1857
ठंडी रोटियों ने क्रांती की जवाला को जला दिया
डरे हुए हमारे दिलो में जवालामुखी बरपा दिया
अपनी आज़ादी को लड़ते रहने का जज्बा सिखा
दिया ९० साल लगे आजाद होने में
फिर भी आजाद तो करा दिया
आज
१५० साल बाद भी जश्न सिर्फ सरकार मानती है
हमें अपनी रोटी की चिंता है देश तो सिर्फ माटी
है आज़ादी मिली पर हमने महसूस नहीं की
क्योंकि हमें सिर्फ गुलामी ही भाती है ।
"आज़ादी मिली पर हमने महसूस नहीं की
ReplyDeleteक्योंकि हमें सिर्फ गुलामी ही भाती है ।"
एकदम सही बात कही है आप ने!!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
धीरू जी,
ReplyDeleteबहुत सटीक बात कही आपने, वैसे क्रांति का उद्घोष हो और देश के ठेकेदारों को भी आम जन की अहमियत का पता चले इसके लिए आप की लेखन कारगर होगी,
ऐसे ही भड़ास उगला कीजिये
जय जय भड़ास
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete