुण भाई,आपका कहना मुझे तो एकदम ही सत्य लगता है ये खेल बस जनता को मूलभूत समस्याओं से ध्यान हटा कर मनोरंजन प्रिय बना रहे हैं और क्षेत्रीयता को बढ़ावा दे रहे हैं।<BR/>फुद्दुन का कब्भौं चेतना न आई जनाए पड़त है....डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.com