8.10.08

मतलब साफ है बिजली चोरी को हम सबने सामाजिक मान्यता दे रखी है ... ? ...?

घूम लिये दुर्गा पूजा के पंडाल ?
by-ER.Vivek Ranjan Shrivastava
Certified Energy Manager
Adll.Sup.Engineer , M .P . S . E . BOARD , JABALPUR

पिछले नौ दिनों से देश भर में दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महोत्सव चल रहा है . हम सब ने दुर्गा पूजा के पंडाल घूमें हैं . आपने नोटिस किया ? ज्यादातर पंडालों में सजावट के नाम पर बिजली की चकाचौंध ही है . डीजे का शोर है . थर्मो कूल की कलाकारी है . आंकड़े बताते हैं कि हर शहर कस्बे गाँव में ढ़ेरों दुर्गा उत्सव आयोजन समितियां है , खूब बिजली जल रही है , पर इस सजावट के लिये अस्थाई विद्युत कनेक्शन कितने लिये गये हैँ ? मतलब साफ है बिजली चोरी को हम सबने सामाजिक मान्यता दे रखी है ... ? ...?
पुराना समय याद कीजीये , दादा जी या नाना जी से पूछिये .. पहले जब इतनी बिजली की जगमगाहट नही होती थी ..तब भी दुर्गा पूजा तो होती ही थी . तब कैसे सजाये जाते थे पंडाल ? शायद तब पूजा के विधि विधान , श्रद्धा आस्था अधिक थी . आम के पत्तों की तोरण , पतंग के कागज से सजावट होती थी .सांस्कृतिक आयोजन , कविसम्मेलन , नृत्य आदि उत्सव होते थे .
बिजली की कमी को देखते हुये क्या हमें हमारे समाज और सरकार को एक बार फिर दुर्गा पूजा , मोहर्रम , क्रिसमस, न्यूइयर , गणेशोत्सव आदि आयोजनों में बिजली के फिजूल उपयोग पर , तथा आयोजन में सजावट व आयोजन के स्वरूप पर विचार मंथन नहीं करना चाहिये? ???????

1 comment:

  1. विवेक भाई,
    आपकी चिंता एकदम जायज है मगर इस चिंता पर धर्माविलंबी नाराज हो जायेंगे, मामला स्वधर्म का है राष्ट्रधर्म गया तेल लेने, पूजा के चकाचोंध के नाम पर शोरशराबा और दिखाबेबाजी ही रह गयी है क्यौंकी धर्म का ठेका होने लगा है, अन्यथा विधिवत पूजा में कहिन् भी आडम्बर का व्यवधान नही है, शायद आपकी अपील का कुछ असर पड़े.
    जय जय भड़ास

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