यह ब्लॉग मैं इस लिए लिख रहा हू क्क्यों की आज मेरे मित्र ने मेरे साथ धोखाघड़ी कर दी। बात कुछ खाश नही पर मेरे मन से सिर्फ़ इतना ही निकला .......
मेरे साथ किया जो तुने, तेरे साथ कभी न हो
मिटटी पलीद तो कर दी तुने अब क्या मेरी जान लोगे।
वो दुसरे होंगे जो माफ़ करते हैं मैं अभी इस लायक नही
दुनिया भले ही जो समझे इसकी तो परवाह नही
तू मिट गया मेरे दिल से इसका भी कोई दाह नही
एक विश्वास उठा दिया तू , किसी नए मित्र पर बिश्वास करने से
आस करे भी किससे कोई , डर लगता है आस करने से
पता नही क्या लिख रहा हू पर सचमुच डर लगने लगा है मुझे किसी पर भी बिश्वास करने से। हसी मजाक भी इस कदर का होगा पता न था वरना क्या जरूरत थी । गलती मेरी ही थी शायद मैं पहचान न सका उसको । अब लगता है शायद ये पंक्तिया सही है ......
फूलो से दोस्ती क्यों करते हो फूल तो मुरझा जातें है
दोस्ती करना है तो काटों से करो जो चुभने के बाद भी याद आतें है ।
मन का भड़ास था निकल लिया ..
अच्छा करा उगल दिया...
ReplyDeleteअगर कुछ शेष हो तो उसे भी खाली करिए आपके उगले को भडासी आत्मसात करेंगे
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