9.1.10

लडकियां बनाम समाज

बस खचाखच भरी थी और लोग जैसे तैसे अपने से ज्यादा अपने जेबों को संभाल रहे थे..
तभी निशा बस में चढ़ी क्योंकि उसे दूसरे बस के जल्दी आने की उम्मीद नहीं थी..

एक नवयुवक ने नवयुवती को देखा तो झट खड़ा होने को आया..
और कहा - "आप बैठिये, मैं खड़ा हो जाता हूँ |"
निशा ने हाथों से इशारा करते हुआ कहा - "धन्यवाद, पर लड़कियां अब लड़कों की मोहताज नहीं है | आप ही बैठिये |"

लड़का शर्मसार हो गया और उसने अपना सर झुका लिया |
निशा ने अपना ही नहीं परन्तु देश की हर लड़की का सर ऊँचा कर दिया था |
आस-पास के लोग सोच में पड़ गए...

बस चलती रही...

2 comments:

  1. अति उत्तम , काश ऐसी लडकियां सच में भी होतीं , परन्तु सच मुच में तो २०-२५ वर्ष की लडकियां ७० वर्ष के वृद्धों को 'केवल महिलाओं के लिए ' वाली सीटों से उठा देती हैं

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