10.10.08

सब कुछ अल्पसंख्यक करते हैं....हम तो दूध के धुले हैं...

नपुंसकता की हद है भाई, लोगों की समझ मैं नही आएगा......

वो कहते हैं ना की " बड़े हुए तोह क्या हुए जैसे गाछ खजूरवही हाल है......

बहुसंख्यक उम्मीद करता है की उसे माफ़ी मिले, उसके सारे गुनाहों की क्यूंकि वो बहुसंख्यक है.......

कहते हैं जो बड़ा होता है क्षमा उसे ही सोभा देती है.......लेकिन इन हिंदू धर्म के ठेकेदार मैं ना ही कोई धर्म, न ही ईमान बचा है,

सामान्य जन मानस जो की हिंदू है को शायद की समस्या हो, लेकिन वो चूतिये जो अपने आप को धर्म, सभ्यता, संस्कृति के रक्षक या यूँ कहें की "धरम की नाम की रोटियाँ सकने वाले" हैं, को हमेशा लगेगा की उन्होने ही देश का ठेका उठा रखा है.....

गरीब आदिवासियों की आवाज़ तोह वो सुनना ही पसंद नही करेंगे......बाल ठाकरे ने यू-पी, बिहार के नाम पर हिंदुयों मैं भी आतंक फैला रखा है, वो नज़र नही आएगा धरम के रहनुमाओं को.....नॉर्थ ईस्ट की हिंसा जो सो कॉल्ड हिन्दुओं के नज़रंदाज़ करने से हो रहा है, इन्हें नही दिखेगा, तीस से ज्यादा प्रतिशत हिन्दुस्तान नक्सल हिंसा से जूझ रहा है, किसी को कोई मतलब नही है.....क्योँ नही है......क्यूंकि उनके वोट से सरकार नही बन सकती.....

हिंसा तो बस इन सालों को धरम वाला नज़र आता है.......आप अगर सम्वेंदंशील हैं तोह ये आपको छदम धर्म निरपेक्ष कहेंगे.....अगर आप मानव अधिकार की बात करेंगे तोह ये आपको गद्दार का नाम देंगे......भले ही आप पूजा पाठ करने वाले हिंदू क्योँ न हो, और ये हिंदू नाम की दूकान दारी चलाने वाले चूतिये पुरी जिंदगी मैं एक बारभी भगवान् का नाम भले ही ना लें (इनके बच्चे भले ही नंगे कपड़े पहन कर नृत्य करें) लेकिन देशभक्ति और सभ्यता की रक्षा तो इन्ही की जागीरदारी है.......
आजादी के ६० साल के बाद भी हमारे धरम के रहनुमाओं ने पुरी कोशिश की है की जनता कुत्ते बिल्ली की तरह आपस मैं लड़ते रहें और वोट देने का एक कारण ये भी रहे.......
कम से कम अब लोगों को समझ जन चाहिए की हिन्दुस्तान तरक्की चाहता है, हिन्दुस्तानी काम चाहते हैं.......ना की धर्म के नाम का खिलवार.....

क्योंकि हमारे समझ से हर हिन्दुस्तानी धार्मिक है, और अपने ईश्वर मैं विश्वास करता है........

इश्वर के नाम का फायदा कुछ लोगों को ही मिलना है ......और उनका उन्मादी व्यवहार (चाहे वो उन्मादी हिंदू हो या मुसलमान), सदियों से चलता चला आ रहा है, और रहेगा भी.....

अपनी तोह आदत है की देखते रहो......

जय हिंद, जय भारत, जय bhartiya!!

2 comments:

  1. मित्र,
    न हिंदू न मुसलमान, सिख ना ईसाई,
    सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीयता की बात करें.
    सभी मजहब हमें प्रेम ही सीखाता है.
    सो बस सभी मजहब को सम्मान करें, और इश्वर से प्रार्थना की सबको सद्बुद्धि दे.
    "मजहब नही सीखता आपस में बैर रखता."

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