5.7.11

ये तेरा बिल ये मेरा बिल ------- ये बिल बहुत हसीन है

नुक्कड़ मे आसिफ़ भाई गीत गुनगुना रहे थे  "  हमारी हसरतो का बिल ये बिल बहुत हसीन है " मैने टोका क्या आसिफ़ भाई क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो जो उसका बिल  आपको हसीन लग रहा है क्या बात है बुढ़ापे मे उलानबाटी खा रहे होआसिफ़ भाई भुनभुनाये कहने लगे बीबी से बचने के लिये आदमी नुक्कड़ आता है और आप हैं कि यहां भी याद दिला रहे हो उनकी । हमने गलती मानते हुये पूछा भाई फ़िर ये कौन सा बिल है गाने मे जरा हमे भी बताईये ।


आसिफ़ भाई फ़िर रूमानी अंदाज मे आ गये मिया हम लोकपाल बिल की बात कर रहे थे एक बार यह आ जाये फ़िर भारत मे हर ओर ईमानदारी होगी कही रिश्वत न ली जायेगी हमने बीच मे टोका आसिफ़ भाई हवा मे मत उड़ो सारी पार्टियो को उस बिल मे कमिया नजर आ रही है और आप को बिल हरा हरा क्यो नजर आ रहा है इतने मे दीपक भाजपाई कूद पड़े वाह दवे जी आप ने मेरे दिल की बात कह दी आसिफ़ भाई को हरा ही हरा नजर आता है हमने कहा हे स्वयंभू भगवा ठेकेदार  यहा बात सावन के अंधे वाले हरेपन की हो रही है और आ गये तुम अपना एजेंडा लेकर हां आसिफ़ भाई आप बताओ बिल का माजरा आसिफ़ भाई मुस्कुरा उठे गुनगुना उठे "किसी को देखना हो अगर तो मांग ले मेरी नजर तेरी नजर" ।

पूरा पढ़ने के लिये -  http://aruneshdave.blogspot.com/2011/07/blog-post_03.html


अष्टावक्र


1 comment:

  1. सामयिक मुद्दे पर लिखा गया बहुत ही रोचक ओर व्यंगात्मक लकख...वाह वाह

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