रूठना और मनाना या खुद ब खुद मन जाना
एक बच्चा गुब्बारे वाले को देखकर माँ से बोला -माँ मुझे गुब्बारा चाहिए।
माँ ने कहा - तूने इस सप्ताह खूब गुब्बारे फोड़ लिये ,आज गुब्बारा नहीं मिलेगा।
बच्चे ने मन ही मन सोचा कि गुब्बारा तो आज ले कर ही रहना है ,बच्चे ने जिद की मगर माँ
ने एक भी नहीं सुनी।बच्चा बात बनती नहीं देख कर रूठता हुआ बोला -माँ ,आपने गुब्बारा नहीं
दिलाया तो मैं शाम का दुध भी नहीं पीऊँगा।
माँ बोली- जीद मत कर ,ज्यादा जिद करेगा तो शाम को पापा से पीटेगा।
बच्चा अपनी बाजी पलटते देख रोने लग गया।उसको रोते देख माँ ने एक बार समझाया।बच्चे
को लगा शायद यह हथियार कारगर रहेगा ,यह सोच वह जोर-जोर से रोने लगा।बच्चे को बेबात
पर गल्ला फाड़ते देख माँ ने गुस्से में बच्चे का कान मरोड़ दिया।अब तो बच्चा जोर -जोर से
रोने लगा।
बच्चे का बड़ा भाई उसे रोते देख बोला -चुप हो जा ,आज माँ तेरी सुनने वाली नहीं है।
यह सुनकर बच्चा और जोर से रोने लगा।थोड़ी देर में बच्चे की बहन भी आ गयी।बहन को
देख बच्चा और जोर से रोने लगा।बहन ने रोने का कारण पूछा और समझाते हुए बोली -भैया,
तुम गुब्बारे के लिए मत रोओ ,गुब्बारे तो जल्दी फूट जाते हैं।
बच्चा जिद पूरी ना होते देख रोता रहा।थोड़ी देर बाद बच्चे के पापा भी घर आ गये।बच्चे को रोते
देख रोने का कारण पूछा।बच्चे ने गुब्बारा ना दिलाने की बात बतायी।
बच्चे के पापा ने कहा -तेरी माँ ने जो किया वह ठीक ही किया।हर दिन जिद करना और जिद
से बात मनवाना ठीक बात नहीं है।यह कह कर उसके पापा भी अपने काम में लग गए।बच्चे
ने सोचा -गुब्बारा तो मिलने वाला नहीं है ,और रोते-रोते गला भी दर्द करने लगा है ,भलाई
इसी में है कि चुप हो जाऊं मगर चुप होने के लिए भी कोई वाजिब बहाना चाहिए।बच्चा सोचता
रहा और रोता रहा।थोड़ी देर में बच्चे ने देखा कि दादा आ रहे हैं।दादा को देख कर बच्चा फिर
से रोने लगा।बच्चे को रोते देख दादा ने रोने का कारण पूछा-
बच्चा बोला-दादा,मम्मी ने गुब्बारा नहीं दिलाया।
दादा ने कहा-कोई बात नहीं ,मैं तेरे को जब मेला लगेगा तब दिला दूंगा।
बच्चे ने सोचा -यह आखिरी मौका है कि मुझे रोना छोड़ देना चाहिए।बच्चे ने दादा से पूछा -
दादा ,मेला लगेगा तो आप गुब्बारा दिला देंगे।
दादा के हाँ भरते ही बच्चा रोना छोड़ नाचने लगा।
सवाल यही है कि बड़े -बड़े मँच पर यह खेल होता रहता है और सयाने लोग भी रोना छोड़
कर नाचने लग जाते हैं।बेचारे .....................
एक बच्चा गुब्बारे वाले को देखकर माँ से बोला -माँ मुझे गुब्बारा चाहिए।
माँ ने कहा - तूने इस सप्ताह खूब गुब्बारे फोड़ लिये ,आज गुब्बारा नहीं मिलेगा।
बच्चे ने मन ही मन सोचा कि गुब्बारा तो आज ले कर ही रहना है ,बच्चे ने जिद की मगर माँ
ने एक भी नहीं सुनी।बच्चा बात बनती नहीं देख कर रूठता हुआ बोला -माँ ,आपने गुब्बारा नहीं
दिलाया तो मैं शाम का दुध भी नहीं पीऊँगा।
माँ बोली- जीद मत कर ,ज्यादा जिद करेगा तो शाम को पापा से पीटेगा।
बच्चा अपनी बाजी पलटते देख रोने लग गया।उसको रोते देख माँ ने एक बार समझाया।बच्चे
को लगा शायद यह हथियार कारगर रहेगा ,यह सोच वह जोर-जोर से रोने लगा।बच्चे को बेबात
पर गल्ला फाड़ते देख माँ ने गुस्से में बच्चे का कान मरोड़ दिया।अब तो बच्चा जोर -जोर से
रोने लगा।
बच्चे का बड़ा भाई उसे रोते देख बोला -चुप हो जा ,आज माँ तेरी सुनने वाली नहीं है।
यह सुनकर बच्चा और जोर से रोने लगा।थोड़ी देर में बच्चे की बहन भी आ गयी।बहन को
देख बच्चा और जोर से रोने लगा।बहन ने रोने का कारण पूछा और समझाते हुए बोली -भैया,
तुम गुब्बारे के लिए मत रोओ ,गुब्बारे तो जल्दी फूट जाते हैं।
बच्चा जिद पूरी ना होते देख रोता रहा।थोड़ी देर बाद बच्चे के पापा भी घर आ गये।बच्चे को रोते
देख रोने का कारण पूछा।बच्चे ने गुब्बारा ना दिलाने की बात बतायी।
बच्चे के पापा ने कहा -तेरी माँ ने जो किया वह ठीक ही किया।हर दिन जिद करना और जिद
से बात मनवाना ठीक बात नहीं है।यह कह कर उसके पापा भी अपने काम में लग गए।बच्चे
ने सोचा -गुब्बारा तो मिलने वाला नहीं है ,और रोते-रोते गला भी दर्द करने लगा है ,भलाई
इसी में है कि चुप हो जाऊं मगर चुप होने के लिए भी कोई वाजिब बहाना चाहिए।बच्चा सोचता
रहा और रोता रहा।थोड़ी देर में बच्चे ने देखा कि दादा आ रहे हैं।दादा को देख कर बच्चा फिर
से रोने लगा।बच्चे को रोते देख दादा ने रोने का कारण पूछा-
बच्चा बोला-दादा,मम्मी ने गुब्बारा नहीं दिलाया।
दादा ने कहा-कोई बात नहीं ,मैं तेरे को जब मेला लगेगा तब दिला दूंगा।
बच्चे ने सोचा -यह आखिरी मौका है कि मुझे रोना छोड़ देना चाहिए।बच्चे ने दादा से पूछा -
दादा ,मेला लगेगा तो आप गुब्बारा दिला देंगे।
दादा के हाँ भरते ही बच्चा रोना छोड़ नाचने लगा।
सवाल यही है कि बड़े -बड़े मँच पर यह खेल होता रहता है और सयाने लोग भी रोना छोड़
कर नाचने लग जाते हैं।बेचारे .....................
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