अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
14.9.08
आतंकवादियों के हिमायती
----- चुटकी---- बम विस्फोटों की घटना को भारी -भारी शब्दों में जो धिक्कारतें है, वही अन्दर बैठकर आतंकवादियों को पुचकारते हैं। ---गोविन्द गोयल,श्रीगंगानगर
यह अतयंत दुख की बात है कि आंतकवादीयों के पास न्यूक्लियर बम नहीं है.मैं आतंकवाद का समर्थक नहीं हूँ पर ये इन्ही घिनौने राजनीतिज्ञॉं की ही अपनी बोई हुई फसलें हैं.
क्यों कि वह आतंकवादियों का दूसरा रूप हैं.
ReplyDeleteनारद जी,
ReplyDeleteपुचकारने के खेल में पत्रकार भी शामिल रहते हैं,
सुबह सुबह के लिए ताजे ताजे मसाले का,
अन्दर कि बैठक में शामिल हो कर
जुगाड़ करते रहते हैं
जय जय भड़ास
यह अतयंत दुख की बात है कि आंतकवादीयों के पास न्यूक्लियर बम नहीं है.मैं आतंकवाद का समर्थक नहीं हूँ पर ये इन्ही घिनौने राजनीतिज्ञॉं की ही अपनी बोई हुई फसलें हैं.
ReplyDeletesahi kaha aapne.
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