31.1.24

भड़ास पर हैकरों का हमला!

देश भर के पत्रकारों की आवाज बुलंद करने वाली वेबसाइट भड़ास4मीडिया पर भयानक अटैक हुआ है। 

हैकर लगातार वायरस और बॉट के ज़रिए हमला कर साईट को जाम कर रहे हैं। 20 crore hits in 24 hours! जाने किस खबर से कौन नाराज होकर वेबसाइट की सुपारी दे बैठा है। वेबसाईट को नार्मल करने की कोशिशें विफल हो जा रही हैं। फ़ायरवॉल लगाया गया है। विदेश से आने वाले ट्रैफ़िक को बैन किया गया है।

हालाँकि ताजा डेटा बताते हैं कि ये अटैक इंडिया के भीतर से ही है। बॉट्स के ज़रिए 6 घंटे में 6 करोड़ 80 लाख हिट्स भेजे गये ताकि वेबसाइट चोक हो जाये।

Hack is under progress! देखिए क्या होता है… कब तक होता है…? 

एक वरिष्ठ पत्रकार के बेटे ने कहा- मेरे अल्कोहलिक पिता को पैसे न दो, दारू पीने के लिए!

नीचे पढ़िए.. भड़ास एडिटर यशवंत को अल्कोहलिक वरिष्ठ पत्रकार के विदेश में जॉब करने वाले पुत्र द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप्प मैसेज के कुछ अंश

Can I request you to stop sending my father any money or asking others to send him any. Unhe kisi cheez ki kami nahin hai. Ek caretaker bhi appointed hai Jo roz ghar aata  hai. I had to do all these arrangements to make sure he doesn't have any cash in his hand. He has had a chronic problem of alcoholism. I grew up with the abuse of it. My mother's health has also declined due to it over the years. From time to time he asks people for money and his friends and "well-wishers" keep sending him money. Please stop it. It was not even his 75th birthday. His birth year is '54. 

Peete duniya mein bohot log hain but har koi abuse nahin karta. Har koi itna helpless nahin ho jata ki apne parivaar ko hi nuksaan pahunchaane lage. He has too much self-grandeur to listen to anyone and thinks he is entitled to get what he wants and even entitled to lie and manipulate others for it. 

He has given me and my mother enough trauma that a lifetime won't be enough to get over it. 

Jo hansta muskarata chehra aap ghar ke bahar dekhte hain wo ghar ke bheetar nahin hota unka. 

Mujhse abhi bhi gaali galauj karte hain jab piye hue hote hain. 

Maine kayi baar ye tak socha ki chhod doon unhe. Jiski seva Karo yadi wahi gaaliyan de aapko toh kaise aur KAB tak jhel payenge aap. 

He doesn't have any empathy left. His alcoholism has made him a narcissist. Sabhya hone ka dikhawa bhi isi maksad se karte hain ab ki kuchh paise mil jayein peene ko. 

Aapse bas yahi request hai ki cash kabhi na dein unhe. 

Unki bhai ki patni kuchh din pehle chal basi. Unke ghar jaane ke bahane bhi paise lekar drink Kar liya unhone.

Jo log abhi well-wisher banke unhe sharab pila rahe hain, organ failure ho jaane pe nahin rahenge, mujhe hi aspatal le jana hoga. 

30.1.24

वरिष्ठ पत्रकार नवीन पांडेय को लेकर आई ये नई जानकारी.. आप भी जान लीजिए!

वरिष्ठ पत्रकार नवीन पांडेय को लेकर सूचना है कि उन्होंने बतौर एडिटर-इन-चीफ एएनबी न्यूज़ के साथ नई पारी शुरू की है. 

पिछले तीन दशक से पत्रकारिता में सक्रिय नवीन पांडेय ने साल 1994 में दैनिक जागरण से करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वे अमर उजाला में सिटी इंचार्ज बने. 

साल 2002 में उन्होंने टीवी में एंट्री की. पी7 न्यूज़, ज़ी न्यूज़, सहारा समय, इंडिया टीवी इत्यादि चैनलों में कार्यरत रहे. 
पिछले 22 वर्षों से लगातार सक्रिय नवीन पांडेय जनतंत्र टीवी, सुदर्शन न्यूज़ व चैनल वन में मैनेजिंग एडिटर रहे.

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र बरतरिया का निधन

रिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र बरतरिया के निधन होने की जानकारी सामने आयी है. वे पाञ्चजन्य वीकली न्यूज़ पेपर में बतौर असिस्टेंट एडिटर कार्य कर रहे थे. 

बताया जा रहा कि दो सप्ताह पहले उन्हें हार्ट अटैक हुआ था. इसके बाद उन्हें पहले दिल्ली के धर्मशाला हॉस्पिटल फिर एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. यहीं इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. पहले भी उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी. 

मूलरूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले बरतरिया पाञ्चजन्य से पहले कई न्यूज़ चैनलों और अखबारों में अहम जिम्मेदारियां निभा चुके थे. 

नीतीश कुमार को लेकर विस्तार न्यूज़ के इस संवाददाता ने ऐसा क्या कहा जो वायरल हो गया?

विस्तार न्यूज़ के संवाददाता भारत सूरज का यह वीडियो लोग खूब पसंद कर रहे हैं. नीतीश कुमार को लेकर सूरज ने 6 मिनट 48 सेकंड के इस वीडियो में जो कुछ बोला, कहा है उसे आप नीचे के इस लिंक पर सुनिए...

https://x.com/VistaarNews/status/1751977903833731572?t=jsO2v86VbN-EXMpAqsS2PQ&s=08

कॉल गर्ल की आड़ में इंजीनियर को ब्लैकमेल करने के आरोपी पत्रकार व कांस्टेबल समेत 4 अरेस्ट

हाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस ने हनीट्रैप मामले में एक महिला समेत चार आरोपियों को अरेस्ट किया है. एक अन्य महिला फरार बताई जा रही है. पुलिस ने इन्हें नागपुर से गिरफ्तार किया है. 

पकड़े गये आरोपियों में एक पत्रकार और एक पुलिस कांस्टेबल भी शामिल है. 

सूचना है कि गढ़चिरौली निवासी असिस्टेंट इंजीनियर की शिकायत पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है. पत्रकार की पहचान रवि कांबले के रूप में हुई है जबकि पुलिसकर्मी का नाम सुशील गवई बताया जा रहा है. 

आरोपियों ने एक कॉल गर्ल के जरिए इंजीनियर को ट्रैप कर उससे 10 लाख रूपयों की डिमांड की थी और रूपये ना देने पर रेप के आरोप में जेल भेजने की धमकी  दे रहे थे. 

बताया जा रहा है कि इंजीनियर चार दिसंबर को हिंगणघाट की एक कॉल गर्ल से मिलने नागपुर आया था. यहां आरोपी उसे लेकर एक होटल में गए. होटल में प्लान के मुताबिक महिला के साथ उसका वीडियो बना लिया, जिसके बाद उसे ब्लैकमेल किया जाने लगा. 

मामले में पुलिस का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. 

महोबा के कुलपहाड़ में आयोजित मैत्री क्रिकेट मैच में पत्रकारों ने वकीलों को 49 रन से हराया

महोबा जनपद के कुलपहाड़ में आज अधिवक्ताओं और टीवी पत्रकारों के बीच मैत्री क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ। मैच का शुभारंभ सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल द्वारा खिलाड़ियों का परिचय प्राप्त कर किया गया। मैच में टीवी पत्रकारों ने 49 रनों से जीत हासिल कर अधिवक्ताओं को शिकस्त दी है। 

संयुक्त मीडिया क्लब के बैनर तले खेलें पत्रकारों को सांसद ने जीत की ट्रॉफी दी, जिससे पत्रकारों का उत्साह देखने को मिला है। इस मौके पर सांसद से कुलपहाड़ में खेल मैदान की मांग अधिवक्ताओं ने की जिस पर सांसद ने हर संभव प्रयास करने का भरोसा दिया है। 


आपको बता दें कि जनपद के कुलपहाड़ कस्बे में आज बार एसोसिएशन और संयुक्त मीडिया क्लब के बीच एक दिवसीय मैच का आयोजन हुआ है। अधिवक्ता और टीवी पत्रकारों के बीच हुए इस मैत्री मैच में पत्रकारों ने अधिवक्ता टीम को 49 रनों से करारी शिकस्त दी है। मैच का शुभारंभ हमीरपुर महोबा लोकसभा के सांसद कुमार पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया है। इसके बाद अधिवक्ता टीम के कप्तान दिलीप यादव और पत्रकार टीम की तरफ से वरिष्ठ पत्रकार विराग पचौरी, भगवानदीन यादव,अमित श्रोतीय ने टॉस किया जिसमें टॉस जीत कर पत्रकारों ने पहले बल्लेबाजी की। 

पत्रकार टीम के कप्तान इरफान पठान की अगवाई में खेले गए इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए पत्रकारों ने 15 ओवर खेल कर 139 रन बनाए हैं। जिसमें भारत त्रिपाठी ने तीन गेंदों में दो चौकों की मदद से 10 रन बनाए, जबकि नानू जुबेर अहमद ने 14 रन बनाकर योगदान दिया। इसके अलावा मु. सलीम, रविंद्र, वहीद अहमद, इमरान खान, अफसर, शहनवाज, कौशल और सारिक ने भी बेहतरीन पारी खेली है। 

पहले बल्लेबाजी करते हुए 139 रन का लक्ष्य अधिवक्ताओं को पत्रकारों ने दिया था। जिस पर अधिवक्ता 15वें ओवर में ही ऑल आउट हो गए। अधिवक्ताओं की तरफ से दिलीप यादव, अनिल पाठक, बृजेंद्र द्विवेदी, विजय, सग्गी यादव ने बैटिंग करते हुए लक्ष्य को पाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। इस मैच में फील्डिंग के दौरान भरत त्रिपाठी ने दो ओवर में चार रन देकर तीन विकेट लिए हैं वहीं नानू जुबेर ने तीन विकेट, वहीद ने दो विकेट लेकर बेहतरीन प्रदर्शन किया है जबकि विकेट कीपर की जिम्मेदारी निभा रहे अफसार अहमद के प्रदर्शन की दर्शकों ने जमकर प्रशंसा की है। इस क्रिकेट मैच में भरत त्रिपाठी को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया है। 

इस मौके पर सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने कहा कि खेल के मैदान से टीम भावना की प्रेरणा मिलती है साथ ही मिलकर काम करने का जज्बा पैदा होता है और पता चलता है की टीम की ताकत क्या होती है। इसी भावना से यदि मिलकर काम किया जाए तो देश हमारा हर क्षेत्र में आगे होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता। 

बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे कॉपरेटिव बैंक के अध्यक्ष चक्रपाणि त्रिपाठी, भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश गुप्ता, पंकज तिवारी व गौरव शंकु बाजपेई ने भी इस मैत्री मैच की प्रशंसा कर पत्रकार टीम को जीत की बधाई देकर हौसला बढ़ाया।

वहीं कुलपहाड़ में खेल का मैदान ना होने पर सांसद ने चिंता जताई है और अधिवक्ताओं की मांग पर जल्द से जल्द कुलपहाड़ कस्बे में खेल मैदान की व्यवस्था किए जाने का आश्वासन दिया। मैच में अंपायर मनोज रावत, सत्या चौधरी रहे और कमेंट्री मलखान सिंह और राकेश अग्रवाल ने की है। आयोजित मैच में प्रेस क्लब ऑफ यूपी के जिलाध्यक्ष रमाकांत मिश्रा, आनंद दिवेदी, कफील अहमद गुलाब सिंह, मुजीब खान, धर्मेद्र कुमार, राहुल कश्यप, अखिलेश दिवेदी, शहबाज राइन, विजय साहू आदि लोग मौजूद रहे।

शिक्षा का स्तर सुधारना है तो डीएम-एसपी के बच्चे सरकारी स्कूलों में करें पढ़ाई- वरूण गांधी

निर्मल कांत शुक्ल-

पीलीभीत में भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता एवं सांसद वरुण गांधी ने शिक्षा के गिरते स्तर पर गंभीर चिंता जताते हुए बड़ी बात कही। बोले, डीएम-एसपी के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़े तो शिक्षा का स्तर सुधर जाएगा।

सांसद दो दिवसीय जनपद दौरे पर रविवार को पीलीभीत पहुंचे थे। जनसंवाद कार्यक्रमों में सांसद ने कहा कि देश में तरक्की तो हो रही है, लेकिन सबका हिस्सा तरक्की में होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सांसद ने कहा- मैं पिछली बार पीलीभीत आया था, तो एक युवक मिला था। उसने लोन लेने की बात कही। बोला- दो साल से दौड़ रहा हूं, तब से लोन नहीं मिला। बैंक वाले बोल रहे हैं लोन तो स्वीकृति कर देंगे, लेकिन उसका एक हिस्सा तो देना पड़ेगा। 

सांसद ने कहा- ऐसी स्थिति में एक आम इंसान को आगे बढ़ना कितना मुश्किल होता है। मैंने पार्लियामेंट में कहा था कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य का स्तर बहुत मामूली है। अगर इसका स्तर ऊंचा करना है तो देश के डीएम व एसपी या बड़े अफसरों के लिए सरकारी स्कूल और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को अनिवार्य कर देना चाहिए। उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़े और इलाज भी सरकारी में हो, तो अपने आप ही व्यवस्थाएं/सेवाएं सुधर जाएंगी, लेकिन देश में ऐसा नहीं हो रहा है। 

सांसद ने कहा कि मैं राजनीति में पैसा और नाम कमाने के लिए नहीं आया हूं। मेरी राजनीति देश और समाज के हित के लिए है। सांसद ने पंडित जवाहरलाल नेहरू का एक किस्सा सुनते हुए कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू से एक बुजुर्ग अम्मा मिली। बुजुर्ग ने प्रधानमंत्री का हाथ पकड़ते हुए कि कहा कि तुम तो देश को कौनसी आजादी दिलाने की बात करते थे, तो नेहरू ने जवाब में कहा जो आप प्रधानमंत्री का कलर पकड़े खड़ी हैं, इसी को आजादी कहते हैं। 

सांसद ने कहा- हमारे और आप के बुजुर्गों ने आजादी के दौरान सपना देखा था कि अब किसी को किसी के सामने झुकना नहीं पड़ेगा, लेकिन आज बिना झुके कोई काम नहीं होता है। अगर किसी सरकारी अधिकारी के पास किसी काम से जाना पड़ता है तो आपको झुककर ही अपनी बात रखनी पड़ती है। सांसद ने कहा कि मैं एक ऐसा हिंदुस्तान देखना चाहता हूं, जहां एक आम आदमी बिना डरे अपनी बात रख सके।

28.1.24

योगी के गोरक्षपीठ द्वारा राममंदिर हेतु संघर्षों को बताती शशि प्रकाश की डाक्यूमेंट्री वायरल

सिर्फ 2 दिनों में एक लाख लोगों ने देखा...

सौरभ सिंह सोमवंशी, लखनऊ-.

योध्या के भव्य श्री राम मंदिर हेतु नाथ पंथ के अति प्राचीन मठ गोरक्ष पीठ के संघर्षों को बताने वाली शिक्षाविद् शशि प्रकाश सिंह की डॉक्यूमेंट्री लगातार सोशल मीडिया  पर वायरल हो रही है। जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह से भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो वर्ष पहले 1855 में ही गोरक्ष पीठ ने राम मंदिर के लिए संघर्ष प्रारंभ कर दिया गया था जो वर्तमान पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में जाकर पूर्ण हुआ है। 

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की किस तरह से योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु महंत दिग्विजय नाथ ने 1949 में रामलला की मूर्तियों के प्रकटीकरण के दौरान राम मंदिर निर्माण की पृष्ठभूमि तैयार की उसके बाद उनके शिष्य और योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने मामले को आगे बढ़ाया और योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उसका परिणाम आ रहा है। 

डाक्यूमेंट्री के निर्माता ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन के निदेशक और राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके प्रख्यात शिक्षाविद् शशि प्रकाश सिंह ने बताया कि डॉक्यूमेंट्री के सिलसिले में उन्होंने कई किताबों का अध्ययन किया व नाथ पंथ के विशेषज्ञों, मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ काम कर रहे कई अधिकारियों समेत विभिन्न लोगों से उन्होंने बातचीत किया और एक शोधपरक व प्रामाणिक डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया है। 

शशि प्रकाश की डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की किस तरह से 1949 में अयोध्या के तत्कालीन जिला अधिकारी के के नायर लाल टेनिस खेलने के शौकीन थे, वे दिग्विजय नाथ से प्रभावित थे। किस तरह से महंत अवैद्यनाथ नाथ द्वारा 1986 में ताला खुलवाने के लिए वीर बहादुर सिंह के साथ उनकी बैठक हुई थी। इसके अलावा दलित जाति के कामेश्वर चौपाल से शिलान्यास महंत अवैद्यनाथ के कहने पर ही करवाया गया था।  

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की योगी आदित्यनाथ की गोरक्षपीठ ऊंच नीच, जात पात व भेदभाव को नहीं मानती है व सबको साथ लेकर चलने वाली पीठ रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका फोर्ब्स की सुर्खियां बन चुके शशि प्रकाश सिंह ने कोरोना काल में 2100 छात्रों की आर्थिक मदद की थी, शशि प्रकाश सिंह को पद्मश्री के लिए नामांकित करने हेतु कई सांसदों ने गृहमंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।

चार सौ पार के लिए सरयू की रवानी बुला सकती है, जिनको मां गंगा ने बुलाया था!

ओम प्रकाश सिंह- 

भाजपा जिन मुद्दों पर बनी थी, उसमें तीन सौ सत्तर के साथ राम मंदिर प्रमुख मुद्दा था। राम मंदिर आंदोलन के उफान ने ही पिछले लोकसभा चुनाव में कभी दो सीट पर सिमटी रहने वाली भाजपा को उठाकर थ्री नाट थ्री तक पहुंचा दिया था। अब मंदिर भी बन चुका है। इस बार नारा भी चार सौ पार का है। राम दर्शन यात्रा के बहाने भक्ति के ज्वार को सुनामी बनाने की योजना है। भाजपा की रणनीति अयोध्या से किसी बड़े चेहरे को लड़ाकर पूरे देश में राममंदिर निर्माण को भुनाने की है।

सांस्कृतिक उत्थान के संकल्प वाली भाजपा का जब व्यवसायियों से गठजोड़ हुआ तो नरेंद्र मोदी को गंगा ने बनारस बुला लिया था। उस बुलावे के बाद बड़े-बड़े व्यवसायी काशी आ गए। शिव नगरी में तोड़फोड़ का तांडव हुआ और अंत में विकास का प्रतीक गंगा विलास, गंगा की गाद में जाकर फंस गया। यही नहीं अडानी अंबानी जैसे व्यवसायियों के चक्कर में भाजपा के संकल्प उलझ कर रह गए। अब भाजपा को अपने संकल्पों को भुनाने के लिए गंगा की गाद नहीं ज्यादा पानी वाले नदी की रवानगी चाहिए। राम नगरी अयोध्या की सरयू नदी में पानी और रवानी दोनों बहुत है। सांस्कृतिक उत्थान के नाम पर देश में माहौल बनाने के अवसर भी प्रचुर मात्रा में अयोध्या उपलब्ध करा देगी। ऐसे में भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि पतित पावनी सरयू में उनकी नाव चल सकती है।

अयोध्या में बन रहे राममंदिर का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिया है। इसके पहले राम मंदिर का शिलान्यास फिर दीपोत्सव में मोदी की भागीदारी संयोग नहीं बल्कि भाजपा की खास रणनीति का हिस्सा है। रामनगरी व राम से जुड़े स्थलों के विकास के लिए हजारों करोड़ की  योजनाएं ठेल दी गई हैं। दो साल पहले जब अयोध्या विजन का डॉक्यूमेंट प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री ने दिया था तो प्रधानमंत्री ने कहा था कि अयोध्या का ऐसा विकास हो जिसमें युवा अपना योगदान दें। प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार रामनगरी अयोध्या विकसित हो रही है। विजन डॉक्यूमेंट में वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के साथ अयोध्या को समस्त आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बात कही गई थी। 

सूत्रों के अनुसार यह सब अयोध्या से किसी बड़े नेता को लोकसभा चुनाव लड़ाने की कवायद भी है। बड़े नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी की चर्चा चल पड़ी है। जिस तरह से प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम को सेलीब्रेट किया गया है उससे  लगता कि भाजपा एक बार फिर राम के सहारे है और पूरे चुनाव का केंद्र बिंदु अयोध्या ही होगी। विपक्ष की बढ़ती ताकत से भाजपा मुतमईन है। उसमें सेंध लगाने के लिए हर हथियार इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दक्षिण भारत से भाजपा का सूपड़ा साफ होने के बाद भाजपा और उसके चाणक्य के लिए तीसरी बार दिल्ली की सत्ता हथियाने के लिए अब उत्तर भारत ही आसरा है। इसमें भी यूपी सबसे अहम है। राममंदिर उद्घाटन पर  संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण ने आगे की रणनीति की रचना भी कर दिया है। सब कुछ ठीक रहा तो सरयू उन्हें बुला सकती है जिन्हें कभी गंगा ने बुलाया था।

27.1.24

अजयमेरू प्रेस क्लब में अमिताभ बच्चन की फिल्म दीवार देखकर मनाया गया 75वां गणतंत्र

जयमेरु प्रेस क्लब में शुक्रवार को गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया। ध्वजारोहण के बाद देशभक्ति पर आधारित संगीतमय गीतों की सरिता बही। तत्काल बाद अमिताभ बच्चन, अक्षय खन्ना और अमृता राव अभिनीत मूवी दीवार का प्रदर्शन किया गया। 


प्रातः 10 बजे अध्यक्ष राजेन्द्र गुंजल ने ध्वजारोहण किया। सभी साथियों ने सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाया। इसके बाद सभागार में देशभक्ति पर आधारित फिल्मी गीतों की बहार आ गई। गुरजेन्द्र सिंह विर्दी, प्रताप सिंह सनकत, हेमंत कुमार शर्मा, शरद कुमार शर्मा, कृष्ण गोपाल पाराशर और आभा शुक्ला ने जोशीले गीत गाकर सभागार में देशभक्ति का माहौल बना दिया। डॉ.प्रमोद कुमार शर्मा ने राष्ट्रभक्ति पर आधारित कविता सुनाई। इसी दौरान सभी ने गर्मागर्म दूध-जलेबी और कोफ्ते का अल्पाहार किया। 

इसके बाद सभी ने रोंगटे खड़े कर देने वाली देशभक्ति से ओत-प्रोत मूवी दीवार देखी। 2 घंटा और 40 मिनट की मूवी के दौरान सभी दर्शकों को राष्ट्रभक्ति की अहमियत पता चली। यह मूवी पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय सैनिकों पर ढाए गए जुल्मों की दर्दभरी दास्तान है। कुछ सैनिकों के बलिदान के बाद अंत में भारतीय सैनिकों को जेल से छुड़ा कर भारत लाने की रोमांचक कहानी सभी दर्शकों को बेहद पसंद आई। 

ध्वजारोहण के अवसर पर सत्यनारायण जाला, अरविन्द मोहन शर्मा, चंद्र प्रकाश कटारिया, अनिल कुमार आईनाणी, सुदेशचंद्र शर्मा, ललित कुमार शर्मा, राजेन्द्र कुमार गांधी, डाॅ.जगदीश मूलचंदानी, हरीश वरयानी, कमल वरयानी, आनन्द कुमार शर्मा, अकलेश जैन, फरहाद सागर, डॉ मनोज कुमार हिरानी, डॉ.सुरेन्द्र पाल वर्मा, डाॅ.प्रमोद कुमार शर्मा, नरेश बागानी, विपिन जैन, शरद कुमार शर्मा, संजीव वशिष्ठ, हेमंत कुमार शर्मा, बालमुकंद चौरसिया, डी.के.शर्मा, अमर सिंह, कमल कुमार पुट्टी, भूपेन्द्र जैलिया, श्रीमती सुरेन्द्र बाला शर्मा, श्रीमती सीमा वर्मा मौजूद रहीं।

बाद में डाॅ.रमेश अग्रवाल, सन्तोष गुप्ता, गोविन्द राम शर्मा डाॅ.रशिका महर्षि,  सुदेश कुमार शर्मा, बसंत भट्ट, सूर्य प्रकाश गांधी, प्यारे मोहन त्रिपाठी, मधुप माथुर, कमलजीत सिंह बेदी, विजय कुमार शर्मा, सतीश कुमार शर्मा, अमर सिंह राठौड़, संजय कुमार जैन, दिलीप महर्षि, श्रीमती मधु अग्रवाल, माया जाला, शालिनी जैन, अन्नपूर्णा शर्मा रेखा राठौड़ और रेशमा ठाकुर सहित कुछ बच्चे भी शामिल हुए।

विर्दी और श्रीमती जाला का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस दौरान अजयमेरु प्रेस क्लब के सचिव गुरजेन्द्र सिंह विर्दी और महासचिव सत्यनारायण जाला की पत्नी श्रीमती माया जाला का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इसी क्रम में केक सेरेमनी भी हुई। कई साथियों ने दोनों का माल्यार्पण किया। उपस्थित सभी सदस्यों ने दोनों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

आखिर में सभी ने दोपहर के भोजन का रसास्वादन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रताप सिंह सनकत और फरहाद सागर ने किया।

26.1.24

पीलीभीत में पत्रकारों ने केक काटकर मनाया नेशनल यूनियन जर्नलिस्ट (इंडिया) का स्थापना दिवस

एनयूजेआई मीडियाकर्मियों के हित के लिए समर्पित : निर्मल कांत शुक्ल 

पत्रकारों का एनयूजेआई 52 वर्ष पुराना संगठन 


पीलीभीत। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की स्थापना की 52 वीं वर्षगांठ संगठन के पीलीभीत के जिला कार्यालय पर मनाई गई। संगठन के सदस्यों ने केक काटा। हर स्तर पर पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष का संकल्प दोहराया गया। 

यूनियन के छतरी का चौराहा स्थित जनपद शाखा कार्यालय पर यूनियन के संरक्षक/ वरिष्ठ सदस्य विश्वामित्र टंडन, यूनियन के जिलाध्यक्ष निर्मल कांत शुक्ल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने संगठन की 52 वीं वर्षगांठ पर केक काटा।

इस अवसर पर संगठन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए यूनियन के जिलाध्यक्ष निर्मल कांत शुक्ल ने कहा कि एनयूजे (आई) भारत में एकमात्र ट्रेड यूनियन है, जिसने हमेशा उच्चतम लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखा है। 23 जनवरी, 1972 को नई दिल्ली में प्रतिष्ठित पत्रकारों द्वारा संगठन की स्थापना की गई। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) मीडियाकर्मियों के हित के लिए समर्पित एक राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन उन सभी सदस्य पत्रकारों को साथ लेकर चल रहा है, जो उम्र या दुर्बलता के कारण काम से सेवानिवृत्त हो जाते हैं या जिन्होंने पेशे या संगठन के लिए उत्कृष्ट सेवा की है। ऐसे वरिष्ठ सदस्यों का मार्गदर्शन लेकर ही संगठन निरंतर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि एनयूजेआई निरंतर पत्रकार सुरक्षा कानून व मीडिया कमीशन की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बना रहा है। जल्द ही संगठन बड़ा आंदोलन करने वाला है।

कार्यक्रम में इनकी रही मौजूदगी 


स्थापना दिवस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार शुक्ल, जिला महामंत्री बिभव कुमार शर्मा, जिला कोषाध्यक्ष प्रशांत वर्मा, डॉ. प्रेम सागर शर्मा, महेश वर्मा अमित कुमार 'अल्प', राजेंद्र वर्मा आदि पत्रकार मौजूद रहे।

23.1.24

हिन्दी-उर्दू साहित्यकारों की मौजूदगी में अनहद कोलकाता सम्मान से विभूषित किए गये डॉ अभिज्ञात

नहद कोलकाता और मनीषा त्रिपाठी फाउडेंशन द्वारा स्थापित तृतीय मनीषा त्रिपाठी स्मृति सम्मान कवि, कहानीकार, अभिनेता, चित्रकार डॉ. अभिज्ञात को दिया गया. उन्हें यह सम्मान उर्दू के वरिष्ठ लेखक फ़े सीन एजाज़ की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए एक कार्यक्रम में मिला. 


डॉ अभिज्ञात को मानदेय, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न और उत्तरीय प्रदान किया गया और उनकी रचनाओं पर चर्चा की गयी. अध्यक्षीय वक्तव्य में फ़े सीन एजाज़ ने कार्यक्रम की रूपरेखा की सराहना करते हुए अभिज्ञात को बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न रचनाकार कहा. 

आयोजक डॉ. विमलेश त्रिपाठी ने मंचासीन वक्ताओं का परिचय देते हुए स्वागत वक्तव्य दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि, 'यह सम्मान नहीं है वरन एक कला साधक की रचनात्मकता को महत्व देना और उसके साथ खड़ा होना है.' 

डॉ गीता दूबे ने अभिज्ञात के साहित्यिक योगदान पर विस्तार से चर्चा की. शैलेंद्र शान्त ने मनीषा त्रिपाठी की स्मृति में आयोजित अनहद कोलकाता सम्मान की प्रशंसा करते हुए इसे साहित्य, कला के लिए एक अच्छा प्रयास कहा. महाराष्ट्र से आये कवि-अनुवादक एवं साहित्याक्षर और हिंदी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ.संजय बोरुडे ने अपनी हिन्दी कविताओं का पाठ करते हुए इस बात पर जोर दिया कि, 'हमें हिन्दुस्तान की भिन्न-भिन्न भाषाओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए.' 

गया से आये कवि सुरेंद्र प्रजापति ने अपनी कविताओं का पाठ किया. वे पेशे से किसान हैं और गांव में रहकर महत्वपूर्ण कविताएँ लिख रहे हैं. कार्यक्रम के दौरान संजय बोरुडे द्वारा विमलेश त्रिपाठी की चुनी हुई कविताओं के मराठी अनुवाद की पुस्तक 'कवितेपेक्षा दीर्घ उदासी' का विमोचन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया.

डॉ.अभिज्ञात ने अपने वक्तव्य में अनहद कोलकाता सम्मान 2023 से खुद को सम्मानित किये जाने पर आभार और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि, 'यह मेरे लिए गौरव के साथ जिम्मेदारी का भी क्षण है और अपनी एक प्रसिद्ध कविता 'मेरी नाभि में बसो' कविता का पाठ किया.' 

कार्यक्रम में निलय उपाध्याय, नील कमल, सेराज खान बातिश, शैलेन्द्र शांत ने अपनी कविताओं का पाठ किया. कार्यक्रम में विनय मिश्र, दिनेश राय, प्रकाश त्रिपाठी, विनय भूषण, प्रभात मिश्र, रवि गिरि सहित कई रचनाकार एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन युगेश गुप्ता ने किया. 

22.1.24

सेब बेल्ट के उत्पादक भी 'ग्राम बंद' की हिमायत में संयुक्त किसान मोर्चा के साथ...

अमरीक-                                          

संयुक्त किसान मोर्चा को देश के सेब उत्पादकों का साथ हासिल हो गया है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड को भारत की 'सेब बेल्ट' माना जाता है। इन प्रदेशों में सेब का उत्पादन मुख्य फसल के तौर पर होता है। यहां के सैकड़ों सेब किसान अथवा उत्पादक चंडीगढ़ के सेक्टर 30 स्थित चीमा भवन में एप्पल फॉर्म्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एएफएफआई) के बैनर तले दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में जुटे और खुलकर केंद्र सरकार के खिलाफ बरसे।                                              

इस राष्ट्रीय सम्मेलन में सेब उत्पादकों को दरपेश दिक्कतों के अलावा उनकी लंबित मांगों को लेकर इंटेंस कैंपेन शुरू करने के साथ-साथ 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड और 16 फरवरी को केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाए गए 'ग्राम बंद' की हिमायत करने का फैसला लिया गया।                            

राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव पी. कृष्णप्रसाद ने किया। उनके मुताबिक, "केंद्र सरकार सेब किसानों की सरासर अनदेखी कर रही है। उत्पादकों को फसल का सही मूल्य नहीं मिलता और न सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान किया जा रहा है। जबकि सेब एक महत्वपूर्ण और जरूरी फसल है। सरकारी बेरुखी के चलते बेशुमार किसान सेब उत्पादन से किनारा कर रहे हैं। इसके लिए सरकार जिम्मेवार है।" हिमाचल प्रदेश के पूर्व विधायक राकेश सिंघा कहते हैं, "घटती कीमतों और सरकार की उपेक्षा के चलते सेब पट्टी के किसान बदहाल हैं। 

सेब बेल्ट अक्सर ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से कुप्रभावित होती है, जिससे सेब की उपज पर अति गंभीर प्रभाव पड़ता है। सरकारें मुआवजा देने में आनाकानी करती हैं। गिरदावरी तक नहीं कराई जाती। हजारों किसान पीढ़ी दर पीढ़ी सेब की फसल उगाते आए हैं। यहां का सेब सुदूर देशों तक जाता है। नुकसान के आलम में सरकार साथ नहीं देती तो किसान क्या करें? आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं!" 

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव विजू कृष्णन के अनुसार, "सरकारी नीतियों के चलते सेब-फसल की उत्पादकता में ठहराव है। किसान तंगहाली में हैं। पर्याप्त और सब्सिडीशुदा कोल्ड चेन बुनियादी ढांचा वक्त की मांग है। अपनी मुनासिब मांगों को लेकर देश भर के किसान आंदोलन की राह पर हैं। सेब उत्पादक भी उनका हिस्सा हैं। इस बार के व्यापक किसान आंदोलन में लाखों सेब किसान संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में शिरकत करेंगे।" 

हिमाचल प्रदेश के प्रमुख सेब किसान नेता बृजेश सिंह राणा कहते हैं, "सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है लेकिन असली फायदा पूंजीपतियों को पहुंचाया जा रहा है। सेब उत्पादक लागत मूल्य या घाटे में अपनी फसल बड़े व्यापारियों के हवाले करने को मजबूर हैं। बड़े व्यापारियों पर सरकारपरस्त धनाढ्य पूंजीपतियों का हाथ है, जिन्हें किसानों की मूलभूत समस्याओं से कोई सरोकार नहीं। कभी सेब की फसल को बहुत मुनाफे वाली माना जाता था लेकिन अब बाजार के खेल ने इसे घाटे का सौदा बना दिया है। सेब उत्पादक निरंतर सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों के कर्जदार हो रहे हैं। सरकारें उनकी सुध नहीं ले रहीं। सेब किसान भी अपनी मांगे मनवाने के लिए आंदोलन की राह अख्तियार करने के लिए मजबूर हो गए हैं।"                                                  

उल्लेखनीय है कि एप्पल फॉर्म्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के दो दिवसीय चंडीगढ़ सम्मेलन में राष्ट्रीय संयोजक और सहसंयोजकों के साथ कोर कमेटी का चुनाव भी किया गया। सम्मेलन में 2024 के अंत तक कुल 56,000 उत्पादकों की सदस्यता पूरी करने का निर्णय भी लिया गया। एएफएफआई के पास फिलहाल तकरीबन 10,000 किसानों की सदस्यता है।                               

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता उजागर सिंह के अनुसार, "सेब उत्पादकों कि समस्याएं अलहदा नहीं हैं। हम खुलकर उनके साथ हैं। देश के किसान सरकारी नीतियों के चलते भारी मुसीबतों में हैं। हमारी पुरजोर कोशिश है कि हर फसल का उत्पादक हमारे आगामी आंदोलन में हिस्सा ले। 

17.1.24

बोकारो में प्रशासन की मेहरबानी से तय मूल्य से ज्यादा पर बिक रही है शराब!

किसी भी वस्तु या सामग्री के निर्माण सहित दुकानों तक पहुंचने वाले सामानों का मूल्य कर सहित उस वस्तु पर अंकित होता है इसके लिए बाकायदा राज्य या केंद्र सरकार द्वारा नियमावली बनाई गई है. कोई भी वस्तु मिनिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) एवं मैक्सिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) के अंतर्गत आता है. इससे ज्यादा की कीमत ग्राहकों से वसूलने पर संबंधित दुकानदार पर कार्रवाई का प्रावधान है परंतु झारखंड के बोकारो जिले के शराब दुकानों में जिस तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. 


यह किसी से छुपा नहीं है ऐसा भी नहीं है कि इस पूरे मामले की खबर संबंधित विभाग के हुक्मरानों को नहीं है परंतु संबंधित अधिकारी सहित विभाग इस पूरे मामले पर पूरी तरह से मूकदर्शक बना बैठा हुआ है, एक तरफ जहां ग्राहकों को मिले अधिकारों का हनन झारखंड में शराब दुकानदारों के द्वारा किया जा रहा है वहीं जिम्मेदारों का इस पूरे मामले पर खामोशी से बैठना गले से नहीं उतर रहा है. 

आखिरकार झारखंड में प्रशासनिक अमला इतना बेबस क्यों है? यह तो वही बता सकते हैं परंतु एक बात तो साफ है कि इस पूरे मसले पर नुकसान सिर्फ मदिरापान करने वाले ग्राहक को ही उठाना पड़ रहा है. हम बात कर रहे हैं बोकारो जिले के विभिन्न क्षेत्र में संचालित होने वाली सरकारी शराब दुकानों की जहां शराब के शौकीनों के द्वारा हमसे संपर्क कर संबंधित मामले की बात रखी गई जिसमें ग्राहकों का कहना है कि बोकारो, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह, लातेहार, समेत राज्य की राजधानी रांची जिले में आरके नामक एजेंसी द्वारा संचालित होने वाली समस्त शराब दुकानों में तय मूल्य से ज्यादा दर पर शराब बेची जा रही है. 

मनमाने दाम पर हो रही है शराब की बिक्री

बोकारो जिला मुख्यालय सहित राज्य के विभिन्न सात जिले बोकारो, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह, लातेहार,और राज्य की राजधानी रांची जिलों में संचालित होने वाली जगहों पर मदिरा दुकानों में बेची जा रही शराब निर्धारित मूल्य से 10 रुपए से 50 रुपए तक ज्यादा दर पर भेजी जा रही है. एक तरफ जहां शराब बिक्री करने वालों के लिए यह आदेश मद्य निषेध विभाग के सचिव का था कि संबंधित शराब विक्रेता दुकानों के बाहर ब्रांड एवं उसका मूल्य बोर्ड पर चस्पा करेगा ताकि दुकानों पर अवैध वसूली नही हो परंतु यह अभी तक प्रचलन में नहीं आ सका है, संबंधित नियमों को ठेंगा दिखाते आरके नामक एजेंसी के द्वारा संचालित होने वाले दुकानदारों के द्वारा शराब के विभिन्न ब्रांड पर निर्धारित मूल्य से 10 से 50 रुपए ज्यादा दाम ग्राहकों से वसूला जा रहा है. पूर्व में कई बार शराब की मनमाने दामों पर बिक्री को लेकर भी खबरें प्रकाशित की जा चुकी है परंतु शायद बोकारो जिला प्रशासन सहित बोकारो जिला के आबकारी अधिकारी इस बात से कोई भी इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि मदिरा दुकानों में क्या खेल चल रहा है. काफी अनियमितताओं के साथ संचालित होने वाली शराब की दुकानों पर विभागीय मेहरबानी संबंधित दुकान संचालकों की मिली भगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. 

इतना ही नहीं ग्राहकों को शराब खरीदने के बाद दुकानदारों के द्वारा बिल तक मुहैया नहीं कराया जाता है जबकि शासन की तरफ से स्पष्ट निर्देश है कि ग्राहकों को बिल दिया जाना चाहिए यह बात अलग है कि विभाग के द्वारा विक्रेताओं को पर्चियां तक उपलब्ध कराई गई हैं ऐसे में पर्चियो की उपलब्धता होने के बावजूद भी ग्राहकों को बिल उपलब्ध ना होना किसी और की तरफ इशारा कर रहा है अधिकतर शराब दुकानों के संचालकों के द्वारा अभी भी इस पूरे काम को बेखौफ होकर अंजाम दे रहे हैं. चाहे कुछ भी हो जाए तो सिर्फ ग्राहकों की ही कटनी होती है.

जानिए क्या कहतें हैं नियम? 

बाजार में उपलब्ध वस्तुओं को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं जिसमें से प्रमुख है पैकेज्ड कमोडिटीज नियमावली के नियम 6(1) (ई) में कहा गया है कि खुदरा बिक्री के लिए हर पैकेज पर खुदरा बिक्री मूल्य का उल्लेख होता है. नियम 2 (एम) "खुदरा बिक्री मूल्य" को अधिकतम मूल्य के रूप में परिभाषित करता है जिस पर वस्तु को अंतिम उपभोक्ता को बेचा जा सकता है और मूल्य एमआरपी के रूप में मुद्रित किया जाएगा जो सभी करों सहित है. नियम 18(5) यह भी कहता है कि कोई भी थोक व्यापारी या खुदरा विक्रेता निर्माता या पैकर या आयातक द्वारा इंगित खुदरा बिक्री मूल्य को मिटा, धुंधला या परिवर्तित नहीं करेगा. सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान पर आते हैं. नियम 18 (2) कहता है, "कोई भी खुदरा व्यापारी या निर्माता, पैकर, आयातक और थोक व्यापारी सहित अन्य व्यक्ति किसी भी वस्तु की बिक्री उसके खुदरा बिक्री मूल्य से अधिक मूल्य पर पैक किए गए रूप में नहीं करेगा. एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचना पैकेज्ड कमोडिटीज नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है. 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी एमआरपी से अधिक कीमत पर सामान बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी जा सकती है हालांकि इसके लिए ग्राहकों के पास वस्तु का बिल का होना अनिवार्य है. परंतु शराब के मामले में तो ग्राहक पूरी तरह से ठगा महसूस कर रहा है एक तरफ जहां जिम्मेदार प्रशासन मौन धारण किए हुए हैं वहीं दूसरी तरफ ग्राहकों को बिल ना मिल पाने की वजह से वह उपभोक्ता न्यायालय की शरण में भी नहीं जा पा रहे हैं. हालांकि नियमों के उल्लंघन पर कानून में जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. 

आइए बताते हैं क्या है विभाग के हुक्मरानों का कहना?

सम्बंधित मामले में आबकारी अधिकारी से जानकारी लेने के लिए संपर्क किया गया तो आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर संजीत देव ने बताया कि ऐसा कोई व्यक्ति नही है जो सरकार द्वारा संचालित दुकानदार अवैध वसूली कर सकता है अगर इस तरह की शिकायत है और जिस तरह से अवैध वसूली का वीडियो प्राप्त हुआ संबंधित दुकानदार के साथ कार्रवाई की जाएगी. उपभोक्ताओं के अधिकार का हनन बर्दास्त नहीं किया जायेगा. 

13.1.24

डॉ अभिज्ञात को मिलेगा तीसरा मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद सम्मान- 2023


हि
न्दी भाषा के महत्वपूर्ण कवि और कथाकार डॉ. अभिज्ञात को तीसरा मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान- 2023 प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान मनीषा त्रिपाठी फाउंडेशन फिल्म तथा वेब पत्रिका अनहद कोलकाता की तरफ से हर वर्ष प्रदान किया जाता है.

अनहद कोलकाता के प्रबंध निदेशक उमेश त्रिपाठी ने बताया कि यह सम्मान हर वर्ष कला की किसी भी विधा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एक कला साधक को दिया जाता है। इसके पूर्व यह सम्मान हिन्दी के महत्वपूर्ण कवि केशव तिवारी और महिलाओं के सवालों को अपनी कविता में पुरजोर तरीके से उठाने वाली रूपम मिश्र को दिया जा चुका है। सम्मान स्वरूप ग्यारह हजार रुपये की मानदेय राशि सहित प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

अभिज्ञात हिन्दी में उस परम्परा के लेखक हैं, जिनकी जड़ें आज भी गाँव में हैं। अभिज्ञात ने अपने लेखन के माध्यम से समाज के वंचितों और शोषितों के प्रश्नों को उठाया है और पिछले तीस सालों से लगातार साहित्य की दुनिया में सार्थक-सक्रिय रहे हैं। पेशे से पत्रकार अभिज्ञात के दस कविता संग्रह, तीन कहानी संग्रह और तीन उपन्यास प्रकाशित हैं।

इस बार निर्णायक हिन्दी के महत्वपूर्ण कवि केशव तिवारी एवं अनहद कोलकाता के संस्थापक विमलेश त्रिपाठी थे। केशव तिवारी ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि यह सम्मान एक ऐसे साहित्यकार को दिया जा रहा है, जो अपने रचना और जीवन के बीच की खाई को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य की ओर प्रवृत हैं एवं उन्होंने अपने साहित्य में समय के ज्वलंत मुद्दे उठाए हैं।

डॉ. अभिज्ञात को यह सम्मान कोलकाता में ही आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा, जिसमें कोलकाता एवं भारत के अन्य हिस्से से आए साहित्यकार शामिल होंगे।

12.1.24

Demand for action on Mark Zuckerberg's controversial post

Azad Adhikar Sena National president Amitabh Thakur has written to Police Commissioner Lucknow and Electronics Ministry, Government of India for action in the extremely controversial posts made by Meta founder Mark Zuckerberg.


He said Mr Zuckerberg wrote on Facebook and Instagram that he is raising cows in his ranch to produce the best quality beef and is giving beer to them.


He said cows are extremely sacred in India and such posts are going to deeply hurt the religious sentiments of Indians.


Amitabh Thakur said Mr Zuckerberg might not know this fact but the officials of Facebook and Instagram in India would necessary have known this and needed to take appropriate action immediately in the matter.


He said the gross negligence of the social media officials is clearly objectionable.


Amitabh Thakur has sought registration of FIR in the matter and immediate deletion of these posts in India. He has also requested to direct the social media intermediaries to device effective means to immediately react in any such instances in future.

9.1.24

12thfail की वास्तविक कहानी और फिल्म में बहुत अंतर है..

विनय जायसवाल-

12thfail की वास्तविक कहानी और फिल्म में बहुत अंतर है. सिनेमा को कभी भी डाक्यूमेंट्री की तरह से नहीं लेना चाहिए. व्यवसायिक फ़िल्मकार, कला फिल्मकार से बहुत अलग होता है. 


व्यवसायिक फ़िल्मकार के सामने फिल्म को बाजार के अनुसार परोसने का दबाव होता है. उसे बाजार के मापदंडों पर खरा उतरना पड़ता है और लागत निकालने के साथ ही मुनाफा भी कमाना पड़ता है. इसीलिए उसे वास्तविक कहानी को बड़े कैनवास के लिए तैयार करना पड़ता है. 

शायद यही कारण है कि विधु विनोद चोपड़ा ने मनोज शर्मा की गरीबी और श्रद्धा के प्यार को ज़रूरत से ज्यादा चढ़ा बढाकर पेश किया है. जिसके दादा और पिता दोनों सरकारी नौकरी में रहे हों और जिनके पास कई बीघा जमीन हो वह उतना भी गरीब नहीं होगा कि फिल्म एक बड़े हिस्से में उसे एक ही कमीज पहने दिखाया जाय. किस गरीब के घर दुनाली बन्दुक होगी? 

फिल्म को रोमांचक बनाने के लिए कई घटनाक्रम क्रिएट किये गए हैं जैसे वास्तविक कहानी में एसडीएम है न कि डीएसपी और उस एसडीएम से मनोज की पहचान अच्छे क्रिकेट कमेंटरी की वजह से है न कि नक़ल रोकने की वजह से. जुगाड़ छोड़वाने वाली कहानी पूरी तरह काल्पनिक है. मनोज एसडीएम के पास जाता ज़रूर है लेकिन वहां एसडीएम जैसा बनने की इच्छा लेकर जाता है. 

इसी तरह मनोज काफी लम्बे समय तक ग्वालियर में रहकर तैयारी करता है और अनुराग पाठक / प्रीतम पांडे से काफी समय से परिचित है न कि एकाएक स्टेशन पर मिलता है. इसी तरह मनोज ने दिल्ली की जगह ग्वालियर में लायब्रेरी और चक्की में काम किया है. श्रद्धा मनोज से कभी चक्की पर मिली ही नहीं है. 

इंटरव्यू का दृश्य भी अतिरंजित है. फ़िल्में वास्तविक कहानियों से बहुत दूर होती हैं. उनसे ज़रूरत भर का मोटिवेशन लेना चाहिए बाकी आँख और कान खुले रखने चाहिए. ऑफिस अधिकारी से लेकर विधायक के चमचे को चप्पल से पीटने, थाने में बन्दुक लाकर गोली मारने की धमकी देना, डीएसपी के बंगले में जबरदस्ती आधी रात घुस जाना, थाने अंदर दरोगा को अर्दब देना कि आईपीएस बनते ही सबसे पहले तुम्हें सस्पेंड करूँगा इत्यादि पूरी तरह फ़िल्मी ड्रामा है, जिसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं है. 

इसलिए संभलकर भाई साहब. गैंग ऑफ़ वासेपुर में रामाधीर सिंह ने ऐसे ही नहीं कहा है कि जब तक सिनेमा है लोग चूतिया बनते रहेंगे. 

लेखक SAIL में बतौर AGM कार्यरत हैं.

8.1.24

'कच्छा-बनियान' में डकैती ही नहीं शादी भी कर सकते हैं..

डॉ. मुकेश कुमार उपाध्याय- 

एक समय 'कच्छा-बनियान' पहन कर डाका डालने जाया जाता था लेकिन अभी 'कच्छा-बनियान' पहनकर शादी के लिए जाने की ख़बरों से मीडिया प्लेटफॉर्म भर गए हैं। शादी से सुर्ख़ियां बटोरना फायदे का सौदा है। शादी तो करनी ही है, लगे हाथ सुर्ख़ियां भी बटोर ली जाएं। थोड़ा सा तड़का ही तो लगाना है! यह तड़का लगाया है जिम ट्रेनर और फिटनेस एक्सपर्ट नूपुर शिखरे ने। 




हाल ही में आमिर खान की बेटी आयरा के साथ उनका विवाह हुआ है। और वे विवाह के लिए पैदल दौड़कर रवाना होते हैं। इस दौरान वे सिर्फ एक बनियान और शॉर्ट्स पहने हुए हैं। 

इस स्टोरी में कई रोचक एंगल हैं: पहला एंगल नूपुर के आमिर खान का दामाद बनने का है तो दुसरा लव स्टोरी का है। तीसरा पिता के साथ फिटनेस ट्रेनर के रूप में शुरू हुई जान पहचान का बेटी के साथ रोमांस में बदलले और फिर शादी तक पहुंचने का है। चौथा हिंदू मुसलमान का भी है। नपुर शिखरे की जिंदगी और उनके करिअर के भी एंगल हैं। ऐसे ही आमिर खान और उनकी बेटी आइरा के जीवन के एंगल्स का खजना इस में मौजूद है। 

आइरा मानसिक अवसाद से ग्रस्त होने के बाद किस तरह जिम ट्रेनर नपुर की मेहनत से सामान्य जीवन में लौटीं। आइरा-नूपुर की शादी के बहाने दिगगज फिल्म स्टार आमिर खान के निजी जीवन से लेकर फिल्मी करिअर तक की ढेरों स्टोरीयों ने सिर उठना शुरू कर दिया है, लेकिन अकेला विवाह प्रसंग विचित्रताओं के चलते जबरदस्त चर्चा में है। इतना कि लिखने और देखने वालों का सिर चक्कर खा सकता है। 8 किमी की रेस और आउटफिट के रूप में 'कच्छा-बनियान'! यह वाला एंगल सब पर भारी है। टॉप स्टोरी यही है...बड़ी खबर यही है। नूपुर शादी के लिए चंद दोस्तों के साथ पैदल दौड़कर रवाना होते हैं। 

तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं 

सुर्खियों वाली शादियां पहले से होती आ रही हैं। यह सुर्ख़ियां पॉजिटिव नेगेटिव या मिलीजुली, किसी तरह की हो सकती हैं। एक समय विराट कोहली की शादी की चर्चाओं ने बुलंदी का आसमान छुआ था, लेकिन उनकी शादी की आलोचना में कहा गया था कि विराट ने विदेशी धरती पर विवाह रचा कर भारत की जमीन को मिलने वाले फायदों के बारे में नहीं सोचा! इस मामले में रणदीप हुडडा और लेन लैसराम की मणिपुरी शादी ज्यादा वाहवाही लूटाने वाली रही। लोग उसमें एक भी नेगेटिव नरेटिव नहीं ढूंढ पाए। फिलहल नूपुर शीखरे की शादी के तौर-तरीकों पर लोग ताने कस रहे हैं। उनका कहना है, भारतीय संस्कृति और परंपराओं को मूल स्वरूप में सहजने के जितने जतन किए जा रहे हैं, उतने ही प्रयास इनकी टांगे तोड़ने के लिए किए जा रहे हैं। 

भारत में विवाह की परंपरा का विशेष स्थान है। सामाजिक, परिवारिक और आध्यातमिक धराटल पर टिका यह अनुष्ठान बहुत पवित्र मना जाता है और सात जन्मों तक एक दुसरे को जोड़ने का संकल्प दिलाता है। ट्रोलर्स का कहना है कि विवाह की पवित्रता को दिनों-दिन ग्रहण लग रहा है। लोग इसकी मूल भावना के बजाय मस्ती और बेतुकी हरकतों का तड़का लगाने की सोच में डूबते जा रहे हैं। नूपुर और आइरा खान ने बदलाव की छलांग लगाकर इसे मजाक की हद तक पहुंचा दिया है। 

एक एंगल ये भी: आमिर का साला उनका बाहनोई भी है.. बेटी की शादी पर खानदान की कुंडली वायरल 

आमिर खान का साला उनका बाहनोई भी है, यानी आमिर खान अपने बहनोई के साले भी हैं। तामम लोगों के लिए इसमें कुछ खास नहीं है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह अजीब इसलिए है क्योंकी आमिर खान की पत्नी एक उच्च वर्गीय हिंदू परिवार से आती हैं। और ऐसे परिवारों में इतनी नजदीक शादियां नहीं होती हैं। आमिर की बहन फरहत खान दत्ता हैं। उनके पति राजीव दत्ता हैं, जो आमिर खान की पहली पत्नी रीना दत्ता के भाई हैं। आमिर की बड़ी बहन निकहत खान का विवाह भी उच्च वर्गीय हिंदू परिवार के संतोष हेगडे से हुआ है। दोनों बहनों ने उच्च कुलीन हिंदुओं से शादी की तो अमीर ने भी अपनी दोनों शादियां उच्च कुलीन हिंदू परिवारों में की। 

अब उनकी अगली पीढ़ी ने भी इस रीवाज को कायम रखा है। यानी बेटी आइरा की शादी कुलीन हिंदू लड़के नपुर शिखरे से हुई है। आइरा खान की अनोखी शादी तो चर्चा में है ही, इस बहाने फिल्म इंदुस्ट्री के दिगगज कलाकार आमिर के परिवार की कुंडली को एक बर फिर से खंगाला जा रहा है। पर्सनल लाइफ के खूब चर्चा हो रहे हैं। आइरा की शादी के मौके पर ढेर सारे वीडियोस में जो बताया जा रहा है, वह उन लोगों के लिए खासा दिलचस्प है जिन्हें अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है। 

हैरान करने वाली बात यह है कि एक बेहद कामयाब एक्टर, दो शादियां करने के बाद भी विवाहित जीवन में सफल नहीं कहा जा सकता है! उनकी एक भी पत्नी उनके लिए जीवन साथी साबित नहीं हो सकी। दोनों बीवियों से उनका तलाक़ हो चुका है। पहली पत्नी रीना दत्ता से दो बच्चे आइरा और junaid खान हैं। दूसरी पत्नी किरण राव से एक बेटा अज़ाद राव खान है। 

हालाँकि एक सुखद संयोग यह भी है कि दोनों पत्नियाँ और तीनों बच्चे शादी के मौके पर बहुत खुश और एक साथ नजर आ रहे हैं। इस पर यूजर्स कहते हैं कि कलाकार दो तरह का जीवन जीते हैं, एक कैमरे के सामने और दुसरा कैमरे के पीछे।

4.1.24

पुण्यतिथि विशेष : कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे.... गोपालदास नीरज

संजय सक्सेना, लखनऊ 

आज से सौ साल पहले यानी 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के छोटे से जिला इटावा के पुरावली गाँव के एक हिन्दू कायस्थ परिवार बाबू ब्रज किशोर सक्सेना के यहा बेटे का जन्म हुआ था. ब्रज किशोर के नाम से ही इस बात का अहसास हो जाता था कि उनकी आस्था किससे जुड़ी है. कृष्ण भक्त इस परिवार ने बड़े अरमानों के साथ बेटे का नाम भी गोपाल रखा. जो अपनी लेखनी के चलते कालांतर में गोपालदास नीरज के नाम से हिन्दी साहित्य की महना विभूति बन गया. मात्र 6 वर्ष की आयु में गोपाल के पिता जी गुजर गये थे, गोपालदास नीरज का पालन-पोषण उनकी मॉ ने ही किया. 

उत्तर प्रदेश के जिला एटा से हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद गोपाल ने इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया, फिर एक सिनेमाघर में नौकरी की. कई छोटी-मोटी नौकरीयाँ करते हुए 1953 में हिंदी साहित्य से एम.ए. किया और अध्यापन कार्य से संबद्ध हो गये. 

इस बीच कवि सम्मेलनों में उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी थी. इसी लोकप्रियता के कारण उन्हें मुम्बई तब की बंबई से एक फ़िल्म के लिए गीत लिखने का प्रस्ताव मिला और फिर यह सिलसिला आगे बढ़ता ही गया. नीरज ने कभी मुड़कर नहीं देखा. फिल्मी इंडस्ट्री में भी नीरज अत्यंत लोकप्रिय गीतकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए और उन्हें तीन बार फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. 

जीवन के अंतिम पड़ाव में नीजर का मुम्बई की चकाचौंध वाली जिंदगी से मन ऊब गया तो वह इटावा के पास के ही जिले अलीगढ़ वापस लौट आए. जहां उनके बच्चे रहते थे. 

गोपालदास नीरज का पहला काव्य-संग्रह ‘संघर्ष’ 1944 में प्रकाशित हुआ था. अंतर्ध्वनि, विभावरी, प्राणगीत, दर्द दिया है, बादल बरस गयो, मुक्तकी, दो गीत, नीरज की पाती, गीत भी अगीत भी, आसावरी, नदी किनारे, कारवाँ गुज़र गया, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिए आदि उनके प्रमुख काव्य और गीत-संग्रह हैं अपनी लेखनी के चलते नीरज जी विश्व उर्दू परिषद पुरस्कार और यश भारती से सम्मानित किए गए थे तो भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पदम् श्री और 2007 में पद्म भूषण से अलंकृत किया था. 

उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें भाषा संस्थान का अध्यक्ष नामित कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था. नीरज को बम्बई के फिल्म जगत से गीतकार के रूप में पहली बार नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमन्त्रण दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. पहली ही फ़िल्म में उनके लिखे कुछ गीत जैसे कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा बेहद लोकप्रिय हुए जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बम्बई में रहकर फ़िल्मों के लिये गीत लिखने लगे. 

फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा. गोपाल दास नीरज अपनी आलोचना करने से कभी नहीं चूकते थे. 

अपने बारे में उनका एक शेर आज भी मुशायरों में फरमाइश के साथ सुना जाता है.जिसके चंद बोल थे,‘इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में, लगेंगी आपको सदियाँ हमें भुलाने में. इसी तरह से ‘न पीने का सलीका न पिलाने का शऊर, ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में. ‘काफी लोकप्रिय हुआ. 

 नीरज जी की कालक्रमानुसार प्रकाशित साहित्य कृतियों की बात की जाये तो संघर्ष (1944), अन्तर्ध्वनि (1946), विभावरी (1948),प्राणगीत (1951), दर्द दिया है (1956), बादर बरस गयो (1957), मुक्तकी (1958), दो गीत (1958), नीरज की पाती (1958). गीत भी अगीत भी (1959),आसावरी (1963), नदी किनारे (1963), लहर पुकारे (1963), कारवाँ गुजर गया (1964), फर दीप जलेगा (1970), तुम्हारे लिये (1972), नीरज की गीतिकाएँ (1987) काफी लोप्रिय हुईं. 

गोपालदास नीरज को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये 1970 के दशक में लगातार तीन बार जिन गीतों के लिए नामांकित किया गया, उसमें 1970 में काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म.चंदा और बिजली), 1971 में बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म.पहचान), 1972 में ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म मेरा नाम जोकर शामिल थीं.पद्म भूषण से सम्मानित कवि, गीतकार गोपालदास ’नीरज’ ने दिल्ली के एम्स में 19 जुलाई 2018 की शाम लगभग 8 बजे अन्तिम सांस ली। तो हिन्दी साहित्य का एक सितारा अस्त हो गया. 

 लेखक से संपर्क - 9454105568, 8299050585 skslko28@gmail.com.

फर्क : पहले बलातकारी बचाएं जाते रहे, अब जेल है उनकी जगह

2017 से पहले यूपी में राह तो छोड़िए, लोग अपने बेडरुम में भी सुरक्षित नहीं थे। राह चलते युवतियों का किडनैप कर सामूहिक बलातकार की घटनाएं आमबात हुआ करती थी। खास यह है कि अगर कोई बलातकारी पकड़ भी जाता था, सपा मुखिया के उस बयान पर कार्रवाई नहीं होती थी, बच्चे है बच्चों से गलतियां हो जाया करती है। परिणाम यह रहा कि छुटभैये सपाई गुंडे तो छोड़िए विजय मिश्रा व गायत्री प्रजापति जैसे उसके विधायक व मंत्री खुल्लमखुल्ला बलातकार की घटनाओं को न सिर्फ अंजाम देते थे, बल्कि पीड़िता की रपट ही नहीं लिखी जाती थी और जनमानस के दबाव में लिखी भी गयी तो एफआर लगा दी जाती रही। जबकि योगीराज में न सिर्फ पीड़िता की रपट लिखी जाती है, बल्कि दुद्धी-सोनभद्र के भाजपा विधायक रामदुलार गौड़, विजय मिश्रा सहित बीएचयू आईआईटी छात्रा के छेड़खानी के आरोपी भाजपा आईटी सेल कार्यकर्ता भी जेल की हवा खा रहे है। मतलब साफ है पहले जेबकतरे से लेकर लूट, हत्या, डकैती व बलातकार जैसे संगीन अपराधों के आरोपियों को बचाने के लिए सपाई न सिर्फ पूरी ताकत झोक देते थे, बल्कि फर्जी मुकदमों में बेगुनाहों को जेल भेजवा देते थे, आज बुलडोजरराज में रपट दर्ज तो हो ही रहे है, समय पर अपराधियों की सजा भी हो रही है. सुरेश गांधी-
ताजा मामला, बीएचयू आईआईटी छात्रा के संग हुई गैंगरेप का है। देर से ही सही पुलिस ने पीड़िता के बयान पर दर्ज गुमनाम आरोपियों को ढूढ़ निकाला और जेल भेज दिया। खास है कि ये आरोपी कोई और नहीं बल्कि भाजपा के आईटी सेल के चार मनबढ़ युवक थे और इनके वीआईपीज फोटो देखकर एकबारगी पुलिस के भी रोंगटे खड़े हो गए, लेकिन योगीराज के जीरो टॉलरेंस अपराध नीति के आगे पुलिस ने साहस का परिचय देते हुए इन्हें न सिर्फ जेल भेज दिया, बल्कि उसके पास इतना पुख्ता सबूत है कि सजा होने से भी इन्हें कोई नहीं बचा सकता। जबकि ये आरोपी अगर सपाई होते और अखिलेश का राज होता तो हस्र क्या होता वो विजय मिश्रा व गायत्री प्रजापति जैसे अपराधियो का नाम बताने के लिए काफी है। उस दौर में सपाई गुंडो का हाल यह था कि अपराधी पार्टी के है तो कार्रवाई भूल जाइए, ये जेबकतरों, लूटेरे व हत्यारों को बचाने के लिए पुलिस की वर्दी तक फाड़ डालते थे और किसी पत्रकार ने इनके कारनामों की बखिया उधेड़ने की कोशिश की तो फर्जी रपट दर्ज कर न सिर्फ उसके घर-गृहस्थी तक लूटवा लेते थे, बल्कि जगेन्द्र जैसे पत्रकारों की हत्या तक करवा देते थे। फिरहाल, आमआदमी को छोड़िए बुलडोजरराज में सर्वाधिक प्रभावशाली माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद व विजय मिश्रा जैसे अपराधियों के साथ क्या हो रहा है, ये सर्वविदित है। ताबड़तोड़ न सिर्फ बुलडोजर उनके अवैध कब्जों पर गरज रहे है, बल्कि अवै संपत्ति भी सील हो रही है, सजाएं धड़ाधड़ हो रही है। यह अलग बात है कि कुछ सपाई चहेतो को यह सब नहीं दिख रहा है, लेकिन जनता सब समझ रही है। 2022 का परिणाम तो योगी के बुलडोजर संस्कृति पर जनता ने दिया है। बता दें, योगीराज में हर अपराध पर कार्रवाई होती है। किसी बेगुनाह को नेताओं के प्रभाव में फसाया नहीं जाता है। अपराधियों के अवैध कब्जे एक-एक कर ढहाएं जा रहे है। एनसीआरबी के आंकड़े देखने से लगता है बाबा ने यूपी को ठंडा कर दिया है। जहां हर तीसरे रोज दंगा होते थे, वहां आज तक एक भी दंगा नहीं हुए। मतलब साफ है 2017 के पहले और 2017 के बाद का उत्तर प्रदेश बदल चुका है। तमाम सर्वे रिर्पोटो की मानें तो योगी सरकार की ‘पुलिस कार्रवाई’ में अखिलेश सरकार से चार गुना अधिक है। 2017-18 से 2021-2022 की अवधि में ’पुलिस कार्रवाई’ में 162 व्यक्ति मारे गए, जबकि 2012 से 2017 तक 41 लोगों की जान गई थी. मार्च 2017 में सत्ता में आने के बाद से यूपी में आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार कथित गोलीबारी में संदिग्ध अपराधियों को गोली मारने के लिए कुख्यात हुई है. यह अलग बात है कुछ कुंठाग्रस्त आलोचकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इन पुलिस ‘मुठभेड़ों’ को न्यायेतर, फर्जी हत्याएं करार दिया गया है, जिन्हें आदित्यनाथ सरकार द्वारा अपराध के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ बताती है. आंकड़े के मुताबिक 2017 से 2022 तक पुलिस ने 3,574 व्यक्तियों या संदिग्ध अपराधियों को गोली मार दी. हालांकि, अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान मारे गए संदिग्ध अपराधियों की संख्या या मारे गए व्यक्तियों के वर्षवार विवरण के उपलब्ध नहीं कराया गया था. पुलिसकर्मियों पर हमलों के मामले में भी आदित्यनाथ का पहला कार्यकाल यादव के शासन की तुलना में आगे रहा है. 2012-2017 में पुलिसकर्मियों पर हमले की 4,361 घटनाएं हुईं, जो 2017 से 2022 तक बढ़कर 5,972 पहुंच गईं. योगी सरकार पर लगातार ‘फर्जी मुठभेड़’ करने का आरोप लगता रहा है, दूसरी ओर, यूपी पुलिस का कहना है कि वे अपराधियों को केवल आत्मरक्षा में गोली मारते हैं. आंकड़े के मुताबिक योगीराज में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 3 लाख 40 हजार 170 मामले दर्ज हुए. इनमें हिंसक वारदातों की संख्या 59 हजार 277 थी. जबकि अखिलेश सरकार मे हर साल अपहरण की औसतन 17 हजार 784 मामले दर्ज किए गए. वहीं चोरी की 49 हजार 874 मामले दर्ज हुए. वहीं रेप के हर साल औसतन 3 हजार 507 मामले दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56 हजार 174 मामले हर साल दर्ज किए गए. इसी तरह दंगों के हर साल औसतन 7 हजार 345 मामले दर्ज किए गए. बता दें, अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री थे. इस दौरान आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 2 लाख 37 हजार 821 मामले दर्ज किए गए. वहीं हिंसक वारदातों के हर साल औसतन 44 हजार 39 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह अपहरण के 12 हजार 64 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं चोरी के मामले दर्ज करने का औसत हर साल 42 हजार 57 का था. इस दौरान बलात्कार के 3 हजार 264 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 36 हजार 41 मामले हर साल दर्ज किए गए. अखिलेश सरकार में दंगों के हर साल औसतन 6 हजार 607 मामले दर्ज किए गए. अखिलेश यादव की सरकार में ही मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. बसपा प्रमुख मायावती 2007 से 2012 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं. उनके कार्यकाल में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 1 लाख 72 हजार 290 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान हिंसक वारदातों का औसत हर साल 28 हजार 248 मामलों का था. इस दौरान अपहरण के 6 हजार 162 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं चोरी के 16 हजार 1 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. बलात्कार के औसतन 1 हजार 777 मामले हर साल दर्ज किए गए. आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 22 हजार 125 मामले दर्ज किए गए. दंगों के 4 हजार 469 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. योगी के जीरों टॉलरेंस नीति से जनता खुश जनता की नजर में यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न सिर्फ बेहतर है बल्कि कानून व्यवस्था में भी अव्वल है। उनके बुलडोजर एक्शन, पुलिसिया कामकाज, ट्रांसफर पोस्टिंग, कल्याणकारी योजनाएं, भ्रष्टाचार, विधायक निधि, सांसद निधि आदिद में अखिलेश की तुलना में बेहद संतुलित और जनहितैषी ढंग से संचालित हो रहे हैं.

2.1.24

SAIL launches story writing competition - 2024

•Will showcase the skills of writers across the country •Company will felicitate the winners with attractive prizes & certificates New Delhi, 02 january 2024: Steel Authority of India Limited (SAIL) has launched “SAIL Story Writing Competition– 2024” titled "You, Me and SAIL" today, inviting writers from all over the country to participate and showcase their creative writing skills. The aim of SAIL Story Writing Competition - 2024 is to inspire people of all ages to explore their imaginations, sharpen their writing skills, and connect with SAIL, as well as to make people aware of SAIL's contribution the Nation development. With the theme of "You, Me and SAIL", there is no limit to the range of emotions and experiences that writers can explore in their submissions. The competition is open to writers of all ages and levels of experience, from first-time writers to established authors. Entrants are encouraged to explore their imagination and creativity in crafting their stories. This year's competition offers exciting prizes to the winners, publication opportunities, and certificates. Additionally, all winning entries will be featured in SAIL’s in-house Magazine SAILNews, giving writers a chance to gain exposure and recognition. Participants are encouraged to submit original and unpublished stories, in no more than 800 words, that explore the theme in innovative and imaginative ways. To enter the competition, participants must submit their original stories by 15th February, 2024 to sailstory2024@gmail.com. The submission guidelines and rules are available on SAIL website (www.sail.co.in) and also attached with this press release. Steel Authority of India Limited (SAIL) is one of the largest steel-making companies in India and one of the Maharatnas of the country’s Central Public Sector Enterprises (CPSEs). SAIL has always stood committed to the cause of nation building.

1.1.24

बिहार पुलिस एक कालजयी उपन्यास

बिहार पुलिस एक कालजयी उपन्यास कुछ किताबों की कहानी लिखी नहीं जाती, अपितु उसे जीया जाता है। कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ मुझे श्री तत्सम्यक मनु रचित उपन्यास 'बिहार पुलिस' को पढ़कर। उपन्यास में रहस्य है, रोमांच है, छात्र जीवन है, तो वहीं बिहार पुलिस, झारखंड पुलिस सहित होमगार्ड्स की ज़िन्दगानी भी हैं। उपन्यास को सटीकता प्रदान करने के लिए लेखक ने कई न्यूज़पेपर कटिंग्स का भी इस्तेमाल किया है। इसके अलावा उपन्यास में लेखक ने भाँति-भाँति के मुद्दे उठाए हैं, जिसे पढ़कर यही लगता है कि उपन्यास लेखन में काफी शोध हुआ है और यही शोधपरक जानकारी उपन्यास को 'कालजयी' बनाता है। लेखक को 'कालजयी' रचना के लिए हार्दिक बधाई और प्रणाम। समीक्षक : अपर्णा कुमारी यादव, झारखंड।

हापुड़ में आज़ाद अधिकार सेना की जिला कार्यकारिणी का गठन

उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ में आज़ाद अधिकार सेना की नवगठित जिला कार्यकारिणी का गठन हो गया है. नवगठित जिला कार्यकारिणी ने जनपद में भ्र्ष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने की बात को रखकर पार्टी के कथन को मज़बूत करने का काम किया है. बताते चलें की आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर के संरक्षण में पार्टी तेजी से उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में विस्तार कर रही है.

देवरिया में युवक को गोली मारने वाले पुलिस की पहुंच से दूर

•देवरिया में अपराधियों के हौसले हैं बहुत बुलंद •नए डीजीपी से है लोगों को बहुत उम्मीद देवरिया 31 दिसंबर। एक तरफ देश के मुखिया नरेंद्र मोदी तथा प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ एवं बड़े-बड़े आला हुकमरान शनिवार को अयोध्या में बैठ कर आम लोगों को राम राज्य की सपना को दिखाने में व्यस्त थे कि उसी दौरान अयोध्या से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर मुख्यमंत्री के गृह जनपद से सेटे देवरिया जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत चितामन चक गांव में दुस्साहसी अपराधियों ने मां के सामने बेटे को गोली मार दी और खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन करते हुए फरार हो गये। वह तो भगवान श्री राम का आशीर्वाद था कि गोली गले को भेदते हुए निकल गई वरना वहीं पर मां की आंखों के सामने ही बेटा ढेर हो गया होता। घायल बेटे का इलाज मेडिकल कॉलेज देवरिया में हो रहा है। जहां उसकी हालत चिंताजनक बताई जा रही है। पुलिस ने विधिक औपचारिकताओं को निभाते हुए तीन युवकों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रही है। लेकिन समाचार लिखे जाने तक या यू कहे की घटना के 24 घंटा बीत जाने के बाद भी अपराधी पुलिस से कोसों दूर है। इस संबंध में पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर संजय रेड्डी ने बताया कि शनिवार को सुबह करीब ग्यारह बजे तीन बदमाश एक मोटरसाइकिल से चिंतामन चक गांव के रहने वाले 26 वर्षीय युवक रोहित यादव पुत्र राम बदन यादव के घर पहुंचे और उस समय घर पर मौजूद रोहित यादव की मां से कहा कि वह अपने बेटे को बुला दे। उससे कुछ बात करनी है। मां ने यह सोचकर कि बेटे के कुछ दोस्त आए हैं उन्होंने बेटे को आवाज देकर बुला दी और बेटा ज्यों ही घर से बाहर आता है तो उसे गोली मार दी जाती है। मां ने यह सपने में भी नहीं सोचा था की उसी के दरवाजे पर आए हुए उसके बेटे के दोस्त जान के दुश्मन बनकर आए हैं। यही है राम राज्य की संकल्पना उत्तर प्रदेश में। विशेष तौर पर देवरिया जिले में अपराधिक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं देवरिया पुलिस प्रशासन केवल कागजी और झूठी वाह वाही लूटने में व्यस्त है। उल्लेखनीय है कि कुछ माह पहले देवरिया जिले के रुद्रपुर थाना अंतर्गत फतेहपुर में जमीनी विवाद में छह लोगों की हत्या हो गई थी जिसमें एक ही परिवार के पांच लोग मारे गए थे। जिस मामले में पूरा प्रदेश हिल गया था। जानकार बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने देवरिया जिले के इतिहास में पहली बार किसी एस डी एम एवं पुलिस के सी ओ को लापरवाह पाए जाने पर निलम्बित किया था। लोगों का कहना है कि देवरिया जिले के पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा बहुत ईमानदार हैं, लेकिन उनकी ईमानदारी का लाभ आमजन को नहीं मिल रहा है। यहां पर अपराधी अपराध की घटनाओं को करने में जरा सा भी संकोच नहीं करते हैं। आए दिन हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार, तस्करी जैसे बड़े अपराध हो रहे हैं लेकिन अपराधियों के मन से कानून का भय समाप्त हो चुका है। नए वर्ष 2024 में लोगों को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के पद भार ग्रहण करने के उपरांत हो सकता है कि उनके कार्य प्रणाली और तेवर से देवरिया जिले के पुलिस के अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति जागरुक होगे।