31.5.18

एक अल्हड़ दीवाना कवि यानि राजकुमार कुम्भज


सहज, सौम्य और सरल जिनका मिजाज है, सबकुछ होते हुए भी फकीराना ठाठ, आजा़द पंछी की तरह गगन को नापना, मजाक और मस्ती की दुनिया से कविता खोजने वाले, अल्हड़ और मनमौजीपन में जिन्दादिली से जीने वाला, कविता लिखने के लिए केवल मुठ्ठी उठा कर नभ को पात्र भेजने का कहने वाला, जो बिना अलंकार के सरलता से कविता कह जाए, यदि अहिल्या की नगरी इंदौर में ऐसा कोई शख्स आपको मिलेगा तो वह जरूर अपना नाम राजकुमार कुम्भज ही बताएगा|

27.5.18

प्रेस क्लब इटावा के अध्यक्ष रामनारायण गुप्ता और महामंत्री विशुन कुमार हुए निर्वाचित


इटावा । प्रेस क्लब इटावा का सामान्य निर्वाचन रविवार चुनाव अधिकारी मोहसिन अली एडवोकेट की देखरेख में प्रेस क्लब भवन पक्का तालाब पर सम्पन्न हुआ जिसमें राम नरायन गुप्ता को सर्वसम्मति से पुनः प्रेस क्लब इटावा का अध्यक्ष चुना गया । नई कमेटी का कार्याकाल तीन साल के लिए रहेगा।

26.5.18

हिन्दी गजल और दुष्यंत कुमार

डॉ.सौरभ मालवीय

हिन्दी गजल हिन्दी साहित्य की एक नई विधा है. नई विधा इसलिए है, क्योंकि गजल मूलत फारसी की काव्य विधा है. फारसी से यह उर्दू में आई. गजल उर्दू भाषा की आत्मा है. गजल का अर्थ है प्रेमी-प्रेमिका का वार्तालाप. आरंभ में गजल प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम थी, किन्तु समय बीतने के साथ-साथ इसमें बदलाव आया और प्रेम के अतिरिक्त अन्य विषय भी इसमें सम्मिलित हो गए. आज हिन्दी गजल ने अपनी पहचान बना ली है. हिन्दी गजल को शिखर तक पहुंचाने में समकालीन कवि दुष्यंत कुमार की भूमिका सराहनीय रही है. वे दुष्यंत कुमार ही हैं, जिन्होंने हिन्दी गजल की रचना कर इसे विशेष पहचान दिलाई.

24.5.18

आजमगढ़ में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन : प्रेम की वंशी गलाकर वज्र अब गढ़ना पड़ेगा...

आज़मगढ़। कृष्ण मुरारी सिंह स्मृति न्यास द्वारा 20 मई को शहर  के एस.के.पी.इंटर कॉलेज के प्रांगण में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। रविवार की शाम 7:00 बजे से शुरू हुआ कवि सम्मेलन सुबह 4:00 बजे तक चला। हजारों की संख्या में पहुंचे श्रोताओं की तालियों ने कवियों का खूब उत्साहवर्धन किया।

14.5.18

वीरान सूखते पहाड़ों में बूंद- बूंद को तरसते गांव

जब हम बचपन में गांव जाते थे तो गांव बड़ा खुशहाल नजर आता था | चारों तरफ हरियाली, चिड़ियों की चह-चाहट, धार ( खुली जगह ) के खेतों हवा के शोर से सनसनाना रही होती थी | हरे सोने से भरे जंगलों में ग्वाले (चराहे) गाय, बकरियों को जंगल में चराने ले जाते थे | नौले-गदेरों में गांव की ताई, चाची, भाभी, बहन कपड़े धोने, ठंडा पानी भरने आया करती थी | गांव की गलियों में नन्हें-नौनिहाल का शोर गूंजता था | यदि आपसी मतभेद हटा दिए जायें तो सच पहाड़ की खुशहाली की परिकल्पना की जा सकती है |

बनारस के कम्युनिस्ट कार्यकर्ता देवब्रत सेन को मारक कैंसर

देवब्रत सेन कम्युनिस्ट कार्यकर्ता हैं और बनारस में रहते हैं। उन्हें मारक कैंसर है। हिमाचल के धर्मशाला स्थित तिब्बती वैद्य के यहाँ से उनका उपचार चल रहा है। अभी कल ही तीन महीने की दवा लेकर लौटा हूँ। साथियो, बनारस के उनके सभी कॉमरेडों, शुभचिंतकों की चाहत और राय दोनों है कि मैक्लॉडगंज स्थित तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के मुख्य वैद्य से सेकंड ओपिनियन भी ले ली जाए।

किसी अनजान लड़के की माँ भी बिल्कुल वैसी है....जैसी तुम्हारी माँ है, हैप्पी मदर्स-डे

आज मदर्स डे है, मातृ दिवस । सुबह से शोशल मीडिया पर माँ की फोटों के साथ बेटों की तस्वीरें वाॅल पर छा रही हैं । माँ को नमन, उसके प्रति श्रद्धा दिखाती ये पोस्ट माँ का ‘मान’ बढ़ाती नजर आती हैं । और क्यों न हो ? माँ होती ही ऐसी है, जिसके प्रति सर अपने आप झुक जाता है । ये पश्चिमी देशों का त्योहार है ऐसा लोग बोलते हैं, हिन्दुस्तान में तो रोज माँ की पूजा की जाती है । सच में की जाती है क्या..? अब नहीं... पहले की जाती रही होगी । छोटे बच्चांे को नैतिक शिक्षा की किताब का पहला पाठ माता-पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेने का हुआ करता था । सनातन धर्म की हर किताब माँ को पहला गुरू बताकर उसका सम्मान बढ़ाती है, वह शक्ति पुंज होकर देवी माँ के रूप में पूज्यनीय है । फिर भी क्या हम रोजाना पैर छूना तो दूर माँ के पास कुछ पल बैठकर उसकी खैर खबर रखते हैं...? अगर रखते हैं तो वृद्धाश्रमों में किनकी माँ मजे में हैं?

अभी तुम इश्क़ में हो का लोकार्पण...

स्पंदन द्वारा विचार संगोष्ठी एवं लोकार्पण समारोह


ललित कलाओं के प्रशिक्षण, प्रदर्शन एवं शोध की अग्रणी संस्था स्पंदन द्वारा सुपरिचित कथाकार, उपन्यासकार, कवि पंकज सुबीर के बहुचर्चित ग़ज़ल संग्रह ‘‘अभी तुम इश्क़ में हो’’ पर विचार संगोष्ठी का आयोजन इ़कबाल लायब्रेरी सभागार में किया गया।

7.5.18

चुनाव 2019 की तैयारी और मेरी सोच

इस वक्त ज़ोरो शोरों से 2019 के चुनाव की तैयारी की जा रही है। ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाजी भाजपा मारती है या कांग्रेस। या फिर सपा और बसपा की गठबंधन वाली सरकार???? जहां एक ओर चुनाव 2019 के लिए रैलियों की तैयारी शुरू हो गयी है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष मोदी के 4 साल का हिसाब किताब बताकर भाजपा पर कड़ा प्रहार कर रहे हैं।